सिंगापुर में विभिन्न समुदायों से नवयुग की संरचना में सहभागी बनने का आह्वान
सिंगापुर में आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी और शान्तिकुञ्ज से उनके साथ गए श्री राजकुमार वैष्णव, श्री हरिप्रसाद चौधरी तथा श्री जगदीश कुल्मी जी का भावभरा स्वागत हुआ। एअरपोर्ट पर श्री रवि जी, श्री पराग जी, श्री सुथार जी, श्री प्रभात जी, श्री माहेश्वरी जी आदि वरिष्ठ कार्यकर्त्ता टोली के स्वागत के लिए उपस्थित थे। सिंगापुर के हिन्दू सेंटर में आदरणीय डॉक्टर चिन्मय जी का व्याख्यान हुआ। प्रज्ञागीतों से निर्मित अत्यंत भावभरे वातावरण में सभी कोे नवयुग की स्थापना में भागीदारी के सौभाग्य का वरण करने की प्रेरणा दी गई आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने कई समुदायों के प्रमुखों से चर्चा की। भारतीय संस्कृति को विश्व संस्कृति बनाकर पूरे विश्व में सतयुग की वापसी के लिए संकल्पित परम पूज्य गुरूदेव के विचार, उनका प्रभाव और योजनाओं को साझा किया। आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने भारतीय संस्कृति के व्यापक विस्तार के लिए सभी समुदायों से मिलकर कार्य करने का आह्वान किया। केन्द्रीय प्रतिनिधियों ने वहाँ सक्रिय गायत्री परिवार के कार्यकर्त्ताओं से व्यक्तिगत संपर्क किया, जन्मशताब्दी वर्ष-2026 को लक्ष्य कर सक्रियता के लिए मार्गदर्शन दिया।
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हरि कीर्तन
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मुसीबत से डरकर भागो मत, उसका सामना करो
एक बार बनारस में स्वामी विवेकनन्द जी मां दुर्गा जी के मंदिर से निकल रहे थे कि तभी वहां मौजूद बहुत सारे बंदरों ने उन्हें घेर लिया। वे उनसे प्रसाद छिनने लगे वे उनके नज़दीक आने लगे और डराने भी लगे। स्...
माँसाहार का पाप पूर्व को भी पश्चिम न बना दे। (भाग 3)
हाथी माँस नहीं खाता, बैल और भैंसे माँस नहीं खाते, साँभर नील गाय शाकाहारी जीव हैं, यह शक्ति में किसी से कम नहीं होते। भारतवर्ष संसार के देशों में एक ऐसा देश है जिसमें अधिकाँश लोग अभी भी शाकाहा...
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