हमारी वसीयत और विरासत (भाग 112): हमारी प...

हमारी जीवन-साधना की परिणतियाँ यदि कोई सिद्धि स्तर पर ढूँढ़ना चाहे तो उसे निराश नहीं होना पड़ेगा। हर कदम अपने कौशल और उपलब्ध साधनों की सीमा से बहुत ऊँचे स्तर का उठा है। आरंभ करते समय सिद्धि का पर्यवेक्षण करने वालों ने इसे मूर्खता कहा और पीछे उपहासास्पद बनते फिरने की चेतावनी भी दी, किंतु मन में इस ईश्व...

Oct. 28, 2025, 10:32 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 111): हमारी प...

साधना से सिद्धि का तात्पर्य उन विशिष्ट कार्यों से है, जो लोक-मंगल से संबंधित होते हैं और इतने बड़े, भारी तथा व्यापक होते हैं, जिन्हें कोई एकाकी संकल्प या प्रयास के बल पर नहीं कर सकता। फिर भी वे उसे करने का दुस्साहस करते हैं; आगे बढ़ने का कदम उठाते हैं और अंततः असंभव लगने वाले कार्य को भी संभव कर दिखात...

Oct. 27, 2025, 9:35 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 110): हमारी प...

संपदा एकत्रित होती है, तो उसका प्रभाव परिलक्षित होता है। शरीर से स्वस्थ मनुष्य बलिष्ठ और सुंदर दीखता है। संपदा वालों के ठाठ-बाट बढ़ जाते हैं। बुद्धिमानों का वैभव वाणी, रहन-सहन में दिखाई पड़ता है। ठीक इसी प्रकार आध्यात्मिक संपदा बढ़ने पर उसका प्रभाव भी स्पष्ट उदीयमान होता दृष्टिगोचर होता है। साधना से सि...

Oct. 26, 2025, 10:46 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 109): ब्राह्म...

उपरोक्त पंक्तियों में ऋषिपरंपरा की टूटी कड़ियों में से कुछ को जोड़ने का वह उल्लेख है, जो पिछले दिनों अध्यात्म और विज्ञान की— ब्रह्मवर्चस् शोध-साधना द्वारा संपन्न किया जाता रहा है। ऐसे प्रसंग एक नहीं अनेकों हैं, जिन पर पिछले साठ वर्षों से प्रयत्न चलता रहा है और यह सिद्ध किया जाता रहा है कि लगनशीलता, तत...

Oct. 25, 2025, 11:10 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 108): ब्राह्म...

संस्कारवान क्षेत्र एवं तपस्वियों के संपर्क-लाभ के अनेकों विवरण हैं। स्वाति बूँद पड़ने से सीप में मोती बनते हैं; बाँस में वंशलोचन एवं केले में कपूर। चंदन के निकटवर्ती झाड़-झंखाड़ भी उतने ही सुगंधित हो जाते हैं। पारस स्पर्शकर लोहा सोना बन जाता है। हमारे मार्गदर्शक सूक्ष्मशरीर से पृथ्वी के स्वर्ग इसी हिम...

Oct. 24, 2025, 11:25 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 107): ब्राह्म...

बुद्ध के परिव्राजक संसार भर में धर्मचक्र-प्रवर्तन हेतु दीक्षा लेकर निकले थे। शान्तिकुञ्ज में मात्र अपने देश में धर्मधारणा के विस्तार हेतु ही नहीं, संसार के सभी देशों में देव संस्कृति का संदेश पहुँचाने हेतु परिव्राजक दीक्षित होते हैं। यहाँ आने वाले परिजनों को धर्मचेतना से अनुप्राणित किया जाता है। भार...

Oct. 23, 2025, 10:24 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 106): ब्राह्म...

आद्य शंकराचार्य ने ज्योतिर्मठ में तप किया एवं चार धामों की स्थापना देश के चार कोनों पर की। विभिन्न संस्कृतियों का समन्वय एवं धार्मिक संस्थानों के माध्यम से जनजागरण उनका लक्ष्य था। शान्तिकुञ्ज के तत्त्वावधान में 2400 गायत्री शक्तिपीठें विनिर्मित हुई हैं, जहाँ से धर्मधारणा को समुन्नत करने का कार्य निर...

