हमारी वसीयत और विरासत (भाग 106): ब्राह्म...

आद्य शंकराचार्य ने ज्योतिर्मठ में तप किया एवं चार धामों की स्थापना देश के चार कोनों पर की। विभिन्न संस्कृतियों का समन्वय एवं धार्मिक संस्थानों के माध्यम से जनजागरण उनका लक्ष्य था। शान्तिकुञ्ज के तत्त्वावधान में 2400 गायत्री शक्तिपीठें विनिर्मित हुई हैं, जहाँ से धर्मधारणा को समुन्नत करने का कार्य निर...

Oct. 22, 2025, 10:24 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 105): ब्राह्म...

विश्वामित्र गायत्री महामंत्र के द्रष्टा— नूतन सृष्टि के सृजेता माने गए हैं। उनने सप्तऋषियों सहित जिस क्षेत्र में तप करके आद्यशक्ति का साक्षात्कार किया था, वह पावनभूमि यही गायत्री तीर्थ— शान्तिकुञ्ज की है, जिसे हमारे मार्गदर्शक ने दिव्य चक्षु प्रदान करके दर्शन कराए थे एवं आश्रम निर्माण हेतु प्रेरित क...

Oct. 21, 2025, 11:07 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 104): ब्राह्म...

महर्षि व्यास ने नर एवं नारायण (पर्वत) के मध्य वसुधारा जलप्रपात के समीप व्यास-गुफा में गणेश जी की सहायता से पुराण लेखन का कार्य किया था। उच्चस्तरीय कार्य हेतु एकाकी, शांत, सतोगुणी वातावरण ही अभीष्ट था। आज की परिस्थितियों में, जबकि प्रेरणादायी साहित्य का अभाव है। पुरातन ग्रंथ लुप्त हो चले। शान्तिकुञ्ज...

Oct. 19, 2025, 3:06 p.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 103): ब्राह्म...

भगवान राम ने लंकाविजय और रामराज्य की स्थापना के निमित्त मंगलाचरण रूप में रामेश्वरम् पर शिव प्रतीक की स्थापना की थी। हमारा सौभाग्य है कि हमें युग-परिवर्तन हेतु संघर्ष एवं सृजन प्रयोजन के लिए देवात्मा हिमालय की प्रतिमा प्राण-प्रतिष्ठा समेत करने का आदेश मिला। शान्तिकुञ्ज में देवात्मा हिमालय का भव्य मंद...

Oct. 17, 2025, 11:30 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 102): ब्राह्म...

अब पुरातनकाल के ऋषियों में से किसी का भी स्थूलशरीर नहीं है। उनकी चेतना निर्धारित स्थानों में मौजूद है। सभी से हमारा परिचय कराया गया और कहा गया कि इन्हीं के पदचिह्नों पर चलना है। इन्हीं की कार्यपद्धति अपनानी, देवात्मा हिमालय के प्रतीकस्वरूप शान्तिकुञ्ज हरिद्वार में एक आश्रम बनाना और ऋषिपरंपरा को इस प...

Oct. 16, 2025, 5:17 p.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 101): ब्राह्म...

अपने समय के विभिन्न ऋषिगणों ने अपने हिस्से के काम सँभाले और पूरे किए थे। उन दिनों ऐसी परिस्थितियाँ, अवसर और इतना अवकाश भी था कि समय की आवश्यकता के अनुरूप अपने-अपने कार्यों को वे धैर्यपूर्वक उचित समय में संपन्न करते रह सके। पर अब तो आपत्तिकाल है। इन दिनों अनेक काम एक ही समय में द्रुतगति से निपटाने है...

Oct. 14, 2025, 11:13 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 100): ब्राह्म...

इस प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने में बहुत देर नहीं लगती। देवमानवों का पुरातन इतिहास इसके लिए प्रमाण-उदाहरणों की एक पूरी शृंखला लाकर खड़ी कर देता है। उनमें से जो भी प्रिय लगे, अनुकूल पड़े, अपने लिए चुना-अपनाया जा सकता है। केवल दैत्य ही हैं, जिनकी इच्छाएँ-आवश्यकताएँ पूरी नहीं होतीं। कामनाएँ, वासनाएँ, तृष...

Oct. 13, 2025, 10:51 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 98): बोओ एवं ...

अध्यात्म को विज्ञान से मिलाने की योजना— कल्पना में तो कइयों के मन में थी, पर उसे कोई कार्यान्वित न कर सका। इस असंभव को संभव होते देखना हो, तो ब्रह्मवर्चस् शोध संस्थान में आकर अपनी आँखों से स्वयं देखना चाहिए। जो संभावनाएँ सामने हैं, उन्हें देखते हुए कहा जा सकता है कि अगले दिनों अध्यात्म की रूपरेखा वि...

Oct. 2, 2025, 11:31 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 97): बोओ एवं ...

इसे परीक्षा का एक घटनाक्रम ही कहना चाहिए कि पाँच बोर का लोडेड रिवाल्वर शातिर हाथों में भी काम न कर सका। जानवर काटने के छुरे के बारह प्रहार मात्र प्रमाण के निशान छोड़कर अच्छे हो गए। आक्रमणकारी अपने बम से स्वयं घायल होकर जेल जा बैठा। जिसके आदेश से उसने यह किया था, उसे फाँसी की सजा घोषित हुई। असुरता के ...

Oct. 1, 2025, 10:25 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 96): बोओ एवं ...

इस विराट को ही हमने अपना भगवान माना। अर्जुन के दिव्य चक्षु ने इसी विराट के दर्शन किए थे। यशोदा ने कृष्ण के मुँह में स्रष्टा का यही स्वरूप देखा था। राम ने पालने में पड़े-पड़े माता कौशल्या को अपना यही रूप दिखाया था और काकभुशुंडि इसी स्वरूप की झाँकी करके धन्य हुए थे। हमने भी अपने पास जो कुछ था, उसी विराट...

