गृहे-गृहे गायत्री यज्ञ अभियान

मातृशक्ति श्रद्धांजलि नवसृजन महापुरश्चरण
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अयं यज्ञो विश्वस्य भुवनस्य नाभिः
— अथर्ववेद 9.15.14
विश्व की प्रथम एवं श्रेष्ठतम संस्कृति के माता-पिता गायत्री और यज्ञ हैं। युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी और वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा जी ने यज्ञ को जीवन और समाज परिवर्तन का आधार बनाया।
गायत्री परिवार ने यज्ञ के माध्यम से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में जागरूकता व उत्कृष्टता लाकर समाज का नव निर्माण किया है।
विशेष निर्देश - श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या जी
गृहे-गृहे यज्ञ अभियान की क्रियाविधि
पूर्व तैयारी (प्रयाज)
- स्थानीय शक्तिपीठ/मण्डल को संचालन केंद्र बनाएं।
- कर्मकाण्ड करने वाले कार्यकर्ता निर्धारित करें और प्रशिक्षण कराएं।
- रविवार प्रातः 9.30 से 12.30 के बीच कार्यक्रम निर्धारित करें।
- घर-घर यज्ञ हेतु एक कॉलोनी/ग्राम चुनें।
प्रशिक्षण वीडियो: यज्ञ अभियान की तैयारी
कार्यक्रम का आयोजन (याज)
प्रातः 9 बजे सभी याजक एकत्रित हों। संक्षिप्त जन-जागरण रैली/कलश यात्रा के माध्यम से वातावरण निर्माण करें। ऋतुओं के अनुसार संदेश यात्रा जैसे वृक्ष कांवड़, साहित्य यात्रा, नशा उन्मूलन नुक्कड़ नाटक आदि भी आयोजित करें।
मोबाइल पंडित | गृहे गृहे गायत्री यज्ञ अभियान स्वयं कैसे करें ? जानिए पूरी विधि
अंतिम चरण - अनुयाज
- सामूहिक दीपयज्ञ का आयोजन
- स्थायी मंडलों का गठन
- साप्ताहिक स्वाध्याय और यज्ञ परंपरा की शुरुआत
यह अभियान एक महान संकल्प है जो व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण और समाज निर्माण को सशक्त करता है। वंदनीया माताजी की जन्मशताब्दी पर यह नवसृजन महापुरश्चरण एक सच्ची श्रद्धांजलि है।