जो है वही क्या कम है
एक मनुष्य किसी महात्मा के पास पहुँचा व कहने लगा- 'जीवन अल्पकाल कौ है। इस थोडे़ से समय में क्या- क्या करें? बाल्यकाल में ज्ञान नहीं रहता। बुढ़ापा उससे भी बुरा होता है। रात- दिन नींद नहीं लगती है। रोगों का उपद्रव अलग बना रहता है। युवावस्था में कुटुम्ब का भरण- पोषण किये बिना नहीं चलता। तब भला ज्ञान कैसे मिले? लोक- सेवा कब की जाय? इस जिन्दगी में तो कभी समय मिलता दीखता ही नहीं। ' ऐसा कह और खिन्न होकर वह रोने लगा।
उसे रोते देखकर महात्मा भी रोने लगे। उस आदमी ने पूछा- आप क्यों रोते हैं?' महात्मा ने कहा- 'क्या करूँ बच्चा! खाने के लिए अन्न चाहिए। लेकिन अन्न उपजाने के लिए मेरे पास जमीन नहीं है। मैं भूख से मर रहा हूँ। परमात्मा के एक अंश में माया है। माया के एक अंश में तीन गुण है। गुणों के एक अंश में आकाश है। आकाश में थोड़ी- सी वायु है और वायु में बहुत आग है। आग के एक भाग में पानी है। पानी का शतांश पृथ्वी है। पृथ्वी के आधे हिस्से पर पर्वतों का कब्जा है। नदियों और जंगलों को जहाँ देखो, वहाँ अलग बिखरे पड़े है। मेरे लिए भगवान ने जमीन का एक नन्हा सा टुकड़ा भी नहीं छोडा। थोड़ी- सी जमीन थी भी, सो उस पर और- और लोग अधिकार जमाये बैठे हैं। तब बताओ मैं भूखो न मरुँगा ?'
उस मनुष्य ने कहा- 'यह सब होते हुए भी आप जिन्दा तो हो न? फिर रोते क्यों हँ?' महात्मा तुरन्त बोल उठे- "तुम्हें भी तो समय मिला है, बहुमूल्य जीवन मिला है, फिर 'समय नहीं मिलता है, जीवन समाप्त हो रहा है' इसकी रट लगाकर क्यों हाय- हाय करते हो। अब आगे से समय न मिलने का बहाना न करना। जो कुछ भी है उसका तो उपयोग करो। "
साधनों की न्यूनता की दुहाई देना, ईश्वर के राजकुमार को तो कदापि शोभा नहीं देता। अपनी अपूर्णता को पूर्णता में बदल देने की याचना यदि आत्मिक क्षेत्र के विषय में हो तो वह मानवोचित भी है, गरिमापूर्ण भी। पर यदि बाह्य साधन प्रचुर मात्रा में हों तब उसकी ऐसी शिकायत दुर्भाग्यपूर्ण ही है।
प्रज्ञा पुराण भाग १
Recent Post
निराश मत होइए
रे. क्राक जो भी काम करने बैठते उसमें असफल हो जाते। सबसे पहले उन्होंने फ्लोरिडा में रीयल एस्टेट बेचने की कोशिश की, किंतु उसमें उन्हें घाटा हो गया। रीयल एस्टेट में घाटा होने के बाद उन्होंने उस काम को...
ईमानदारी तथा बेईमानी
कुछ लोग संसार में ईमानदारी से जीते हैं, और बहुत से लोग झूठ छल कपट बेईमानी करते हैं। ईमानदार लोगों को धन, सम्मान आदि कम मिलता है। झूठे बेईमान लोग जैसे तैसे छल कपट से चालाकी से बहुत सा धन भी इकट्ठा क...
अशुभ चिंतन छोड़िये-भय मुक्त होइये (भाग 2)
इसके उत्तर में जिन्न ने कहा कि “तुम्हीं ने मुझे बुलाया है और तुम्हीं ने मुझे डराने के लिए जिम्मेदार किया है। इसके लिए तुम्हीं जिम्मेदार हो, क्योंकि तुम्हीं ने मुझे उत्पन्न किया है।” जाप...
दुःखों की गठरी घटे कैसे ?
दुःखों को कैसे बँटाया जाए और उनसे कैसे निबटा जाए, इस संबंध में बायजीद नामक एक सूफी फकीर ने बड़ी सुंदर कथा कही है। उस फकीर ने एक दिन प्रार्थना की, हे मेरे भगवान्! मेरे मालिक!! मेरा दुःख किसी और को दे...
अशुभ चिंतन छोड़िये-भय मुक्त होइये (भाग 3)
भय और मनोबल, अशुभ और शुभ चिन्तन आशंकाएं और आशाएँ सब मन के ही खेल हैं। इनमें पहले वर्ग का चुनाव जहाँ व्यक्ति को आत्मघाती स्थिति में धकेलता है वही दूसरे प्रकार का चुनाव उसे उत्कर्ष तथा प्रगति के लिए ...
अशुभ चिंतन छोड़िये-भय मुक्त होइये
बहुधा नये कामों का आरम्भ करते समय एक किस्म का संकोच होने लगता है। कारण वही है- अशुभ आशंका। उस स्थिति में अशुभ आशंकाओं को अपने मन से झटक कर विचार किया जाना चाहिए। सफलता और असफलता दोनों ही सम्भावनाएँ...
परिवार रचना की दो परम्पराएँ
परिवारों का गठन दो प्रकार का होता है एक रक्त-परिवार, दूसरा विचार-परिवार। माता-पिता के खून से बनकर जो परिवार बनता है वह घर,कुटुम्ब कहलाता है। भावनाओं और आकांक्षाओं की एकता वाले लोग भी एक कुटुम्बी ही...
प्रेम और कृतज्ञता का सौंदर्य
निस्वार्थ भाव से, बदला न पाने की इच्छा से और अहसान न जताने के विचार से जो उपकार दूसरों के साथ किया जाता है उसके फल की समता तीनों लोक मिलकर भी नहीं कर सकते। बदला पाने की इच्छा रहित जो भलाई की गई है,...
कुछ बिन्दु जिन्दगी के लिये
1. प्रतिदिन 10 से 30 मिनट टहलने की आदत बनायें. चाहे समय ना हो तो घर मे ही टहले , टहलते समय चेहरे पर मुस्कराहट रखें.
2. प्रतिदिन कम से कम 10 मिनट चुप रहकर बैठें.
3. पिछले स...
अपनी कमजोरियों को दूर कीजिये (भाग 1)
आप कितनी भी कठिन परिस्थितियों में क्यों न हों, आप अपनी खिन्नता, अपनी मानसिक दशा परिवर्तित करके दूर कर सकते हैं। मस्तिष्क के एक भाग (Cerebrum) से, जहाँ विचार उत्पन्न होते हैं, मस्तिष्क के दूसरे भाग ...