• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • कर्म ही ईश्वर-उपासना
    • ईश्वरीय सत्ता पर अविश्वासी न करें
    • पद नहीं मनुष्यता का सम्मान
    • प्रेम-अमृत से बढ़कर मधुर कुछ नहीं
    • वह तलवार
    • आत्मवत् सर्वभूतेषु
    • छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा-मैं हूँ’
    • हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी हो
    • Quotation
    • जो दिखाई देता है, वह भी सत्य नहीं
    • मनुष्य का उद्देश्य समझें और उसे पूरा करें
    • रोगों की गाँठ तन में नहीं, मन में
    • Quotation
    • वस्तुओं की उपयोगिता-अनुपयोगिता
    • धर्मोंरक्षित रक्षिता
    • सेवा का अवसर हर समय
    • परलोक को भूल कर कहीं आपको भी पछताना न पड़े?
    • ज्ञान औरों को भी बाँट सकूँ
    • एषणाओं की आग में न जल मरे
    • समाज-सेवा के आदर्श
    • श्रद्धावान् लभते ज्ञानम्
    • Quotation
    • मानवेत्तर प्राणियों की दुनिया भी मनुष्यों जैसी
    • यज्ञीय वातावरण का स्वास्थ्य पर प्रभाव
    • महाराज अजातशत्रु
    • विनोदप्रिय भगवान का मनोरंजन दरबार
    • समस्त दुःखों का एकमात्र कारण- अज्ञान
    • Quotation
    • स्वर्ग की स्थिति और उपलब्धि
    • विश्राम
    • रंगों में शोभा ही नहीं, शक्ति भी हैं-
    • मदन मोहन मालवीय
    • हमारे अधिक विरोधी इसलिये बनते हैं-
    • वैज्ञानिक अन्ध-विश्वास और उसकी लाल रोशनी
    • कुत्ते और बिल्ली की दोस्ती
    • अपनों से अपनी बात
    • अगले दिन सौम्य समता की प्रतिष्ठापना होनी ही है
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1969 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


Quotation

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 12 14 Last
यूनानी दार्शनिक जेनो के पास एरिट्रायस नामक एक नवयुवक दर्शनशास्त्र सीखने के लिए आया करता था। एक दिन घर लौटने पर एरिट्रायस के पिता ने उससे पूछा-आज तू क्या सीखकर आया?”

एरिट्रायस ने शान्त भाव से जवाब दिया-पिताजी यह बात तो आपको बाद में ज्ञात होगी।” पुत्र के इस जवाब को सुनकर पिता बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने एरिट्रायस ने शान्ति से उत्तर दिया, “पिताजी, मैं जो कुछ सीखकर आया हूँ वह यही है कि मैं आपके क्रोध को शान्ति से सहन करूँ

दुष्काल व्यवहारेण दुष्क्रिया स्फुरणंन च।

दुर्जना सगदोषेण दुर्भावोद्भावनेन च।

क्षीणत्वाद्वा प्रयूणंत्वन्नाडीनाँ रन्प्ध्रसंततौ।

प्राणे विधुरताँ याते काये तु विकलीकृते।

/-/-/

दौस्तित्यकारणं दोषाद्व गविदें हे प्रवतते।

अनुचित समय पर अनुचित काम करने से, बुरे लोगों के पास बैठने से मनुष्य मन में पाप और बुरी भावनाओं को स्थान देने लगता है। ऐसा होने पर नाड़ियाँ अपनी सामान्य कार्य-प्रणाली बन्द कर देती है। कुछ नाड़ियों की शक्ति नष्ट हो जाती हैं, कुछ अधिक शक्तिशाली हो जाती हैं, जिससे प्राण का बहाव उल्टा-पुल्टा हो जाता है। प्राण संचार में गतिरोध उत्पन्न होने पर ही शरीर की स्थिति बिगड़ती और उसमें तरह-तरह के रोग पैदा हो जाते हैं।

प्राण मृत्यु के बाद भी चेतना की गतिविधियाँ अभ्यास में रखता है, इसीलिये जन्मजात बीमारियाँ भी पूर्वकृत दुष्कर्मों का ही फल होती है। जिस प्रकार बीमारियाँ मन की कुटिलता और पाप से बढ़ती है उसी तरह मन की पवित्रता, स्नेह, करुणा, दया और निष्काम प्रेम से उनको मिटाया और हटाया भी जा सकता है। इसका एक बहुत सुन्दर उदाहरण फिनलैण्ड में देखने को मिला।

