हमारी वसीयत और विरासत (भाग 127): स्थूल क...

युग-परिवर्तन की यह एक ऐतिहासिक वेला है। इन बीस वर्षों में हमें जमकर काम करने की ड्यूटी सौंपी गई थी। सन् 1980 से लेकर अब तक के पाँच वर्षों में जो काम हुआ है, पिछले 30 वर्षों की तुलना में कहीं अधिक है। समय की आवश्यकता के अनुरूप तत्परता बरती गई और खपत को ध्यान में रखते हुए तदनुरूप शक्ति उपार्जित की गई ...

Nov. 14, 2025, 9:30 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 126): तपश्चर्...

रामकृष्ण परमहंस के सामने यही स्थिति आई थी। उन्हें व्यापक काम करने के लिए बुलाया गया। योजना के अनुसार उनने अपनी क्षमता विवेकानंद को सौंप दी तथा उनने कार्यक्षेत्र को सरल और सफल बनाने के लिए आवश्यक ताना-बाना बुन देने का कार्य सँभाला। इतना बड़ा काम वे मात्र स्थूलशरीर के सहारे कर नहीं पा रहे थे। सो उनने उ...

Nov. 13, 2025, 11:03 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 125): तपश्चर्...

यह जीवनचर्या के अद्यावधि भूतकाल का विवरण हुआ। वर्तमान में इसी दिशा में एक बड़ी छलांग लगाने के लिए उस शक्ति ने निर्देश किया है, जिस सूत्रधार के इशारों पर कठपुतली की तरह नाचते हुए समूचा जीवन गुजर गया। अब हमें तपश्चर्या की एक नवीन उच्चस्तरीय कक्षा में प्रवेश करना पड़ा है। सर्वसाधारण को इतना ही पता है कि ...

Nov. 12, 2025, 6:01 p.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 124): तपश्चर्...

तपश्चर्या के मौलिक सिद्धांत हैं— संयम और सदुपयोग। इंद्रियसंयम से— पेट ठीक रहने से स्वास्थ्य नहीं बिगड़ता। ब्रह्मचर्यपालन से मनोबल का भंडार चुकने नहीं पाता। अर्थसंयम से— नीति की कमाई से औसत भारतीय स्तर का निर्वाह करना पड़ता है; फलतः न दरिद्रता फटकती है और न बेईमानी की आवश्यकता पड़ती है। समयसंयम से व्यस्...

Nov. 11, 2025, 10:48 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 123): तपश्चर्...

भारतीय स्वाधीनता-संग्राम के दिनों महर्षि रमण का मौन तप चलता रहा। इसके अतिरिक्त भी हिमालय में अनेक उच्चस्तरीय आत्माओं की विशिष्ट तपश्चर्याएँ इसी निमित्त चलीं। राजनेताओं द्वारा संचालित आंदोलनों को सफल बनाने में इस अदृश्य सूत्र-संचालन का कितना बड़ा योगदान रहा, इसका स्थूलदृष्टि से अनुमान न लग सकेगा, किंत...

Nov. 10, 2025, 10:52 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 122): तपश्चर...

अरविंद ने विलायत से लौटते ही अँगरेजों को भगाने के लिए जो उपाय संभव थे, वे सभी किए। पर बात बनती न दिखाई पड़ी। राजाओं को संगठित करके, विद्यार्थियों की सेना बनाकर, वनपार्टी गठित करके उनने देख लिया कि इतनी सशक्त सरकार के सामने यह छुट-फुट प्रयत्न सफल न हो सकेंगे। इसके लिए समान स्तर की सामर्थ्य, टक्कर लेने...

Nov. 8, 2025, 9:55 a.m.

कौशाम्बी जनपद में 16 केंद्रों पर संपन्न ...

उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जनपद में अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज की ओर से आयोजित होने वाली भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा शुक्रवार को सोलह केंद्रों पर संपन्न हुई। परीक्षा में पांचवीं से बारहवीं कक्षा तक के लगभग एक हजार से अधिक छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया। ओएमआर सीट पर परीक्षा देकर बच्चों ने ...

