महाकाल और युग प्रत्यावर्तन प्रक्रिया पर शिविर का आयोजन
शांतिकुंज रामकृष्ण परमहँस हॉल में स्वाध्याय संदोह विषय पर दिनांक 20 मार्च से 24 मार्च तक महाकाल और युग प्रत्यावर्तन प्रक्रिया विषय पर शिविर आयोजित किया गया।इस शिविर में परम पूज्य गुरुदेव द्वारा रचित महाकाल एवं युग प्रत्यावर्तन प्रक्रिया पुस्तक के अलग अलग अध्याय पर गहन चर्चा हुई। महाकाल के पौराणिक स्वरूपों की प्रासंगिकता(अध्याय 1234),अवतार एवं पौराणिक कथानकों का स्वरूप (अध्याय 567)अनाचारण उन्मूलन तब भी अब भी (अध्याय 8910)भागीरथों और शुनिशेपों की खोज (अध्याय 11)युग परिवर्तन का स्वर्णिम अवसर और हमारा दायित्व (अध्याय 12 13 14)जीवन पथ के दो मार्ग श्रेय एवं प्रेय (अध्याय 15 16 17 18 )आदि विषयों पर चर्चा के बाद भावी योजना एवं मार्गदर्शन के लिए श्रद्धेय डॉक्टर साहब, श्रद्धेयया जीजी एवं आदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या जी से भेंट वार्ता हुई।
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आत्मचिंतन के क्षण
हे मनुष्य! इस संसार में दुःख का कारण असन्तोष है और सन्तोष ही सुख है। जिन्हें सुख की क ामना हो, वे सन्तुष्ट रहा करें। सन्तोष एक महान् अध्यात्मिक भाव है, जो मनुष्य के हृदय की विशालता को व्यक्त करता ह...
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आशा की जानी चाहिए कि नव- सृजन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मनीषो, समय दानी धनी आदि प्रतिभावान अपनी- अपनी श्रद्धांजलि लेकर नवयुग के अभिनव सृजन में आगे बढ़ेगें और कहने लायक योगदान देंगे। इक्कीसवी...
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आशा आध्यात्मिक जीवन का शुभ आरम्भ है। आशावादी व्यक्ति सर्वत्र परमात्मा की सत्ता विराजमान देखता है। उसे सर्वत्र मंगलमय परमात्मा की मंगलदायककृपा बरसती दिखाई देती है। सच्ची शान्ति, सुख और सन्तोष मनुष्य...
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प्रेम गंगा की भाँति वह पवित्र जल है, जिसे जहाँ छिडका जाय, वहीं पवित्रता पैदा करेगा। उसमें आदर्शेंकी अविच्छिन्नता जुड़ी रहती है। आदर्श रहित प्यार को ही मोह कहते हैं। दूरदर्शिता, विवेकशीलता, शालीनता, ...
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कोई व्यक्ति विद्वानों के साथ रहे पर उसके मन में वेश्याओं की छवि भाव भंगी, कुचेष्टाएँ नाचती रहें, और विकार पूर्ण अंगों तथा चेष्टाओं का चिंतन करता रहे तो निश्चय ही विद्वानों की संगति का उतना प्रभाव न...
आत्मचिंतन के क्षण
कुशलता पूर्वक कार्य करने का नाम ही योग है, कुशल व्यक्ति संसार में सच्ची प्रगति कर सकता है जीवन का सर्वाेच्च लक्ष्य यही है कि मनुष्य प्रत्येक कार्य को विवेक पूर्वक करे। इससे मन निर्मल रहता है,...
आत्मचिंतन के क्षण
स्वस्थ जीवन का आधार है- अध्यात्म सिद्धान्तों का जीवन के हर क्षण, हर गतिविधि में व्यापक समावेश। दवाओं से स्वास्थ्य नहीं खरीदा जा सकता। मनो,विकार व्यक्तिगत व समष्टिगत रोगों का मूल कारण है। राष्...
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सच्चा साथी प्यार करता है, सलाह देता है तथा सुख- दुःख में सहयोग भी देता है। इसके अलावा वह शक्ति और सुरक्षा भी दे और प्रत्युपकार की जरा भी अपेक्षा न रखे, तो वह सोने में सुहागा हो जायेगा- ईश्वर ऐसा ही...
आत्मचिंतन के क्षण
दम के समान कोई धर्म नहीं सुना गया है। दम क्या है? क्षमा, संयम, कर्म करने में उद्यत रहना, कोमल स्वभाव, लज्जा, बलवान, चरित्र, प्रसन्न चित्त रहना, सन्तोष, मीठे वचन बोलना, किसी को दुख न देना, ईर्...
आत्मचिंतन के क्षण
सुख- दुःख हर तरह की परिस्थिति में सन्तुष्ट रहने को सन्तोष कहते हैं। कुसंस्कारों के परिशोधन एवं सुसंस्कारों के अभिवर्द्धन के लिए स्वेच्छापूर्वक जो कष्ट उठाया जाता है- वह तप कहलाता है। स्वयं के अध्यय...