आत्मचिंतन के क्षण...

सेवक कभी अपने मन में ऐसा भाव नहीं लाता कि वह सेवक है। वह अपने स्वामी अथवा सेव्य का आभार मानता है कि ...

April 26, 2024, 12:51 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

जहाँ मन और आत्मा का एकीकरण होता है, जहाँ जीव का इच्छा रुचि एवं कार्य प्रणाली विश्वात्मा की इच्छा रुच...

April 26, 2024, 12:47 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

कठिनाइयाँ एक ऐसी खराद की तरह है, जो मनुष्य के व्यक्तित्व को तराश कर चमका दिया करती है। कठिनाइयों से ...

April 25, 2024, 5:40 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

बुद्धि जीवन यापन के लिए साधन एकत्रित कर सकती है,गुत्थियों को सुलझा सकती है, किन्तु जीवन की उच्चतम भू...

April 25, 2024, 5:36 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

संसार में बहुत से प्राणी हैं। बड़े विचित्र विचित्र प्राणी हैं, मछलियां, चमगादड़, गिरगिट इत्यादि। इनम...

April 25, 2024, 5:32 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

अपने माता-पिता गुरुजनों आदि के साथ मीठी भाषा बोलें, सभ्यता पूर्ण व्यवहार करें। प्रायः लोग अपने आपको...

April 25, 2024, 5:28 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

चाहे व्यक्तिगत समृद्धि की बात हो, चाहे समूहगत सम्पन्नता का विषय हो, उपाय एक ही है, लोगों का वर्तमान ...

April 25, 2024, 5:24 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

साधु-ब्राह्मणों का यह एक परम पवित्र कर्त्तव्य है कि इस समय जिस धर्म के आश्रय में वे अपनी आजीविका चला...

April 25, 2024, 5:19 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

परिवार बसा लेना आसान है, लोग आये दिन बसाते ही रहते हैं, उसका पालन भी कोई विशेष कठिन नहीं। सभी उसका प...

April 25, 2024, 5:08 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

मन और अन्त:करण की एकता में, दोनों के मिलन में ही सुख है। इसी को योगिक शब्दावली में आत्मा और परमात्मा...

April 25, 2024, 5:03 p.m.

परीक्षा के लिए बच्चों का मार्ग...

झारा, महासमुन्द। छत्तीसगढ़ गायत्री परिवार के युवा प्रकोष्ठ ने शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय झारा मे...

April 26, 2024, 12:30 p.m.

भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा ...

जोबट, अलीराजपुर। म.प्रदेश अलीराजपुर जिले के 18219 छात्र-छात्राओं ने विगत वर्ष आयोजित भारतीय संस्कृति...

April 26, 2024, 12:25 p.m.

मुम्बई अश्वमेध महायज्ञ का अनुय...

महाविद्यालय के साथ एम.ओ.यू.  मुम्बई। महाराष्ट्र मुंबई अश्वमेध महायज्ञ के अनुयाज के अंतर्गत भारती विद...

April 26, 2024, 11:46 a.m.

आत्मीयता संवर्धन एवं कार्यकर्त...

ग्राम तीर्थ प्रव्रज्या एवं कार्यकर्त्ताओं के योगदान का सम्मान पाटन, दुर्ग। छत्तीसगढ़ दिनांक 17 मार्च ...

April 26, 2024, 11:39 a.m.

महाशिवरात्रि पर्व के संग जुड़े ...

महिलाओं का सम्मान हटा, दमोह। मध्य प्रदेश महाशिवरात्रि के महापर्व पर गायत्री शक्तिपीठ के अन्तर्गत समी...

April 26, 2024, 11:27 a.m.

वृद्धजनों एवं सक्रिय कार्यकर्त...

जमशेदपुर। झारखण्ड गायत्री परिवार टाटानगर ने गायत्री ज्ञान मंदिर भालूबासा में नारी शशक्तिकरण दीपयज्ञ ...

April 26, 2024, 11:16 a.m.

यज्ञ एक समग्र उपचार प्रक्रिया ...

उज्जैन। मध्य प्रदेश यज्ञ भारतीय मनीषियों की एक विशिष्ट देन है। इसकी महत्ता को देखते हुए इसे मानव जीव...

April 26, 2024, 11:11 a.m.

मातृशक्ति दिवस पर गायत्री परिव...

विविध कार्यक्रमों के माध्यम से नारी जागरण का शंखनाद गायत्री यज्ञ सहित सभी कार्यक्रमों का संयोजन, संच...

April 26, 2024, 11:04 a.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

साधु-ब्राह्मणों का यह एक परम पवित्र कर्त्तव्य है कि इस समय जिस धर्म के आश्रय में वे अपनी आजीविका चला...

April 25, 2024, 5:19 p.m.

ज्योतिकलश यात्रा - EKALARA, SA...

अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज द्वारा संचालित ज्योतिकलश यात्रा अभियान के अंतर्गत सभी गाँव से सं...

April 25, 2024, 4:31 p.m.
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गुरुदेव से प्रथम भेंट

15 वर्ष की आयु में— बसंत पंचमी पर्व सन् 1926 को स्वगृह— आँवलखेड़ा (आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत) में पूजास्थल में ही दादागुरु स्वामी सर्वेश्वरानन्द जी के दर्शन एवं मार्गदर्शन के साथ-ही-साथ आत्मसाक्षात्कार हुआ।

अखण्ड दीपक

सन् 1926 से निरंतर प्रज्वलित दीपक, जिसके सान्निध्य में परम पूज्य गुरुदेव श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने 24-24 लक्ष के चौबीस गायत्री महापुरश्चरण संपन्न किए, आज भी इसके बस एक झलक भर प्राप्त कर लेने से ही लोगों को दैवीय प्रेरणा और आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है। इसके सान्निध्य में अब तक 2400 करोड़ से भी अधिक गायत्री मंत्र का जप किया जा चुका है।

अखण्ड ज्योति पत्रिका

इसका आरंभ सन् 1938 में पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा किया गया था। पत्रिका का मुख्य उद्देश्य— वैज्ञानिक आध्यात्मिकता और 21वीं शताब्दी के धर्म, अर्थात वैज्ञानिक धर्म को बढ़ावा देना है।

गायत्री मन्त्र

दृढ़ निष्ठा से सतत गायत्री साधना करने से मन (अंतःकरण) तीव्र गति और चामत्कारिक प्रकार से पवित्र, निर्मल, व्यवस्थित और स्थिर होता है, जिससे साधक अपने बाह्य भौतिक जीवन की गंभीर परीक्षाओं एवं समस्याओं से जूझते हुए भी अटल आतंरिक शांति और आनंद की अनुभूति करता है।

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

मुझे ज्ञात है कि इस विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता सेनानी और लगभग ३००० पुस्तकों के लेखक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यजी के स्वप्न को साकार रूप दिया है। इन्हें भारत में ज्ञान क्रांति का प्रवर्तक कहना उपयुक्त होगा। आचार्यश्री का विचार था कि अज्ञानता ही निर्धनता और बीमारी आदि सभी समस्याओं की जड़ है।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक)

आचार्य जी का एकाकी पुरुषार्थ सारे संत समाज की सम्मिलित शक्ति के स्तर का है, उनने गायत्री व यज्ञ को प्रतिबंध रहित करने निमित्त जो कुछ भी किया वह शास्त्रों के अनुसार ही था। मेरा उन्हें बारम्बार नमन है।

स्वामी जयेन्द्रतीर्थ सरस्वती (शंकराचार्य कांची कामकोटि पीठ)

श्रद्धेय आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने जो कार्य कर दिखाया वह अद्भुत है, युग के लिए नितांत आवश्यक है। आचार्य जी के साहित्य से मैं बहुत प्रभावित हूँ। प्रज्ञा पुराण ने विशेष रूप से मुझे अपने कार्यों में बहुत बल प्रदान किया है। उनका चिंतन राष्ट्र को शक्तिशाली बनाता और मानव मात्र को सही दिशा प्रदान करता है।

श्री नानाजी देशमुख (संस्थापक ग्रामोदय विश्वविद्यालय)

आचार्य जी द्वारा भाष्य किए गए उपनिषदों का स्वाध्याय करने के बाद उन्होंने कहा कि- ‘‘काश! यह साहित्य मुझे जवानी में मिल गया होता तो मेरे जीवन की दिशाधारा कुछ और ही होती; मैं राजनीति में न जाकर आचार्य श्री के चरणों में बैठा अध्यात्म का ज्ञान ले रहा होता।’’

सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन्

विनोबा जी ने वेदों के पूज्यवर द्वारा किए गए भाष्य को ग्वालियर मेंं एक सार्वजनिक सभा में अपने सिर पर धारण करते हुए कहा- "ये ग्रन्थ किसी व्यक्ति द्वारा नहीं, शक्ति द्वारा लिखे गये हैं।"

आचार्य विनोबा भावे

सुप्रसिद्ध सन्त देवरहा बाबा एक सिद्ध पुरुष थे। उनने एक परिजन से कहा- ‘‘बेटा! उनके बारे में मैं क्या कहूँ? यह समझो कि मैं हृदय से सतत उनका स्मरण करता रहता हूँ। गायत्री उनमें पूर्णतः समा गयी है एवं वे साक्षात् सविता स्वरूप हैं।’’

देवरहा बाबा

‘‘आचार्यश्री ने गायत्री को जन-जन की बनाकर महर्षि दयानन्द के कार्यों को आगे बढ़ाया है। गायत्री और ये एकरूप हो गये हैं।’’

महात्मा आनन्द स्वामी

अपने भावभरे उद्गार पूज्यवर के सम्बन्ध में इस रूप में व्यक्त किए थे- ‘‘आचार्य जी इस युग में गायत्री के जनक हैं। उनने गायत्री को सबकी बना दिया। यदि इसे मात्र ब्राह्मणों की मानकर उन्हीं के भरोसे छोड़ दिया होता तो अब तक गायत्री महाविद्या सम्भवतः लुप्त हो गयी होती।’’

करपात्री जी महाराज