कौशाम्बी जनपद में 16 केंद्रों पर संपन्न ...

उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जनपद में अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज की ओर से आयोजित होने वाली भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा शुक्रवार को सोलह केंद्रों पर संपन्न हुई। परीक्षा में पांचवीं से बारहवीं कक्षा तक के लगभग एक हजार से अधिक छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया। ओएमआर सीट पर परीक्षा देकर बच्चों ने ...

Nov. 7, 2025, 7:43 p.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 121): चौथा और...

‘‘इसके लिए जो करना होगा, समय-समय पर बताते रहेंगे। योजना को असफल बनाने के लिए— इस शरीर को समाप्त करने के लिए जो दानवी प्रहार होंगे, उससे बचाते चलेंगे। पूर्व में हुए आसुरी आक्रमण की पुनरावृत्ति कभी भी, किसी भी रूप में सज्जनों-परिजनों पर प्रहार आदि के रूप में हो सकती है। पहले की तरह सबमें हमारा संरक्षण...

Nov. 7, 2025, 9:54 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 120): चौथा और...

बात जो विवेचना स्तर की चल रही थी, सो समाप्त हो गई और सार-संकेत के रूप में जो करना था, सो कहा जाने लगा। ‘‘तुम्हें एक से पाँच बनना है। पाँच रामदूतों की तरह, पाँच पांडवों की तरह काम पाँच तरह से करने हैं, इसलिए इसी शरीर को पाँच बनाना है। एक पेड़ पर पाँच पक्षी रह सकते हैं। तुम अपने को पाँच बना लो। इसे ‘सू...

Nov. 6, 2025, 11:29 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 119): चौथा और...

“इसके लिए तुम्हें एक से पाँच बनकर पाँच मोर्चों पर लड़ना पड़ेगा। कुंती के समान अपनी एकाकी सत्ता को निचोड़कर पाँच देवपुत्रों को जन्म देना होगा, जिन्हें भिन्न-भिन्न मोर्चों पर भिन्न-भिन्न भूमिका प्रस्तुत करनी पड़ेंगी।’’ मैंने बात के बीच में विक्षेप करते हुए कहा— ‘‘यह तो आपने परिस्थितियों की बात कही। इतना स...

Nov. 5, 2025, 10 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 118): चौथा और...

गुरुदेव ने कहा— ‘‘अब तक जो बताया और कराया गया है, वह नितांत स्थानीय था और सामान्य भी। ऐसा जिसे वरिष्ठ मानव कर सकते हैं। भूतकाल में करते भी रहे हैं। तुम अगला काम सँभालोगे, तो यह सारे कार्य दूसरे तुम्हारे अनुवर्ती लोग आसानी से करते रहेंगे। जो प्रथम कदम बढ़ाता है, उसे अग्रणी होने का श्रेय मिलता है। पीछे...

Nov. 4, 2025, 10:37 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 117): चौथा औ...

चौथी बार गत वर्ष पुनः हमें एक सप्ताह के लिए हिमालय बुलाया गया। संदेश पूर्ववत् संदेश रूप में आया। आज्ञा के परिपालन में विलंब कहाँ होना था। हमारा शरीर सौंपे हुए कार्यक्रमों में खटता रहा है, किंतु मन सदैव दुर्गम हिमालय में अपने गुरु के पास रहा है। कहने में संकोच होता है, पर प्रतीत ऐसा भी होता है कि गुर...

Nov. 3, 2025, 10:54 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 116): हमारी प...

पिछले दिनों बार-बार हिमालय जाने और एकांत साधना करने का निर्देश निबाहना पड़ा। इसमें क्या देखा? इसकी जिज्ञासा बड़ी आतुरतापूर्वक सभी करते हैं। उनका तात्पर्य, किन्हीं यक्ष, गंधर्व, राक्षस, वेताल, सिद्धपुरुष से भेंट-वार्त्ता रही हो। उनकी उछल-कूद देखी हो। अदृश्य और प्रकट होने वाले कुछ जादुई गुटके लिए हों। इ...

Nov. 1, 2025, 11:49 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 115): हमारी प...

उपरोक्त प्रमुख कार्यों और निर्धारणों को देखकर सहज बुद्धि यह अनुमान लगा सकती है कि इनके लिए कितने श्रम, मनोयोग, साधन— कितनी बड़ी संख्या में— कितने लोगों के लगे होंगे, इसकी कल्पना करने पर प्रतीत होता है कि सब सरंजाम पहाड़ जितना होना चाहिए। उसे उठाने, आमंत्रित, एकत्रित करने में एक व्यक्ति की अदृश्य शक्ति...

Oct. 31, 2025, 9:46 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 114): हमारी प...

8. अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय की शोध के लिए ब्रह्मवर्चस् शोध संस्थान की स्थापना। इसमें यज्ञ विज्ञान एवं गायत्री महाशक्ति का उच्चस्तरीय अनुसंधान चलता है। इसी उपक्रम को आगे बढ़ाकर जड़ी-बूटी विज्ञान की ‘चरककालीन-प्रक्रिया’ का अभिनव अनुसंधान हाथ में लिया गया है। इसके साथ ही खगोल विद्या की टूटी हुई कड़िय...

Oct. 30, 2025, 11:15 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 113): हमारी प...

3. गायत्री तपोभूमि मथुरा के भव्य भवन का निर्माण— शुभारंभ अपनी पैतृक संपत्ति बेचकर किया। पीछे लोगों की अयाचित सहायता से उसका ‘धर्मतंत्र से लोक-शिक्षण’ का उत्तरदायित्व सँभालने वाले केंद्र के रूप में विशालकाय ढाँचा खड़ा हुआ। 4. ‘अखण्ड ज्योति’ पत्रिका का सन् 1937 से अनवरत प्रकाशन। बिना विज्ञापन और बिना च...

Oct. 29, 2025, 10:39 a.m.

कौशाम्बी जनपद में 16 केंद्रों पर संपन्न ...

उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जनपद में अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज की ओर से आयोजित होने वाली भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा शुक्रवार को सोलह केंद्रों पर संपन्न हुई। परीक्षा में पांचवीं से बारहवीं कक्षा तक के लगभग एक हजार से अधिक छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया। ओएमआर सीट पर परीक्षा देकर बच्चों ने ...

Nov. 7, 2025, 7:43 p.m.

Students of Dev Sanskriti Vishwavidyalay...

A group of nine students of Dev Sanskriti Vishwavidyalaya successfully completed the Lithuanian Language Certificate Course (A1 – Beginners Level) conducted from August 13 to November 4, 2025. The course was conducted under the guidance of Ms. Rasa Valienė, a distinguished faculty member from Vilniu...

Nov. 7, 2025, 11:39 a.m.

A Delegation from Sarva Yoga Internation...

A distinguished international delegation led by Dr. Antonietta Rozzi, Founder and President of Sarva Yoga International, Italy — a leading yoga institution accredited by the Yoga Certification Board (YCB), Ministry of AYUSH, Government of India — visited Dev Sanskriti Vishwavidyalaya (DSVV), Haridwa...

Nov. 7, 2025, 11:28 a.m.

राष्ट्र निर्माण में मीडिया की भूमिका पर ...

इंडिया टुडे ग्रुप (आज तक) के श्री रजत खन्ना जी, श्री भरत जी, श्री चंद्र मोहन जी एवं श्री देवेंद्र जी का देव संस्कृति विश्वविद्यालय, शांतिकुंज के पावन परिसर में आगमन हुआ। अपने आगमन के उपरांत सभी अतिथियों ने विश्वविद्यालय एवं शांतिकुंज परिसर का भ्रमण किया। तत्पश्चात, उन्होंने देव संस्कृति विश्वविद्याल...

Nov. 7, 2025, 11:21 a.m.

