हमारी वसीयत और विरासत (भाग 110): हमारी प...

संपदा एकत्रित होती है, तो उसका प्रभाव परिलक्षित होता है। शरीर से स्वस्थ मनुष्य बलिष्ठ और सुंदर दीखता है। संपदा वालों के ठाठ-बाट बढ़ जाते हैं। बुद्धिमानों का वैभव वाणी, रहन-सहन में दिखाई पड़ता है। ठीक इसी प्रकार आध्यात्मिक संपदा बढ़ने पर उसका प्रभाव भी स्पष्ट उदीयमान होता दृष्टिगोचर होता है। साधना से सि...

Oct. 26, 2025, 10:46 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 109): ब्राह्म...

उपरोक्त पंक्तियों में ऋषिपरंपरा की टूटी कड़ियों में से कुछ को जोड़ने का वह उल्लेख है, जो पिछले दिनों अध्यात्म और विज्ञान की— ब्रह्मवर्चस् शोध-साधना द्वारा संपन्न किया जाता रहा है। ऐसे प्रसंग एक नहीं अनेकों हैं, जिन पर पिछले साठ वर्षों से प्रयत्न चलता रहा है और यह सिद्ध किया जाता रहा है कि लगनशीलता, तत...

Oct. 25, 2025, 11:10 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 108): ब्राह्म...

संस्कारवान क्षेत्र एवं तपस्वियों के संपर्क-लाभ के अनेकों विवरण हैं। स्वाति बूँद पड़ने से सीप में मोती बनते हैं; बाँस में वंशलोचन एवं केले में कपूर। चंदन के निकटवर्ती झाड़-झंखाड़ भी उतने ही सुगंधित हो जाते हैं। पारस स्पर्शकर लोहा सोना बन जाता है। हमारे मार्गदर्शक सूक्ष्मशरीर से पृथ्वी के स्वर्ग इसी हिम...

Oct. 24, 2025, 11:25 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 107): ब्राह्म...

बुद्ध के परिव्राजक संसार भर में धर्मचक्र-प्रवर्तन हेतु दीक्षा लेकर निकले थे। शान्तिकुञ्ज में मात्र अपने देश में धर्मधारणा के विस्तार हेतु ही नहीं, संसार के सभी देशों में देव संस्कृति का संदेश पहुँचाने हेतु परिव्राजक दीक्षित होते हैं। यहाँ आने वाले परिजनों को धर्मचेतना से अनुप्राणित किया जाता है। भार...

Oct. 23, 2025, 10:24 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 106): ब्राह्म...

आद्य शंकराचार्य ने ज्योतिर्मठ में तप किया एवं चार धामों की स्थापना देश के चार कोनों पर की। विभिन्न संस्कृतियों का समन्वय एवं धार्मिक संस्थानों के माध्यम से जनजागरण उनका लक्ष्य था। शान्तिकुञ्ज के तत्त्वावधान में 2400 गायत्री शक्तिपीठें विनिर्मित हुई हैं, जहाँ से धर्मधारणा को समुन्नत करने का कार्य निर...

Oct. 22, 2025, 10:24 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 105): ब्राह्म...

विश्वामित्र गायत्री महामंत्र के द्रष्टा— नूतन सृष्टि के सृजेता माने गए हैं। उनने सप्तऋषियों सहित जिस क्षेत्र में तप करके आद्यशक्ति का साक्षात्कार किया था, वह पावनभूमि यही गायत्री तीर्थ— शान्तिकुञ्ज की है, जिसे हमारे मार्गदर्शक ने दिव्य चक्षु प्रदान करके दर्शन कराए थे एवं आश्रम निर्माण हेतु प्रेरित क...

Oct. 21, 2025, 11:07 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 104): ब्राह्म...

महर्षि व्यास ने नर एवं नारायण (पर्वत) के मध्य वसुधारा जलप्रपात के समीप व्यास-गुफा में गणेश जी की सहायता से पुराण लेखन का कार्य किया था। उच्चस्तरीय कार्य हेतु एकाकी, शांत, सतोगुणी वातावरण ही अभीष्ट था। आज की परिस्थितियों में, जबकि प्रेरणादायी साहित्य का अभाव है। पुरातन ग्रंथ लुप्त हो चले। शान्तिकुञ्ज...