Nov. 7, 2025, 7:43 p.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 121): चौथा और...

‘‘इसके लिए जो करना होगा, समय-समय पर बताते रहेंगे। योजना को असफल बनाने के लिए— इस शरीर को समाप्त करने के लिए जो दानवी प्रहार होंगे, उससे बचाते चलेंगे। पूर्व में हुए आसुरी आक्रमण की पुनरावृत्ति कभी भी, किसी भी रूप में सज्जनों-परिजनों पर प्रहार आदि के रूप में हो सकती है। पहले की तरह सबमें हमारा संरक्षण...

Nov. 7, 2025, 9:54 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 120): चौथा और...

बात जो विवेचना स्तर की चल रही थी, सो समाप्त हो गई और सार-संकेत के रूप में जो करना था, सो कहा जाने लगा। ‘‘तुम्हें एक से पाँच बनना है। पाँच रामदूतों की तरह, पाँच पांडवों की तरह काम पाँच तरह से करने हैं, इसलिए इसी शरीर को पाँच बनाना है। एक पेड़ पर पाँच पक्षी रह सकते हैं। तुम अपने को पाँच बना लो। इसे ‘सू...

Nov. 6, 2025, 11:29 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 119): चौथा और...

“इसके लिए तुम्हें एक से पाँच बनकर पाँच मोर्चों पर लड़ना पड़ेगा। कुंती के समान अपनी एकाकी सत्ता को निचोड़कर पाँच देवपुत्रों को जन्म देना होगा, जिन्हें भिन्न-भिन्न मोर्चों पर भिन्न-भिन्न भूमिका प्रस्तुत करनी पड़ेंगी।’’ मैंने बात के बीच में विक्षेप करते हुए कहा— ‘‘यह तो आपने परिस्थितियों की बात कही। इतना स...

Nov. 5, 2025, 10 a.m.

देव संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्र ने स...

उत्तराखंड रजत जयंती के पावन अवसर पर आयोजित स्केचिंग प्रतियोगिता में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के एनीमेशन विभाग के छात्र शाश्वतनंद ने प्रथम पुरस्कार प्राप्त कर विश्वविद्यालय का गौरव बढ़ाया। प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन के उपरांत शाश्वतनंद ने आदरणीय प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या जी से भेंट कर उ...

Nov. 14, 2025, 10:47 a.m.

Every child is a spark of divinity, pure...

On this Children’s Day, let us celebrate innocence, creativity, and curiosity, while reaffirming our responsibility to nurture values, wisdom, and compassion in every young heart. When guided with love and purpose, children become the architects of a new, enlightened era. Happy Children’s Day...

Nov. 14, 2025, 10:37 a.m.

देव संस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थि...

हरिद्वार। 5 नवम्बर 2025, देव संस्कृति विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने जिला स्तरीय युवा महोत्सव में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए लोकगीत एवं लोकनृत्य दोनों श्रेणियों में प्रथम स्थान प्राप्त किया। इस प्रतियोगिता में कुल 20 विद्यार्थियों ने भाग लेकर विश्वविद्यालय का नाम गौरवान्वित किया। इससे पूर्व 29 अक...

Nov. 14, 2025, 10:30 a.m.

माननीय प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड...

विश्वविद्यालय को National Digital Library of India Club (NDLI CLUB–2025) द्वारा Outstanding Dedication and Innovative Efforts हेतु Excellence Award 2025 से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान IIT खड़गपुर में आयोजित 4th International Symposium (KEDLD–2025) के दौरान प्रदान किया गया — जो ज्ञान, नवाचार और श...

Nov. 14, 2025, 9:39 a.m.

माताजी की जन्मशताब्दी समारोह की तैयारियो...

