आत्मचिंतन के क्षण...

जीवन का लक्ष्य खाओ पीओ मौज करो के अतिरिक्त कुछ और ही रहा होगा यदि हमने अपना अवतरण ईश्वर के सहायक सहय...

April 28, 2024, 4:52 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

एकाँगी उपासना का क्षेत्र विकसित कर अपना अहंकार बढ़ाने वाले व्यक्ति , ईश्वर के सच्चे भक्त नहीं कहे जा...

April 28, 2024, 4:36 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

किसी एक समुदाय के विचार किसी दूसरे समुदाय के विरुद्ध हो सकते हैं। किसी एक वर्ग का आहार -विहार दूसरे ...

April 28, 2024, 4:30 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

मनुष्य कितना दीन-हीन, स्वल्प शक्ति वाला, कमजोर प्राणी है, यह प्रतिदिन के उसके जीवन से पता चलता है। उ...

April 28, 2024, 4:19 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

जीवन में उदासी, खिन्नता एवं अप्रसन्नता के वास्तविक कारण बहुत कम ही होते हैं, अधिकाँश का कारण घबराहट ...

April 28, 2024, 4:16 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

अपनी योग्यताओं का उपयोग लोग साँसारिक सुखोपभोग के साधन प्राप्त करने में भी कर सकते हैं किन्तु धन, स्त...

April 28, 2024, 4:08 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

मनुष्य बड़ा उतावला प्राणी है। तत्काल लाभ प्राप्त करने की उसकी बड़ी इच्छा होती है। सफलता के परिपाक के...

April 28, 2024, 4:04 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

सेवा करने का अपना महत्व है किन्तु सेवा के स्वरूप का भी महत्व कम नहीं है। कौन सेवा, जनता जनार्दन के म...

April 28, 2024, 4 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

दूसरों की निन्दा सुनना हानिकारक है। क्योंकि वह झूठी हो तो व्यर्थ ही मन में भ्रम और दुर्भाव पैदा होकर...

April 28, 2024, 3:56 p.m.

आत्मचिंतन के क्षण...

यदि तुम एक विद्वान बनने की चेष्टा कर रहे हो तो अपने आपको एक विद्वान की ही भाँति रखो वैसा ही वातावरण ...

April 28, 2024, 3:52 p.m.

शांतिकुंज में मलयाली परिजनों क...

दुबई सहित देश के विभिन्न प्रांतों से पहुंचे प्रतिभागी, शिविर में हुए कुल 28 सत्र हरिद्वार, 28 अप्रैल...

April 28, 2024, 3:42 p.m.

खेल प्रतिभा परिष्कार महोत्सव-2...

गायत्रीतीर्थ शान्तिकुञ्ज में होली की हर्षोल्लास भरी वेला में दो दिवसीय खेल  प्रतिभा परिष्कार महोत्सव...

April 28, 2024, 12:06 p.m.

जीवन में समाहित हों होली पर्व ...

परम्पर भेद मिटाने, प्रेम बढ़ाने का पर्व है होली - श्रद्धेय डॉ. प्रणव जी  शान्तिकुञ्ज तथा देव संस्कृति...

April 28, 2024, 11:58 a.m.

नवयुग के श्रीराम की जन्मभूमि ब...

भव्य, दिव्य सूर्य मंदिर का लाकार्पण हुआ होलिका दहन के पावन अवसर पर श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी एवं...

April 28, 2024, 11:48 a.m.

गुजरात तथा एनसीआर में प्रारंभ ...

संकल्प के साथ आगे बढ़ने का समय - डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी यह समय नये संकल्प के साथ आगे बढ़ने का समय है। द...

April 28, 2024, 11:40 a.m.

मुम्बई अश्वमेध महायज्ञ का अनुय...

नेरूल, ठाणे। महाराष्ट्र गायत्री परिवार नेरूल ने मुम्बई अश्वमेध महायज्ञ की ऊर्जा और युगऋषि के विचार क...

April 28, 2024, 11:33 a.m.

कार्यशाला : आओ गढ़ें संस्कारवान...

डोंगरगाँव, राजनांदगाँव। छत्तीसगढ़ गायत्री शक्तिपीठ डोंगरगाँव में 17 मार्च 2024 को ‘आओ गढ़ें संस्कारवान...

April 28, 2024, 11:27 a.m.

मैं हूँ निर्मात्री : (ऑनलाइन क...

जोधपुर। राजस्थान अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर दिया राजस्थान द्वारा नारी शक्ति (ऑनलाइन ) प्रति...

April 28, 2024, 11:23 a.m.

नारी शशक्तिकरण एवं व्यक्तित्व ...

180 बालिकाओं को अपनी संस्कृति के बहुमूल्य सूत्र सिखाये माकड़ौन, उज्जैन। मध्य प्रदेश इन दिनों शिक्षक, ...

April 28, 2024, 11:19 a.m.

कारागार में तीन दिवसीय पंच कुं...

हटा, दमोह। मध्य प्रदेश गायत्री शक्तिपीठ हटा शाखा ने पावन महाशिवरात्रि पर्व के उपलक्ष्य में स्थानीय उ...

April 28, 2024, 11:07 a.m.
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First Meeting With Guru

At the age of 15- Self-realization on Basant Panchanmi Parva 1926 at Anwalkheda (Agra, UP, India), with darshan and guidance from Swami Sarveshwaranandaji.

Akhand Deep

More than 2400 crore Gayatri Mantra have been chanted so far in its presence. Just by taking a glimpse of this eternal flame, people receive divine inspirations and inner strength.

Akhand Jyoti Magazine

It was started in 1938 by Pt. Shriram Sharma Acharya. The main objective of the magazine is to promote scientific spirituality and the religion of 21st century, that is, scientific religion.

Gayatri Mantra

The effect of sincere and steadfast Gayatri Sadhana is swift and miraculous in purifying, harmonizing and steadying the mind and thus establishing unshakable inner peace and a sense of joy filled calm even in the face of grave trials and tribulations in the outer life of the Sadhak.

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

 

मुझे ज्ञात है कि इस विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता सेनानी और लगभग ३००० पुस्तकों के लेखक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यजी के स्वप्न को साकार रूप दिया है। इन्हें भारत में ज्ञान क्रांति का प्रवर्तक कहना उपयुक्त होगा। आचार्यश्री का विचार था कि अज्ञानता ही निर्धनता और बीमारी आदि सभी समस्याओं की जड़ है।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक)

 

आचार्य जी का एकाकी पुरुषार्थ सारे संत समाज की सम्मिलित शक्ति के स्तर का है, उनने गायत्री व यज्ञ को प्रतिबंध रहित करने निमित्त जो कुछ भी किया वह शास्त्रों के अनुसार ही था। मेरा उन्हें बारम्बार नमन है।

स्वामी जयेन्द्रतीर्थ सरस्वती (शंकराचार्य कांची कामकोटि पीठ)

 

श्रद्धेय आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने जो कार्य कर दिखाया वह अद्भुत है, युग के लिए नितांत आवश्यक है। आचार्य जी के साहित्य से मैं बहुत प्रभावित हूँ। प्रज्ञा पुराण ने विशेष रूप से मुझे अपने कार्यों में बहुत बल प्रदान किया है। उनका चिंतन राष्ट्र को शक्तिशाली बनाता और मानव मात्र को सही दिशा प्रदान करता है।

श्री नानाजी देशमुख (संस्थापक ग्रामोदय विश्वविद्यालय)

 

आचार्य जी द्वारा भाष्य किए गए उपनिषदों का स्वाध्याय करने के बाद उन्होंने कहा कि- ‘‘काश! यह साहित्य मुझे जवानी में मिल गया होता तो मेरे जीवन की दिशाधारा कुछ और ही होती; मैं राजनीति में न जाकर आचार्य श्री के चरणों में बैठा अध्यात्म का ज्ञान ले रहा होता।’’

सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन्

 

विनोबा जी ने वेदों के पूज्यवर द्वारा किए गए भाष्य को ग्वालियर मेंं एक सार्वजनिक सभा में अपने सिर पर धारण करते हुए कहा- "ये ग्रन्थ किसी व्यक्ति द्वारा नहीं, शक्ति द्वारा लिखे गये हैं।"

आचार्य विनोबा भावे

 

सुप्रसिद्ध सन्त देवरहा बाबा एक सिद्ध पुरुष थे। उनने एक परिजन से कहा- ‘‘बेटा! उनके बारे में मैं क्या कहूँ? यह समझो कि मैं हृदय से सतत उनका स्मरण करता रहता हूँ। गायत्री उनमें पूर्णतः समा गयी है एवं वे साक्षात् सविता स्वरूप हैं।’’

देवरहा बाबा

 

‘‘आचार्यश्री ने गायत्री को जन-जन की बनाकर महर्षि दयानन्द के कार्यों को आगे बढ़ाया है। गायत्री और ये एकरूप हो गये हैं।’’

महात्मा आनन्द स्वामी

 

अपने भावभरे उद्गार पूज्यवर के सम्बन्ध में इस रूप में व्यक्त किए थे- ‘‘आचार्य जी इस युग में गायत्री के जनक हैं। उनने गायत्री को सबकी बना दिया। यदि इसे मात्र ब्राह्मणों की मानकर उन्हीं के भरोसे छोड़ दिया होता तो अब तक गायत्री महाविद्या सम्भवतः लुप्त हो गयी होती।’’

करपात्री जी महाराज