हमारी वसीयत और विरासत (भाग 44)— भावी रू...

“तुम्हारा समर्पण यदि सच्चा है, तो शेष जीवन की कार्यपद्धति बनाए देते हैं। इसे परिपूर्ण निष्ठा के साथ पूरी करना। प्रथम कार्यक्रम तो यही है कि 24 लक्ष्य गायत्री महामंत्र के 24 महापुरश्चरण चौबीस वर्ष में पूरे करो। इससे मजबूती में जो कमी रही होगी, सो पूरी हो जाएगी। बड़े और भारी काम करने के लिए बड़ी समर्थता...

June 30, 2025, 1:33 p.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 43)— भावी रू...

नंदनवन प्रवास का अगला दिन और भी विस्मयकारी था। पूर्वरात्रि में गुरुदेव के साथ ऋषिगणों के साक्षात्कार के दृश्य फिल्म की तरह आँखों के समक्ष घूम रहे थे। पुनः गुरुदेव की प्रतीक्षा थी— भावी निर्देशों के लिए। धूप जैसे ही नंदनवन के मखमली कालीन पर फैलने लगी, ऐसा लगा जैसे स्वर्ग धरती पर उतर आया हो। भाँति-भाँ...

June 29, 2025, 11:04 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 42)— ऋषितंत्...

सूक्ष्मशरीर से अंतःप्रेरणाएँ उमगाने और शक्तिधारा प्रदान करने का काम हो सकता है, पर जनसाधारण को प्रत्यक्ष परामर्श देना और घटनाक्रमों को घटित करना स्थूलशरीरों का ही काम है। इसलिए दिव्यशक्तियाँ किन्हीं स्थूलशरीरधारियों को भी अपने प्रयोजनों के लिए वाहन बनाती हैं। अभी तक मैं एक ही मार्गदर्शक का वाहन था, ...

June 28, 2025, 10:53 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 41)— ऋषितंत्र...

मैं गुफा में से निकलकर शीत से काँपते हुए स्वर्णिम हिमालय पर अधर-ही-अधर गुरुदेव के पीछे-पीछे उनकी पूँछ की तरह सटा हुआ चल रहा था। आज की यात्रा का उद्देश्य पुरातन ऋषियों की तपस्थलियों का दिग्दर्शन करना था। स्थूलशरीर सभी ने त्याग दिए थे, पर सूक्ष्मशरीर उनमें से अधिकांश के बने हुए थे। उन्हें भेदकर किन्ही...

June 27, 2025, 10:32 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 40)— ऋषि तंत...

नंदनवन में पहला दिन वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने; उसी में परम सत्ता की झाँकी देखने में निकल गया। पता ही नहीं चला कि कब सूरज ढला और रात्रि आ पहुँची। परोक्ष रूप से निर्देश मिला—  समीपस्थ एक निर्धारित गुफा में जाकर सोने की व्यवस्था बनाने का। लग रहा था कि प्रयोजन सोने का नहीं, सुरक्षित स्थान पर ...

June 26, 2025, 10:50 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 39)— गुरुदेव ...

वहीं बहते निर्झर में स्नान किया; संध्यावंदन भी। जीवन में पहली बार ब्रह्मकमल और देवकंद देखा। ब्रह्मकमल ऐसा, जिसकी सुगंध थोड़ी देर में ही नींद कहें या योगनिद्रा, ला देती है। देवकंद वह, जो जमीन में शकरकंद की तरह निकलता है, सिंघाड़े जैसे स्वाद का। पका होने पर लगभग पाँच सेर का, जिससे एक सप्ताह तक क्षुधा-नि...

June 25, 2025, 10:46 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 37)— गुरुदेव...

गंगोत्री तक राहगीरों का बना हुआ भयंकर रास्ता है। गोमुख तक के लिए उन दिनों एक पगडंडी थी। इसके बाद कठिनाई थी। तपोवन काफी ऊँचाई पर है। रास्ता भी नहीं है। अंतःप्रेरणा या भाग्य भरोसे चलना पड़ता है। तपोवन पठार चौरस है। फिर पहाड़ियों की एक ऊँची शृंखला है। इसके बाद नंदनवन आता है। हमें यहीं बुलाया गया था। समय ...

