महाकाल और युग प्रत्यावर्तन प्र...

शांतिकुंज रामकृष्ण परमहँस हॉल में स्वाध्याय संदोह विषय पर दिनांक 20 मार्च से 24 मार्च तक महाकाल और य...

March 28, 2024, 10:12 a.m.

यदि कोई आप को महत्त्व न दे, तो...

इस संसार में व्यक्ति अकेला नहीं जी  सकता, क्योंकि उसमें इतना शक्ति सामर्थ्य नहीं है, कि वह अपने सारे...

March 28, 2024, 10:10 a.m.

विचार करें...........

माँ एक-एक भिंडी को प्यार से धोते पोंछते हुये वह काट रही थी छोटे-छोटे टुकड़ों में, फिर अचानक एक भिंडी...

March 28, 2024, 10:08 a.m.

Prem Aur Permeshwar प्रेम और प...

प्रत्येक प्राणी में परमात्मा का निवास है। इस घट-घट वासी परमात्मा का जो दर्शन कर सके समझना चाहिए कि उ...

March 28, 2024, 10:06 a.m.

Man Ka Samadhan मन का समाधान...

उपासना का अर्थ मात्र देवालय बना देना नहीं है। वैसा जीवन भी जीना होता है, तभी वह सफल है। चित्रगुप्त ...

March 28, 2024, 10:05 a.m.

अनाचार से कैसे निपटें? (भाग १)...

कीचड़ में कमल उगना एक सुयोग है। आमतौर से उसमें गंदे कीड़े ही कुलबुलाते रहते हैं। जिन्होंने लोकप्रवाह म...

March 28, 2024, 10:03 a.m.

राष्ट्र की प्रगति का मूल आधार-...

मनुष्य की सर्वोपरि सम्पदा उसकी चरित्रनिष्ठा है। यह एक ऐसा शब्द है, जो मानव के सम्पूर्ण व्यक्तित्व का...

March 28, 2024, 9:53 a.m.

शांतिकुंज व देसंविवि में उत्सा...

हरिद्वार 26 मार्च। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय तथा गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में रंग, गुलाल और अबीर से ए...

March 26, 2024, 10:37 p.m.

एकान्त सेवन करो...

मनुष्य वास्तव में अकेला है। अकेला ही आया है और अकेला ही जायगा। इच्छा करके वह अकेला बहुत हो जाता है। ...

March 26, 2024, 10:49 a.m.

मन—बुद्धि—चित्त अहंकार का परिष...

संसार की हर वस्तु नाशवान है—मनुष्य का शरीर भी। किन्तु इन नाश होने वाली वस्तुओं में मनुष्य-जीवन सबसे ...

March 26, 2024, 10:47 a.m.

महाकाल और युग प्रत्यावर्तन प्र...

शांतिकुंज रामकृष्ण परमहँस हॉल में स्वाध्याय संदोह विषय पर दिनांक 20 मार्च से 24 मार्च तक महाकाल और य...

March 28, 2024, 10:12 a.m.

शांतिकुंज व देसंविवि में उत्सा...

हरिद्वार 26 मार्च। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय तथा गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में रंग, गुलाल और अबीर से ए...

March 26, 2024, 10:37 p.m.

होली के अवसर पर अश्लीलता निवार...

जयपुर,राजस्थान। गायत्री चेतना केन्द्र मुरलीपुरा और गायत्री शक्तिपीठ कालवाड़ की ओर से रविवार को साप्त...

March 26, 2024, 10:45 a.m.

गाँव गाँव में मातृशक्ति अखंड ...

यात्रा का मूल उद्देश्य यज्ञ एवं संस्कारों से जन-जन को जोड़कर देव मानवों का निर्माण करना है-गायत्री पर...

March 25, 2024, 2:18 p.m.

खूंटी झारखण्ड में भव्य मंगल कल...

खूंटी, 21 मार्च। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के दिशा निर्देश पर गायत्री परिवार खूंट...

March 25, 2024, 2:07 p.m.

गुजरात व एनसीआर में 9 अप्रैल स...

संकल्प के साथ आगे बढ़ने का समय ःआदरणीय डॉ चिन्मय पंड्या   हरिद्वार, 22 मार्च। देव संस्कृति विश्वविद्य...

March 25, 2024, 10:56 a.m.

राष्ट्रीय सेवा योजना का सात दि...

हरिद्वार, 23  मार्च। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के अंतर्गत सात दिवसीय विशेष श...

March 25, 2024, 10:51 a.m.

देसंविवि में वैज्ञानिक अध्यात्...

कार्यशाला में 80 शोध पत्र पढ़े गये, प्रतिभागियों को किया गया सम्माानित हरिद्वार 22 मार्च। देव संस्कृत...

March 25, 2024, 10:41 a.m.

शांतिकुंज में खेल प्रतिभा परिष...

