Magazine - Year 1969 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
अपनों से अपनी बात
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
एकता ही शक्ति अपार है। तिनके मिलकर जब रस्सा बनता है तो उससे मदमस्त हाथी भी कसे जा सकते है। बूँद-बूँद मिलकर समुद्र बनने की उक्ति प्रसिद्ध है। एकाकी तुच्छ इकाइयों का मूल्य नगण्य हैं पर जब वे मिलकर एकात्म हो जाती है तो उनका स्वरूप और प्रभाव देखते ही बनता है। बिखरी पड़ी ईंटों का कोई महत्व नहीं, पर जब वे एकत्रित होकर विशाल भवन का रूप धारण करती हैं तो उनका महत्व और उपयोगिता कुछ और हो होती है। एक सैनिक की शक्ति नगण्य है पर उनका समूह विशाल सेना का रूप धारण करके कुछ और ही चमत्कार दिखाता है। एकता की शक्ति अविदित नहीं है पर खेद इसी बात का है कि मानव-जाति ने छुट-पुट संगठन बनाने के अस्त-व्यस्त प्रयत्न तो किये पर जन समाज की एकात्मकता एवं संघबद्धता पर ध्यान नहीं दिया। आधार और स्वार्थ अलग-अधिकारों का परित्याग करते हुए प्रसन्नता, सन्तोष एवं गर्व अनुभव करें। इस प्रकार की एकता से ही विश्व में सच्ची शांति स्थापित होगी। आज जो श्रम, चिन्तन, साधन, धन, पुरुषार्थ एवं उत्साह जैसे साधन एक दूसरे को नीचा दिखाने में, आक्रमणों से सुरक्षा रखने में खर्च होते हैं वे कल सामूहिक, समृद्धि, शान्ति का सृजन कर रहे होंगे।
भिन्नता, पृथकता और द्वेष उत्पन्न करने वाली चार कारणों की चर्चा पिछले अंक में की जा चुकी है, उन कारणों का प्रभाव क्रमशः क्षीण करते चलने की अपनी योजना है। विश्वास करना चाहिये कि मनुष्य की अन्तः चेतना अगले दिनों विकसित होगी और ऋतम्भरा प्रज्ञा का
----***---