• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • पाप कर्मों से बचते रहो!
    • जागृति-गान
    • जागृति-गान
    • दिवाली
    • आत्मा का साक्षात्कार
    • Quotation
    • श्री रामकृष्ण परमहंस के उपदेश
    • दत्तात्रेय के 24 गुरु
    • दुःख का कारण
    • प्रार्थना
    • Quotation
    • वैदिक कथाओं का रहस्य
    • Quotation
    • चरित्रवान चाहिये।
    • भाग्यवान और अभागे
    • Quotation
    • गुप्त बातों का जानना
    • सद्व्यवहार
    • क्या कर्म क्या अकर्म?
    • सत्य नारायण का व्रत
    • योगी के लिये सब कुछ संभव है।
    • वनस्पति घी चार आना सेर
    • देवी संपति
    • सोना पाने का अधिकारी
    • एक कदम नीचे
    • Quotation
    • बुरे विचारों का निवारण
    • कौन क्या कहता है?
    • कलियुग की अन्तिम घड़ी
    • सूक्ष्म शरीर की शक्ति
    • ध्येय की सिद्धि
    • भीरुता का अभिशाप
    • Quotation
    • निराश मत करिये
    • Quotation
    • कलियुग समाप्ति की साक्षियाँ
    • हजरत मुहम्मद साहब
    • सोना दो आना तोला
    • VigyapanSuchana
    • संयोग
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • पाप कर्मों से बचते रहो!
    • जागृति-गान
    • जागृति-गान
    • दिवाली
    • आत्मा का साक्षात्कार
    • Quotation
    • श्री रामकृष्ण परमहंस के उपदेश
    • दत्तात्रेय के 24 गुरु
    • दुःख का कारण
    • प्रार्थना
    • Quotation
    • वैदिक कथाओं का रहस्य
    • Quotation
    • चरित्रवान चाहिये।
    • भाग्यवान और अभागे
    • Quotation
    • गुप्त बातों का जानना
    • सद्व्यवहार
    • क्या कर्म क्या अकर्म?
    • सत्य नारायण का व्रत
    • योगी के लिये सब कुछ संभव है।
    • वनस्पति घी चार आना सेर
    • देवी संपति
    • सोना पाने का अधिकारी
    • एक कदम नीचे
    • Quotation
    • बुरे विचारों का निवारण
    • कौन क्या कहता है?
    • कलियुग की अन्तिम घड़ी
    • सूक्ष्म शरीर की शक्ति
    • ध्येय की सिद्धि
    • भीरुता का अभिशाप
    • Quotation
    • निराश मत करिये
    • Quotation
    • कलियुग समाप्ति की साक्षियाँ
    • हजरत मुहम्मद साहब
    • सोना दो आना तोला
    • VigyapanSuchana
    • संयोग
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1941 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


एक कदम नीचे

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 24 26 Last
(श्री मंगलचंद भंडारी, अजमेर)

एक स्थान पर दो तपस्वी रहते थे। दोनों ने बड़े प्रयत्न के साथ त्याग तपस्या और वैराग्य का अभ्यास किया था। दोनों इस बात का प्रयत्न करते रहते थे कि कहीं हमारा कदम नीचे की ओर न पड़े अन्यथा दिन-दिन नीचे की ओर ही गिरते जायेंगे।

एक दिन उनमें से एक तपस्वी कहीं बाहर जाने लगा। दूसरे ने उससे कहा मित्र आप जाते हैं, आपको तो मन बहलाने के लिए बहुत सी चीजें मिलेंगी, लेकिन मुझे इस जंगल में कुछ न मिलेगा। इसलिए आप अपनी गीता की पुस्तक मुझे दे जाइये मैं इस पढ़ कर दिन काटता रहूँगा। दूसरे ने उसकी बात स्वीकार कर ली और पुस्तक को उसे देकर चल दिया।

अकेला साधु अपनी कुटी में रहने लगा। एक दिन एक चूहा बिल में से निकला और उसने पुस्तक का एक कोना कुतर डाला। साधु ने जब यह देखा तो उसने सोचा कि कुटी में चूहे बढ़ने लगे हैं इनको रोकने के लिए एक बिल्ली पालनी चाहिये। साधु ने बिल्ली पाल ली। बिल्ली के लिए दूध की जरूरत पड़ी। साधु सोच ही रहे थे कि दूध का क्या प्रबंध करें। इतने में एक दानी महानुभाव ने दान में एक गौ भेज दी। साधु ने प्रसन्नतापूर्वक उसे स्वीकार कर लिया। अब तो साधु गौ को चराने लगे। उसका दूध खुद पीते रहते और बिल्ली को पिलाते, दिन मजे में कटने लगे, दूध पी पी कर साधु का शरीर खूब तगड़ा होने लगा।

एक दिन एक अनाथ स्त्री उधर जा निकली। उसने साधु से प्रार्थना की भगवान, मैं अनाथ हूँ, मेरी कोई सहायता नहीं करता। आप आज्ञा दें तो यहीं पड़ी रहा करूं, आपकी तथा इस गौ की सेवा किया करूंगी और जो कुछ बचा खुचा मिला करेगा उसी से अपना निर्वाह कर लिया करूंगी। साधु को उसका प्रस्ताव पसंद आ गया और उसे कुटी में आश्रय दे दिया। धीरे-धीरे दोनों की घनिष्ठता बढ़ने लगी और उन्होंने पति-पत्नी का सम्बंध स्थापित कर लिया। समयानुसार उसी स्त्री से कई बाल बच्चे पैदा हुए और उनके भरण पोषण की व्यवस्था के लिए गृहस्थी का सारा सामान इकट्ठा करना पड़ा।

बहुत दिन बाद जब वह साथी जो गीता दे गया था वापिस अपनी कुटी पर आया तो देखा कि वहाँ पूरी गृहस्थी का सामान इकट्ठा है। साधु ने देखते ही ताड़ लिया कि यह गीता के अण्डे बच्चे हैं।

उन्नति का मार्ग ऊंचाई का है। ऊपर चढ़ने के लिये बड़ा प्रयत्न करना पड़ता है और बहुत कठिनाइयाँ सामने आती हैं, किन्तु पतन का मार्ग बहुत सरल है। एक कदम नीचे की ओर रखने पर पाँव बराबर आगे को ही फिसलते जाते हैं। उच्च हिमालय के शिखर पर विराजमान स्फटिक सा स्वच्छ बर्फ जब पिघल कर नीचे की ओर कदम बढ़ाता है, तो क्रमशः नीचे उतरता पृथ्वी पर आ जाता है, और जैसे-जैसे आगे चलता जाता है, गंदे नदी नालों के संयोग से गंदला होता जाता है, यहाँ तक वह पतन के अन्तिम स्थान समुद्र में पहुँच कर दम लेता है और वहाँ उसका वह रूप हो जाता है कि मनुष्य तो क्या पशु पक्षी भी उसे न तो पीते हैं न पसंद करते हैं। साधु यदि गीता का लालच न करता तो उसे गृहस्थ क्यों बनना पड़ता। हमें चाहिये कि मन में जब कोई छोटी सी बुराई उत्पन्न हो तभी अपने को संभाल लें अन्यथा उसकी बेल फैल कर अन्त में बड़ी दुखदायी होगी।

First 24 26 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • पाप कर्मों से बचते रहो!
  • जागृति-गान
  • जागृति-गान
  • दिवाली
  • आत्मा का साक्षात्कार
  • Quotation
  • श्री रामकृष्ण परमहंस के उपदेश
  • दत्तात्रेय के 24 गुरु
  • दुःख का कारण
  • प्रार्थना
  • Quotation
  • वैदिक कथाओं का रहस्य
  • Quotation
  • चरित्रवान चाहिये।
  • भाग्यवान और अभागे
  • Quotation
  • गुप्त बातों का जानना
  • सद्व्यवहार
  • क्या कर्म क्या अकर्म?
  • सत्य नारायण का व्रत
  • योगी के लिये सब कुछ संभव है।
  • वनस्पति घी चार आना सेर
  • देवी संपति
  • सोना पाने का अधिकारी
  • एक कदम नीचे
  • Quotation
  • बुरे विचारों का निवारण
  • कौन क्या कहता है?
  • कलियुग की अन्तिम घड़ी
  • सूक्ष्म शरीर की शक्ति
  • ध्येय की सिद्धि
  • भीरुता का अभिशाप
  • Quotation
  • निराश मत करिये
  • Quotation
  • कलियुग समाप्ति की साक्षियाँ
  • हजरत मुहम्मद साहब
  • सोना दो आना तोला
  • VigyapanSuchana
  • संयोग
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj