Magazine - Year 1984 - Version 2
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Language: HINDI
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अनुनय विनय पर भगवान पिघले (kahani)
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बहुत अनुनय विनय पर भगवान पिघले और कठिनाई से ही तनिक दर्शन झाँकी देकर अन्तर्ध्यान हो गये। जाते समय कहते गये- “मैं पीड़ितों और पतितों में बसता हूँ। वहाँ जा, सेवा कर- और हाथों हाथ आत्मसन्तोष का प्रसाद ले।”