हमारी वसीयत और विरासत (भाग 119): चौथा और...

“इसके लिए तुम्हें एक से पाँच बनकर पाँच मोर्चों पर लड़ना पड़ेगा। कुंती के समान अपनी एकाकी सत्ता को निचोड़कर पाँच देवपुत्रों को जन्म देना होगा, जिन्हें भिन्न-भिन्न मोर्चों पर भिन्न-भिन्न भूमिका प्रस्तुत करनी पड़ेंगी।’’ मैंने बात के बीच में विक्षेप करते हुए कहा— ‘‘यह तो आपने परिस्थितियों की बात कही। इतना स...

Nov. 5, 2025, 10 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 118): चौथा और...

गुरुदेव ने कहा— ‘‘अब तक जो बताया और कराया गया है, वह नितांत स्थानीय था और सामान्य भी। ऐसा जिसे वरिष्ठ मानव कर सकते हैं। भूतकाल में करते भी रहे हैं। तुम अगला काम सँभालोगे, तो यह सारे कार्य दूसरे तुम्हारे अनुवर्ती लोग आसानी से करते रहेंगे। जो प्रथम कदम बढ़ाता है, उसे अग्रणी होने का श्रेय मिलता है। पीछे...

Nov. 4, 2025, 10:37 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 117): चौथा औ...

चौथी बार गत वर्ष पुनः हमें एक सप्ताह के लिए हिमालय बुलाया गया। संदेश पूर्ववत् संदेश रूप में आया। आज्ञा के परिपालन में विलंब कहाँ होना था। हमारा शरीर सौंपे हुए कार्यक्रमों में खटता रहा है, किंतु मन सदैव दुर्गम हिमालय में अपने गुरु के पास रहा है। कहने में संकोच होता है, पर प्रतीत ऐसा भी होता है कि गुर...

Nov. 3, 2025, 10:54 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 116): हमारी प...

पिछले दिनों बार-बार हिमालय जाने और एकांत साधना करने का निर्देश निबाहना पड़ा। इसमें क्या देखा? इसकी जिज्ञासा बड़ी आतुरतापूर्वक सभी करते हैं। उनका तात्पर्य, किन्हीं यक्ष, गंधर्व, राक्षस, वेताल, सिद्धपुरुष से भेंट-वार्त्ता रही हो। उनकी उछल-कूद देखी हो। अदृश्य और प्रकट होने वाले कुछ जादुई गुटके लिए हों। इ...

Nov. 1, 2025, 11:49 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 115): हमारी प...

उपरोक्त प्रमुख कार्यों और निर्धारणों को देखकर सहज बुद्धि यह अनुमान लगा सकती है कि इनके लिए कितने श्रम, मनोयोग, साधन— कितनी बड़ी संख्या में— कितने लोगों के लगे होंगे, इसकी कल्पना करने पर प्रतीत होता है कि सब सरंजाम पहाड़ जितना होना चाहिए। उसे उठाने, आमंत्रित, एकत्रित करने में एक व्यक्ति की अदृश्य शक्ति...

Oct. 31, 2025, 9:46 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 114): हमारी प...

8. अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय की शोध के लिए ब्रह्मवर्चस् शोध संस्थान की स्थापना। इसमें यज्ञ विज्ञान एवं गायत्री महाशक्ति का उच्चस्तरीय अनुसंधान चलता है। इसी उपक्रम को आगे बढ़ाकर जड़ी-बूटी विज्ञान की ‘चरककालीन-प्रक्रिया’ का अभिनव अनुसंधान हाथ में लिया गया है। इसके साथ ही खगोल विद्या की टूटी हुई कड़िय...

Oct. 30, 2025, 11:15 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 113): हमारी प...

3. गायत्री तपोभूमि मथुरा के भव्य भवन का निर्माण— शुभारंभ अपनी पैतृक संपत्ति बेचकर किया। पीछे लोगों की अयाचित सहायता से उसका ‘धर्मतंत्र से लोक-शिक्षण’ का उत्तरदायित्व सँभालने वाले केंद्र के रूप में विशालकाय ढाँचा खड़ा हुआ। 4. ‘अखण्ड ज्योति’ पत्रिका का सन् 1937 से अनवरत प्रकाशन। बिना विज्ञापन और बिना च...

