आने वाले दिनों में महायज्ञ के सकारात्मक परिणाम दिखेंगे
विकसित हुई वसुधैव कुटुंबकम् की भावना
पाँच दिनों तक चला गायत्री परिवार का विशाल अश्वमेध महायज्ञ मुख्यत: प्रेम यानी प्राणिमात्र से प्रेम, राष्ट्र से प्रेम के संदेश के साथ सम्पन्न हो गया। वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर भी कहना होगा कि यह महायज्ञ समयानुकूल था और तन-मन को स्वस्थ आहार देकर वसुधैव कुटुंबकम् की भावना को विकसित करने के लिहाज से मील का पत्थर साबित होगा।
यज्ञ मंत्राहुतियों से उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा
अश्वमेध यज्ञ के रूप में मिनी-कुंभ में पाँच दिनों के भीतर 2.4 करोड़ मंत्रयुक्त यज्ञ आहुतियों से अभूतपूर्व सकारात्मकता उत्पन्न हुई, जो आने वाले समय में देश और विशेष रूप से मुम्बई शहर के लिए शान्ति और समृद्धि में परिलक्षित होगी।
यज्ञ की वैज्ञानिकता का प्रभाव
इस यज्ञ की खास बात यह रही कि गायत्री परिवार ने इसे प्रचलित अनुष्ठान से अलग इसकी वैज्ञानिकता बतलाते हुए हर कार्य सम्पन्न कराया। नतीजा हुआ कि यज्ञ में भाग लेने वाले लोगों के मन में यज्ञ के परिणामों को लेकर स्पष्टता बनी रही। इससे यज्ञ ज्यादा ही प्रभावशाली बन पड़ा।
गायत्री परिवार की ओर से एक अमेरिकी वैज्ञानिक के शोध नतीजों का हवाला दिया गया। अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ. हॉवर्ड स्टिंगुल ने सिद्ध किया था कि गायत्री मंत्र के पाठ से प्रति सेकेंड 1,10,000 ध्वनि तरंगें पैदा होती हैं।
यज्ञ की वैज्ञानिकता ने युवावर्ग पर व्यापक प्रभाव डाला। खास बात यह रही कि महायज्ञ से आध्यात्मिक लाभ लेने वालों की संख्या ज्यादा थी। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में महायज्ञ के सकारात्मक परिणाम दिखेंगे।
पत्रकार का अभिमत : दैनिक पूर्वोदय के स्तंभ ‘उषाकाल’ में श्री किशोर कुमार के आलेख से साभार