Magazine - Year 1971 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
Language: HINDI
पेट या मालगाड़ी का इंजन
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
अभी कुछ समय पूर्व ग्रीक में एक व्यक्ति ऐसा हुआ है जो प्रतिदिन 100 पौंड से भी अधिक भोजन ग्रहण कर जाता, पेय और नाश्ता उससे अतिरिक्त। ग्रीक निवासियों ने “मिलो आफ क्रोटोना” नामक इस व्यक्ति की स्मृति में एक यादगार खड़ी की है जैसा कि मुमताज महल की स्मृति है—ताजमहल।
वास्तव में यह यादगार (मानूमेन्ट) मिलो क्रोटोना की नहीं, उसके विशाल शक्ति वाले पाचन संस्थान की यादगार है, जो यह बताती है कि प्रकृति के दिए हुए साधन कितने सक्षम और समर्थ हैं कि यदि मनुष्य उनका दुरुपयोग न करे तो दुनिया की मशीनें मनुष्य शरीर का क्या मुकाबला कर सकती हैं।
क्रोटोना तो वास्तव में अपनी इस यादगार के कारण मशहूर हो गया, वरना उससे भी अधिक सक्षम पाचन शक्ति वाले लोग हुए हैं। भारतवर्ष में बुजुर्गों के बारे में ऐसी सच्ची कहानियाँ गाँव-गाँव सुनने को मिल जाती हैं और उनके साथ यह उपदेश भी कि यदि मनुष्य गलत आहार-विहार के कारण शरीर की अग्नि को नष्ट न करे तो पेट खराब होने का कोई कारण नहीं। प्रो.पी.जी. ग्रे के अनुसार जब मिट्टी के 200 से अधिक कीटाणु कार्बोलिक एसिड जैसा जहरीला रसायन पीकर पचा जाते हैं, पचा ही नहीं जाते, वरन् उसी से अपना शारीरिक विकास भी करते हैं। तब यदि मनुष्य पेट की गड़बड़ी और मन्दाग्नि का रोना रोए तो यही कहना पड़ेगा कि उन्होंने शरीर को परमात्मा की देन जैसा मानकर उसे पवित्र और सुरक्षित नहीं रखा, वरन् उसे चमड़े की मशीन मानकर उसकी शक्ति निचोड़ने भर में आनन्द अनुभव किया।
शरीर की गर्मी नष्ट न की जाये तो मनुष्य कितना खा सकता है, उसकी एक दूसरी घटना है डेट्रायट—मिचगन (अमरीका) की, जिसके आगे मिलो क्रोटोना का भोजन तो बच्चे की खुराक कही जानी चाहिए। रेलवे विभाग में काम करने वाला—एडिको साढ़े 6 फुट लम्बा और 210 पौंड वजन का था और एक दिन में 150 पौंड अर्थात्-डेढ़ मन से भी ज्यादा खाना खा जाता। 5 व्यक्तियों के सामान्य परिवार के लिए जो भोजन, एक सप्ताह के लिए पर्याप्त होता,एडिको का उससे मुश्किल से ही एक बार पेट भरता।
यदि वह किसी होटल में खाने बैठ जाता तो फिर कुछ देर के लिए दूसरे सभी लोगों का खाना बन्द हो जाता, फिर उन्हें खाने की आवश्यकता भी नहीं होती थी, एडिको का चारा देखकर ही उनकी भूख मर जाती थी। बड़े सुअर के माँस से बनी 60 टिकियाँ और आड़ू तथा जामुन से बनी 25 कचौड़ियाँ वह एक ही बैठक में साफ कर जाता था। फिर इस पेट में पहुँचे कोयले को जलाने के लिए जल की आवश्यकता होती थी, उसके लिए बोतलें रखी जातीं और तब एक बार में गिनकर पूरी पचास बोतलें पानी भी पी जाता था।
रविवार के दिन वह विशेष खाना खाता था। उस दिन वह सुअर का माँस न लेकर 15 मुर्गे खाता था। एक बार उसने पेट भर भोजन करने के बाद लोगों की जिद रखने के लिये 3 पेरु पक्षी भी उदरस्थ कर लिए, जिनका वजन 60 पौंड था। 24 पौंड पनीर और 300 अण्डे उसका हलका-फुलका नाश्ता था। वैसे वह दिन भर में दो-तीन बार खाता था और प्रतिदिन बड़े सुअर की भुनी हुई 45 बोटियाँ, 60 टिकियाँ, भुना हुआ आलू दो गैलन, 10 कप काफी, 50 बोतल बियर तथा शराब 50 बोतल अन्य जल या कोकाकोला जैसा पेय और 50 कचौड़ियाँ उसका भोजन होते थे। उसके सामने विवाह का प्रस्ताव आया तो उसने कहा—मुझे पूरा भोजन मिलता रहे, इसी में आनन्द है, विवाह किया ही नहीं।
यह घटना बताती है कि यदि नष्ट न करें तो पेट में पूरे एक मालगाड़ी को खींचने में इंजन को जितनी गर्मी और आग चाहिए, वह कुदरत ने आदमी के पेट में भरी है, भले ही लोग उसे पहचान व समझ न पाएँ।