47वाँ अश्वमेध : 1008 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ
28 राज्य और 50 देशों से आए लाखों लोग
देश की आर्थिक राजधानी मुम्बई में 21 से 25 फरवरी 2024 की तिथियों में अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा आयोजित अश्वमेध महायज्ञ सम्पन्न हुआ। सारी दुनिया ने इस महायज्ञ में ‘हम बदलेंगे, युग बदलेगा’ का उद्घोष चरितार्थ होते देखा। पाँच दिनों में 33 कोटि देवी-देवताओं का आह्वान हुआ, उनका यजन किया गया। उनकी दिव्य उपस्थिति अनुभूतियाँ याजकों, श्रद्धालुओं को आह्लादित करती रहीं। उन देवशक्तियों से स्वर, ताल, लयबद्ध वेदमंत्र और युगसंगीत के माध्यम से राष्ट्र के संगठन, सशक्तिकरण और सर्वांगीण विकास के लिए प्रार्थनाएँ भी की गई, लेकिन प्रमुख प्रयास मानवीय अंत:करण में निहित देवत्व को जगाने के हुए और अत्यंत सफल रहे।
लाखों लोगों का श्रम, उनकी साधना और अखिल विश्व गायत्री परिवार के करोड़ों लोगों की सद्भावना इस महायज्ञ का आधार थीं। श्रद्धा, समर्पण के इस अनुकरणीय उदाहरण ने लाखों याजकों और करोड़ों दर्शकों को प्रभावित किया। नि:स्वार्थ भाव से प्रयाज के कार्यक्रमों में समर्पित कार्यकर्त्ताओं में, यज्ञ स्थल की तैयारियों में जुटे 5 से 8 हजार कार्यकर्त्ताओं में देवभाव के दर्शन होते रहे। अश्वमेध महायज्ञ का नेतृत्व कर रहे आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने देवमंच और ज्ञानमंच से अनेक बार इस देवत्व भाव का नमन कर सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।
अश्वमेध महायज्ञ को शानदार सफलता मिली। करोड़ों लोगों तक युग संदेश पहुँचा। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी अपने वीडियो संदेश के माध्यम से राष्ट्रोत्थान के इस महायज्ञ का हिस्सा बने। माननीय रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह जी, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय श्री जगत प्रकाश नड्डा जी, महाराष्ट्र के राज्यपाल माननीय श्री रमेश बैस जी, मुख्यमंत्री माननीय श्री एकनाथ शिंदे जी, उपमुख्यमंत्री माननीय श्री देवेन्द्र फड़नवीस जी सहित कई सांसद, विधायक, मंत्रीगण, अनेक लब्ध प्रतिष्ठित उद्योगपति, कलाकार, विद्वान
इस महायज्ञ में पधारे, अपने मनोभाव व्यक्त करते हुए
गायत्री परिवार के युग निर्माण आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी
का आश्वासन दिया।
ऐतिहासिक अश्वमेध महायज्ञ के मुख्य उद्देश्य थे-(1) नाम के अनुरूप राष्ट्र की आध्यात्मिक, नैतिक, सांस्कृतिक चेतना का परिष्कार और उत्थान (2) ‘नशामुक्त भारत’ का निर्माण (3)
राष्ट्र के उत्थान हेतु युवाशक्ति का सृजनात्मक कार्यों में
सुनियोजन (4) नारी सशक्तिकरण । मुख्य वक्ताओं के उद्बोधन, यज्ञ आहुतियाँ, देवदक्षिणा संकल्प, संस्कार परम्परा, युगऋषि द्वारा सृजित युगसाहित्य और यज्ञ स्थल पर लगाई गई विराट प्रदर्शनी के माध्यम से इन उद्देश्यों की पूर्ति में अभूतपूर्व सफलताएँ मिलीं। यज्ञ में भाग लेने आए श्रद्धालु एक नए युग चिंतन और अपने युगधर्म के बोध के साथ लौटे, जिसमें अधिकारों की योजना नहीं, कर्त्तव्यों के पालन के भावों की प्रबलता थी। यह महायज्ञ नारी सशक्तिकरण का जीवंत
उदाहरण था। महायज्ञ की अध्यक्षता श्रद्धेया शैल जीजी ने की। उनके ही मार्गदर्शन में देवमंच से यज्ञ के कर्मकाण्ड और संस्कार शाला में विविध संस्कार सम्पन्न कराने का दायित्व शान्तिकुञ्ज की ब्रह्मवादिनी बहिनों की टोली ने सँभाला। कार्यक्रम का आरंभ 24,000 कलशों की विराट शोभायात्रा के साथ हुआ, जिन्हें मातृशक्ति ने अपने मस्तक पर धारण किया था।
यज्ञ से पूर्व एक माह तक चले श्रमदान-समयदान में बहिनों ने अग्रणी भूमिका निभाई।
प्रमुख लक्ष्य :- राष्ट्र की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक विरासत का गौरव बोध राष्ट्र की एकता और सशक्तिकरण व्यसनमुक्त भारत का निर्माण नारी सशक्तिकरण