हमारी वसीयत और विरासत (भाग 85): आराधना, ...

बाजरे का— मक्का का एक दाना सौ दाने होकर पकता है। यह उदाहरण हमने अपनी संचित संपदा के उत्सर्ग करने जैसा दुस्साहस करने में देखा। जो था, वह परिवार के लिए उतनी ही मात्रा में— उतनी ही अवधि तक दिया, जब तक कि वे लोग हाथ-पैरों से कमाने-खाने लायक नहीं बन गए। उत्तराधिकार में समर्थ संतान हेतु संपदा छोड़ मरना— अप...

Sept. 15, 2025, 10:14 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 84): आराधना, ...

गुरुदेव के निर्देशन में अपनी चारों ही संपदाओं को भगवान के चरणों में अर्पित करने का निश्चय किया। (1) शारीरिक श्रम, (2) मानसिक श्रम, (3) भाव-संवेदनाएँ, (4) पूर्वजों का उपार्जित धन। अपना कमाया तो कुछ था ही नहीं। चारों को अनन्य निष्ठा के साथ निर्धारित लक्ष्य के लिए लगाते चले आए हैं। फलतः सचमुच ही वे सौ ...

Sept. 14, 2025, 11:45 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 83): आराधना, ...

इतने पर भी वे सेवाएँ महत्त्वपूर्ण हैं। अब तक प्रज्ञा परिवार से प्रायः 24 लाख से भी अधिक व्यक्ति संबंधित हैं। उनमें से जो मात्र सिद्धांतों, आदर्शों से प्रभावित होकर इस ओर आकर्षित हुए हैं, वे कम हैं। संख्या उनकी ज्यादा है, जिनने व्यक्तिगत जीवन में प्रकाश, दुलार, सहयोग, परामर्श एवं अनुदान प्राप्त किया ...

Sept. 12, 2025, 10:08 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 82): आराधना, ...

सर्वव्यापी ईश्वर निराकार ही हो सकता है। उसे परमात्मा कहा गया है। परमात्मा अर्थात आत्माओं का परम समुच्चय। इसे आदर्शों का एकाकार कहने में भी हर्ज नहीं। यही विराट ब्रह्म या विराट विश्व है। कृष्ण ने अर्जुन और यशोदा को अपने इसी रूप का दर्शन कराया था। राम ने कौशल्या तथा काकभुशुंडि को इसी रूप में, झलक के र...

Sept. 11, 2025, 10:22 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 81): आराधना, ...

गंगा, यमुना, सरस्वती के मिलने से त्रिवेणी संगम बनने और उसमें स्नान करने वाले का कायाकल्प होने की बात कही गई है। बगुले का हंस और कौए का कोयल आकृति में बदल जाना तो संभव नहीं, पर इस आधार पर विनिर्मित हुई अध्यात्मधारा का अवगाहन करने से मनुष्य का अंतरंग और बहिरंग जीवन असाधारण रूप से बदल सकता है, यह निश्च...

Sept. 10, 2025, 10:17 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 80): जीवन-साध...

तीसरा पक्ष अहंता का है। शेखीखोरी, बड़प्पन, ठाठ-बाट, सज-धज, फैशन आदि में लोग ढेरों समय और धन खरच करते हैं। निजी जीवन तथा परिवार में नम्रता और सादगी का ऐसा ब्राह्मणोचित माहौल बनाए रखा गया कि अहंकार के प्रदर्शन की कोई गुंजाइश नहीं थी। हाथ से घरेलू काम करने की आदत अपनाई गई। माताजी ने मुद्दतों हाथ से चक्क...

Sept. 8, 2025, 10:02 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 79): जीवन-साध...

देखा गया है कि अपराध प्रायः आर्थिक प्रलोभनों या आवश्यकताओं के कारण होते हैं। इसलिए उनकी जड़ें काटने के लिए औसत भारतीय स्तर का जीवनयापन अपनाने का व्रत लिया गया। अपनी निज की कमाई कितनी ही क्यों न हो; भले ही वह ईमानदारी या परिश्रम की क्यों न हो, पर उसमें से अपने लिए— परिवार के लिए खरच देशी हिसाब से किया...

Sept. 4, 2025, 11:12 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 78): जीवन-स...

यह दैवी उपलब्धि किस प्रकार संभव हुई। इसका एक ही उत्तर है— पात्रता का अभिवर्द्धन। उसी का नाम जीवन-साधना है। उपासना के साथ उसका अनन्य एवं घनिष्ठ संबंध है। बिजली धातु में दौड़ती है, लकड़ी में नहीं। आग सूखे को जलाती है, गीले को नहीं। माता बच्चे को गोदी तब लेती है, जब वह साफ-सुथरा हो। मल-मूत्र से सना हो तो...

Sept. 2, 2025, 9:50 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 77): जीवन-साध...

बालक की तरह मनुष्य सीमित है। उसे असीम क्षमता उसके सुसंपन्न सृजेता भगवान से उपलब्ध होती है, पर यह सशर्त है। छोटे बच्चे वस्तुओं का सही उपयोग नहीं जानते, न उनकी सँभाल रख सकते हैं। इसलिए उन्हें दुलार में जो मिलता है, हलके दरजे का होता है। गुब्बारे, झुनझुने, सीटी, लेमनचूस स्तर की विनोद वाली वस्तुएँ ही मा...

Sept. 1, 2025, 10:31 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 76): उपासना क...

गायत्री माता की सत्ता— कारणशरीर में श्रद्धा, सूक्ष्मशरीर में प्रज्ञा और स्थूलशरीर में निष्ठा बनकर प्रकट होने लगी। यह मात्र कल्पना ही तो नहीं है, इसके लिए बार-बार कठोर आत्मपरीक्षण किया जाता रहा है। देखा कि आदर्श जीवन के प्रति— समष्टि के प्रति अपनी श्रद्धा बढ़ रही है या नहीं। इनके लिए प्रलोभनों और दबाव...

