• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • Quotation
    • बन्धन मुक्ति का राजमार्ग
    • भगवान का सुबोध और सार्थक नाम सच्चिदानन्द
    • चित्तवृत्ति निरोध का तत्व दर्शन
    • Quotation
    • नियन्ता की विधि-व्यवस्था का प्रमाण कर्मफल सिद्धान्त
    • समय और फर्ज (kahani)
    • सत्य के प्रकाश को हृदयंगम करें
    • हठ योग लाभदायक भी हानिकारक भी
    • ब्राह्मण पद्मनाभ (kahani)
    • आखिर मृत्यु भय क्यों?
    • प्रेत बाधा एक चिकित्सा योग्य मनोरोग
    • संसार एक छाया ही तो है (kahani)
    • भरी गृहस्थी उजड़ी
    • हम सभी जन्म मरण के चक्र में घूमते हैं।
    • एकता कहाँ है? (kahani)
    • मनुष्य देवता और दैत्य
    • सूर्य की क्षमता और आराधना
    • स्वर्ग का देवता (kahani)
    • भूखण्ड भी खिसक और बिखर रहे हैं।
    • जीवन बहुमूल्य है इसे व्यर्थ न गंवायें
    • मृत शरीरों में भी प्राण ऊर्जा की झलक झाँकी
    • Quotation
    • जीव जगत पर वातावरण की प्रत्यक्ष एवं परोक्ष प्रतिक्रियाएँ
    • बुद्धि की परीक्षा (kahani)
    • विज्ञान को पथ भ्रष्ट होने से रोका जाय
    • दृश्य की तरह एक अदृश्य भी है।
    • पण्डित गंगाधर शास्त्री (kahani)
    • अन्तर्ग्रही परिस्थितियों का मानवी स्वास्थ्य पर प्रभाव
    • दूरवर्ती वातावरण को प्रभावित करने की प्रक्रिया
    • निद्रा आवश्यक तो है पर अनिवार्य नहीं
    • बुढ़ापे की रोकथाम सम्भव भी और सरल भी
    • नया द्वार खोला और नई राह दिखाई (kahani)
    • विवाह और प्रजनन की नई समीक्षा
    • महर्षि उद्यालक (kahani)
    • भूत और वर्तमान का भविष्य में विलयन नवयुग का आगमन
    • प्रार्थना की प्रचण्ड शक्ति सामर्थ्य
    • अनुनय विनय पर भगवान पिघले (kahani)
    • प्राणशक्ति के ऊर्ध्वगमन की चमत्कारी परिणतियाँ
    • कागज (kahani)
    • वेदों में यज्ञ चिकित्सा का प्रतिपादन
    • तारक मंत्र गायत्री
    • जनता के दुःख, दर्द में शामिल (kahani)
    • संगीत विनोद ही नहीं उपचार भी
    • अपनों से अपनी बात
    • Quotation
    • युग परिवर्तन
    • युग परिवर्तन (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1984 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
SCAN TEXT


प्रार्थना की प्रचण्ड शक्ति सामर्थ्य

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 36 38 Last
ब्रिटेन निवासी बावन वर्षीय एलेन थॉयर नामक महिला की परमात्मा में गहरी आस्था है। वह धर्म के कार्यों में पूरी श्रद्धा के साथ लगी रहती हैं। अपने शारीरिक स्वास्थ्य के परीक्षण के लिए वह हर वर्ष डा. विलियम ए. नोलेन के पास पहुँचती हैं। नवम्बर माह के एक दिन वह अपने चिकित्सक के पास निदान के लिए पहुँची। डॉक्टर को धर्म में किसी प्रकार की श्रद्धा न होने पर भी वह एलन के आकर्षक व्यक्तित्व से प्रभावित था।

डा. नोलेन का अन्य शारीरिक परीक्षणों के उपरान्त मलाशय के परीक्षण में यह सन्देह हुआ कि एलन को एक विशेष प्रकार का कैंसर हो सकता है। मलाशय में उस तरह के ट्यूमर का उभार भी मौजूद था उस उभार का एक छोटा-सा टुकड़ा काटकर उन्होंने हिस्टोपैथालॉजिकल परीक्षण के लिए भेजा। रिपोर्ट लेने के लिए तीन दिन के बाद वापस आने के लिए चिकित्सक ने परामर्श दिया।

