हमारी वसीयत और विरासत (भाग 48)— भावी रूप...

यह कार्यक्रम देवात्मा गुरुदेव ने ही बनाया था, पर था मेरा इच्छित। इसे मनोकामना की पूर्ति कहना चाहिए। स्वाध्याय, सत्संग और मनन-चिंतन से यह तथ्य भली प्रकार हृदयंगम हो गया था कि दसों इंद्रिय प्रत्यक्ष और ग्यारहवीं अदृश्य मन इन सबका निग्रह कर लेने पर बिखराव से छुटकारा मिल जाता है और आत्मसंयम का पराक्रम ब...

July 4, 2025, 10:45 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 47)— भावी रू...

परब्रह्म के अंशधर देवात्मा सूक्ष्मशरीर में किस प्रकार रहते हैं, इसका प्रथम परिचय हमने अपने मार्गदर्शक के रूप में घर पर ही प्राप्त कर लिया था। उनके हाथों में विधिवत् मेरी नाव सुपुर्द हो गई थी। फिर भी बालबुद्धि अपना काम कर रही थी। हिमालय में अनेक सिद्धपुरुषों के निवास की जो बात सुन रखी थी; उस कौतूहल क...

July 3, 2025, 10:49 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 46)— भावी रू...

इस बार की हमारी हिमालययात्रा में मन में वह असमंजस बना हुआ था कि हिमालय की गुफाओं में सिद्धपुरुष रहने और उनके दर्शन मात्र से विभूतियाँ मिलने की जनश्रुतियाँ प्रचलित हैं। हमें उनका कोई आधार नहीं मिला। वह बात ऐसे ही किंवदंती मालूम पड़ती है। था तो मन का भीतरी असमंजस, पर गुरुदेव ने उसे बिना कहे ही समझ लिया...

July 2, 2025, 10:02 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 45)— भावी रूप...

यह तुम्हारे कार्यक्रम का प्रथम चरण है। अपना कर्त्तव्यपालन करते रहना। यह मत सोचना कि हमारी शक्ति नगण्य है। तुम्हारी कम सही, पर जब हम दो मिल जाते हैं, तब एक-और-एक मिलकर ग्यारह होते हैं और फिर यह तो दैवी सत्ता द्वारा संचालित कार्यक्रम है। इसमें संदेह कैसा? समय आने पर सारी विधि-व्यवस्था सामने आती जाएगी।...

July 1, 2025, 11:13 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 44)— भावी रू...

“तुम्हारा समर्पण यदि सच्चा है, तो शेष जीवन की कार्यपद्धति बनाए देते हैं। इसे परिपूर्ण निष्ठा के साथ पूरी करना। प्रथम कार्यक्रम तो यही है कि 24 लक्ष्य गायत्री महामंत्र के 24 महापुरश्चरण चौबीस वर्ष में पूरे करो। इससे मजबूती में जो कमी रही होगी, सो पूरी हो जाएगी। बड़े और भारी काम करने के लिए बड़ी समर्थता...

June 30, 2025, 1:33 p.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 43)— भावी रू...

नंदनवन प्रवास का अगला दिन और भी विस्मयकारी था। पूर्वरात्रि में गुरुदेव के साथ ऋषिगणों के साक्षात्कार के दृश्य फिल्म की तरह आँखों के समक्ष घूम रहे थे। पुनः गुरुदेव की प्रतीक्षा थी— भावी निर्देशों के लिए। धूप जैसे ही नंदनवन के मखमली कालीन पर फैलने लगी, ऐसा लगा जैसे स्वर्ग धरती पर उतर आया हो। भाँति-भाँ...

June 29, 2025, 11:04 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 42)— ऋषितंत्...

सूक्ष्मशरीर से अंतःप्रेरणाएँ उमगाने और शक्तिधारा प्रदान करने का काम हो सकता है, पर जनसाधारण को प्रत्यक्ष परामर्श देना और घटनाक्रमों को घटित करना स्थूलशरीरों का ही काम है। इसलिए दिव्यशक्तियाँ किन्हीं स्थूलशरीरधारियों को भी अपने प्रयोजनों के लिए वाहन बनाती हैं। अभी तक मैं एक ही मार्गदर्शक का वाहन था, ...

June 28, 2025, 10:53 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 41)— ऋषितंत्र...

मैं गुफा में से निकलकर शीत से काँपते हुए स्वर्णिम हिमालय पर अधर-ही-अधर गुरुदेव के पीछे-पीछे उनकी पूँछ की तरह सटा हुआ चल रहा था। आज की यात्रा का उद्देश्य पुरातन ऋषियों की तपस्थलियों का दिग्दर्शन करना था। स्थूलशरीर सभी ने त्याग दिए थे, पर सूक्ष्मशरीर उनमें से अधिकांश के बने हुए थे। उन्हें भेदकर किन्ही...

June 27, 2025, 10:32 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 40)— ऋषि तंत...

