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Magazine - Year 1947 - Version 2

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Language: HINDI
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अपने को गर्व के साथ हिन्दू कहो।

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First 19 21 Last
(श्री स्वामी शिवानन्द सरस्वती)

एक सभा में भाषण देते हुए लोकमान्य तिलक ने कहा, ‘हिन्दू वह है जो विश्वास करता है कि वेद स्वतः प्रमाण हैं और उनमें ध्रुव सत्य है।’ हिन्दू महासभा ने हिन्दू की एक परिभाषा की है- ‘भारत में जिस धर्म का विकास हुआ है, उसमें विश्वास करने वाला हिन्दू है।’ कुछ महानुभावों का कहना है कि जो ब्राह्मण और गौ की रक्षा करते हैं, सब हिन्दू हैं। कुछ कहते हैं कि भारत को अपनी मातृभूमि और पुण्य भूमि मानने वाले हिन्दू हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि जो अपने आपको हिन्दु समझे और कहे, वह हिन्दू है, जो वेदों, स्मृतियों, पुराणों तन्त्रों और धर्मों का मूल सदाचार के नियम को मानते है एवं परब्रह्म में विश्वास रखते हैं और कर्म न्याय तथा पुनर्जन्म में विश्वास रखते हैं, वे हिन्दू हैं। सनातन और वैदिक धर्म एवं संस्कृति में विश्वास रखने वाले हिन्दू कहलाते हैं।

हिन्दू केवल नाम ही नहीं, आदि काल से ही हमारे राष्ट्र का संपूर्ण इतिहास हिन्दू नाम के साथ जुड़ा हुआ है। हमारे आदर्श और सिद्धान्त हिन्दू शब्द में इस प्रकार निहित हैं कि हिन्दुत्व की साधारण शब्दों में परिभाषा होना कठिन है। कवि, महापुरुष और अवतारी विभूतियों ने हिन्दुत्व की महत्ता और गौरवगान गाने के लिए विश्व में पदार्पण किया है। महर्षि, महात्मा और साधुजन हिन्दू शास्त्र और दर्शन बनाने के लिए अवतरित हुए हैं! वीर पुरुषों और योद्धाओं ने हिन्दुत्व के लिए युद्ध किए और उनके लिए अपने प्राण उत्सर्ग कर दिये हैं।

दया, सद्भाव, उदारता, अहिंसा, सत्य, पवित्रता आदि सभी दैवी गुण हिन्दू शब्द से संयुक्त हैं।

मेरे मित्रो! अमृत पुत्रों! गौरव और गर्व के साथ अपने आपको हिन्दू कहो।

प्रत्यक्ष फलदायिनी योग की गुप्त शिक्षाएं

इस ज्ञान के आधार पर आप थोड़े ही दिनों में कुछ से कुछ बन सकते हैं।

कितने ही आध्यात्म प्रेमी सज्जन योग की शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं पर कोई क्रमबद्ध निश्चित पाठ्यक्रम या शिक्षा व्यवस्था न मिलने से वे मन मार कर चुप बैठ जाते हैं और इस विज्ञान के महान लाभों से वंचित रह जाते हैं। इस कठिनाई को ध्यान में रख कर, सर्वसाधारण की सुविधा के लिए अखण्ड ज्योति कार्यालय ने कुछ पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिनका विवरण नीचे दिया जाता है। यह पुस्तकें बाजारू किताबें नहीं हैं। वरन् जिन्होंने दीर्घकाल तक स्वयं साधनाएं की हैं, भारत वर्ष का कोना कोना जिन्होंने योगियों की तलाश में छाना है, संसार के विविध देशों और भाषाओं के अध्यात्म शास्त्रों का गंभीर अध्ययन किया है, उनके अनुभवों का निचोड़ है। जो लाभ किसी सुविज्ञ आध्यात्मविद्या के ज्ञाता के पास रहकर प्राप्त किया जा सकता है वही लाभ यह पुस्तकें प्राप्त करा सकती हैं।