Oct. 19, 2025, 3:06 p.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 103): ब्राह्म...

भगवान राम ने लंकाविजय और रामराज्य की स्थापना के निमित्त मंगलाचरण रूप में रामेश्वरम् पर शिव प्रतीक की स्थापना की थी। हमारा सौभाग्य है कि हमें युग-परिवर्तन हेतु संघर्ष एवं सृजन प्रयोजन के लिए देवात्मा हिमालय की प्रतिमा प्राण-प्रतिष्ठा समेत करने का आदेश मिला। शान्तिकुञ्ज में देवात्मा हिमालय का भव्य मंद...

Oct. 17, 2025, 11:30 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 102): ब्राह्म...

अब पुरातनकाल के ऋषियों में से किसी का भी स्थूलशरीर नहीं है। उनकी चेतना निर्धारित स्थानों में मौजूद है। सभी से हमारा परिचय कराया गया और कहा गया कि इन्हीं के पदचिह्नों पर चलना है। इन्हीं की कार्यपद्धति अपनानी, देवात्मा हिमालय के प्रतीकस्वरूप शान्तिकुञ्ज हरिद्वार में एक आश्रम बनाना और ऋषिपरंपरा को इस प...

Oct. 16, 2025, 5:17 p.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 101): ब्राह्म...

अपने समय के विभिन्न ऋषिगणों ने अपने हिस्से के काम सँभाले और पूरे किए थे। उन दिनों ऐसी परिस्थितियाँ, अवसर और इतना अवकाश भी था कि समय की आवश्यकता के अनुरूप अपने-अपने कार्यों को वे धैर्यपूर्वक उचित समय में संपन्न करते रह सके। पर अब तो आपत्तिकाल है। इन दिनों अनेक काम एक ही समय में द्रुतगति से निपटाने है...

Oct. 14, 2025, 11:13 a.m.

“घर-घर अलख जगाएँगे, हम बदलेंगे जमाने के ...

श्री विजयपुरम, अंडमान। तीन-दिवसीय प्रवास के पहले दिन, देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति एवं अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रतिनिधि डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने एक विशेष सामाजिक-आध्यात्मिक पहल के अंतर्गत शहर के समर्पित परिवारों के घरों का दौरा किया। इस कार्यक्रम में उन्होंने विधिवत् परम्परानुसार ...

Oct. 25, 2025, 5:57 p.m.

श्री विजयपुरम में डॉ. चिन्मय पंड्या जी क...

श्री विजयपुरम, अण्डमान। देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति एवं अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज, हरिद्वार के प्रतिनिधि आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने अपने अण्डमान प्रवास के प्रथम दिवस पर श्री विजयपुरम स्थित डॉ. भीमराव आंबेडकर ऑडिटोरियम में ‘मानवीय उत्कृष्टता’ विषय पर प्रभावशाली उद्बोधन दि...

Oct. 25, 2025, 5:48 p.m.

अंडमान के उत्तर से दक्षिण तक गुरुदेव के ...

युगऋषि परम पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी के विचार, प्रेम और चेतना से अंडमान को अभिभूत करने के पवित्र उद्देश्य से आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी, प्रतिकुलपति, देव संस्कृति विश्वविद्यालय, एवं प्रतिनिधि, अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज, हरिद्वार ने पूरे अंडमान के प्रमुख नगरों में जनसंपर्क...

Oct. 25, 2025, 3:52 p.m.

गायत्री परिवार के प्रत्येक परिजन युग निर...

अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज हरिद्वार के प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी अपने तीन दिवसीय अंडमान प्रवास के प्रथम दिवस पर श्री विजयपुरम स्थित गायत्री चेतना केंद्र, कालीकट पहुँचे। इस अवसर पर उन्होंने वहाँ उपस्थित परिजनों से आत्मीय सं...

Oct. 25, 2025, 3:38 p.m.

आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी द्वारा अण्डम...