Oct. 22, 2025, 10:24 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 105): ब्राह्म...

विश्वामित्र गायत्री महामंत्र के द्रष्टा— नूतन सृष्टि के सृजेता माने गए हैं। उनने सप्तऋषियों सहित जिस क्षेत्र में तप करके आद्यशक्ति का साक्षात्कार किया था, वह पावनभूमि यही गायत्री तीर्थ— शान्तिकुञ्ज की है, जिसे हमारे मार्गदर्शक ने दिव्य चक्षु प्रदान करके दर्शन कराए थे एवं आश्रम निर्माण हेतु प्रेरित क...

Oct. 21, 2025, 11:07 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 104): ब्राह्म...

महर्षि व्यास ने नर एवं नारायण (पर्वत) के मध्य वसुधारा जलप्रपात के समीप व्यास-गुफा में गणेश जी की सहायता से पुराण लेखन का कार्य किया था। उच्चस्तरीय कार्य हेतु एकाकी, शांत, सतोगुणी वातावरण ही अभीष्ट था। आज की परिस्थितियों में, जबकि प्रेरणादायी साहित्य का अभाव है। पुरातन ग्रंथ लुप्त हो चले। शान्तिकुञ्ज...

Oct. 19, 2025, 3:06 p.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 103): ब्राह्म...

भगवान राम ने लंकाविजय और रामराज्य की स्थापना के निमित्त मंगलाचरण रूप में रामेश्वरम् पर शिव प्रतीक की स्थापना की थी। हमारा सौभाग्य है कि हमें युग-परिवर्तन हेतु संघर्ष एवं सृजन प्रयोजन के लिए देवात्मा हिमालय की प्रतिमा प्राण-प्रतिष्ठा समेत करने का आदेश मिला। शान्तिकुञ्ज में देवात्मा हिमालय का भव्य मंद...

Oct. 17, 2025, 11:30 a.m.

राष्ट्र जागरण दीप महायज्ञ में युवाओं ने ...

भोपाल के शारदा विहार आवासीय विद्यालय परिसर में आयोजित मध्य प्रदेश प्रांतीय युवा चिंतन शिविर की पहली शाम राष्ट्र जागरण दीप महायज्ञ के रूप में दिव्य और प्रेरणादायी बन गई। पूरे परिसर में जलते दीपकों की रोशनी ने वातावरण को आलोकित कर दिया — यह प्रकाश अज्ञान के अंधकार को मिटाकर ज्ञान की ज्योति प्रज्वलित क...

Oct. 28, 2025, 11:36 a.m.

छठ पर्व: सूर्य आराधना के माध्यम से प्रकृ...

बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं नेपाल की लोकसंस्कृति में रचा-बसा यह पर्व प्रकृति, नारी शक्ति और सूर्य देव के प्रति कृतज्ञता की अनुपम अभिव्यक्ति है। यह पर्व सात्विकता, स्वच्छता, संयम और संकल्प की प्रेरणा देता है। छठ मइया की कृपा से सभी के जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि का उदय हो। आप सभी को...

Oct. 28, 2025, 11:02 a.m.

आदरणीय डॉक्टर चिन्मय पंड्या जी की अध्यक्...

भोपाल स्थित शारदा विहार परिसर में आयोजित मध्यप्रदेश प्रांतीय युवा चिंतन शिविर का शुभारंभ आज अखिल विश्व गायत्री परिवार के युवा प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी की अध्यक्षता में हुआ। इस अवसर पर माननीय मुख्यमंत्री श्री मोहनलाल यादव जी मुख्य अतिथि के र...

Oct. 28, 2025, 10:29 a.m.

भोपाल प्रवास के दौरान आदरणीय डॉ. चिन्मय ...