जीवन की सर्वांगीण उन्नति के लिए, भौतिक और आत्मिक, बाह्य और आन्तरिक समृद्धि एवं सुख शान्ति के लिए जिस शिक्षा और साधना की आवश्यकता होती है, वह सभी इन पुस्तकों में मौजूद है। यह 66 पुस्तकें योग विद्या के कर्म कौशल के 66 पाठ हैं। हर एक पुस्तक का लागत मात्र छः-छः आना रखा गया है।

प्रति मास एक सैट की पुस्तकों का पाठ्यक्रम पूरा करना चाहिए। इस प्रकार चार महीने में साधारणतः यह शिक्षा क्रम पूरा हो सकता है। कोई बात समझ में न आवे तो जवाबी पत्र भेजकर पूछा जा सकता है। चार मास का सम्पूर्ण शिक्षा कोर्स पूरा कर लेने वालों के ज्ञान की परीक्षा अखण्ड ज्योति कार्यालय द्वारा प्रश्न पत्र भेज कर ली जाती है और उत्तीर्ण छात्रों को सुन्दर चित्ताकर्षक प्रमाण पत्र दिया जाता है। वह उत्तीर्ण सज्जन अखंड ज्योति के अन्तरंग सदस्य समझे जाते हैं और उनकी सम्मति से इस संस्था का कार्य संचालन किया जाता है।

आरोग्य शास्त्र का निचोड़-प्रथम मास का पाठ्यक्रम।

धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का मूल आरोग्य माना गया है। निरोगता प्राप्त करके ही अनेक सिद्धियाँ प्राप्त हो सकती हैं। इसलिए योग के शिक्षार्थियों के लिए आरोग्य विद्या की यह योग पुस्तकें उपस्थित की जा रही हैं। इनके आधार पर खोये हुए स्वास्थ्य को पुनः प्राप्त किया जा सकता है और प्राप्त हुए स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सकता है। यह पुस्तकें पाठक को एक ऐसा डॉक्टर बना देती हैं जो अपना और दूसरों का इलाज सफलतापूर्वक कर सकता है।

1. सूर्य चिकित्सा विज्ञान- सूर्य की प्रचण्ड रोग नाशक शक्ति द्वारा वैज्ञानिक ढंग से कठिन रोगों की चिकित्सा विधि।

2. प्राण चिकित्सा विज्ञान- मनुष्य के अंदर गजब की विद्युत शक्ति है। उसके द्वारा समस्त रोगों का इलाज।

3. स्वस्थ और सुन्दर बनने की अद्भुत विद्या- आध्यात्मिक सरल साधनों द्वारा तन्दुरुस्त और खूबसूरत बनने के अद्भुत उपाय।

4. भोग में योग- शीघ्र पतन, स्वप्नदोष, प्रमेह, नपुँसकता आदि रोगों को योग साधनाओं से दूर करने और मनचाही स्तम्भन शक्ति प्राप्त करने की गुणवत्ता ।

5. बुद्धि बढ़ाने के उपाय- जो स्मरण शक्ति बढ़ाकर बुद्धिमान बनना चाहते हैं उनके लिए यह पुस्तक कल्पवृक्ष के समान है।

6. आसन और प्राणायाम- इन दोनों की विज्ञान सम्मत विवेचना और साधना का मूल आधार है।

7. तुलसी के अमृतोपम गुण - तुलसी का पौधा हिन्दू धर्म के अनुसार पूजनीय माना गया है वैज्ञानिकों ने उसमें अमृत के समान बहुत से स्वास्थ्य वर्धक गुण पाये हैं इन गुणों के आधार पर ही तुलसी को अमृतमय कहा गया है।

8. महान जागरण- आत्म परिष्कार करने, जीवन की काया पलट करने का मनोविज्ञान शास्त्र सम्मत मार्ग दिखाया गया है।

9. तुम महान हो- अपनी महानता को खोजने प्राप्त करने, बढ़ाने और सुरक्षित रखने की वैज्ञानिक प्रणाली।

10. घरेलू चिकित्सा- हर रोग के ऊपर शर्तिया फायदा करने वाले छोटे-छोटे नुस्खे दिये हैं।