तीन दिनों बाद पैथालॉजिस्ट की रिपोर्ट आयी जिसका निष्कर्ष था कि उभार एक प्रकार के असाध्य कार्सीनाइड नामक ट्यूमर का है जो प्रायः आमाशय, छोटी आँत अथवा बड़ी आँत में पैदा होता है। जबकि एलन के केस में वह मलाशय में उत्पन्न हुआ था। डा. विलियम ने बिना किसी संकोच के एलेन थॉयर को कैंसर एवं उसकी प्रकृति के विषय में विस्तृत रूप से बता दिया। साथ ही यह चेतावनी भी दे दी कि शीघ्र उपचार की व्यवस्था बनायी भी गयी तो भी यह ट्यूमर पूरे मलाशय में तुरन्त फैलकर अधिक गम्भीर संकट खड़ा कर सकता है तथा जान तक ले सकता है।

आमाशय, छोटी आँत आदि में भी तो कोई दूसरा ट्यूमर नहीं है, यह जाँचने के लिए चिकित्सक ने उन अवयवों का विशेष एक्स-रे लिया पर सन्देह निराधार निकला। ट्यूमर के ऑपरेशन की तिथि देकर डॉक्टर ने एलेन को घर वापस भेज दिया।

निर्धारित तिथि को प्रातः डेढ़ बजे डा. नोलेन की निद्रा फोन की घण्टी सुनकर भंग हुई। हॉस्पिटल की रात्रिकालीन ड्यूटी पर नियुक्त नर्स ने सूचना दी कि श्रीमती एलेन वहाँ भर्ती हैं तथा छाती के तेज दर्द से परेशान हैं। दर्द एवं सोने की तेज दवा देने का भी कुछ परिणाम नहीं निकला है। तुरन्त आने को कहकर डा. ने टेलीफोन का चोंगा रख दिया।

हॉस्पिटल के बेड पर पड़ी श्रीमती एलेन दर्द की पीड़ा से छटपटा रही थीं। डॉक्टर को देखते ही उनके होठों पर हल्की मुस्कान तैरने लगी। दर्द के विषय में पूछे जाने पर एलेन ने बताया कि इस तरह की पीड़ा पहले कभी नहीं हुयी थी, यह प्रथम अवसर है।

हृदय एवं फेफड़े की गति और लय को सुनने के बाद डा. विलियम ने पाया कि फेफड़ों की सतह पर द्रव्य एकत्रित होता जा रहा है जो हार्ट फैल्योर को जन्म दे सकता है। हृदय की धड़कन 70 प्रति मिनट से बढ़कर 100 प्रति मिनट हो गयी थी। जबकि रक्तचाप सामान्य दर 230।84 से घटकर 82।58 हो गया था। ये सभी संकेत इस बात के प्रमाण थे कि स्थिति ठीक नहीं है। इलेक्ट्रो कार्डिग्राम मशीन द्वारा इ. सी. जी. लेने पर भी इसकी पुष्टि हुयी।

यह स्थिति देखकर डॉक्टर ने ऑपरेशन का पूर्व निर्धारित कार्यक्रम बदल दिया तथा प्रस्तुत हुए नये संकट को दूर करने के लिए हृदय की गति सामान्य लाने के लिए दवाएँ तथा श्वासावरोध के लिए ऑक्सीजन दी। उन्होंने पूरी तरह आराम करने का परामर्श एलेन को दिया। सहयोगी दूसरा चिकित्सक जो हृदय रोग विशेषज्ञ था, समय-समय पर रोगी की स्थिति का अवलोकन करने जाता रहा। कुछ ही दिनों में एलेन की हालत सामान्य हो गयी। हृदय एवं फेफड़े सामान्य ढंग से कार्य करने लगे।