2 Days Workshop on “Discover AI/ML with ...

Under the guidance of Hon’ble Pro Vice Chancellor Dr. Chinmay Pandya Ji, the Department of Computer Science, Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, in collaboration with ScholarHat, successfully organized a two-day intensive workshop titled “Discover AI/ML with Azure Cloud” on 3rd and 4th November 2025 at R...

Nov. 6, 2025, 12:01 p.m.

Dev Sanskriti Vishwavidyalaya – Propose...

With hearts full of joy and pride, Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, Haridwar, is delighted to announce the Proposed Seventh Convocation Ceremony, scheduled to be held in January 2026. The Convocation marks a sacred moment of celebration — honouring the dedication, perseverance, and achievements of our...

Nov. 6, 2025, 9:49 a.m.

देव संस्कृति विश्वविद्यालय में ‘देव दीपा...

हरिद्वार। देव संस्कृति विश्वविद्यालय में 05 नवम्बर, 2025 को ‘देव दीपावली’ (कार्तिक पूर्णिमा) के पावन अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में निर्मित ‘#Shantikunj’ का भव्य लोकार्पण समारोह आयोजित हुआ। यह प्रतिमा विश्वविद्यालय के मूल दर्शन—‘संस्कृति, साधना एवं समाज निर्माण’—के प्रतीक स्वरूप स्थापित की गई है। क...

Nov. 6, 2025, 9:36 a.m.

देव संस्कृति विश्वविद्यालय में राज्य स्थ...

देव संस्कृति विश्वविद्यालय में 3 एवं 4 नवम्बर 2025 को राज्य स्थापना दिवस उत्साहपूर्वक मनाया जा रहा है। इस अवसर पर 3 नवम्बर को राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयीय एकल एवं समूह नृत्य प्रतियोगिता का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने दीप प्रज्...

Nov. 5, 2025, 9:55 a.m.

Valediction Ceremony of International De...

A group of 18 participants from Divine Values School, Ecuador visited Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, Haridwar from 26th October to 3rd November to study Ayurveda, Plant Medicine, Yagyopathy, Marma Therapy, Naturopathy, and other Indic Vedic Knowledge Systems aimed at propagating the Ayurvedic tradit...

Nov. 5, 2025, 9:34 a.m.

देव संस्कृति विश्वविद्यालय की छात्राओं न...

परम पूज्य गुरुदेव एवं वंदनीया माताजी के पावन आशीर्वाद तथा आदरणीय प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या जी के प्रेरणादायी मार्गदर्शन में, देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार की एम.ए. (पत्रकारिता एवं जनसंचार) की छात्राएं गौरी दीक्षित एवं नंदनी ने आईटीएम विश्वविद्यालय, ग्वालियर (मध्य प्रदेश) द्वारा आयोजित राष...

Nov. 5, 2025, 9:25 a.m.
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गुरुदेव से प्रथम भेंट

15 वर्ष की आयु में— बसंत पंचमी पर्व सन् 1926 को स्वगृह— आँवलखेड़ा (आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत) में पूजास्थल में ही दादागुरु स्वामी सर्वेश्वरानन्द जी के दर्शन एवं मार्गदर्शन के साथ-ही-साथ आत्मसाक्षात्कार हुआ।

अखण्ड दीपक

सन् 1926 से निरंतर प्रज्वलित दीपक, जिसके सान्निध्य में परम पूज्य गुरुदेव श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने 24-24 लक्ष के चौबीस गायत्री महापुरश्चरण संपन्न किए, आज भी इसके बस एक झलक भर प्राप्त कर लेने से ही लोगों को दैवीय प्रेरणा और आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है। इसके सान्निध्य में अब तक 2400 करोड़ से भी अधिक गायत्री मंत्र का जप किया जा चुका है।

अखण्ड ज्योति पत्रिका

इसका आरंभ सन् 1938 में पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा किया गया था। पत्रिका का मुख्य उद्देश्य— वैज्ञानिक आध्यात्मिकता और 21वीं शताब्दी के धर्म, अर्थात वैज्ञानिक धर्म को बढ़ावा देना है।