11. बिना औषधि के कायाकल्प- उपवास वस्तिक्रिया तथा प्राकृतिक आहार विहार के द्वारा स्वस्थ, बलवान, फुर्तीला, निरोग और कान्तिवान बनने की विधि व्यवस्था बताई गई है।

12. पंच तत्वों द्वारा सम्पूर्ण रोगों का निवारण- मिट्टी, पानी, हवा, आग, आकाश इन पाँचों तत्वों द्वारा हर रोग का इलाज करने की अद्भुत चिकित्सा प्रणाली।

13. दीर्घ जीवन के रहस्य- संसार के दीर्घ जीवी मनुष्यों ने लम्बी आयु किस प्रकार, कि इन उपायों से प्राप्त की है। इस पुस्तक में उन अनुभव पूर्ण सिद्धान्तों का विवेचन है।

14. नेत्र रोगों की प्राकृतिक चिकित्सा- बिना ऑपरेशन के, बिना दवा खाये या लगाये, इस पुस्तक में बताये हुए प्राकृतिक उपायों द्वारा, नेत्र रोग दूर हो सकते हैं। ज्योति बढ़ सकती है और चश्मा छूट सकता है।

15. स्वप्नदोष की मनोवैज्ञानिक चिकित्सा - स्वप्नदोष की जड़ मस्तिष्क में होती है। वह दवाओं से नहीं मन की चिकित्सा करने से दूर हो सकता है जो लोग स्वप्न दोष से दुखी है उनके लिए यह पुस्तक कल्प वृक्ष के समान है।

16. दूध की आश्चर्यजनक शक्ति- दूध पृथ्वी का अमृत है। इसे विधिपूर्वक सेवन करने से मनुष्य कायाकल्प कर सकता है और सब रोगों से छुटकारा पा सकता है।

जीवन विज्ञान की शिक्षा-द्वितीय मास का पाठ्यक्रम

यह सोलह पुस्तकें जीवन की अत्यन्त महत्वपूर्ण समस्याओं को सुलझाने वाला ज्ञान आपके सम्मुख उपस्थित करती हैं। इस विज्ञान को भली प्रकार समझ कर हृदयंगम कर लेने से जीवन यात्रा की अधिकाँश कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं और ऐसे रहस्य मालूम हो जाते हैं, जिनके आधार पर श्री, समृद्धि, कीर्ति, उन्नति, प्रसन्नता, तथा सुख शान्ति का द्वार खुल जाता है, इन्हें पढ़ने से पर पाठक को ऐसा लगता है मानों किसी अज्ञात् गुप्त आध्यात्मिक धन की प्राप्ति हुई हो।

1. मनुष्य शरीर की बिजली के चमत्कार- शरीर की बिजली से होने वाले आश्चर्यजनक कार्यों का वैज्ञानिक विवरण।

2. धनवान बनने के गुप्त रहस्य- धन कुबेरों द्वारा कार्य रूप में आये हुए ऐसे सिद्धान्तों का वर्णन है जिन पर चलने से आप भी धनवान बन सकते हैं।

3. पुत्र या पुत्री उत्पन्न करने की विद्या- मन चाही सन्तान प्राप्त करने के सारे रहस्य इस पुस्तक में खोलकर रख दिये हैं।

4. मरने के बाद हमारा क्या होता है- मृत्यु से लेकर नये जन्म तक जीव जिन परिस्थितियों में रहता है, उनका महत्वपूर्ण विवेचन।

5. मित्र भाव बढ़ाने की कला- जीवन के उत्कर्ष में सच्चे मित्रों का सहयोग बड़ा भारी सहायक होता है। अधिक संख्या में, अच्छे और सच्चे मित्र आसानी से प्राप्त करने के रहस्य।

6. आकृति देखकर मनुष्य की पहचान- निर्धारित विषय को ऐसे अच्छे सुबोध ढंग से समझाया गया है कि हर कोई लाभ उठा सकता है।