Aug. 31, 2025, 10:21 a.m.

देसंविवि में एआई फेथ एवं फ्यूचर पर अंतर्...

हरिद्वार 15 सितम्बर। देवभूमि उत्तराखण्ड या यूं कहें कि भारत की पवित्र धरती पर पहली बार कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के विश्वास एवं भविष्य को लेकर एक भव्य अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन 16 सितंबर को देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार में होने जा रहा है।     सेमीनार के उद्घाटन समारोह में लोकस...

Sept. 15, 2025, 11:46 a.m.

आपदा प्रबंधन के लिए शांतिकुंज में हुआ प्...

शांतिकुंज,13 सितंबर 2025 - प्रकृति जन्य या मानव निर्मित आपदाओं के समय मानव सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हुए, अखिल विश्व गायत्री परिवार ने शांतिकुंज मुख्यालय में एक राष्ट्र रक्षा-आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया। इस शिविर में उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से आए परिजनों ने हिस्स...

Sept. 15, 2025, 11:40 a.m.

हिन्दी हमारी आत्मा की अभिव्यक्ति है, यह ...

देव संस्कृति विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में दो दिवसीय विशेष कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने वाद-विवाद, काव्यपाठ, निबंध लेखन, भाषण, प्रश्नोत्तरी एवं सांस्कृतिक प्रस्तुतियों जैसे विविध आयोजनों में उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम के समापन...

Sept. 15, 2025, 11:33 a.m.

Science Meets Spirituality: Shri Rajnish...

Shri Rajnish Prakash Ji, Former CEO of the Heavy Water Board, Ex-Independent Director of NPCIL, and Ex-Chairman of the Atomic Energy Education Society, visited Shantikunj, Haridwar, on 13th September 2025, accompanied by his brother (Chief Engineer, Delhi) and their families. During his visit, he ha...

Sept. 15, 2025, 11:26 a.m.

Teachers as Nation-Builders: A Value-Cen...

Shri Awadhesh Kumar Mishra Ji, President of Uttar Pradesh Shikshak Sangh (aged 46, Chandauli), who has been associated with Gayatri Parivar since 2019, along with Dr. Rajendra Pratap Singh Ji, often revered as the “Malviya” of the educational field in Chandauli, visited Dev Sanskriti Vishwavidyalaya...

Sept. 15, 2025, 11:21 a.m.

Reviving Vedic Wisdom in Modern Architec...

Architect Abhishek Deshpande Ji, a distinguished Indian architect, sthapati, and spiritual engineer, widely recognized for his expertise in Sthapatya Veda (Vedic Architecture), visited Dev Sanskriti Vishwavidyalaya. During his visit, he met our Pro Vice Chancellor, Respected Dr. Chinmay Pandya, and ...

Sept. 15, 2025, 11:12 a.m.

The world awaits the International Confe...

16th-17th September 2025 Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, Haridwar GURUDEV’S VISION : SCIENTIFIC SPIRITUALITY When Technology Walks with Dharma,Guided by Ethics and Values Pt. Shriram Sharma Acharya Ji foresaw a future where spirituality and science converge to shape humanity’s destiny. As Artificial ...

Sept. 15, 2025, 10:55 a.m.

Transformative Education Rooted in Value...

Shri Naveen Maheshwari Ji, Director of Allen, Kota, visited Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, Haridwar, where he interacted with Respected Dr. Chinmay Pandya, Pro-Vice Chancellor of the University. During the meeting, discussions revolved around the transformative power of education and the role of val...

Sept. 15, 2025, 10:39 a.m.

देव संस्कृति विश्वविद्यालय में शोध सत्र ...

देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार में पूर्व में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन “वैश्विक समस्याएँ – भारतीय समाधान” के अंतर्गत एक विशेष शोध सत्र का आयोजन हुआ। इस सत्र में विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी के मार्गदर्शन एवं प्रेरक विचारों से प्रतिभागीगण लाभान्वित हुए। इस अवसर पर 40 ...

Sept. 15, 2025, 10:09 a.m.

JSW Energy के कार्यकारी उपाध्यक्ष श्री ग...

JSW Energy के कार्यकारी उपाध्यक्ष (Executive VP), प्रख्यात कॉर्पोरेट रणनीतिकार एवं अखिल विश्व गायत्री परिवार मिशन के सक्रिय कार्यकर्ता आदरणीय श्री गजेन्द्र प्रताप सिंह जी का देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार में ससम्मान स्वागत किया गया। कॉर्पोरेट गवर्नेंस, सार्वजनिक नीति, CSR एवं सतत विकास के क्ष...

Sept. 15, 2025, 9:41 a.m.
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First Meeting With Guru

At the age of 15- Self-realization on Basant Panchanmi Parva 1926 at Anwalkheda (Agra, UP, India), with darshan and guidance from Swami Sarveshwaranandaji.

Akhand Deep

More than 2400 crore Gayatri Mantra have been chanted so far in its presence. Just by taking a glimpse of this eternal flame, people receive divine inspirations and inner strength.

Akhand Jyoti Magazine

It was started in 1938 by Pt. Shriram Sharma Acharya. The main objective of the magazine is to promote scientific spirituality and the religion of 21st century, that is, scientific religion.

Gayatri Mantra

The effect of sincere and steadfast Gayatri Sadhana is swift and miraculous in purifying, harmonizing and steadying the mind and thus establishing unshakable inner peace and a sense of joy filled calm even in the face of grave trials and tribulations in the outer life of the Sadhak.

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।