Oct. 29, 2025, 10:39 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 112): हमारी प...

हमारी जीवन-साधना की परिणतियाँ यदि कोई सिद्धि स्तर पर ढूँढ़ना चाहे तो उसे निराश नहीं होना पड़ेगा। हर कदम अपने कौशल और उपलब्ध साधनों की सीमा से बहुत ऊँचे स्तर का उठा है। आरंभ करते समय सिद्धि का पर्यवेक्षण करने वालों ने इसे मूर्खता कहा और पीछे उपहासास्पद बनते फिरने की चेतावनी भी दी, किंतु मन में इस ईश्व...

Oct. 28, 2025, 10:32 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 111): हमारी प...

साधना से सिद्धि का तात्पर्य उन विशिष्ट कार्यों से है, जो लोक-मंगल से संबंधित होते हैं और इतने बड़े, भारी तथा व्यापक होते हैं, जिन्हें कोई एकाकी संकल्प या प्रयास के बल पर नहीं कर सकता। फिर भी वे उसे करने का दुस्साहस करते हैं; आगे बढ़ने का कदम उठाते हैं और अंततः असंभव लगने वाले कार्य को भी संभव कर दिखात...

Oct. 27, 2025, 9:35 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 110): हमारी प...

संपदा एकत्रित होती है, तो उसका प्रभाव परिलक्षित होता है। शरीर से स्वस्थ मनुष्य बलिष्ठ और सुंदर दीखता है। संपदा वालों के ठाठ-बाट बढ़ जाते हैं। बुद्धिमानों का वैभव वाणी, रहन-सहन में दिखाई पड़ता है। ठीक इसी प्रकार आध्यात्मिक संपदा बढ़ने पर उसका प्रभाव भी स्पष्ट उदीयमान होता दृष्टिगोचर होता है। साधना से सि...

Oct. 26, 2025, 10:46 a.m.

देव संस्कृति विश्वविद्यालय में राज्य स्थ...

देव संस्कृति विश्वविद्यालय में 3 एवं 4 नवम्बर 2025 को राज्य स्थापना दिवस उत्साहपूर्वक मनाया जा रहा है। इस अवसर पर 3 नवम्बर को राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयीय एकल एवं समूह नृत्य प्रतियोगिता का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने दीप प्रज्...

Nov. 5, 2025, 9:55 a.m.

Valediction Ceremony of International De...

A group of 18 participants from Divine Values School, Ecuador visited Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, Haridwar from 26th October to 3rd November to study Ayurveda, Plant Medicine, Yagyopathy, Marma Therapy, Naturopathy, and other Indic Vedic Knowledge Systems aimed at propagating the Ayurvedic tradit...

Nov. 5, 2025, 9:34 a.m.

देव संस्कृति विश्वविद्यालय की छात्राओं न...

परम पूज्य गुरुदेव एवं वंदनीया माताजी के पावन आशीर्वाद तथा आदरणीय प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या जी के प्रेरणादायी मार्गदर्शन में, देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार की एम.ए. (पत्रकारिता एवं जनसंचार) की छात्राएं गौरी दीक्षित एवं नंदनी ने आईटीएम विश्वविद्यालय, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) द्वारा आयोजित राष...

Nov. 5, 2025, 9:25 a.m.

राष्ट्र के जागरण का समय आ गया, 108 कुण्ड...

दक्षिण भारत की अपनी यात्रा के दौरान, हैदराबाद, तेलंगाना में आयोजित 108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के दीपयज्ञ के पावन अवसर पर, आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी, प्रतिकुलपति, देव संस्कृति विश्वविद्यालय तथा प्रतिनिधि, अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज, हरिद्वार का आगमन हुआ। आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने उप...

Nov. 2, 2025, 1:08 p.m.

देवोत्थान एकादशी पर शांतिकुंज में 'तुलसी...