हरिद्वार, 23  मार्च। गायत्री परिवार के केन्द्र शांतिकुंज में दो दिवसीय खेल प्रतिभा परिष्कार महोत्सव-...

March 25, 2024, 10:32 a.m.

दुबई में गुरूचेतना के सान्निध्...

आबूधाबी प्रवास के बाद आदरणीय डॉक्टर चिन्मय पण्ड्या जी दुबई में अपने परिजनों के बीच पहुँचे। उल्लेखनीय...

March 24, 2024, 3:54 p.m.
as

First Meeting With Guru

At the age of 15- Self-realization on Basant Panchanmi Parva 1926 at Anwalkheda (Agra, UP, India), with darshan and guidance from Swami Sarveshwaranandaji.

Akhand Deep

More than 2400 crore Gayatri Mantra have been chanted so far in its presence. Just by taking a glimpse of this eternal flame, people receive divine inspirations and inner strength.

Akhand Jyoti Magazine

It was started in 1938 by Pt. Shriram Sharma Acharya. The main objective of the magazine is to promote scientific spirituality and the religion of 21st century, that is, scientific religion.

Gayatri Mantra

The effect of sincere and steadfast Gayatri Sadhana is swift and miraculous in purifying, harmonizing and steadying the mind and thus establishing unshakable inner peace and a sense of joy filled calm even in the face of grave trials and tribulations in the outer life of the Sadhak.

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

मुझे ज्ञात है कि इस विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता सेनानी और लगभग ३००० पुस्तकों के लेखक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यजी के स्वप्न को साकार रूप दिया है। इन्हें भारत में ज्ञान क्रांति का प्रवर्तक कहना उपयुक्त होगा। आचार्यश्री का विचार था कि अज्ञानता ही निर्धनता और बीमारी आदि सभी समस्याओं की जड़ है।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक)

आचार्य जी का एकाकी पुरुषार्थ सारे संत समाज की सम्मिलित शक्ति के स्तर का है, उनने गायत्री व यज्ञ को प्रतिबंध रहित करने निमित्त जो कुछ भी किया वह शास्त्रों के अनुसार ही था। मेरा उन्हें बारम्बार नमन है।

स्वामी जयेन्द्रतीर्थ सरस्वती (शंकराचार्य कांची कामकोटि पीठ)

श्रद्धेय आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने जो कार्य कर दिखाया वह अद्भुत है, युग के लिए नितांत आवश्यक है। आचार्य जी के साहित्य से मैं बहुत प्रभावित हूँ। प्रज्ञा पुराण ने विशेष रूप से मुझे अपने कार्यों में बहुत बल प्रदान किया है। उनका चिंतन राष्ट्र को शक्तिशाली बनाता और मानव मात्र को सही दिशा प्रदान करता है।

श्री नानाजी देशमुख (संस्थापक ग्रामोदय विश्वविद्यालय)

आचार्य जी द्वारा भाष्य किए गए उपनिषदों का स्वाध्याय करने के बाद उन्होंने कहा कि- ‘‘काश! यह साहित्य मुझे जवानी में मिल गया होता तो मेरे जीवन की दिशाधारा कुछ और ही होती; मैं राजनीति में न जाकर आचार्य श्री के चरणों में बैठा अध्यात्म का ज्ञान ले रहा होता।’’

सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन्

विनोबा जी ने वेदों के पूज्यवर द्वारा किए गए भाष्य को ग्वालियर मेंं एक सार्वजनिक सभा में अपने सिर पर धारण करते हुए कहा- "ये ग्रन्थ किसी व्यक्ति द्वारा नहीं, शक्ति द्वारा लिखे गये हैं।"

आचार्य विनोबा भावे

सुप्रसिद्ध सन्त देवरहा बाबा एक सिद्ध पुरुष थे। उनने एक परिजन से कहा- ‘‘बेटा! उनके बारे में मैं क्या कहूँ? यह समझो कि मैं हृदय से सतत उनका स्मरण करता रहता हूँ। गायत्री उनमें पूर्णतः समा गयी है एवं वे साक्षात् सविता स्वरूप हैं।’’

देवरहा बाबा

‘‘आचार्यश्री ने गायत्री को जन-जन की बनाकर महर्षि दयानन्द के कार्यों को आगे बढ़ाया है। गायत्री और ये एकरूप हो गये हैं।’’

महात्मा आनन्द स्वामी

अपने भावभरे उद्गार पूज्यवर के सम्बन्ध में इस रूप में व्यक्त किए थे- ‘‘आचार्य जी इस युग में गायत्री के जनक हैं। उनने गायत्री को सबकी बना दिया। यदि इसे मात्र ब्राह्मणों की मानकर उन्हीं के भरोसे छोड़ दिया होता तो अब तक गायत्री महाविद्या सम्भवतः लुप्त हो गयी होती।’’

करपात्री जी महाराज