फिनलैण्ड को एक अविवाहित युवती कैंसर जैसे भयंकर रोग से पीड़ित थी। डाक्टरों ने उसकी विस्तृत परीक्षा की और यह देखा कि उसके गर्भाशय में कैंसर है और वह असाध्य है उसका किसी प्रकार का उपचार या आपरेशन नहीं किया जा सकता।

निराश युवती ने आत्महत्या का प्रयत्न किया। गौनर मैंटन नामक प्रसिद्ध साहित्यकार ने उसे देख लिया और दौड़कर उसे बचा लिया। गौनर मैंटन उसी मुहल्ले में रहते थे। उन्होंने युवती को बड़ी करुणा और स्नेह से देखा। उन्होंने उसके निराश जीवन में आशा का संचार किया पर युवती को अपना भावी जीवन बड़ा अन्धकारमय दीख रहा था इसलिये उसने तीन-चार बार आत्महत्या का प्रयास किया, हर बार गौनर ने उसकी रक्षा की और हर बार उसे पहले से अपेक्षा अधिक प्रेम और दया की वृष्टि की। अन्त में उसने युवती से विवाह का भी प्रस्ताव किया। युवती अब तक उसे एक रक्षक के रूप में ही देखती थी पर जब उसे उसके निश्छल प्रेम पर विश्वास हो गया तो एकाएक उसकी निराशा प्रसन्नता में बदल गई। विवाह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। दोनों का विवाह हो गया।

विवाह के कुछ दिन बाद युवती गर्भवती हुई। अपने पति के निश्छल प्रेम के आगे वह यह भी भूल गई कि उसके गर्भाशय में ही कैंसर है। अभी दो वर्ष ही बीते हैं। समाचार मिला है कि युवती के बच्चा हुआ वह बहुत सुन्दर और स्वस्थ है। डाक्टरों ने उसकी पूरी जाँच की किन्तु कही भी रोग का एक धब्बा न मिला। आश्चर्य तो इस बात का है कि युवती स्वयं भी पूर्ण स्वस्थ और उसका पति भी। डाक्टर हैरान है कि वह जो असाध्य कैंसर था वह कहाँ चला गया। फिनलैण्ड में इस घटना से “प्रेम की सृजन शक्ति” पर लोग बहुत विश्वास करने लगे हैं पर सच बात यह है कि वह सभी भावनायें जो आत्मा को प्रसन्नता और शक्ति प्रदान करती हैं, यदि मनुष्य उनका अभ्यास शुरू कर दे तो न केवल अपने आपका स्वस्थ और प्रसन्न रख सकता है वरन् पिछले जीवन में हुई भूलों से जो रोग और दुश्चिन्तायें मन में भर गई हैं उनसे भी मुक्ति अर्जित कर सकता है।

First 12 14 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • कर्म ही ईश्वर-उपासना
  • ईश्वरीय सत्ता पर अविश्वासी न करें
  • पद नहीं मनुष्यता का सम्मान
  • प्रेम-अमृत से बढ़कर मधुर कुछ नहीं
  • वह तलवार
  • आत्मवत् सर्वभूतेषु
  • छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा-मैं हूँ’
  • हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी हो
  • Quotation
  • जो दिखाई देता है, वह भी सत्य नहीं
  • मनुष्य का उद्देश्य समझें और उसे पूरा करें
  • रोगों की गाँठ तन में नहीं, मन में
  • Quotation
  • वस्तुओं की उपयोगिता-अनुपयोगिता
  • धर्मोंरक्षित रक्षिता
  • सेवा का अवसर हर समय
  • परलोक को भूल कर कहीं आपको भी पछताना न पड़े?
  • ज्ञान औरों को भी बाँट सकूँ
  • एषणाओं की आग में न जल मरे
  • समाज-सेवा के आदर्श
  • श्रद्धावान् लभते ज्ञानम्
  • Quotation
  • मानवेत्तर प्राणियों की दुनिया भी मनुष्यों जैसी
  • यज्ञीय वातावरण का स्वास्थ्य पर प्रभाव
  • महाराज अजातशत्रु
  • विनोदप्रिय भगवान का मनोरंजन दरबार
  • समस्त दुःखों का एकमात्र कारण- अज्ञान
  • Quotation
  • स्वर्ग की स्थिति और उपलब्धि
  • विश्राम
  • रंगों में शोभा ही नहीं, शक्ति भी हैं-
  • मदन मोहन मालवीय
  • हमारे अधिक विरोधी इसलिये बनते हैं-
  • वैज्ञानिक अन्ध-विश्वास और उसकी लाल रोशनी
  • कुत्ते और बिल्ली की दोस्ती
  • अपनों से अपनी बात
  • अगले दिन सौम्य समता की प्रतिष्ठापना होनी ही है
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj