तुम्हारी जन्मपत्री मैंने फाड़ द...

श्री शम्भूसिंह कौशिक को क्षय रोग हो गया। उन्हें सेनिटोरियम में भरती कराया गया। चिकित्सा हुई। कुछ समय...

April 18, 2024, 5:48 p.m.

प्रेतात्माओं का किया गया दीक्ष...

पहले मैं पुनर्जन्म में तो विश्वास करता था पर प्रेत योनि (भूत, पिशाच आदि) पर मेरा जरा भी विश्वास नहीं...

April 18, 2024, 5:41 p.m.

कौन-कौन गुण गाऊँ गुरु तेरे...

मेरे पिता जी सन् १९६४ में ही गुरुदेव के संपर्क में आए। पिताजी के मन में उनके प्रति अनन्य श्रद्धा थी।...

April 18, 2024, 5:30 p.m.

तुमहिं पाय कछु रहे न क्लेशा...

बात सन् १९८० की है जब मेरा विवाह नहीं हुआ था। उस समय मैं माता- पिता के साथ मुंगेर, बिहार में रहती थी...

April 18, 2024, 5:25 p.m.

कर्ताऽहमिति मन्यते...

सन् १९७८ ई.में मेरे होम टाउन हजारीबाग में एक पंचकुण्डीय गायत्री महायज्ञ हुआ था। वहीं सद्वाक्यों और प...

April 18, 2024, 5:20 p.m.

विदाई वेला का मार्मिक प्रसंग...

जून १९७१ का माह था मथुरा में पूज्यवर के विदाई समारोह का आयोजन था। यद्यपि उस वर्ष के अन्दर पूज्यवर ने...

April 18, 2024, 5:09 p.m.

देवशिशु ने जगायी सद् बुद्धि...

यह घटना १९९० की है, जब मैं परम वन्दनीया माताजी से दीक्षा लेकर पहली बार नवरात्रि अनुष्ठान में था। इसस...

April 18, 2024, 5:01 p.m.

पूज्य गुरुदेव ने की प्राणरक्षा...

हमारा जन्म उड़ीसा में हुआ था। जब मैं करीब २४- २५ वर्ष का था, हमारे गाँव में भागवत् कथा करने एक सन्त श...

April 18, 2024, 4:07 p.m.

रोशन हुआ कुलदीपक का जीवन...

मेरा भतीजा अमल कुमार पाण्डेय मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव था। साथ ही वह झारखण्ड में मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव...

April 18, 2024, 4:01 p.m.

जब बस कण्डक्टर के रूप में सहाय...

सन् 2009 की बात है। नवम्बर का महीना था। मैं अपने मायके विहरा गाँव, जो बिहार के सासाराम जिले में है, ...

April 18, 2024, 3:42 p.m.

शांतिकुंज में इदं न मम के भाव ...

प्रभु श्रीराम ने एकता, समता एवं शुचिता की मर्यादा का जो पाठ पढ़ाया है, उसका सभी को अनुपालन करना चाहिए...

April 17, 2024, 10:17 p.m.

शांतिकुंज में अखंड रामायण पाठ ...

जिस घर में रामायण को सम्मान के साथ रखा, पूजा और गायन किया जाता है, वहाँ किसी प्रकार का कोई अभाव नहीं...

April 17, 2024, 10:14 p.m.

भारतीय भाषाओं की जननी संस्कृत ...

6 एवं 7 मार्च की तिथियों में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय (उच्चतर शिक्षा विभाग) एवं देव संस्कृति वि...

April 17, 2024, 1:15 p.m.

विद्यार्थियों के तन-मन को ऊर्ज...

दिनांक 11 से 13 मार्च 2024 की तिथियों में देव संस्कृति विश्वविद्यालय का वार्षिकोत्सव ‘उत्सव-2024’ सम...

April 17, 2024, 1:02 p.m.

गुरूदेव-माताजी की प्रेरणा से स...

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी एवं श्रद्धेया शैल जीजी ने सामाजिक उत्थान में ...

April 17, 2024, 12:52 p.m.

परहित के लिए जो स्वयं कष्ट सहन...

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी एवं ...

April 17, 2024, 12:49 p.m.

24 घरों में सद्ग्रंथ स्थापना ह...

विदिशा। मध्य प्रदेश विदिशा में 13 से 16 फरवरी 2024 की तिथियों में 108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ सम्पन्...

April 17, 2024, 12:37 p.m.

ज्ञानयज्ञ के लिए समर्पित प्रया...

प्रज्ञा अभियान के मुम्बई अश्वमेध महायज्ञ विशेषांक की 25000 प्रतियाँ नि:शुल्क बाँटीं नवी मुम्बई। महार...

April 17, 2024, 12:35 p.m.

विश्व पुस्तक मेले में गायत्री ...

दिल्ली। एनसीआर इस वर्ष नई दिल्ली के प्रगति मैदान में 10 से 18 फरवरी की तिथियों में विश्व पुस्तक मेले...

April 17, 2024, 12:29 p.m.

वाङ्मय स्थापना...

लखनऊ। उत्तर प्रदेश गायत्री ज्ञान मंदिर, इंदिरा नगर, लखनऊ द्वारा वीर बहादुर सिंह महिला महाविद्यालय, स...