7. संजीवनी विद्या- जिन्दगी किस तरह जीनी चाहिये इस प्रश्न का संतोषजनक समाधान।

8. अमृत, पारस और कल्पवृक्ष की प्राप्ति- यह तीनों विभूतियाँ सुरलोक में बताई जाती हैं। पर इस पुस्तक से बताया गया है कि यह तीनों तत्व मनुष्य के अन्दर हैं, और यदि कोई उनका उपयोग करना सीख जाय तो देवताओं के समान समृद्ध हो सकता है।

9. हमें स्वप्न क्यों दीखते हैं- स्वप्न दीखने के कारण, उनके हानि लाभ, स्वप्नों द्वारा अदृश्य बातों की जानकारी दुःस्वप्नों का निवारण आदि अनेक महत्वपूर्ण बातों का वैज्ञानिक विवेचन।

10. विचार करने की कला - मनुष्य जैसे विचार करता है वैसा ही बन जाता है इस तथ्य को ध्यान में रखकर अच्छे विचारों को अपनाने और कुविचारों को त्यागने की रीतियाँ समझाई हैं।

11. हम वक्ता कैसे बन सकते हैं- चतुर वक्ता, कुशल व्याख्यानदाता बनने की इच्छा रखने वालों के लिए यह बड़े ही काम की पुस्तक है।

12. लेखनकला- लेख, पुस्तकें एवं कविता लिखने की कला सीखने वालों के लिए यह पुस्तक अनुभवी गुरु का काम देती है।

13. सफलता के तीन साधन- आकांक्षा, परिश्रम शीलता और कष्ट सहिष्णुता के सहारे मनुष्य किस प्रकार कठिन से कठिन कार्यों को पूरा कर सकता है यह विज्ञान इस पुस्तक में बड़े हृदय ग्राही रूप से समझाया गया है।

14. शिखा और सूत्र का रहस्यमय विवेचन- चोटी और जनेऊ, हिन्दू धर्म के दो प्रमुख चिन्ह हैं। इस पुस्तक में इन दोनों का गुप्त रहस्य, महत्व और लाभ सविस्तार बताया गया है।

15. दैवी संपदाएं- धन दौलत पृथ्वी की संपदा है। इससे साँसारिक सुख मिलते हैं। पर दैवी संपदाएं वे सद्गुण हैं, जिनसे लौकिक और परलौकिक सुख शान्ति मिलती है उनका वर्णन।

16. कुछ धार्मिक प्रश्नों का उचित समाधान- श्राद्ध, तीर्थ, दान, देववाद आदि विषयों की शंकाओं का बुद्धि संगत समाधान।

ब्रह्म विद्या का अमृतोपम ज्ञान-तृतीय मास का पाठ्यक्रम

ब्रह्म विद्या संसार की सबसे बड़ी विद्या है। जिसे जानकर और कुछ जानना बाकी नहीं रहता। ईश्वर, जीव, प्रकृति, पुनर्जन्म, मृत्यु, बन्धन, मोक्ष, कर्मफल, धर्म, अधर्म, आत्म दर्शन, ईश्वर प्राप्ति, स्वर्ग, नरक, सिद्धि आदि अनेकों गूढ़ आध्यात्मिक विषयों को ऐसे सरल, सुबोध ढंग से तर्क और प्रमाणों के आधार पर समझाया गया है कि एक बालक भी भली प्रकार समझ सकता है। इतने गूढ़ और महत्वपूर्ण विषय पर इतना सर्वांगपूर्ण और सुबोध साहित्य अन्यत्र कहीं मिल सकता।

1. ईश्वर कौन है? कहाँ है? कैसा है- ईश्वर सम्बन्धी सम्पूर्ण शंकाओं का वैज्ञानिक समाधान एवं ईश्वर साक्षात्कार के प्रामाणिक साधन।

2. क्या धर्म? क्या अधर्म?- धर्म अधर्म की गंभीर एवं गूढ़ गुत्थी को बड़े सरल और हृदयग्राही ढंग में सुलझाया है।