हरिद्वार (शांतिकुंज), 13 नवम्बर। परम वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा जी की जन्मशताब्दी समारोह (2026) की तैयारियों को गति देने के लिए आज हरिद्वार स्थित वैरागी द्वीप पर गायत्री परिवार की ओर से एक विशाल सामूहिक महाश्रमदान का आयोजन किया गया। शांतिकुंज स्थित जन्मशताब्दी कार्यालय के संयोजन में हुए इस आयोजन ...

Nov. 13, 2025, 5:36 p.m.

बिगुल बज गया महाक्रांति का वीरों शौर्य द...

हरिद्वार 13 नवंबर।  अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा जनवरी 26 में बैरागी द्वीप में भव्य जन्मशताब्दी समारोह होने जा रहा है। इस समारोह की तैयारियाँ प्रारंभ हो चुकी हैं। छत्तीसगढ़, बिहार, झारखण्ड, गुजरात सहित अनेक राज्यों के स्वयंसेवक पहुंचने लगे हैं। इनमें उच्च प्रशिक्षित व आईटी प्रोफेशनल भी शामिल हैं...

Nov. 13, 2025, 5:29 p.m.

भव्य तैयारी! पूज्य माताजी जन्मशताब्दी स...

​हरिद्वार, 12 नवंबर 2025: ​परम वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा जी एवं दिव्य अखंड दीप के प्राकट्य की शताब्दी मनाने के लिए अखिल विश्व गायत्री परिवार विगत वर्षों से जिस तपोमय मनोभूमि का निर्माण करता आ रहा है, उसके साकार होने का समय निकट आ रहा है। जन्मशताब्दी समारोह 2026 के प्रथम चरण के कार्यक्रमों का श्र...

Nov. 13, 2025, 9:53 a.m.

Belarus Delegation Visits Dev Sanskriti ...

A distinguished group from Belarus visited Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, Haridwar, as part of their educational and cultural exposure tour. The delegation explored the university’s unique blend of value-based education, scientific spirituality, yoga, and Indian cultural studies. During their visit,...

Nov. 12, 2025, 5:27 p.m.

केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प...

देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार में भारत सरकार के केंद्रीय शिक्षा मंत्री, माननीय श्री धर्मेन्द्र प्रधान जी का आत्मीय स्वागत किया गया। उनके आगमन के अवसर पर विश्वविद्यालय की वैचारिक धारा, मूल्य-आधारित शिक्षा, योग-विज्ञान एवं भारतीय ज्ञान परंपरा पर विस्तृत परिचर्चा हुई। इस दौरान आदरणीय डॉ. चिन्मय ...

Nov. 12, 2025, 9:43 a.m.

देव संस्कृति विश्वविद्यालय ने राज्य स्तर...

हरिद्वार। उत्तराखंड राज्य के 25वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयीय नृत्य प्रतियोगिता में देव संस्कृति विश्वविद्यालय की प्रतिभाशाली छात्रा स्वस्तिका जायसवाल ने शास्त्रीय नृत्य (एकल) श्रेणी में प्रथम स्थान (Winner of State) प्राप्त कर विश्वविद्यालय का नाम गौरवान्वित कि...

Nov. 11, 2025, 9:36 a.m.
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First Meeting With Guru

At the age of 15- Self-realization on Basant Panchanmi Parva 1926 at Anwalkheda (Agra, UP, India), with darshan and guidance from Swami Sarveshwaranandaji.

Akhand Deep

More than 2400 crore Gayatri Mantra have been chanted so far in its presence. Just by taking a glimpse of this eternal flame, people receive divine inspirations and inner strength.

Akhand Jyoti Magazine

It was started in 1938 by Pt. Shriram Sharma Acharya. The main objective of the magazine is to promote scientific spirituality and the religion of 21st century, that is, scientific religion.

Gayatri Mantra

The effect of sincere and steadfast Gayatri Sadhana is swift and miraculous in purifying, harmonizing and steadying the mind and thus establishing unshakable inner peace and a sense of joy filled calm even in the face of grave trials and tribulations in the outer life of the Sadhak.

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।