आत्मचिंतन के क्षण
अपने माता-पिता गुरुजनों आदि के साथ मीठी भाषा बोलें, सभ्यता पूर्ण व्यवहार करें।
प्रायः लोग अपने आपको बहुत पठित एवं सभ्य व्यक्ति मानते हैं। परंतु जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती जाती है, उनमें सामर्थ्य बुद्धि बल विद्या शक्ति सत्ता अधिकार बढ़ता जाता है, वैसे वैसे यह देखने को मिलता है, कि उनमें इन सब चीजो का अभिमान भी बढ़ता जाता है। और बढ़ते बढ़ते यह अभिमान इतना बढ़ जाता है कि लोग सभ्यता से बोलना ही भूल जाते हैं। वे यह भी भूल जाते हैं कि हमारी इस संपूर्ण उन्नति का मुख्य आधार, हमारे माता पिता और गुरुजन हैं।
यह कोई सभ्यता नहीं है। जिन माता पिता आदि बड़े बुजुर्गों ने इतना तप करके आपको योग्य बनाया, सभी क्षेत्रों में आप की उन्नति करवाई, जिन के आर्थिक सामाजिक मार्गदर्शन विद्या आदि आदि सब प्रकार के सहयोग से आपने इतनी उन्नति की; कम से कम उनका उपकार भूलना नहीं चाहिए। उनके साथ असभ्यता से बात नहीं करनी चाहिए, सम्मान पूर्वक ही बोलना चाहिए।
हो सकता है माता पिता की आयु बड़ी हो जाने पर अर्थात वृद्धावस्था आ जाने पर कभी कभी उनकी कुछ बातें आपको पसंद न भी आएं। तब भी उनके साथ असभ्यता तो नहीं करनी चाहिए। क्योंकि यही घटना कल आपके साथ भी होने वाली है। आपके बच्चे भी आपको रोज देखते हैं, और आपसे ही सीखते हैं। जो व्यवहार आप अपने माता-पिता के साथ आज कर रहे हैं, कुछ समय बाद यही व्यवहार आपके बच्चे आपके साथ करेंगे। यह सोचकर ही अपने माता-पिता के साथ सभ्यतापूर्ण उत्तम व्यवहार करें।
पं श्रीराम शर्मा आचार्य
Recent Post
Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, Haridwar, and Sardar Patel University, Balaghat, have come together in a momentous Memorandum of Understanding.
Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, Haridwar, and Sardar Patel University, Balaghat, have come together in a momentous Memorandum of Understanding. This partnership, spearheaded by the Honorable Chancel...
First Secretary at the Ghana High Commission His Excellency Mr. Conrad Nana Kojo Asiedu@ shantikunj and DSVV
With immense joy and reverence, we extend our heartfelt gratitude to His Excellency Mr. Conrad Nana Kojo Asiedu, First Secretary at the Ghana High Commission, for gracing us with his esteemed prese...
International workshop @ Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, Haridwar
Memorandum of Understanding (MOU) facilitated by Barbara Flores, Divine Values School (DVS), Centro Latinoamericano de Estudios Védicos (CLEV), and Dr. Chinmay Pandya, Pro Vice Chancellor, ...
देव संस्कृति विश्वविद्यालय प्रति कुलपति आद. डॉ. चिन्मय पंड्या जी विदेश प्रवास के क्रम में ब्रिटेन पहुंचे।
देव संस्कृति विश्वविद्यालय प्रति कुलपति आद. डॉ. चिन्मय पंड्या जी विदेश प्रवास के क्रम में ब्रिटेन पहुंचे। आयुर्वेद की दुर्लभ विधा के पुनर्जागरण एवं प्रतिष्ठापना के लिए प्रयासरत देव संस्कृति विश्ववि...
देव संस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की सकारात्मक, सृजनात्मक एवं रचनात्मक अनुभतियों की अभिव्यक्ति का आयोजन: अभ्युदय 2024
अभ्युदय 2024: देव संस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की सकारात्मक, सृजनात्मक एवं रचनात्मक अनुभतियों की अभिव्यक्ति का आयोजन विद्यार्थियों द्वारा विद्यार्थियों हेतु।
विगत वर्ष भर म...
आत्मचिंतन के क्षण
आत्म निरीक्षण और विचार पद्धति का कार्य उसी प्रकार चलाना चाहिए जिस प्रकार साहूकार अपनी आय और व्यय का ठीक-ठीक खाता रखते हैं। हमारी दुर्बलताओं और कुचेष्टाओं का खर्च-खाता भी हो और विवेक सत्याचरण तथा आत...
आत्मचिंतन के क्षण
आत्म-निर्माण के कार्य में सत्संग निःसन्देह सहायक होता है किन्तु आज की परिस्थितियों में इस क्षेत्र में जो विडंबना फैली है, उससे लाभ के स्थान पर हानि अधिक है। सड़े-गले, औंधे-सीधे, रूढ़िवादी, भाग्यवाद...
आत्मचिंतन के क्षण
मनुष्य अपनी वरिष्ठता का कारण अपने वैभव- पुरुषार्थ, बुद्धिबल- धनबल को मानता है, जबकि यह मान्यता नितान्त मिथ्या है। व्यक्तित्व का निर्धारण तो अपना ही स्व- अन्त:करण करता है। निर्णय, निर्धारण यहाँ...
आत्मचिंतन के क्षण
ईश्वर उपासना मानव जीवन की अत्यन्त महत्वपूर्ण आवश्यकता है। आत्मिक स्तर को सुविकसित, सुरक्षित एवं व्यवस्थित रखने के लिए हमारी मनोभूमि में ईश्वर के लिए समुचित स्थान रहना चाहिए और यह तभी संभव है जब उसक...
आत्मचिंतन के क्षण
जो अपनी पैतृक सम्पत्ति को जान लेता है, अपने वंश के गुण, ऐश्वर्य, शक्ति,सामर्थ्य आदि से पूर्ण परिचित हो जाता है, वह उसी उच्च परम्परा के अनुसार कार्य करता है, वैसा ही शुभ व्यवहार करता ...