गायत्री मन्त्र

दृढ़ निष्ठा से सतत गायत्री साधना करने से मन (अंतःकरण) तीव्र गति और चामत्कारिक प्रकार से पवित्र, निर्मल, व्यवस्थित और स्थिर होता है, जिससे साधक अपने बाह्य भौतिक जीवन की गंभीर परीक्षाओं एवं समस्याओं से जूझते हुए भी अटल आतंरिक शांति और आनंद की अनुभूति करता है।

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

मुझे ज्ञात है कि इस विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता सेनानी और लगभग ३००० पुस्तकों के लेखक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यजी के स्वप्न को साकार रूप दिया है। इन्हें भारत में ज्ञान क्रांति का प्रवर्तक कहना उपयुक्त होगा। आचार्यश्री का विचार था कि अज्ञानता ही निर्धनता और बीमारी आदि सभी समस्याओं की जड़ है।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक)

आचार्य जी का एकाकी पुरुषार्थ सारे संत समाज की सम्मिलित शक्ति के स्तर का है, उनने गायत्री व यज्ञ को प्रतिबंध रहित करने निमित्त जो कुछ भी किया वह शास्त्रों के अनुसार ही था। मेरा उन्हें बारम्बार नमन है।

स्वामी जयेन्द्रतीर्थ सरस्वती (शंकराचार्य कांची कामकोटि पीठ)

श्रद्धेय आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने जो कार्य कर दिखाया वह अद्भुत है, युग के लिए नितांत आवश्यक है। आचार्य जी के साहित्य से मैं बहुत प्रभावित हूँ। प्रज्ञा पुराण ने विशेष रूप से मुझे अपने कार्यों में बहुत बल प्रदान किया है। उनका चिंतन राष्ट्र को शक्तिशाली बनाता और मानव मात्र को सही दिशा प्रदान करता है।

श्री नानाजी देशमुख (संस्थापक ग्रामोदय विश्वविद्यालय)

आचार्य जी द्वारा भाष्य किए गए उपनिषदों का स्वाध्याय करने के बाद उन्होंने कहा कि- ‘‘काश! यह साहित्य मुझे जवानी में मिल गया होता तो मेरे जीवन की दिशाधारा कुछ और ही होती; मैं राजनीति में न जाकर आचार्य श्री के चरणों में बैठा अध्यात्म का ज्ञान ले रहा होता।’’

सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन्

विनोबा जी ने वेदों के पूज्यवर द्वारा किए गए भाष्य को ग्वालियर मेंं एक सार्वजनिक सभा में अपने सिर पर धारण करते हुए कहा- "ये ग्रन्थ किसी व्यक्ति द्वारा नहीं, शक्ति द्वारा लिखे गये हैं।"

आचार्य विनोबा भावे

सुप्रसिद्ध सन्त देवरहा बाबा एक सिद्ध पुरुष थे। उनने एक परिजन से कहा- ‘‘बेटा! उनके बारे में मैं क्या कहूँ? यह समझो कि मैं हृदय से सतत उनका स्मरण करता रहता हूँ। गायत्री उनमें पूर्णतः समा गयी है एवं वे साक्षात् सविता स्वरूप हैं।’’

देवरहा बाबा

‘‘आचार्यश्री ने गायत्री को जन-जन की बनाकर महर्षि दयानन्द के कार्यों को आगे बढ़ाया है। गायत्री और ये एकरूप हो गये हैं।’’

महात्मा आनन्द स्वामी

अपने भावभरे उद्गार पूज्यवर के सम्बन्ध में इस रूप में व्यक्त किए थे- ‘‘आचार्य जी इस युग में गायत्री के जनक हैं। उनने गायत्री को सबकी बना दिया। यदि इसे मात्र ब्राह्मणों की मानकर उन्हीं के भरोसे छोड़ दिया होता तो अब तक गायत्री महाविद्या सम्भवतः लुप्त हो गयी होती।’’

करपात्री जी महाराज