3. गहना कर्मणो गतिः - कर्मों का उलटा फल मिलते देखकर बड़ा भ्रम पैदा होता है। उन सब भ्रमों का यह पुस्तक निवारण कर देती है।

4. जीवन की गूढ़ गुत्थियों पर तात्विक प्रकाश- चौरासी लाख योनियों में भ्रमण, जन्म मरण का चक्कर, पुनर्जन्म, स्वर्ग मुक्ति आदि की विवेचना।

5. पंचाध्यायी धर्म नीति शिक्षा- इसमें धर्म ग्रन्थों के चुने हुए बड़े ही मार्के के शिक्षाप्रद श्लोक अर्थ समेत पाँच अध्यायों में संग्रह हैं।

6. शक्ति संचय के पथ पर- शक्ति ही सुख की जननी है इसलिए अनेक प्रकार की शक्तियों के संचय का प्रदर्शन किया गया है।

7. आत्म गौरव की साधना- अपना गौरव एवं महानता स्थिर रखने तथा बढ़ाने के सुदृढ़ सिद्धान्तों का दिग्दर्शन।

8. प्रतिष्ठा का उच्च सोपान- घर और बाहर सर्वत्र प्रतिष्ठा, आदर, सम्मान, श्रद्धा, प्राप्त करने का मार्ग इसमें बताया गया है।

9. आन्तरिक उल्लास का विकास- अन्तः करण में सच्चे सुख, सन्तोष, शान्ति तथा उल्लास प्राप्त करके एवं जीवन को आनन्दमय बनाने की शिक्षा।

10. आगे बढ़ने की तैयारी- भीतरी और बाहरी जगत में सब प्रकार की उन्नति करने की योजना।

11. अध्यात्म धर्म का अवलम्बन- मनुष्यों के बनाये हुए सम्प्रदाय, मजहब, फिरके तो अलग-2 हैं पर सब की आत्मा का एक ही धर्म है। उसी एक आत्म धर्म का विवेचन।

12. ब्रह्म विद्या का रहस्योद्घाटन- योग, जन्त्र, तन्त्र, देव, सिद्ध, वरदान, सिद्धि आदि का वैज्ञानिक विवेचन।

13. ईश्वर और स्वर्ग प्राप्ति का सच्चा मार्ग- सदाचार, सत्कर्म और परोपकार से ईश्वर और स्वर्ग की प्राप्ति की शास्त्रीय पुष्टि।

14. विवेक सतसई- कबीर, रहीम, तुलसीदास आदि के चुने हुए, मार्मिक, विवेक उत्पन्न करने वाले 700 दोहों का संग्रह।

15. अध्यात्म शास्त्र- अध्यात्म शास्त्र क्या है? इसकी दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, तार्किक और धार्मिक दृष्टि से विवेचना की गई है।

16. अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार- ईश्वर और परलोक का विवेचन व उसकी प्राप्ति का मार्ग।

17. वैज्ञानिक अध्यात्मवाद- अध्यात्मवाद के हर पहलू पर इस पुस्तक में वैज्ञानिक रीति से प्रकाश डाला गया है।

चमत्कारी साधनाएं-चतुर्थ मास का पाठ्यक्रम

यह पुस्तकें एक ऐसा आध्यात्मिक साधना क्रम है, जिसका नित्य एक दो घंटे अभ्यास करने पर थोड़े ही दिनों में चमत्कारिक आत्म शक्तियाँ प्राप्त की जा सकती हैं। योगी लोग वर्षों कठिन परिश्रम के पश्चात जिन शक्तियों को प्राप्त करते हैं, उन्हें सुगमता पूर्वक घर रहकर स्वल्प काल में प्राप्त करने की यह एक सीधी पगडंडी है। इन पुस्तकों में दी हुई साधनाएं ऐसी नहीं हैं जिनमें कुछ भूल हो जाने से किसी अनिष्ट की संभावना हो। थोड़ा सा भी इनका साधन किया जाय तो भी बहुत लाभ मिल जाता है। यह पुस्तकें योग के महान लाभों से लाभान्वित होने का सर्व सुलभ मार्ग हैं।