April 17, 2024, 12:18 p.m.
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गुरुदेव से प्रथम भेंट

15 वर्ष की आयु में— बसंत पंचमी पर्व सन् 1926 को स्वगृह— आँवलखेड़ा (आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत) में पूजास्थल में ही दादागुरु स्वामी सर्वेश्वरानन्द जी के दर्शन एवं मार्गदर्शन के साथ-ही-साथ आत्मसाक्षात्कार हुआ।

अखण्ड दीपक

सन् 1926 से निरंतर प्रज्वलित दीपक, जिसके सान्निध्य में परम पूज्य गुरुदेव श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने 24-24 लक्ष के चौबीस गायत्री महापुरश्चरण संपन्न किए, आज भी इसके बस एक झलक भर प्राप्त कर लेने से ही लोगों को दैवीय प्रेरणा और आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है। इसके सान्निध्य में अब तक 2400 करोड़ से भी अधिक गायत्री मंत्र का जप किया जा चुका है।

अखण्ड ज्योति पत्रिका

इसका आरंभ सन् 1938 में पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा किया गया था। पत्रिका का मुख्य उद्देश्य— वैज्ञानिक आध्यात्मिकता और 21वीं शताब्दी के धर्म, अर्थात वैज्ञानिक धर्म को बढ़ावा देना है।

गायत्री मन्त्र

दृढ़ निष्ठा से सतत गायत्री साधना करने से मन (अंतःकरण) तीव्र गति और चामत्कारिक प्रकार से पवित्र, निर्मल, व्यवस्थित और स्थिर होता है, जिससे साधक अपने बाह्य भौतिक जीवन की गंभीर परीक्षाओं एवं समस्याओं से जूझते हुए भी अटल आतंरिक शांति और आनंद की अनुभूति करता है।

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

मुझे ज्ञात है कि इस विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता सेनानी और लगभग ३००० पुस्तकों के लेखक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यजी के स्वप्न को साकार रूप दिया है। इन्हें भारत में ज्ञान क्रांति का प्रवर्तक कहना उपयुक्त होगा। आचार्यश्री का विचार था कि अज्ञानता ही निर्धनता और बीमारी आदि सभी समस्याओं की जड़ है।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक)

आचार्य जी का एकाकी पुरुषार्थ सारे संत समाज की सम्मिलित शक्ति के स्तर का है, उनने गायत्री व यज्ञ को प्रतिबंध रहित करने निमित्त जो कुछ भी किया वह शास्त्रों के अनुसार ही था। मेरा उन्हें बारम्बार नमन है।

स्वामी जयेन्द्रतीर्थ सरस्वती (शंकराचार्य कांची कामकोटि पीठ)

श्रद्धेय आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने जो कार्य कर दिखाया वह अद्भुत है, युग के लिए नितांत आवश्यक है। आचार्य जी के साहित्य से मैं बहुत प्रभावित हूँ। प्रज्ञा पुराण ने विशेष रूप से मुझे अपने कार्यों में बहुत बल प्रदान किया है। उनका चिंतन राष्ट्र को शक्तिशाली बनाता और मानव मात्र को सही दिशा प्रदान करता है।

श्री नानाजी देशमुख (संस्थापक ग्रामोदय विश्वविद्यालय)

आचार्य जी द्वारा भाष्य किए गए उपनिषदों का स्वाध्याय करने के बाद उन्होंने कहा कि- ‘‘काश! यह साहित्य मुझे जवानी में मिल गया होता तो मेरे जीवन की दिशाधारा कुछ और ही होती; मैं राजनीति में न जाकर आचार्य श्री के चरणों में बैठा अध्यात्म का ज्ञान ले रहा होता।’’

सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन्

विनोबा जी ने वेदों के पूज्यवर द्वारा किए गए भाष्य को ग्वालियर मेंं एक सार्वजनिक सभा में अपने सिर पर धारण करते हुए कहा- "ये ग्रन्थ किसी व्यक्ति द्वारा नहीं, शक्ति द्वारा लिखे गये हैं।"

आचार्य विनोबा भावे

सुप्रसिद्ध सन्त देवरहा बाबा एक सिद्ध पुरुष थे। उनने एक परिजन से कहा- ‘‘बेटा! उनके बारे में मैं क्या कहूँ? यह समझो कि मैं हृदय से सतत उनका स्मरण करता रहता हूँ। गायत्री उनमें पूर्णतः समा गयी है एवं वे साक्षात् सविता स्वरूप हैं।’’

देवरहा बाबा

‘‘आचार्यश्री ने गायत्री को जन-जन की बनाकर महर्षि दयानन्द के कार्यों को आगे बढ़ाया है। गायत्री और ये एकरूप हो गये हैं।’’

महात्मा आनन्द स्वामी

अपने भावभरे उद्गार पूज्यवर के सम्बन्ध में इस रूप में व्यक्त किए थे- ‘‘आचार्य जी इस युग में गायत्री के जनक हैं। उनने गायत्री को सबकी बना दिया। यदि इसे मात्र ब्राह्मणों की मानकर उन्हीं के भरोसे छोड़ दिया होता तो अब तक गायत्री महाविद्या सम्भवतः लुप्त हो गयी होती।’’

करपात्री जी महाराज