अखिल विश्व गायत्री परिवार के युवा प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी मध्यप्रदेश प्रवास के क्रम में आज भोपाल स्थित गायत्री शक्तिपीठ, एम.पी. नगर पहुँचे। वहाँ उन्होंने विधिवत आरती संपन्न की तथा शक्तिपीठ प्रांगण का अवलोकन करते हुए चल रही रचनात्मक गतिविधि...

Oct. 28, 2025, 10:23 a.m.

Respected Dr during Bhopal visit. Chinma...

Youth representative of Akhil Vishwa Gayatri Parivar and Vice Chancellor of Dev Sanskriti University, respected Dr. Chinmay Pandya ji reached Gayatri Shaktipeeth, MP Nagar located in Bhopal today during his visit to Madhya Pradesh. There they conducted formal Aarti and got acquainted with the creati...

Oct. 28, 2025, 10:07 a.m.

Inauguration of Madhya Pradesh Provincia...

Inauguration of Youth Contemplation Camp in the dignified presence of Chief Minister and Central Minister, chairmanship of Honorable Dr. Chinmay Pandya ji Inauguration of Madhya Pradesh Provincial Youth Contemplation Camp organized at Sharda Vihar campus located in Bhopal today, Youth representative...

Oct. 28, 2025, 9:53 a.m.

धर्म ध्वजारोहण एवं मशाल प्रज्ज्वलन के सा...

भोपाल स्थित शारदा विहार परिसर में आयोजित मध्यप्रदेश प्रांतीय युवा चिंतन शिविर का शुभारंभ अखिल विश्व गायत्री परिवार के युवा प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने किया। आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने विचार क्रांति अभियान की प्रतीक मशाल प्रज्ज्वलित कर ए...

Oct. 27, 2025, 2:28 p.m.

आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी का भोपाल में...

अंडमान-निकोबार प्रवास के पश्चात तीन दिवसीय सघन प्रवास पूर्ण कर अखिल विश्व गायत्री परिवार के युवा प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति, परम पूज्य गुरुदेव के संदेशवाहक आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी का आज भोपाल में आगमन हुआ। राजा भोज एयरपोर्ट पर गायत्री परिवार के परिजनों ने पुष्पगुच्छ...

Oct. 27, 2025, 1:50 p.m.

नैतिकता, नारीशक्ति एवं संस्कृति जागरण पर...

नई दिल्ली देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने लोकसभा अध्यक्ष आदरणीय श्री ओम बिड़ला जी की धर्मपत्नी, आदरणीया डॉ. अनीता बिड़ला जी से सौजन्य भेंट की। इस अवसर पर परम वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा जी की जन्म शताब्दी महोत्सव (वर्ष 2026) हेतु सादर निमंत्रण प्र...

Oct. 27, 2025, 11:42 a.m.

आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने अंडमान प्...

।। अण्डमान प्रवास ।। ।। 26 अक्टूबर 2025 ।। आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी, प्रतिकुलपति देव संस्कृति विश्वविद्यालय तथा प्रतिनिधि अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज हरिद्वार, ने अपने तीन दिवसीय अण्डमान प्रवास के अंतिम दिवस पर सेंट्रल सेलुलर जेल (श्री वीर सावरकर जी की कर्मभूमि एवं अग्रिम स्वतंत्रता सेना...

Oct. 27, 2025, 11:34 a.m.
as

First Meeting With Guru

At the age of 15- Self-realization on Basant Panchanmi Parva 1926 at Anwalkheda (Agra, UP, India), with darshan and guidance from Swami Sarveshwaranandaji.

Akhand Deep

More than 2400 crore Gayatri Mantra have been chanted so far in its presence. Just by taking a glimpse of this eternal flame, people receive divine inspirations and inner strength.

Akhand Jyoti Magazine

It was started in 1938 by Pt. Shriram Sharma Acharya. The main objective of the magazine is to promote scientific spirituality and the religion of 21st century, that is, scientific religion.

Gayatri Mantra

The effect of sincere and steadfast Gayatri Sadhana is swift and miraculous in purifying, harmonizing and steadying the mind and thus establishing unshakable inner peace and a sense of joy filled calm even in the face of grave trials and tribulations in the outer life of the Sadhak.

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।