युग शक्ति गायत्री को जन-जन तक पहुँचाने के भाव को लेकर तीन दिवसीय अण्डमान प्रवास के अंतर्गत आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी, प्रतिकुलपति, देव संस्कृति विश्वविद्यालय, प्रतिनिधि, अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज, हरिद्वार ने प्रथम दिवस पर गायत्री चेतना केंद्र, देलानीपुर, श्री विजयपुरम का लोकार्पण किया।...

Oct. 24, 2025, 4:27 p.m.

Inauguration of Gayatri Chetna Kendra, D...

Respected Dr. under three-day Andaman migration regarding the emotion of bringing Yug Shakti Gayatri to the public. Chinmay Pandya ji, Pratikulapati, Dev Sanskriti University, Representative, Akhil Vishwa Gayatri Parivar, Shantikunj, Haridwar inaugurated Gayatri Chetna Kendra, Delanipur, Shri Vijaya...

Oct. 24, 2025, 4:24 p.m.

गुना : युवा चिंतन शिविर को लेकर हुई बैठक...

गुना। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के युवा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय प्रभारी वेदप्रसाद दुबे अल्प प्रवास पर बुधवार को गायत्री शक्तिपीठ गुना पहुँचे। इस दौरान उनका पीत वस्त्र भेंट कर आत्मीय स्वागत किया गया। बैठक में उन्होंने आगामी प्रांतीय युवा चिंतन शिविर की रूपरेखा एवं उद्देश्यों पर विस्त...

Oct. 24, 2025, 4:18 p.m.

राष्ट्र निर्माण में मीडिया निभाए अपनी सश...

हरिद्वार।  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में मीडिया की अहम भूमिका है। मीडिया को समाज में सकारात्मक सोच और देशहित के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए सशक्त प्रयास करने होंगे। देव संस्कृति विश्वविद्यालय में शुक्रवार को ‘देशविभू में राष्ट्र निर्...

Oct. 24, 2025, 3:38 p.m.

गायत्री शक्ति पीठ की ज्योति कलश यात्रा ज...

शांति कुंज हरिद्वार से गायत्री शक्ति पीठ द्वारा जन्म शताब्दी वर्ष 2026 के उपलक्ष्य में निकाली गई ज्योति कलश यात्रा आज भलुअनी स्थित अभयानंद इंटरमीडिएट कॉलेज से आगे बढ़ी। यात्रा दल ने कॉलेज में रात्रि विश्राम किया था। यात्रा शुरू होने से पहले आचार्यों ने विद्यालय के बच्चों को शांति और सद्भावना का पाठ ...

Oct. 24, 2025, 3:09 p.m.

ज्योति कलश रथयात्रा का खजुरी भट्ट में भव...

शांति कुंज हरिद्वार से गायत्री शक्ति पीठ द्वारा जन्म शताब्दी वर्ष 2026 के उपलक्ष्य में निकाली गई ज्योति कलश यात्रा आज भलुअनी स्थित अभयानंद इंटरमीडिएट कॉलेज से आगे बढ़ी। यात्रा दल ने कॉलेज में रात्रि विश्राम किया था। यात्रा शुरू होने से पहले आचार्यों ने विद्यालय के बच्चों को शांति और सद्भावना का पाठ ...

Oct. 24, 2025, 2:34 p.m.
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First Meeting With Guru

At the age of 15- Self-realization on Basant Panchanmi Parva 1926 at Anwalkheda (Agra, UP, India), with darshan and guidance from Swami Sarveshwaranandaji.

Akhand Deep

More than 2400 crore Gayatri Mantra have been chanted so far in its presence. Just by taking a glimpse of this eternal flame, people receive divine inspirations and inner strength.

Akhand Jyoti Magazine

It was started in 1938 by Pt. Shriram Sharma Acharya. The main objective of the magazine is to promote scientific spirituality and the religion of 21st century, that is, scientific religion.

Gayatri Mantra

The effect of sincere and steadfast Gayatri Sadhana is swift and miraculous in purifying, harmonizing and steadying the mind and thus establishing unshakable inner peace and a sense of joy filled calm even in the face of grave trials and tribulations in the outer life of the Sadhak.

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।