1. मैं क्या हूँ- आत्मा का प्रत्यक्ष दर्शन करने की कुछ सरल साधन-विधियों का वर्णन।

2. परकाया प्रवेश- मैस्मरेजम के ढंग पर आत्म शक्ति को दूसरे के शरीर में प्रवेश करके उसे लाभान्वित करने की विद्या।

3. स्वर योग से दिव्य ज्ञान- स्वरोदय विद्या द्वारा गुप्त और भविष्य की बातों को जान लेने की रहस्य पूर्ण साधना।

4. वशीकरण की सच्ची सिद्धि- दूसरों को वश में करने के सच्चे और हजारों बार आजमाये हुए प्रयोगों का वर्णन।

5. जीव जन्तुओं की बोली समझना- मूक पशु संकेतों द्वारा किस प्रकार अपने मनोभाव हमारे ऊपर प्रकट करते हैं, एवं शकुन विद्या का क्या रहस्य है, यह बताया है।

6. ज्ञानयोग, कर्मयोग, भक्तियोग- इन तीनों योगों का हर गृहस्थ सुविधापूर्वक नित्य व्यावहारिक जीवन में उतर कर अपने को आनन्दित किस प्रकार बना सकता है इसका उत्तर।

7. यम नियम- अष्टाँग राज योग की पहली सीढ़ी 5 यम और 5 नियमों की सरल साधना।

8. प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि- योग की इन तीनों कठिन साधनाओं को नये ढंग से इस प्रकार प्रस्तुत किया है कि हर कोई इनका अभ्यास सुगमतापूर्वक कर सके और योग के महान फल प्राप्त कर सके।

9. मैस्मरेजम की अनुभव पूर्ण शिक्षा- मैस्मरेजम विद्या के रहस्य इस छोटी पुस्तक में हैं। जादूगरों द्वारा जो चालाकियाँ मैस्मरेजम के नाम पर बरती जाती हैं वह भी इसमें खोल दी।

10. हस्त रेखा विज्ञान- यूरोप के सुप्रसिद्ध पामिस्ट डॉ0 शेरो के सिद्धान्तों द्वारा हस्त रेखा संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी इसमें दी है।

11. गायत्री की चमत्कारी साधना- वेदमाता गायत्री की मंत्र साधना के अनेकों विधान और उनके अद्भुत लाभों का दिग्दर्शन कराया है।

12. गृहस्थ योग- गृहस्थ धर्म का पालन करना एक योग साधना है। इस पुस्तक में बताई हुई व्यवस्था पर आचरण करने से अपना घर स्वर्ग के समान आनन्द मय बन सकता है।

13. प्रार्थना के चमत्कार- ईश्वर प्रार्थना का विज्ञान, सिद्धान्त, रहस्य, महत्व तथा लाभ बताते हुए उन चमत्कारों का भी वर्णन किया गया है जो प्रार्थना की शक्ति से प्राप्त होते हैं।

14. विचार संचालन विद्या- बेतार की इस आध्यात्मिक तार वर्की द्वारा दूर-2 रहने वाले दो व्यक्ति अपने मनोभावों को एक दूसरे के पास भेज सकते हैं।

15. सुखी वृद्धावस्था- पर इस पुस्तक में ऐसे उपायों बताये गये हैं जिनसे वृद्धावस्था बड़ी सुखमय बन सकती है।

16. आत्मोन्नति का मनोवैज्ञानिक मार्ग- कुछ ऐसे महत्वपूर्ण उपाय इस पुस्तक में बताये गये हैं जिनके आधार पर आत्मोन्नति के पथ पर बढ़ने में बड़ी सहायता मिलती है।

प्रत्यक्ष फलदायिनी साधनाएं- इस पुस्तक में अनुभव पूर्ण बड़ी ही चमत्कारी सरल साधनाएं हैं।

पता- ‘अखंडज्योति’ कार्यालय, मथुरा।

First 19 21 Last


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Type: SCAN
Language: HINDI
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Type: TEXT
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