शांतिकुंज हरिद्वार से श्री योग...

रांची झारखंड :आज झारखण्ड़ प्रान्त के जोन कार्यालय रांची के गायत्री शक्तिपीठ पर प्रथम बार शांतिकुंज हर...

May 7, 2024, 10:56 p.m.

ग्रामीण स्वावलम्बन विषय पर 2 द...

परमवन्दनीया माता भगवती देवी शर्मा जी एवं अखण्ड दीपक जन्म शताब्दी (2026) की कार्ययोजनास्वरूप हर खाली ...

May 7, 2024, 10 p.m.

आद. डॉ. पंड्या परमवंदनीया माता...

आद. डॉ. पंड्या परमवंदनीया माताजी की चरणधूलि से धन्य हुए लेस्टर शहर पहुंचे। ब्रिटेन प्रवास के अगले क्...

May 7, 2024, 9:55 p.m.

देव संस्कृति विश्वविद्यालय प्र...

देव संस्कृति विश्वविद्यालय प्रतिकुलपति आद. डॉ. चिन्मय पंड्या जी लिथुआनिया पहुंचे। ब्रिटेन एवं यूरोप ...

May 7, 2024, 9:51 p.m.

पुष्टिमार्ग के प्रवर्तक हैं श्...

पुष्टिमार्ग के प्रवर्तक हैं श्री वल्लभाचार्य- डॉ चिन्मय पण्ड्या   पुष्टिमार्ग के प्रवर्तक हैं श्री व...

May 7, 2024, 9:43 p.m.

देसंविवि में राष्ट्रीय कार्यशा...

ग्रामीण स्वावलंबन कार्यशाला में देश के विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने रखे विचार हरिद्वार, 5 म...

May 7, 2024, 9:40 p.m.

हिमालय बुडवेज व पार्चमेंट सेरे...

हरिद्वार ६ मई। उत्तराखण्ड में स्काउट एवं गाइड का एक अलग जनपद की मान्यता प्राप्त करने के बाद शांतिकुं...

May 7, 2024, 9:38 p.m.

Dev Sanskriti Vishwavidyalaya,...

Dev Sanskriti Vishwavidyalaya, Haridwar, and Sardar Patel University, Balaghat, have come together i...

May 3, 2024, 2:13 p.m.

First Secretary at the Ghana ...

With immense joy and reverence, we extend our heartfelt gratitude to His Excellency Mr. Conrad Nana ...

May 3, 2024, 2:10 p.m.

International workshop @ Dev S...

Memorandum of Understanding (MOU) facilitated by Barbara Flores, Divine Values School (DVS), Centro ...

May 3, 2024, 2:04 p.m.

ज्योतिकलश यात्रा - RAMPURAKAMP...

अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज द्वारा संचालित ज्योतिकलश यात्रा अभियान के अंतर्गत सभी गाँव से सं...

May 18, 2024, 6:20 p.m.

ज्योतिकलश यात्रा - BADARPURA, ...

शांतिकुंज ज्योतिकलश यात्रा: गाँव BADARPURA में वैचारिक परिवर्तन का प्रारंभ 18/05/2024 को, ग...

May 18, 2024, 5:20 p.m.

ज्योतिकलश यात्रा - RUPNGAR, AR...

शांतिकुंज द्वारा संचालित ज्योतिकलश यात्रा अभियान के तहत एक ज्योतिकलश रथ गाँव RUPNGAR, ARAVALLI, GUJA...

May 18, 2024, 4:40 p.m.

ज्योतिकलश यात्रा - DHARAMADIVA...

18/05/2024 को, शांतिकुंज द्वारा चलायी जा रही ज्योतिकलश यात्रा के अंतर्गत गाँव DHARAMADIVANTA, ARAVAL...

May 18, 2024, 4:20 p.m.

होली के रंग विचार क्रांति अभिय...

शाहजहाँपुर। उत्तर प्रदेश गायत्री शक्तिपीठ गौहरपुरा द्वारा होली के उपलक्ष्य में ‘होली के रंग विचार क्...

May 18, 2024, 3:19 p.m.

नवनियुक्त बिशप का सम्मान किया...

इन्दौर। मध्य प्रदेश ‘मानवमात्र एक समान, जाति वंश सब एक समान’ गायत्री परिवार का सुप्रसिद्ध नारा और प्...

May 18, 2024, 3:18 p.m.

समाज सेवा के लिए धर्म जागरण सम...

हाजीपुर, वैशाली। बिहार हरिहर क्षेत्र जनजागरण मंच सोनपुर एवं उत्तर भारत घर्म जागरण समिति ने दिनांक 5 ...

May 18, 2024, 3:16 p.m.

जन्मशताब्दी वर्ष को लक्ष्य कर ...

जिला स्तरीय नारी सशक्तिकरण आवासीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया दुर्ग। छत्तीसगढ़  परम वंदनीया माताजी ...

May 18, 2024, 3:14 p.m.

भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा ...

टिहरी। उत्तराखण्ड स्थानीय भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा इकाई ने गत वर्ष परीक्षा में भाग लेने वाले सम...

May 18, 2024, 3:10 p.m.

दिव्य ज्योति शक्ति कलश के पूजन...

पूर्वी दिल्ली। एसीआर गाँधीनगर प्रज्ञा मंडल द्वारा रघुनाथ मंदिर के कृष्णा नगर के बैंक्वेट हॉल में दिन...

May 18, 2024, 3:05 p.m.
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गुरुदेव से प्रथम भेंट

15 वर्ष की आयु में— बसंत पंचमी पर्व सन् 1926 को स्वगृह— आँवलखेड़ा (आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत) में पूजास्थल में ही दादागुरु स्वामी सर्वेश्वरानन्द जी के दर्शन एवं मार्गदर्शन के साथ-ही-साथ आत्मसाक्षात्कार हुआ।

अखण्ड दीपक

सन् 1926 से निरंतर प्रज्वलित दीपक, जिसके सान्निध्य में परम पूज्य गुरुदेव श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने 24-24 लक्ष के चौबीस गायत्री महापुरश्चरण संपन्न किए, आज भी इसके बस एक झलक भर प्राप्त कर लेने से ही लोगों को दैवीय प्रेरणा और आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है। इसके सान्निध्य में अब तक 2400 करोड़ से भी अधिक गायत्री मंत्र का जप किया जा चुका है।

अखण्ड ज्योति पत्रिका

इसका आरंभ सन् 1938 में पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा किया गया था। पत्रिका का मुख्य उद्देश्य— वैज्ञानिक आध्यात्मिकता और 21वीं शताब्दी के धर्म, अर्थात वैज्ञानिक धर्म को बढ़ावा देना है।

गायत्री मन्त्र

दृढ़ निष्ठा से सतत गायत्री साधना करने से मन (अंतःकरण) तीव्र गति और चामत्कारिक प्रकार से पवित्र, निर्मल, व्यवस्थित और स्थिर होता है, जिससे साधक अपने बाह्य भौतिक जीवन की गंभीर परीक्षाओं एवं समस्याओं से जूझते हुए भी अटल आतंरिक शांति और आनंद की अनुभूति करता है।

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

मुझे ज्ञात है कि इस विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता सेनानी और लगभग ३००० पुस्तकों के लेखक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यजी के स्वप्न को साकार रूप दिया है। इन्हें भारत में ज्ञान क्रांति का प्रवर्तक कहना उपयुक्त होगा। आचार्यश्री का विचार था कि अज्ञानता ही निर्धनता और बीमारी आदि सभी समस्याओं की जड़ है।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक)

आचार्य जी का एकाकी पुरुषार्थ सारे संत समाज की सम्मिलित शक्ति के स्तर का है, उनने गायत्री व यज्ञ को प्रतिबंध रहित करने निमित्त जो कुछ भी किया वह शास्त्रों के अनुसार ही था। मेरा उन्हें बारम्बार नमन है।

स्वामी जयेन्द्रतीर्थ सरस्वती (शंकराचार्य कांची कामकोटि पीठ)

श्रद्धेय आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने जो कार्य कर दिखाया वह अद्भुत है, युग के लिए नितांत आवश्यक है। आचार्य जी के साहित्य से मैं बहुत प्रभावित हूँ। प्रज्ञा पुराण ने विशेष रूप से मुझे अपने कार्यों में बहुत बल प्रदान किया है। उनका चिंतन राष्ट्र को शक्तिशाली बनाता और मानव मात्र को सही दिशा प्रदान करता है।

श्री नानाजी देशमुख (संस्थापक ग्रामोदय विश्वविद्यालय)

आचार्य जी द्वारा भाष्य किए गए उपनिषदों का स्वाध्याय करने के बाद उन्होंने कहा कि- ‘‘काश! यह साहित्य मुझे जवानी में मिल गया होता तो मेरे जीवन की दिशाधारा कुछ और ही होती; मैं राजनीति में न जाकर आचार्य श्री के चरणों में बैठा अध्यात्म का ज्ञान ले रहा होता।’’

सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन्

विनोबा जी ने वेदों के पूज्यवर द्वारा किए गए भाष्य को ग्वालियर मेंं एक सार्वजनिक सभा में अपने सिर पर धारण करते हुए कहा- "ये ग्रन्थ किसी व्यक्ति द्वारा नहीं, शक्ति द्वारा लिखे गये हैं।"

आचार्य विनोबा भावे

सुप्रसिद्ध सन्त देवरहा बाबा एक सिद्ध पुरुष थे। उनने एक परिजन से कहा- ‘‘बेटा! उनके बारे में मैं क्या कहूँ? यह समझो कि मैं हृदय से सतत उनका स्मरण करता रहता हूँ। गायत्री उनमें पूर्णतः समा गयी है एवं वे साक्षात् सविता स्वरूप हैं।’’

देवरहा बाबा

‘‘आचार्यश्री ने गायत्री को जन-जन की बनाकर महर्षि दयानन्द के कार्यों को आगे बढ़ाया है। गायत्री और ये एकरूप हो गये हैं।’’

महात्मा आनन्द स्वामी

अपने भावभरे उद्गार पूज्यवर के सम्बन्ध में इस रूप में व्यक्त किए थे- ‘‘आचार्य जी इस युग में गायत्री के जनक हैं। उनने गायत्री को सबकी बना दिया। यदि इसे मात्र ब्राह्मणों की मानकर उन्हीं के भरोसे छोड़ दिया होता तो अब तक गायत्री महाविद्या सम्भवतः लुप्त हो गयी होती।’’

करपात्री जी महाराज