June 24, 2025, 10:18 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 36)— गुरुदेव ...

बात वन्य पशुओं की— हिंस्र जंतुओं की रह गई। वे प्रायः रात को ही निकलते हैं। उनकी आँखें चमकती हैं। फिर मनुष्य से सभी डरते हैं; शेर भी। यदि स्वयं उनसे न डरा जाए; उन्हें छेड़ा न जाए, तो मनुष्य पर आक्रमण नहीं करते; उनके मित्र ही बनकर रहते हैं। प्रारंभ में हमें इस प्रकार का डर लगता था। फिर सरकस के सिखाने व...

June 23, 2025, 9:52 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 35)— गुरुदेव...

गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा:—   किंतु यहाँ भी विवेक समेटना पड़ा; साहस सँजोना पड़ा। मौत बड़ी होती है, पर जीवन से बड़ी नहीं। अभय और मैत्री भीतर हो, तो हिंसकों की हिंसा भी ठंडी  पड़ जाती है और अपना स्वभाव बदल जाती है। पूरी यात्रा में प्रायः तीन-चार सौ की संख्या में ऐसे डरावने मुकाबले हुए, पर गड़...

June 21, 2025, 10:18 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 34)— गुरुदेव ...

गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा:— यात्रा में जहाँ भी रात्रि बितानी पड़ी, वहाँ काले साँप रेंगते और मोटे अजगर फुफकारते बराबर मिलते रहे। छोटी जाति का सिंह उस क्षेत्र में अधिक होता है। उसमें फुरती बब्बर शेर की तुलना में अधिक होती है। आकार के हिसाब से ताकत उसमें कम होती है। इसलिए छोटे जानवरों पर ...

June 20, 2025, 9:30 a.m.

आधुनिक युग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की दि...

नई दिल्ली प्रवास के दौरान देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने नीति आयोग के माननीय सदस्य एवं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. विजय कुमार सारस्वत जी तथा RIS (Research and Information System for Developing Countries) के महानिदेशक श्री सचिन चतुर्वेदी जी ...

June 30, 2025, 4:56 p.m.

DSVV Entrance Examination 2025–26 Succes...

Today, the entrance examination for admission to the academic session 2025–26 of Dev Sanskriti Vishwavidyalaya was conducted at multiple centers across India, including the university campus at Haridwar. At the DSVV premises, our Pro-Vice Chancellor Respected Dr. Chinmay Pandya warmly welcomed with ...

June 30, 2025, 11:54 a.m.

देव संस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थि...

देव संस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने किया युग साहित्य का मंथन, आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी की प्रेरणादायी उपस्थिति में संपन्न हुआ विशेष वेबिनार || हरिद्वार, २६ जून || देव संस्कृति विश्वविद्यालय के Dev Sanskriti Student’s Club द्वारा विद्यार्थियों के द्वारा, विद्यार्थियों के लिए आयोजित विशे...

June 27, 2025, 11:33 a.m.

रोम, इटली में भारत की गौरवपूर्ण प्रस्तुत...

यूरोप प्रवास के अंतर्गत 20 जून 2025 को इटली की राजधानी रोम स्थित मुख्य संसद भवन — चेम्बर ऑफ डिप्यूटीज़ (Palazzo Montecitorio) में आयोजित सेकण्ड पार्लियामेंटरी कॉन्फ़्रेन्स ऑन इंटरफेथ डायलॉग के दूसरे दिवस में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने भारत का प्रतिनिधित्...

June 23, 2025, 5:32 p.m.

रोम, इटली में भारत की गौरवपूर्ण प्रस्तुत...