नंदनवन में पहला दिन वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने; उसी में परम सत्ता की झाँकी देखने में निकल गया। पता ही नहीं चला कि कब सूरज ढला और रात्रि आ पहुँची। परोक्ष रूप से निर्देश मिला—  समीपस्थ एक निर्धारित गुफा में जाकर सोने की व्यवस्था बनाने का। लग रहा था कि प्रयोजन सोने का नहीं, सुरक्षित स्थान पर ...

June 26, 2025, 10:50 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 39)— गुरुदेव ...

वहीं बहते निर्झर में स्नान किया; संध्यावंदन भी। जीवन में पहली बार ब्रह्मकमल और देवकंद देखा। ब्रह्मकमल ऐसा, जिसकी सुगंध थोड़ी देर में ही नींद कहें या योगनिद्रा, ला देती है। देवकंद वह, जो जमीन में शकरकंद की तरह निकलता है, सिंघाड़े जैसे स्वाद का। पका होने पर लगभग पाँच सेर का, जिससे एक सप्ताह तक क्षुधा-नि...

June 25, 2025, 10:46 a.m.

Global Academic Exchange | Delegation fr...

”When education transcends borders, it nurtures understanding and unity — not just information.” A vibrant group of 18 students from the Netherlands visited Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, Haridwar, as part of an enriching cultural and academic exchange. The students immersed themselves in the univer...

July 4, 2025, 2:39 p.m.

पूर्वोत्तर भारत की सांस्कृतिक गरिमा और म...

नई दिल्ली प्रवास के दौरान प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने राज्यसभा सांसद श्रीमती एस. फांगनोन कोन्यक जी (नागालैंड) से आत्मीय शिष्टाचार भेंट की। यह संवाद पूर्वोत्तर भारत की समृद्ध आध्यात्मिक परंपराओं, महिला सशक्तिकरण, और भारतीय संस्कृति के सार्वदेशिक मूल्यों पर केंद्रित रहा। श्रीमती फांगनोन...

July 1, 2025, 2:21 p.m.

संस्कृति केवल परंपरा नहीं, एक जीता-जागता...

नई दिल्ली प्रवास के अंतर्गत देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने भारत सरकार के केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री, आदरणीय श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत जी से शिष्टाचार भेंट की। इस संवाद में आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी द्वारा गायत्री दर्शन, भारतीय संस्कृति की सार्वकाल...

July 1, 2025, 11:43 a.m.

साहित्य जब हृदय में उतरता है, तब वह मात्...

पूज्य गुरुदेव का सम्पूर्ण वाङ्मय अब इंडिया हैबिटैट सेंटर की पुस्तकालय में। नई दिल्ली प्रवास के अंतर्गत देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने इंडिया हैबिटैट सेंटर, नई दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर के. जी. सुरेश जी से सौजन्य भेंट की। इस अवसर पर आदरणीय डॉ. पंड्या जी ने पू...

July 1, 2025, 10:25 a.m.

सेवा, सहयोग और संस्कृति, समाज निर्माण की...

देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने नई दिल्ली में उत्तर प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), माननीय श्री दयाशंकर सिंह जी व राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), सहकारिता विभाग, माननीय श्री जे.पी.एस. राठौर जी से सौजन्य भेंट की। यह संवाद भारतीय संस्कृति की उस ...

July 1, 2025, 10:11 a.m.

जब किसी मंत्र की शक्ति केवल जप में नहीं,...

नई दिल्ली स्थित वाणिज्य भवन में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी की केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आदरणीय श्री पीयूष गोयल जी से आत्मीय भेंट हुई। इस अवसर पर पूज्य गुरुदेव द्वारा प्रतिपादित “राष्ट्र समर्थ—राष्ट्र सशक्त” की संकल्पना, गायत्री मंत्र के वैज्ञानिक अ...

July 1, 2025, 9:57 a.m.

संवेदना-संस्कृति और तकनीक का संगम — भारत...

नई दिल्ली प्रवास के अंतर्गत देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने भारत सरकार के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के माननीय केंद्रीय मंत्री श्री चिराग पासवान जी से शिष्टाचार भेंट की। यह संवाद भारत में तकनीक के समाजमूलक उपयोग, विशेषतः कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षे...

July 1, 2025, 9:46 a.m.

भारतीय शिक्षा प्रणाली में मूल्य एवं दृष्...

नई दिल्ली प्रवास के दौरान देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने भारत सरकार के शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान जी से शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर नई शिक्षा नीति (NEP-2020), भारतीय ज्ञान परंपरा के पुनरुत्थान, और शिक्षा में वैज्ञानिक अध्यात्म के समावेश जैसे गहन ...

July 1, 2025, 9:33 a.m.

वसुधैव कुटुम्बकम्—सामाजिक समरसता की भारत...

