हमारी वसीयत और विरासत (भाग 130): स्थूल क...

सूक्ष्मशरीरधारियों का वर्णन और विवरण पुरातन ग्रंथों में विस्तारपूर्वक मिलता है। यक्ष और युधिष्ठिर के मध्य विग्रह तथा विवाद का महाभारत में विस्तारपूर्वक वर्णन है। यक्ष, गंधर्व, ब्रह्मराक्षस जैसे कई वर्ग सूक्ष्मशरीरधारियों के थे। विक्रमादित्य के साथ पाँच ‘वीर’ रहते थे। शिव जी के गण ‘वीरभद्र’ कहलाते थे...

Nov. 17, 2025, 11:03 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 129): स्थूल क...

यह स्थिति शरीर त्यागते ही हर किसी को उपलब्ध हो जाए, यह संभव नहीं। भूत-प्रेत चले तो सूक्ष्मशरीर में जाते हैं, पर वे बहुत ही अनगढ़ स्थिति में रहते हैं। मात्र संबंधित लोगों को ही अपनी आवश्यकताएँ बताने भर के कुछ दृश्य कठिनाई से दिखा सकते हैं। पितरस्तर की आत्माएँ उनसे कहीं अधिक सक्षम होती हैं। उनका विवेक ...

Nov. 16, 2025, 11:22 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 128): स्थूल क...

हमें अपनी प्रवृत्तियाँ बहुमुखी बढ़ा लेने के लिए कहा गया है। इसमें सबसे बड़ी कठिनाई स्थूलशरीर का सीमा-बंधन है। यह सीमित है। सीमित क्षेत्र में ही काम कर सकता है। सीमित ही वजन उठा सकता है। काम असीम क्षेत्र से संबंधित हैं और ऐसे हैं, जिनमें एक साथ कितनों से ही वास्ता पड़ना चाहिए। यह कैसे बने? इसके लिए एक त...

Nov. 15, 2025, 9:52 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 127): स्थूल क...

युग-परिवर्तन की यह एक ऐतिहासिक वेला है। इन बीस वर्षों में हमें जमकर काम करने की ड्यूटी सौंपी गई थी। सन् 1980 से लेकर अब तक के पाँच वर्षों में जो काम हुआ है, पिछले 30 वर्षों की तुलना में कहीं अधिक है। समय की आवश्यकता के अनुरूप तत्परता बरती गई और खपत को ध्यान में रखते हुए तदनुरूप शक्ति उपार्जित की गई ...

Nov. 14, 2025, 9:30 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 126): तपश्चर्...

रामकृष्ण परमहंस के सामने यही स्थिति आई थी। उन्हें व्यापक काम करने के लिए बुलाया गया। योजना के अनुसार उनने अपनी क्षमता विवेकानंद को सौंप दी तथा उनने कार्यक्षेत्र को सरल और सफल बनाने के लिए आवश्यक ताना-बाना बुन देने का कार्य सँभाला। इतना बड़ा काम वे मात्र स्थूलशरीर के सहारे कर नहीं पा रहे थे। सो उनने उ...

Nov. 13, 2025, 11:03 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 125): तपश्चर्...

यह जीवनचर्या के अद्यावधि भूतकाल का विवरण हुआ। वर्तमान में इसी दिशा में एक बड़ी छलांग लगाने के लिए उस शक्ति ने निर्देश किया है, जिस सूत्रधार के इशारों पर कठपुतली की तरह नाचते हुए समूचा जीवन गुजर गया। अब हमें तपश्चर्या की एक नवीन उच्चस्तरीय कक्षा में प्रवेश करना पड़ा है। सर्वसाधारण को इतना ही पता है कि ...

Nov. 12, 2025, 6:01 p.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 124): तपश्चर्...

तपश्चर्या के मौलिक सिद्धांत हैं— संयम और सदुपयोग। इंद्रियसंयम से— पेट ठीक रहने से स्वास्थ्य नहीं बिगड़ता। ब्रह्मचर्यपालन से मनोबल का भंडार चुकने नहीं पाता। अर्थसंयम से— नीति की कमाई से औसत भारतीय स्तर का निर्वाह करना पड़ता है; फलतः न दरिद्रता फटकती है और न बेईमानी की आवश्यकता पड़ती है। समयसंयम से व्यस्...

Nov. 11, 2025, 10:48 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 123): तपश्चर्...

भारतीय स्वाधीनता-संग्राम के दिनों महर्षि रमण का मौन तप चलता रहा। इसके अतिरिक्त भी हिमालय में अनेक उच्चस्तरीय आत्माओं की विशिष्ट तपश्चर्याएँ इसी निमित्त चलीं। राजनेताओं द्वारा संचालित आंदोलनों को सफल बनाने में इस अदृश्य सूत्र-संचालन का कितना बड़ा योगदान रहा, इसका स्थूलदृष्टि से अनुमान न लग सकेगा, किंत...

Nov. 10, 2025, 10:52 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 122): तपश्चर...

अरविंद ने विलायत से लौटते ही अँगरेजों को भगाने के लिए जो उपाय संभव थे, वे सभी किए। पर बात बनती न दिखाई पड़ी। राजाओं को संगठित करके, विद्यार्थियों की सेना बनाकर, वनपार्टी गठित करके उनने देख लिया कि इतनी सशक्त सरकार के सामने यह छुट-फुट प्रयत्न सफल न हो सकेंगे। इसके लिए समान स्तर की सामर्थ्य, टक्कर लेने...

Nov. 8, 2025, 9:55 a.m.

कौशाम्बी जनपद में 16 केंद्रों पर संपन्न ...

उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जनपद में अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज की ओर से आयोजित होने वाली भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा शुक्रवार को सोलह केंद्रों पर संपन्न हुई। परीक्षा में पांचवीं से बारहवीं कक्षा तक के लगभग एक हजार से अधिक छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया। ओएमआर सीट पर परीक्षा देकर बच्चों ने ...

Nov. 7, 2025, 7:43 p.m.

Inaugural Meeting of Vandaniya Mataji In...

Today marked the inaugural gathering of the Vandaniya Mataji Intergenerational Committee, signifying the beginning of a thoughtful and responsible journey rooted in remembrance and continuity. On this occasion, Respected Dr. Chinmay Pandya, Pro Vice Chancellor, Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, shared ...

Dec. 15, 2025, 10:36 a.m.

Dev Sanskriti Vishwavidyalaya is pleased...

This prestigious academic occasion will formally confer degrees upon graduating students, postgraduates, and Ph.D. awardees, in recognition of their perseverance, scholarly dedication, and academic excellence. The ceremony will stand as a proud milestone, bringing together the university fraternity ...

Dec. 15, 2025, 10:24 a.m.

देव संस्कृति विश्वविद्यालय में एक दिवसीय...

देव संस्कृति विश्वविद्यालय, हरिद्वार स्थित पं० श्रीराम शर्मा आचार्य शताब्दी चिकित्सालय, शान्तिकुञ्ज तथा MEN-TSEE-KHANG Tibetan Medical & Astrological Institute, क्लेमेंट टाउन ब्रांच क्लिनिक, देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में दिनांक 13 दिसम्बर 2025 को एक दिवसीय निःशुल्क सोवा-रिग्पा चिकित्सा शिविर का ...

Dec. 15, 2025, 10:12 a.m.

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से आदरण...

दिल्ली प्रवास में अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रतिनिधि एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने भारत सरकार के माननीय केंद्रीय मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान जी से उनके आवास पर आत्मीय भेंट की। इस सौहार्दपूर्ण मुलाक़ात में आदरणीय डॉ. पण्ड्या जी ने परम वन्दनीया मात...

Dec. 15, 2025, 9:45 a.m.

दिल्ली में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के...

दिल्ली प्रवास पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने दिल्ली पुलिस के उपायुक्त (DCP) श्री महेश कुमार बर्णवाल जी, आईपीएस से शिष्टाचार भेंट की। श्री बर्णवाल जी का परिवार लंबे समय से गायत्री परिवार से जुड़ा है। उन्होंने इस अवसर पर गायत्री महामंत्र के प्रति जिज्ञासा ...

Dec. 15, 2025, 9:36 a.m.

दिल्ली प्रवास में देव संस्कृति विश्वविद्...

आज दिल्ली प्रवास के दौरान देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री माननीय श्री गिरिराज सिंह जी से सौहार्दपूर्ण भेंट की। इस आत्मीय संवाद के दौरान आदरणीय डॉ. पण्ड्या जी ने परम वन्दनीया माता भगवती देवी शर्मा जी एवं अखण्ड दीप शताब्दी वर्ष की...

Dec. 13, 2025, 2:22 p.m.

जन्म-शताब्दी वर्ष 2026 के राष्ट्रीय आध्य...

छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने महाराष्ट्र के पूर्व माननीय राज्यपाल, भारतीय राजनीतिज्ञ एवं छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ जननेता श्री रमेश बैस जी से रायपुर शहर में उनके आवास पर सौहार्दपूर्ण भेंट की। इस आत्मीय मुलाक़ात में आदरणीय डॉ. पण्ड्या जी...

Dec. 13, 2025, 1:58 p.m.

जशपुर के बगीचा में 108 कुण्डीय दीपमहायज्...

चार दिवसीय छत्तीसगढ़ प्रवास के अंतिम चरण में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी जशपुर जिले के बगीचा ग्राम में आयोजित 108 कुण्डीय दीपमहायज्ञ में ससम्मान पधारे। इस पावन अवसर पर उनका उद्बोधन अत्यंत प्रेरणादायी, आत्मस्पर्शी एवं चेतना जाग्रत करने वाला रहा। अपने ओजस्वी व...

Dec. 13, 2025, 10:11 a.m.

हसौद में 251 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ की ...

।छत्तीसगढ़ प्रवास। 12 दिसम्बर, हसौद चार दिवसीय छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी पुनः माँ महामाया की पावन नगरी हसौद पधारे। यहाँ आयोजित 251 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ की पूर्णाहुति के अवसर पर वे मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। उनकी गरिमामय उपस्थिति ने सभी परिजनों में नई ऊर्जा और ...

Dec. 13, 2025, 9:47 a.m.

छत्तीसगढ़ प्रवास में आदरणीय डॉ. चिन्मय प...

देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने अपने छत्तीसगढ़ प्रवास के अंतर्गत तृतीय दिवस के अगले चरण में हसौद स्थित चिस्दा गायत्री शक्तिपीठ पहुँचकर गायत्री मंदिर में ससम्मान आरती की तथा वहाँ उपस्थित परिजनों से आत्मीय भेंट-वार्ता की। उनके आगमन से सम्पूर्ण परिसर में श्रेष्ठ...

Dec. 12, 2025, 4:34 p.m.
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गुरुदेव से प्रथम भेंट

15 वर्ष की आयु में— बसंत पंचमी पर्व सन् 1926 को स्वगृह— आँवलखेड़ा (आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत) में पूजास्थल में ही दादागुरु स्वामी सर्वेश्वरानन्द जी के दर्शन एवं मार्गदर्शन के साथ-ही-साथ आत्मसाक्षात्कार हुआ।

अखण्ड दीपक

सन् 1926 से निरंतर प्रज्वलित दीपक, जिसके सान्निध्य में परम पूज्य गुरुदेव श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने 24-24 लक्ष के चौबीस गायत्री महापुरश्चरण संपन्न किए, आज भी इसके बस एक झलक भर प्राप्त कर लेने से ही लोगों को दैवीय प्रेरणा और आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है। इसके सान्निध्य में अब तक 2400 करोड़ से भी अधिक गायत्री मंत्र का जप किया जा चुका है।

अखण्ड ज्योति पत्रिका

इसका आरंभ सन् 1938 में पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा किया गया था। पत्रिका का मुख्य उद्देश्य— वैज्ञानिक आध्यात्मिकता और 21वीं शताब्दी के धर्म, अर्थात वैज्ञानिक धर्म को बढ़ावा देना है।

गायत्री मन्त्र

दृढ़ निष्ठा से सतत गायत्री साधना करने से मन (अंतःकरण) तीव्र गति और चामत्कारिक प्रकार से पवित्र, निर्मल, व्यवस्थित और स्थिर होता है, जिससे साधक अपने बाह्य भौतिक जीवन की गंभीर परीक्षाओं एवं समस्याओं से जूझते हुए भी अटल आतंरिक शांति और आनंद की अनुभूति करता है।

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

मुझे ज्ञात है कि इस विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता सेनानी और लगभग ३००० पुस्तकों के लेखक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यजी के स्वप्न को साकार रूप दिया है। इन्हें भारत में ज्ञान क्रांति का प्रवर्तक कहना उपयुक्त होगा। आचार्यश्री का विचार था कि अज्ञानता ही निर्धनता और बीमारी आदि सभी समस्याओं की जड़ है।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक)

आचार्य जी का एकाकी पुरुषार्थ सारे संत समाज की सम्मिलित शक्ति के स्तर का है, उनने गायत्री व यज्ञ को प्रतिबंध रहित करने निमित्त जो कुछ भी किया वह शास्त्रों के अनुसार ही था। मेरा उन्हें बारम्बार नमन है।

स्वामी जयेन्द्रतीर्थ सरस्वती (शंकराचार्य कांची कामकोटि पीठ)

श्रद्धेय आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने जो कार्य कर दिखाया वह अद्भुत है, युग के लिए नितांत आवश्यक है। आचार्य जी के साहित्य से मैं बहुत प्रभावित हूँ। प्रज्ञा पुराण ने विशेष रूप से मुझे अपने कार्यों में बहुत बल प्रदान किया है। उनका चिंतन राष्ट्र को शक्तिशाली बनाता और मानव मात्र को सही दिशा प्रदान करता है।

श्री नानाजी देशमुख (संस्थापक ग्रामोदय विश्वविद्यालय)

आचार्य जी द्वारा भाष्य किए गए उपनिषदों का स्वाध्याय करने के बाद उन्होंने कहा कि- ‘‘काश! यह साहित्य मुझे जवानी में मिल गया होता तो मेरे जीवन की दिशाधारा कुछ और ही होती; मैं राजनीति में न जाकर आचार्य श्री के चरणों में बैठा अध्यात्म का ज्ञान ले रहा होता।’’

सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन्

विनोबा जी ने वेदों के पूज्यवर द्वारा किए गए भाष्य को ग्वालियर मेंं एक सार्वजनिक सभा में अपने सिर पर धारण करते हुए कहा- "ये ग्रन्थ किसी व्यक्ति द्वारा नहीं, शक्ति द्वारा लिखे गये हैं।"

आचार्य विनोबा भावे

सुप्रसिद्ध सन्त देवरहा बाबा एक सिद्ध पुरुष थे। उनने एक परिजन से कहा- ‘‘बेटा! उनके बारे में मैं क्या कहूँ? यह समझो कि मैं हृदय से सतत उनका स्मरण करता रहता हूँ। गायत्री उनमें पूर्णतः समा गयी है एवं वे साक्षात् सविता स्वरूप हैं।’’

देवरहा बाबा

‘‘आचार्यश्री ने गायत्री को जन-जन की बनाकर महर्षि दयानन्द के कार्यों को आगे बढ़ाया है। गायत्री और ये एकरूप हो गये हैं।’’

महात्मा आनन्द स्वामी

अपने भावभरे उद्गार पूज्यवर के सम्बन्ध में इस रूप में व्यक्त किए थे- ‘‘आचार्य जी इस युग में गायत्री के जनक हैं। उनने गायत्री को सबकी बना दिया। यदि इसे मात्र ब्राह्मणों की मानकर उन्हीं के भरोसे छोड़ दिया होता तो अब तक गायत्री महाविद्या सम्भवतः लुप्त हो गयी होती।’’

करपात्री जी महाराज