• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • मूल-स्रोत का सम्बल
    • ईश्वर हमारा सच्चा जीवन सहचर है।
    • अपना ओछापन क्यों बताऊँ ?
    • प्रेम समस्त सद्-प्रेरणाओं का स्रोत
    • काम लेने की नीति
    • आत्म-कल्याण बनाम विश्व-कल्याण
    • खोटे सिक्के
    • सेवा विहीन जीवन-निन्दनीय
    • सेवा, पर निःस्वार्थ
    • कामनायें, असंगत न होने पायें
    • धूल का धूल
    • विचार शक्ति ही सर्वोपरि है।
    • Quotation
    • दोष-दृष्टि को सुधारना ही चाहिए
    • परिवार का आदर्श और विकास
    • शारीरिक-श्रम के प्रति अनास्था न रखें
    • जाति, उपजातियों का दायरा चौड़ा किया जाय
    • गायत्री द्वारा प्राण-शक्ति का अभिवर्धन
    • अपनों से अपनी बात-
    • VigyapanSuchana
    • आत्म-स्मरण
    • आत्म-स्मरण (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login





Magazine - Year 1968 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


आत्म-स्मरण (Kavita)

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 21 23 Last
ऋषियों के तप, त्याग, तेज, गुण मानव धर्म महान् की। भूली हुई कहानी फिर से याद करो बलिदान की॥

जिस धरती को धर्म का सूरज देता सदा प्रकाश है, जिस धरती को कर्म और कौशल में ही विश्वास है, जिस धरती में ज्ञान और गुण का ही रहा निवास है, जिस धरती ने मानवता की फैलाई मृदु हास है,

वह है भारतवर्ष कि जिसने ज्योति जलाई ज्ञान की। भूली हुई कहानी फिर से याद करो बलिदान की॥

इसी भूमि में हरिश्चन्द्र से सत्यव्रती ने जन्म लिया, अपने व्रत की रक्षा के हित अपना सब उत्सर्ग किया, घर छोड़ा, सुख-वैभव छोड़ा राज-पाट तक छोड़ दिया, सत से डिगे न राव रंच भी जग से नाता तोड़ लिया,

बच दिया परिवार अन्त तक रखी शान निज बान की। भूली हुई कहानी फिर से याद करो बलिदान की॥

शिवि, दधीचि, मोरध्वज की यश गाथाओं की पुण्य मही, राष्ट्र हेतु वैभव सब त्यागा नचिकेता वह हुये यहीं, दानी कर्ण सदृश इस जग में हुआ न कोई और कहीं, दान किया सर्वस्व न मुख से कभी भूलकर किया ‘नहीं’,

निष्ठाओं के लिए कभी परवाह नहीं की प्रान की। भूली हुई कहानी फिर से याद करो बलिदान की॥

जब भी हुई जरूरत जैसी इस धरती ने लाल दिये, राम, कृष्ण, गौतम, गांधी राणा से मनुज-मराल दिये, तत्वज्ञान भाषा संस्कृति के इसने अमित कमाल किये, मरे धर्म के लिये विहंसकर, जिये धर्म के लिये जिये,

पौरुष से रेखायें मेटीं विधि के लिखे विधान की। भूली हुई कहानी फिर से याद करो बलिदान की॥

सुत शावको, उसी जननी के आज तुम्हारी है बारी, करना है निर्माण देश का आज करो वह तैयारी, यह जौहर का युग है अब तक पूर्ण व्यवस्था है सारी, हाथ तुम्हारे ही लगनी है नये सृजन की चिनगारी,

फिर से तुमको ही लिखनी है विमल कथा निर्माण की। भूली हुई कहानी फिर से याद करो बलिदान की॥

----***----

*समाप्त*

First 21 23 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • मूल-स्रोत का सम्बल
  • ईश्वर हमारा सच्चा जीवन सहचर है।
  • अपना ओछापन क्यों बताऊँ ?
  • प्रेम समस्त सद्-प्रेरणाओं का स्रोत
  • काम लेने की नीति
  • आत्म-कल्याण बनाम विश्व-कल्याण
  • खोटे सिक्के
  • सेवा विहीन जीवन-निन्दनीय
  • सेवा, पर निःस्वार्थ
  • कामनायें, असंगत न होने पायें
  • धूल का धूल
  • विचार शक्ति ही सर्वोपरि है।
  • Quotation
  • दोष-दृष्टि को सुधारना ही चाहिए
  • परिवार का आदर्श और विकास
  • शारीरिक-श्रम के प्रति अनास्था न रखें
  • जाति, उपजातियों का दायरा चौड़ा किया जाय
  • गायत्री द्वारा प्राण-शक्ति का अभिवर्धन
  • अपनों से अपनी बात-
  • VigyapanSuchana
  • आत्म-स्मरण
  • आत्म-स्मरण (Kavita)
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj