आत्मचिंतन के क्षण...

आत्म निरीक्षण और विचार पद्धति का कार्य उसी प्रकार चलाना चाहिए जिस प्रकार साहूकार अपनी आय और व्यय का ...

April 29, 2024, 12:46 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

आत्म-निर्माण के कार्य में सत्संग निःसन्देह सहायक होता है किन्तु आज की परिस्थितियों में इस क्षेत्र मे...

April 29, 2024, 12:43 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

मनुष्य अपनी वरिष्ठता का कारण अपने वैभव- पुरुषार्थ, बुद्धिबल- धनबल को मानता है, जबकि यह मान्यता नितान...

April 29, 2024, 12:40 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

ईश्वर उपासना मानव जीवन की अत्यन्त महत्वपूर्ण आवश्यकता है। आत्मिक स्तर को सुविकसित, सुरक्षित एवं व्यव...

April 29, 2024, 12:36 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

जो अपनी पैतृक सम्पत्ति को जान लेता है, अपने वंश के गुण, ऐश्वर्य, शक्ति,सामर्थ्य आदि से पूर्ण परिचित ...

April 29, 2024, 12:32 p.m.

रचनात्मक आन्दोलनों के प्रति जन...

यह यज्ञभाव को जनजीवन में उतारने का चुनौतीपूर्ण समय है  विगत आश्विन नवरात्र के बाद से अब तक का समय वि...

April 29, 2024, 10:27 a.m.

मनुष्य अनन्त शक्तियों का भाण्ड...

मनुष्य अनन्त शक्तियों का भाण्डागार है। ये शक्तियाँ ही जीवन के उत्कर्ष का आधार हैं। शारीरिक, मानसिक, ...

April 29, 2024, 9:59 a.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

जीवन का लक्ष्य खाओ पीओ मौज करो के अतिरिक्त कुछ और ही रहा होगा यदि हमने अपना अवतरण ईश्वर के सहायक सहय...

April 28, 2024, 4:52 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

एकाँगी उपासना का क्षेत्र विकसित कर अपना अहंकार बढ़ाने वाले व्यक्ति , ईश्वर के सच्चे भक्त नहीं कहे जा...

April 28, 2024, 4:36 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

किसी एक समुदाय के विचार किसी दूसरे समुदाय के विरुद्ध हो सकते हैं। किसी एक वर्ग का आहार -विहार दूसरे ...

April 28, 2024, 4:30 p.m.

ज्योतिकलश यात्रा - SUVIDHA , S...

शांतिकुंज द्वारा संचालित ज्योतिकलश यात्रा अभियान के तहत एक ज्योतिकलश रथ गाँव SUVIDHA , SABAR KANTHA,...

April 30, 2024, 7:50 p.m.

ज्योतिकलश यात्रा - NAVA, SABAR...

शांतिकुंज द्वारा संचालित ज्योतिकलश यात्रा अभियान के तहत एक ज्योतिकलश रथ गाँव NAVA, SABAR KANTHA, GUJ...

April 30, 2024, 6:50 p.m.

ज्योतिकलश यात्रा - PRAGNPITH K...

गाँव PRAGNPITH KANKANOL, SABAR KANTHA, GUJARAT में धूमधाम से मनाई गई ज्योतिकलश स्थापना 30/0...

April 30, 2024, 6:10 p.m.

ज्योतिकलश यात्रा - HADIYOL, SA...

30/04/2024 को, अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज द्वारा संचालित ज्योतिकलश यात्रा अभियान ने गाँव HA...

April 30, 2024, 4:50 p.m.

ज्योतिकलश यात्रा - GADHODA, SA...

30/04/2024 को, शांतिकुंज द्वारा चलायी जा रही ज्योतिकलश यात्रा के अंतर्गत गाँव GADHODA, SABAR KANTHA,...

April 30, 2024, 4:20 p.m.

ज्योतिकलश यात्रा - AKODRA, SAB...

अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज द्वारा संचालित ज्योतिकलश यात्रा अभियान के अंतर्गत सभी गाँव से सं...

April 30, 2024, 3:40 p.m.

ज्योतिकलश यात्रा - MANORPUR, S...

शांतिकुंज ज्योतिकलश यात्रा: गाँव MANORPUR में वैचारिक परिवर्तन का प्रारंभ 30/04/2024 को, गा...

April 30, 2024, noon

ज्योतिकलश यात्रा - RUPAL, SABA...

अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज द्वारा संचालित ज्योतिकलश यात्रा अभियान के अंतर्गत सभी गाँव से सं...

April 30, 2024, 11:20 a.m.

ज्योतिकलश यात्रा - NADARI, SAB...

शांतिकुंज ज्योतिकलश यात्रा: गाँव NADARI में वैचारिक परिवर्तन का प्रारंभ 30/04/2024 को, गाँव...

April 30, 2024, 10:20 a.m.

ज्योतिकलश यात्रा - RAIYGADH, S...

30/04/2024 को, अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज द्वारा संचालित ज्योतिकलश यात्रा अभियान ने गाँव RA...

April 30, 2024, 9:20 a.m.
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गुरुदेव से प्रथम भेंट

15 वर्ष की आयु में— बसंत पंचमी पर्व सन् 1926 को स्वगृह— आँवलखेड़ा (आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत) में पूजास्थल में ही दादागुरु स्वामी सर्वेश्वरानन्द जी के दर्शन एवं मार्गदर्शन के साथ-ही-साथ आत्मसाक्षात्कार हुआ।

अखण्ड दीपक

सन् 1926 से निरंतर प्रज्वलित दीपक, जिसके सान्निध्य में परम पूज्य गुरुदेव श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने 24-24 लक्ष के चौबीस गायत्री महापुरश्चरण संपन्न किए, आज भी इसके बस एक झलक भर प्राप्त कर लेने से ही लोगों को दैवीय प्रेरणा और आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है। इसके सान्निध्य में अब तक 2400 करोड़ से भी अधिक गायत्री मंत्र का जप किया जा चुका है।

अखण्ड ज्योति पत्रिका

इसका आरंभ सन् 1938 में पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा किया गया था। पत्रिका का मुख्य उद्देश्य— वैज्ञानिक आध्यात्मिकता और 21वीं शताब्दी के धर्म, अर्थात वैज्ञानिक धर्म को बढ़ावा देना है।

गायत्री मन्त्र

दृढ़ निष्ठा से सतत गायत्री साधना करने से मन (अंतःकरण) तीव्र गति और चामत्कारिक प्रकार से पवित्र, निर्मल, व्यवस्थित और स्थिर होता है, जिससे साधक अपने बाह्य भौतिक जीवन की गंभीर परीक्षाओं एवं समस्याओं से जूझते हुए भी अटल आतंरिक शांति और आनंद की अनुभूति करता है।

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

मुझे ज्ञात है कि इस विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता सेनानी और लगभग ३००० पुस्तकों के लेखक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यजी के स्वप्न को साकार रूप दिया है। इन्हें भारत में ज्ञान क्रांति का प्रवर्तक कहना उपयुक्त होगा। आचार्यश्री का विचार था कि अज्ञानता ही निर्धनता और बीमारी आदि सभी समस्याओं की जड़ है।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक)

आचार्य जी का एकाकी पुरुषार्थ सारे संत समाज की सम्मिलित शक्ति के स्तर का है, उनने गायत्री व यज्ञ को प्रतिबंध रहित करने निमित्त जो कुछ भी किया वह शास्त्रों के अनुसार ही था। मेरा उन्हें बारम्बार नमन है।

स्वामी जयेन्द्रतीर्थ सरस्वती (शंकराचार्य कांची कामकोटि पीठ)

श्रद्धेय आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने जो कार्य कर दिखाया वह अद्भुत है, युग के लिए नितांत आवश्यक है। आचार्य जी के साहित्य से मैं बहुत प्रभावित हूँ। प्रज्ञा पुराण ने विशेष रूप से मुझे अपने कार्यों में बहुत बल प्रदान किया है। उनका चिंतन राष्ट्र को शक्तिशाली बनाता और मानव मात्र को सही दिशा प्रदान करता है।

श्री नानाजी देशमुख (संस्थापक ग्रामोदय विश्वविद्यालय)

आचार्य जी द्वारा भाष्य किए गए उपनिषदों का स्वाध्याय करने के बाद उन्होंने कहा कि- ‘‘काश! यह साहित्य मुझे जवानी में मिल गया होता तो मेरे जीवन की दिशाधारा कुछ और ही होती; मैं राजनीति में न जाकर आचार्य श्री के चरणों में बैठा अध्यात्म का ज्ञान ले रहा होता।’’

सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन्

विनोबा जी ने वेदों के पूज्यवर द्वारा किए गए भाष्य को ग्वालियर मेंं एक सार्वजनिक सभा में अपने सिर पर धारण करते हुए कहा- "ये ग्रन्थ किसी व्यक्ति द्वारा नहीं, शक्ति द्वारा लिखे गये हैं।"

आचार्य विनोबा भावे

सुप्रसिद्ध सन्त देवरहा बाबा एक सिद्ध पुरुष थे। उनने एक परिजन से कहा- ‘‘बेटा! उनके बारे में मैं क्या कहूँ? यह समझो कि मैं हृदय से सतत उनका स्मरण करता रहता हूँ। गायत्री उनमें पूर्णतः समा गयी है एवं वे साक्षात् सविता स्वरूप हैं।’’

देवरहा बाबा

‘‘आचार्यश्री ने गायत्री को जन-जन की बनाकर महर्षि दयानन्द के कार्यों को आगे बढ़ाया है। गायत्री और ये एकरूप हो गये हैं।’’

महात्मा आनन्द स्वामी

अपने भावभरे उद्गार पूज्यवर के सम्बन्ध में इस रूप में व्यक्त किए थे- ‘‘आचार्य जी इस युग में गायत्री के जनक हैं। उनने गायत्री को सबकी बना दिया। यदि इसे मात्र ब्राह्मणों की मानकर उन्हीं के भरोसे छोड़ दिया होता तो अब तक गायत्री महाविद्या सम्भवतः लुप्त हो गयी होती।’’

करपात्री जी महाराज