यूरोप प्रवास के अंतर्गत 20 जून 2025 को इटली की राजधानी रोम स्थित मुख्य संसद भवन — चेम्बर ऑफ डिप्यूटीज़ (Palazzo Montecitorio) में आयोजित सेकण्ड पार्लियामेंटरी कॉन्फ़्रेन्स ऑन इंटरफेथ डायलॉग के दूसरे दिवस में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने भारत का प्रतिनिधित्...

June 23, 2025, 5:16 p.m.

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर रोम मे...

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर रोम (इटली) में आयोजित एक विशेष सत्संग में योग धर्म समुदाय को देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने संबोधित किया। यह एक अत्यंत प्रेरणादायी और भावपूर्ण संगम रहा, जिसमें उन्होंने योग को केवल आसन या व्यायाम न मानकर आंतरिक रूपांतरण का ए...

June 23, 2025, 9:23 a.m.

वैश्विक मंच में गूंजी भारतीय संस्कृति व ...

डॉ पंड्या ने की माननीय पोप लियो एवं इटलेयिन प्रधानमंत्री से भेंट हरिद्वार 22 जून। युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी की प्रेरणा प्रकाश से ओतप्रोत भारतीय संस्कृति के संवाहक देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति युवा आइकॉन डॉ चिन्मय पण्ड्या इन दिनों इटली प्रवास में हैं। वे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस क...

June 22, 2025, 3:19 p.m.

शांतिकुंज में भारत सहित पाँच देशों के यो...

हरिद्वार 21 जून। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में सामूहिक योगाभ्यास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शांतिकुंज कार्यकर्त्ता, देव संस्कृति विवि, भारत के विभिन्न राज्यों से आए हजारों योग साधक के अलावा स्लोवाकिया, अमेरिका, कनाडा, इंग्लैण्ड, वियतनाम से आए योग प्रशिक्...

June 21, 2025, 4:57 p.m.

विभिन्न राष्ट्रों के शीर्ष प्रतिनिधियों ...

21 जून 2025 को रोम, इटली में आयोजित सेकण्ड पार्लियामेंटरी कॉन्फ़्रेन्स ऑन इंटरफेथ डायलॉग (Second Parliamentary Conference on Interfaith Dialogue) के तीसरे दिवस पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी की उपस्थिति प्रभावशाली एवं प्रेरणास्पद रही। वेटिकन सिटी में आयोजित ...

June 21, 2025, 3:09 p.m.

आदरणीय प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या जी ...

यूरोप प्रवास के अंतर्गत 19 जून 2025 को रोम (इटली) स्थित पालाज़्ज़ो मोंतेचितोरियो (Palazzo Montecitorio) इटली की ऐतिहासिक संसद भवन में सेकण्ड पार्लियामेंटरी कॉन्फ़्रेन्स ऑन इंटरफेथ डायलॉग का शुभारंभ हुआ, जिसमें देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने भारत के एकमात्र प्र...

June 21, 2025, 11:15 a.m.
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गुरुदेव से प्रथम भेंट

15 वर्ष की आयु में— बसंत पंचमी पर्व सन् 1926 को स्वगृह— आँवलखेड़ा (आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत) में पूजास्थल में ही दादागुरु स्वामी सर्वेश्वरानन्द जी के दर्शन एवं मार्गदर्शन के साथ-ही-साथ आत्मसाक्षात्कार हुआ।

अखण्ड दीपक

सन् 1926 से निरंतर प्रज्वलित दीपक, जिसके सान्निध्य में परम पूज्य गुरुदेव श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने 24-24 लक्ष के चौबीस गायत्री महापुरश्चरण संपन्न किए, आज भी इसके बस एक झलक भर प्राप्त कर लेने से ही लोगों को दैवीय प्रेरणा और आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है। इसके सान्निध्य में अब तक 2400 करोड़ से भी अधिक गायत्री मंत्र का जप किया जा चुका है।

अखण्ड ज्योति पत्रिका

इसका आरंभ सन् 1938 में पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा किया गया था। पत्रिका का मुख्य उद्देश्य— वैज्ञानिक आध्यात्मिकता और 21वीं शताब्दी के धर्म, अर्थात वैज्ञानिक धर्म को बढ़ावा देना है।

गायत्री मन्त्र

दृढ़ निष्ठा से सतत गायत्री साधना करने से मन (अंतःकरण) तीव्र गति और चामत्कारिक प्रकार से पवित्र, निर्मल, व्यवस्थित और स्थिर होता है, जिससे साधक अपने बाह्य भौतिक जीवन की गंभीर परीक्षाओं एवं समस्याओं से जूझते हुए भी अटल आतंरिक शांति और आनंद की अनुभूति करता है।

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

मुझे ज्ञात है कि इस विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता सेनानी और लगभग ३००० पुस्तकों के लेखक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यजी के स्वप्न को साकार रूप दिया है। इन्हें भारत में ज्ञान क्रांति का प्रवर्तक कहना उपयुक्त होगा। आचार्यश्री का विचार था कि अज्ञानता ही निर्धनता और बीमारी आदि सभी समस्याओं की जड़ है।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक)

आचार्य जी का एकाकी पुरुषार्थ सारे संत समाज की सम्मिलित शक्ति के स्तर का है, उनने गायत्री व यज्ञ को प्रतिबंध रहित करने निमित्त जो कुछ भी किया वह शास्त्रों के अनुसार ही था। मेरा उन्हें बारम्बार नमन है।

स्वामी जयेन्द्रतीर्थ सरस्वती (शंकराचार्य कांची कामकोटि पीठ)

श्रद्धेय आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने जो कार्य कर दिखाया वह अद्भुत है, युग के लिए नितांत आवश्यक है। आचार्य जी के साहित्य से मैं बहुत प्रभावित हूँ। प्रज्ञा पुराण ने विशेष रूप से मुझे अपने कार्यों में बहुत बल प्रदान किया है। उनका चिंतन राष्ट्र को शक्तिशाली बनाता और मानव मात्र को सही दिशा प्रदान करता है।

श्री नानाजी देशमुख (संस्थापक ग्रामोदय विश्वविद्यालय)

आचार्य जी द्वारा भाष्य किए गए उपनिषदों का स्वाध्याय करने के बाद उन्होंने कहा कि- ‘‘काश! यह साहित्य मुझे जवानी में मिल गया होता तो मेरे जीवन की दिशाधारा कुछ और ही होती; मैं राजनीति में न जाकर आचार्य श्री के चरणों में बैठा अध्यात्म का ज्ञान ले रहा होता।’’

सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन्

विनोबा जी ने वेदों के पूज्यवर द्वारा किए गए भाष्य को ग्वालियर मेंं एक सार्वजनिक सभा में अपने सिर पर धारण करते हुए कहा- "ये ग्रन्थ किसी व्यक्ति द्वारा नहीं, शक्ति द्वारा लिखे गये हैं।"

आचार्य विनोबा भावे

सुप्रसिद्ध सन्त देवरहा बाबा एक सिद्ध पुरुष थे। उनने एक परिजन से कहा- ‘‘बेटा! उनके बारे में मैं क्या कहूँ? यह समझो कि मैं हृदय से सतत उनका स्मरण करता रहता हूँ। गायत्री उनमें पूर्णतः समा गयी है एवं वे साक्षात् सविता स्वरूप हैं।’’

देवरहा बाबा

‘‘आचार्यश्री ने गायत्री को जन-जन की बनाकर महर्षि दयानन्द के कार्यों को आगे बढ़ाया है। गायत्री और ये एकरूप हो गये हैं।’’

महात्मा आनन्द स्वामी

अपने भावभरे उद्गार पूज्यवर के सम्बन्ध में इस रूप में व्यक्त किए थे- ‘‘आचार्य जी इस युग में गायत्री के जनक हैं। उनने गायत्री को सबकी बना दिया। यदि इसे मात्र ब्राह्मणों की मानकर उन्हीं के भरोसे छोड़ दिया होता तो अब तक गायत्री महाविद्या सम्भवतः लुप्त हो गयी होती।’’

करपात्री जी महाराज