हरिद्वार, 1 नवंबर 2025 मानव में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग के अवतरण के अपने युगनिर्माण योजना अभियान के संकल्प को मूर्त रूप देते हुए, अखिल विश्व गायत्री परिवार ने आज देवोत्थान एकादशी के पावन अवसर पर अपने अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय नवयुग की गंगोत्री शांतिकुंज में एक भव्य 'देवोत्थान एकादशी तुलसी विवा...

Nov. 2, 2025, 12:46 p.m.

देवोत्थान एकादशी के पावन अवसर पर पोंडुगु...

।। पोंडुगुला, आंध्र प्रदेश ।। दक्षिण भारत की अपनी यात्रा के अगले क्रम में आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी, प्रतिकुलपति, देव संस्कृति विश्वविद्यालय तथा प्रतिनिधि, अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज, हरिद्वार का पोंडुगुला, आंध्र प्रदेश में आगमन हुआ। कृष्णा नदी के तट पर श्रीकृष्ण गायत्री धाम में भव्य प्र...

Nov. 1, 2025, 5:06 p.m.

देव प्रबोधिनी एकादशी एवं तुलसी विवाह: भक...

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः आत्मजागरण, भक्ति और आध्यात्मिक नवजीवन का प्रतीक यह पावन पर्व हमें अंतर्मन में दिव्यता के जागरण का संदेश देता है। देव प्रबोधिनी एकादशी के शुभ अवसर पर जब भगवान विष्णु योगनिद्रा से जाग्रत होते हैं तथा तुलसी विवाह का आयोजन होता है, तब संपूर्ण सृष्टि में श्रद्धा, सौंदर्य और सात्...

Nov. 1, 2025, 2:17 p.m.

सांस्कृतिक गौरव और प्रगति का प्रतीक — छत...

अपनी विशिष्ट लोकसंस्कृति, परिश्रमी जनजीवन, और समृद्ध परंपराओं के कारण छत्तीसगढ़ राज्य भारतीय संस्कृति के गौरव का प्रतीक रहा है। यह प्रदेश लोककला, संगीत, नृत्य, कृषि एवं मानवीय मूल्यों की सजीव धारा का संवाहक है। छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के पावन अवसर पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय परिवार समस्त प्रद...

Nov. 1, 2025, 2:06 p.m.

National Unity Day ( Sardar Vallabh Bhai...

Srijan Shilpi Club (Social Outreach Club) - Dev Sanskriti Student's Club Organized a Quiz Competition on the Occasion of National Unity Day under the guidance of Hon’ble Pro Vice Chancellor Dr. Chinmay Pandya Ji commemorating the birth anniversary of Sardar Vallabhbhai Patel Ji. The event celebrated...

Nov. 1, 2025, 10:03 a.m.

108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ, भीमावरम (आं...

।। 108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ ।। ।। भीमावरम, आंध्र प्रदेश ।। “हे ऋत्विजो, होताओ आओ, मिलकर यजन करो” — इस भाव में समाज निर्माण का मूल निहित है। दक्षिण भारत की अपनी यात्रा के अगले क्रम में आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी, प्रतिकुलपति, देव संस्कृति विश्वविद्यालय तथा प्रतिनिधि, अखिल विश्व गायत्री परिवार, ...

Nov. 1, 2025, 9:52 a.m.
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First Meeting With Guru

At the age of 15- Self-realization on Basant Panchanmi Parva 1926 at Anwalkheda (Agra, UP, India), with darshan and guidance from Swami Sarveshwaranandaji.

Akhand Deep

More than 2400 crore Gayatri Mantra have been chanted so far in its presence. Just by taking a glimpse of this eternal flame, people receive divine inspirations and inner strength.

Akhand Jyoti Magazine

It was started in 1938 by Pt. Shriram Sharma Acharya. The main objective of the magazine is to promote scientific spirituality and the religion of 21st century, that is, scientific religion.

Gayatri Mantra

The effect of sincere and steadfast Gayatri Sadhana is swift and miraculous in purifying, harmonizing and steadying the mind and thus establishing unshakable inner peace and a sense of joy filled calm even in the face of grave trials and tribulations in the outer life of the Sadhak.

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।