नई दिल्ली प्रवास के दौरान देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार जी से शिष्टाचार भेंट की। यह संवाद भारत की सनातन संस्कृति, समता के आधार पर समाज निर्माण, तथा ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की सार्वभौमिक भावना प...

July 1, 2025, 9:23 a.m.

आधुनिक युग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की दि...

नई दिल्ली प्रवास के दौरान देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने नीति आयोग के माननीय सदस्य एवं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. विजय कुमार सारस्वत जी तथा RIS (Research and Information System for Developing Countries) के महानिदेशक श्री सचिन चतुर्वेदी जी ...

June 30, 2025, 4:56 p.m.
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First Meeting With Guru

At the age of 15- Self-realization on Basant Panchanmi Parva 1926 at Anwalkheda (Agra, UP, India), with darshan and guidance from Swami Sarveshwaranandaji.

Akhand Deep

More than 2400 crore Gayatri Mantra have been chanted so far in its presence. Just by taking a glimpse of this eternal flame, people receive divine inspirations and inner strength.

Akhand Jyoti Magazine

It was started in 1938 by Pt. Shriram Sharma Acharya. The main objective of the magazine is to promote scientific spirituality and the religion of 21st century, that is, scientific religion.

Gayatri Mantra

The effect of sincere and steadfast Gayatri Sadhana is swift and miraculous in purifying, harmonizing and steadying the mind and thus establishing unshakable inner peace and a sense of joy filled calm even in the face of grave trials and tribulations in the outer life of the Sadhak.

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

 

मुझे ज्ञात है कि इस विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता सेनानी और लगभग ३००० पुस्तकों के लेखक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यजी के स्वप्न को साकार रूप दिया है। इन्हें भारत में ज्ञान क्रांति का प्रवर्तक कहना उपयुक्त होगा। आचार्यश्री का विचार था कि अज्ञानता ही निर्धनता और बीमारी आदि सभी समस्याओं की जड़ है।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक)

 

आचार्य जी का एकाकी पुरुषार्थ सारे संत समाज की सम्मिलित शक्ति के स्तर का है, उनने गायत्री व यज्ञ को प्रतिबंध रहित करने निमित्त जो कुछ भी किया वह शास्त्रों के अनुसार ही था। मेरा उन्हें बारम्बार नमन है।

स्वामी जयेन्द्रतीर्थ सरस्वती (शंकराचार्य कांची कामकोटि पीठ)

 

श्रद्धेय आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने जो कार्य कर दिखाया वह अद्भुत है, युग के लिए नितांत आवश्यक है। आचार्य जी के साहित्य से मैं बहुत प्रभावित हूँ। प्रज्ञा पुराण ने विशेष रूप से मुझे अपने कार्यों में बहुत बल प्रदान किया है। उनका चिंतन राष्ट्र को शक्तिशाली बनाता और मानव मात्र को सही दिशा प्रदान करता है।

श्री नानाजी देशमुख (संस्थापक ग्रामोदय विश्वविद्यालय)

 

आचार्य जी द्वारा भाष्य किए गए उपनिषदों का स्वाध्याय करने के बाद उन्होंने कहा कि- ‘‘काश! यह साहित्य मुझे जवानी में मिल गया होता तो मेरे जीवन की दिशाधारा कुछ और ही होती; मैं राजनीति में न जाकर आचार्य श्री के चरणों में बैठा अध्यात्म का ज्ञान ले रहा होता।’’

सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन्

 

विनोबा जी ने वेदों के पूज्यवर द्वारा किए गए भाष्य को ग्वालियर मेंं एक सार्वजनिक सभा में अपने सिर पर धारण करते हुए कहा- "ये ग्रन्थ किसी व्यक्ति द्वारा नहीं, शक्ति द्वारा लिखे गये हैं।"

आचार्य विनोबा भावे

 

सुप्रसिद्ध सन्त देवरहा बाबा एक सिद्ध पुरुष थे। उनने एक परिजन से कहा- ‘‘बेटा! उनके बारे में मैं क्या कहूँ? यह समझो कि मैं हृदय से सतत उनका स्मरण करता रहता हूँ। गायत्री उनमें पूर्णतः समा गयी है एवं वे साक्षात् सविता स्वरूप हैं।’’

देवरहा बाबा

 

‘‘आचार्यश्री ने गायत्री को जन-जन की बनाकर महर्षि दयानन्द के कार्यों को आगे बढ़ाया है। गायत्री और ये एकरूप हो गये हैं।’’

महात्मा आनन्द स्वामी

 

अपने भावभरे उद्गार पूज्यवर के सम्बन्ध में इस रूप में व्यक्त किए थे- ‘‘आचार्य जी इस युग में गायत्री के जनक हैं। उनने गायत्री को सबकी बना दिया। यदि इसे मात्र ब्राह्मणों की मानकर उन्हीं के भरोसे छोड़ दिया होता तो अब तक गायत्री महाविद्या सम्भवतः लुप्त हो गयी होती।’’

करपात्री जी महाराज