Sept. 28, 2025, 10:29 a.m.

गोवर्धन पूजा: प्रकृति पूजन की सनातन परंप...

गोवर्धन पूजा का पर्व श्रीकृष्ण की प्रकृति-पूजन परंपरा से जुड़ा है। यह हमें सिखाता है कि जब हम प्रकृति, पशु और परिजनों के साथ सह-अस्तित्व में जीते हैं, तभी जीवन संतुलित होता है। गोवर्धन पूजा पर प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और संरक्षण का संकल्प लें। आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ।...

Oct. 22, 2025, 12:23 p.m.

गुजरात के सभी समर्पित गायत्री साधकों को ...

पूज्य गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी और वंदनीय माताजी भगवती देवी शर्मा जी का दिव्य आशीर्वाद आप सभी पर बना रहे। आने वाला वर्ष आपके जीवन में नवऊर्जा, नवसंकल्प और नवप्रकाश लेकर आए - आपका हर कार्य युग निर्माण की दिशा में एक प्रेरक कदम बने। सद्भाव, सेवा और साधना की इस पावन परंपरा के साथ, आइए मिलकर न...

Oct. 22, 2025, 11:57 a.m.

Happy New Year to all the dedicated Gaya...

Respected Gurudev Pt. May the divine blessings of Shriram Sharma Acharya ji and respected mother Bhagwati Devi Sharma ji be on all of you. May the coming year bring rejuvenation, rejuvenation, and rejuvenation into your life – let your every work be an inspiring step towards building the era. With t...

Oct. 22, 2025, 11:56 a.m.

दीप जलाएँ भीतर और बाहर — सेवा, सामूहिकता...

दीपावली भारत का सबसे प्राचीन, प्रकाशमय और संस्कृति-संपन्न पर्व है। यह आत्मशुद्धि, आनंद, सामूहिकता और सेवा का उत्सव है। पूज्य गुरुदेव ने कहा—‘असली दीपावली वही, जो भीतर उजियारा करे।’ इस दीपावली एक दीप किसी और के जीवन में भी जलाएँ। आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ।...

Oct. 22, 2025, 11:25 a.m.

स्वामी रमेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज का ...

देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार में श्री श्री १००८ बाल संत महामंडलेश्वर स्वामी रमेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज, महामंडलेश्वर, महा निर्माणी अखाड़ा का ससम्मान आगमन हुआ। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने उनका पुष्पगुच्छ अर्पित कर स्नेहपूर्वक स्वागत किया। स्वामी ज...

Oct. 22, 2025, 11:14 a.m.

Swami Rameshwaranand Saraswati ji Mahara...

Mahamandaleshwar, Mahamandaleshwar, Maha Nirmani Arena honored at Dev Sanskriti University, Haridwar, Shri Shri 1008 Bal Sant Mahamandaleshwar Swami Rameshwaranand Saraswati Ji Maharaj, Mahamandaleshwar. On this occasion, the advertisement of the university respected Dr. Chinmay Pandya ji welcomed h...

Oct. 22, 2025, 11:09 a.m.

देव संस्कृति विश्वविद्यालय में भैया जी ज...

देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार के पवन प्रांगण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के पूर्व सरकार्यवाह आदरणीय भैया जी जोशी जी का आगमन हुआ। उनके आगमन के उपरांत विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने पुष्पगुच्छ अर्पित कर उनका स्नेहिल एवं भावभरा स्वागत किया। इस अवसर पर आदरणीय भै...

Oct. 22, 2025, 10:54 a.m.

Respected Bhaiya Ji Joshi Visits Dev San...

Respected brother Joshi ji, former government of Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) arrived at the pawan courtyard of Dev Sanskriti University, Haridwar. Upon his arrival, the advertisement of the university Hon. Dr. Chinmay Pandya ji welcomed him with a bouquet of flowers. On this occasion respected...

Oct. 22, 2025, 10:31 a.m.

धन्वंतरि जयंती पर देवसंस्कृति विश्वविद्य...

देव संस्कृति विश्वविद्यालय स्थित फार्मेसी विभाग में आज सुसंस्कार और आरोग्य के देवता भगवान धनवंतरि की आराधना बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ संपन्न हुई। इस अवसर पर आयोजित धनवंतरि पूजन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अखिल विश्व गायत्री परिवार के युवा प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के आदरणीय ...

Oct. 22, 2025, 10:20 a.m.

Congratulations to all the winners of th...

Organized by the Department of Animation & VFX, Kriti (Creative Club) – Dev Sanskriti Student’s Club, in collaboration with the Dev Sanskriti Alumni Association, Dev Sanskriti Vishwavidyalaya. We extend our heartfelt appreciation to every participant for their creative contributions, imagination, an...

Oct. 22, 2025, 10:09 a.m.
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First Meeting With Guru

At the age of 15- Self-realization on Basant Panchanmi Parva 1926 at Anwalkheda (Agra, UP, India), with darshan and guidance from Swami Sarveshwaranandaji.

Akhand Deep

More than 2400 crore Gayatri Mantra have been chanted so far in its presence. Just by taking a glimpse of this eternal flame, people receive divine inspirations and inner strength.

Akhand Jyoti Magazine

It was started in 1938 by Pt. Shriram Sharma Acharya. The main objective of the magazine is to promote scientific spirituality and the religion of 21st century, that is, scientific religion.

Gayatri Mantra

The effect of sincere and steadfast Gayatri Sadhana is swift and miraculous in purifying, harmonizing and steadying the mind and thus establishing unshakable inner peace and a sense of joy filled calm even in the face of grave trials and tribulations in the outer life of the Sadhak.

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।