तीसरे सप्ताह डा. विलियम ने पुनः श्रीमती एलेन का परीक्षण किया। उन्होंने यह पाया कि मलाशय में ट्यूमर का उभार पहले से बढ़ने के स्थान पर कम हो गया है। हृदय को पूर्ण विश्राम तथा उपचार के लिए समय मिलना चाहिए, यह सोचकर उन्होंने स्थिति स्पष्ट करते हुए रोगी को बताया कि “कम से कम दस सप्ताह बाद ट्यूमर का ऑपरेशन करना अधिक अच्छा होगा।”

इस कथन पर श्रीमती एलेन बोली- “डॉक्टर! मुझे ऐसा लगता है कि अब ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी। परमात्मा की कृपा से मैं अब अच्छी हो जाऊँगी।” लगता है, भगवान ने बड़ी आपदा को छोटे में बदलकर नया जीवन दे दिया है।” डॉक्टर को यह मालूम था कि श्रीमती एलेन एक धर्मनिष्ठ महिला हैं तथा उनकी ईश्वर के प्रति गहरी आस्था है। सम्भव है भावातिरेक में वे ऑपरेशन कराने से इन्कार कर रही हों। यह सोचकर निर्णय बाद के लिए उन्होंने छोड़ दिया। पर डॉक्टर विलियम को यह अच्छी तरह मालूम था कि बिना उपचार के इस कैंसर का ट्यूमर किसी भी तरी गल नहीं सकता। उल्टे वह बढ़ता हुआ शरीर के दूसरे अंगों को भी अपनी लपेट में ले सकता है।

कुछ सप्ताह बाद श्रीमती एलेन डा. विलियम के पास पुनः परीक्षण के लिए पहुँची। पहुँचते ही उन्होंने कहा- “डॉक्टर! मैं अब पूरी तरह स्वस्थ और नीरोग अनुभव कर रही हूँ तथा मुझे लगता है मलाशय का वह ट्यूमर भी अब समाप्त हो गया है।” शुरु में तो डॉक्टर ने उनके इस कथन को वहम मात्र माना पर उस समय आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब परीक्षण के उपरान्त ट्यूमर का कहीं कोई नामोनिशान न मिला। डा. विलियम के चिकित्सा क्षेत्र के जीवन का यह एक ऐसा अनुभव था जो शत-प्रतिशत सच होते हुए भी अविश्वसनीय जान पड़ रहा था। वैज्ञानिक मस्तिष्क कारणों के बिना सन्तुष्ट नहीं होता पर जो कुछ सामने था उस सच्चाई से भी कैसे इन्कार किया जा सकता।

स्वस्थ परिहास करते हुए श्रीमती एलेन ने उनसे पूछा- “अब ऑपरेशन की क्या तिथि होगी?” डॉक्टर विलियम थोड़ा सकुचाते हुए बोले- “ऑपरेशन की आगे कभी जरूरत नहीं पड़ेगी। ट्यूमर किन्ही अविज्ञात कारणों से मिट गया।”

“नहीं डॉक्टर! यह ईश्वर की कृपा का प्रतिफल है। हृदय रोग के रूप में मुझे किसी अपने अविज्ञात बुरे कर्म का दण्ड मिल गया। मुझे संकेत मिल गया था कि उसकी सहायता अवश्य मिलेगी। यह सब उसका ही चमत्कार है।”

साइन्स डाइजेस्ट (दिसम्बर 82) में ‘दी वुमन हू सेड नो टु कैंसर’ शीर्षक से प्रकाशित एक लेख में उपरोक्त घटना का विवरण देते हुए डा. विलियम स्वयं लिखते हैं कि कैंसर सम्बन्धित विशेषज्ञों के एक दल का विचार है कि मनुष्य की जीवनी शक्ति असाध्य रोगों के उपचार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है पर कैंसर ग्रस्त होने पर वह स्वयं भी अत्यन्त कमजोर हो जाती है। सम्भव है उस महिला के ट्यूमर उपचार में जीवनी शक्ति अपरिमित मात्रा में बढ़ गयी हो और उससे रोग मुक्ति में मदद मिली हो। पर वह किस तरह घटी, हृदय रोग का उससे क्या सम्बन्ध था, यह रहस्य अभी भी रहस्य ही है।

वे आगे लिखते हुए कहते हैं कि “किसी ईश्वरीय सत्ता में विश्वास न होते हुए भी मेरे पास उस धर्मनिष्ठ महिला के कथन को स्वीकार न करने का कोई ठोस आधार नहीं था कि किसी दिव्य सत्ता की कृपा से ही वह ठीक हुई। विगत ग्यारह वर्षों में उसे दुबारा फिर कभी रोग ने नहीं सताया। उस महिला का हँसता मुस्कुराता चेहरा जब कभी भी मैं देखता हूँ तो सोचना हूँ कि अपने वैज्ञानिक तथ्यों का मुझे एक बार नये सिरे से विश्लेषण करना चाहिए तथा उस विश्वास को पाने का प्रयत्न करना चाहिए जिसके द्वारा उक्त महिला ने असम्भव को भी सम्भव कर दिया।

First 36 38 Last


Other Version of this book



Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...

Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • Quotation
  • बन्धन मुक्ति का राजमार्ग
  • भगवान का सुबोध और सार्थक नाम सच्चिदानन्द
  • चित्तवृत्ति निरोध का तत्व दर्शन
  • Quotation
  • नियन्ता की विधि-व्यवस्था का प्रमाण कर्मफल सिद्धान्त
  • समय और फर्ज (kahani)
  • सत्य के प्रकाश को हृदयंगम करें
  • हठ योग लाभदायक भी हानिकारक भी
  • ब्राह्मण पद्मनाभ (kahani)
  • आखिर मृत्यु भय क्यों?
  • प्रेत बाधा एक चिकित्सा योग्य मनोरोग
  • संसार एक छाया ही तो है (kahani)
  • भरी गृहस्थी उजड़ी
  • हम सभी जन्म मरण के चक्र में घूमते हैं।
  • एकता कहाँ है? (kahani)
  • मनुष्य देवता और दैत्य
  • सूर्य की क्षमता और आराधना
  • स्वर्ग का देवता (kahani)
  • भूखण्ड भी खिसक और बिखर रहे हैं।
  • जीवन बहुमूल्य है इसे व्यर्थ न गंवायें
  • मृत शरीरों में भी प्राण ऊर्जा की झलक झाँकी
  • Quotation
  • जीव जगत पर वातावरण की प्रत्यक्ष एवं परोक्ष प्रतिक्रियाएँ
  • बुद्धि की परीक्षा (kahani)
  • विज्ञान को पथ भ्रष्ट होने से रोका जाय
  • दृश्य की तरह एक अदृश्य भी है।
  • पण्डित गंगाधर शास्त्री (kahani)
  • अन्तर्ग्रही परिस्थितियों का मानवी स्वास्थ्य पर प्रभाव
  • दूरवर्ती वातावरण को प्रभावित करने की प्रक्रिया
  • निद्रा आवश्यक तो है पर अनिवार्य नहीं
  • बुढ़ापे की रोकथाम सम्भव भी और सरल भी
  • नया द्वार खोला और नई राह दिखाई (kahani)
  • विवाह और प्रजनन की नई समीक्षा
  • महर्षि उद्यालक (kahani)
  • भूत और वर्तमान का भविष्य में विलयन नवयुग का आगमन
  • प्रार्थना की प्रचण्ड शक्ति सामर्थ्य
  • अनुनय विनय पर भगवान पिघले (kahani)
  • प्राणशक्ति के ऊर्ध्वगमन की चमत्कारी परिणतियाँ
  • कागज (kahani)
  • वेदों में यज्ञ चिकित्सा का प्रतिपादन
  • तारक मंत्र गायत्री
  • जनता के दुःख, दर्द में शामिल (kahani)
  • संगीत विनोद ही नहीं उपचार भी
  • अपनों से अपनी बात
  • Quotation
  • युग परिवर्तन
  • युग परिवर्तन (kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj