कोरोना वायरस से उपचार का अत्यंत प्रभावशाली उपाय - प्रतिदिन यज्ञ

यज्ञ कोरोना वायरस या किसी भी अन्य प्रकार के विषाणुओं से बचाव और प्रभावित होने पर उपचार का अत्यंत प्रभावशाली उपाय है। इससे वातावरण शुद्ध होता है और जीवनी शक्ति बढ़ती है।  अतः प्रतिदिन यज्ञ अवश्य कीजिए। यज्ञ में गाय के शुद्ध घी का प्रयोग कीजिए।  यज्ञ में न्यूनतम पाँच आहुतियाँ गायत्री महामत्र की और तीन आहुतियाँ महामृत्युञ्ज मंत्र की दीजिए 

निम्न औषधियों को समान मात्रा में मिलाकर विशेष हवन सामग्री तैयार की जा सकती है।

अगर, तगर, गिलोय, तुलसी, जटामांसी, हाउबर, नीम की पत्ती, नीम की छाल, कालमेघ, जायफल, जावित्री, आज्ञाघास, कड़वी बच, नागरमोथा, सुगंधबाला, लोंग, भीमसेनी कपूर, देवदारु, शीतल चीनी, सफेद चंदन, दारू हल्दी।
सभी वस्तुएँ आसानी से बाजार में उपलब्ध हो जाती हैं।

हवन कुण्ड , हवन सामग्री, छोटे हवन (बलि वैश्वा किट) इत्यादि ऑनलाइन घर पर ही शांतिकुंज से प्राप्त करने की व्यवस्था है. शांतिकुंज के ऑनलाइन स्टोर www.awgpstore.com से order करें .

ऑनलाइन के लिए संपर्क - 9258369727  


हमारे ऋषियों ने महामृत्युंजय मंत्र को मृत संजीवनी महामंत्र कहा है। इसके जप से स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और अकाल मृत्यु का डर समाप्त हो जाता है । इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा भी राम मनोहर लोहिया अस्पताल, दिल्‍ली के मरीजों पर इसके प्रभाव के लिए शोधकार्य हुए हैं ओर अत्यंत प्रभावशाली परिणाम मिले हैं।

सभी लोगों से न्यूनतम एक माला महामृत्युञ्ज मंत्र जप करने का अनुरोध है  | 

इन दिनों फैल रही कोरोनावायरस (COVID-19)रूपी महामारी से बचाव और शमन के लिए इसके जप  का सामूहिक प्रयोग किया जा सकता है | 

शांतिकुंज  द्वारा इस प्रयोजन के लिए सभी लोगों से न्यूनतम एक माला महामृत्युञ्ज मंत्र जप करने का अनुरोध किया जा रहा है मंत्र इस प्रकार है-

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||

मंत्र का अर्थ
हम त्रिनेत्र को पूजते हैं, जो सुगंधित हैं, हमारा पोषण करते हैं, जिस तरह फल, शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है, वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।

प्रत्येक व्यक्ति न्यूनतम एक माला महामृत्युञ्जय मंत्र का जप करे। 

* गायत्री यज्ञों में न्यूनतम तीन आहुतियाँ महामृत्युंजय मंत्र से दी जाएँ। 
* यह क्रम न्यूनतम 30 अप्रैल 2020 तक चालू रखें। 
* इसके समापन पर पूर्णाहुति जैसी कोई अन्य आवश्यकता नहीं है।
जब तक कोरोना वायरस के संक्रमण का ख़तरा है, तब तक बड़े कार्यक्रमों की बजाय छोटे-छोटे समूहों में यज्ञ कीजिए।

विश्वव्यापी आपदा "कोरोना वायरस" के सम्बन्ध में गायत्री परिवार के परिजनों को सन्देश - श्रद्धेय डॉ प्रणव पंड्या साहब एवं वन्दनीय जीजी द्वारा






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