• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • मानव जीवन की सार्थकता
    • सत्−संकल्पमयी प्रार्थना
    • सत्−संकल्पमयी प्रार्थना (kavita)
    • असुरता से देवत्व की ओर!
    • परमात्मा की अनन्त अनुकम्पा और उसके दर्शन
    • सद्गुण भी हमारे ध्यान में रहें
    • कुसंग से आत्मरक्षा की आवश्यकता
    • प्रशंसा और प्रोत्साहन का महत्व
    • आलस में समय न गवावें
    • मितव्ययिता और आर्थिक सन्तुलन
    • यह सत्यानाशी सामाजिक कुरीतियाँ
    • पारिवारिक जीवन की समस्याएँ
    • हम अशान्त और आतंकित न हों
    • यह करने के लिए हम कटिबद्ध हो जायँ
    • नई प्रबुद्ध पीढ़ी का अवतरण
    • युग निर्माण केन्द्र और उनका बीस सूत्री कार्यक्रम
    • अग्नि परीक्षा की घड़ी में हमारा कर्तव्य
    • प्रयाण− पीत
    • प्रयाण− पीत (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • मानव जीवन की सार्थकता
    • सत्−संकल्पमयी प्रार्थना
    • सत्−संकल्पमयी प्रार्थना (kavita)
    • असुरता से देवत्व की ओर!
    • परमात्मा की अनन्त अनुकम्पा और उसके दर्शन
    • सद्गुण भी हमारे ध्यान में रहें
    • कुसंग से आत्मरक्षा की आवश्यकता
    • प्रशंसा और प्रोत्साहन का महत्व
    • आलस में समय न गवावें
    • मितव्ययिता और आर्थिक सन्तुलन
    • यह सत्यानाशी सामाजिक कुरीतियाँ
    • पारिवारिक जीवन की समस्याएँ
    • हम अशान्त और आतंकित न हों
    • यह करने के लिए हम कटिबद्ध हो जायँ
    • नई प्रबुद्ध पीढ़ी का अवतरण
    • युग निर्माण केन्द्र और उनका बीस सूत्री कार्यक्रम
    • अग्नि परीक्षा की घड़ी में हमारा कर्तव्य
    • प्रयाण− पीत
    • प्रयाण− पीत (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1962 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


मानव जीवन की सार्थकता

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


2 Last
जीव के लिये मनुष्य शरीर एक अलभ्य अवसर है! इस का सदुपयोग करने से वह जीवन लक्ष्य को प्राप्त करता हुआ परम शान्ति का अधिकारी बन सकता है। किन्तु यदि वह इस अवसर का व्यर्थ गँवाता है अथवा दुरुपयोग करता है तो फिर नरक की यातनायें तैयार हैं और चौरासी लाख निकृष्ट योनियों में भ्रमण करने की विवशता सामने है। इन्द्रिय तृप्ति तो जीव अन्य योनियों में भी कर सकता है पर परम पद की प्राप्ति कर सकना केवल मनुष्य शरीर में ही सम्भव है। चिरकाल के पश्चात ही सुर दुर्लभ मानव जीवन प्राप्त होता है, इसे निरर्थक न गँवाना चाहिये।

स्वयं शान्ति से रहना और दूसरों को शान्ति से रहने देना यही जीवन जीने की सर्वोत्तम नीति है। दूसरों के साथ वह व्यवहार न करें जो हमें अपने लिये पसंद नहीं। सत्य ही बोलना चाहिये। सभी से प्रेम करना चाहिये और अन्याय के मार्ग पर एक कदम भी नहीं धरना चाहिये। श्रेष्ठ,सदाचारी और परमार्थ युक्त जीवन ही मनुष्य की उपयुक्त बुद्धिमत्ता कही जा सकती है।

—महामना मदन मोहन मालवीय

वर्ष-23 सम्पादक - श्रीराम शर्मा आचार्य अंक-12

2 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • मानव जीवन की सार्थकता
  • सत्−संकल्पमयी प्रार्थना
  • सत्−संकल्पमयी प्रार्थना (kavita)
  • असुरता से देवत्व की ओर!
  • परमात्मा की अनन्त अनुकम्पा और उसके दर्शन
  • सद्गुण भी हमारे ध्यान में रहें
  • कुसंग से आत्मरक्षा की आवश्यकता
  • प्रशंसा और प्रोत्साहन का महत्व
  • आलस में समय न गवावें
  • मितव्ययिता और आर्थिक सन्तुलन
  • यह सत्यानाशी सामाजिक कुरीतियाँ
  • पारिवारिक जीवन की समस्याएँ
  • हम अशान्त और आतंकित न हों
  • यह करने के लिए हम कटिबद्ध हो जायँ
  • नई प्रबुद्ध पीढ़ी का अवतरण
  • युग निर्माण केन्द्र और उनका बीस सूत्री कार्यक्रम
  • अग्नि परीक्षा की घड़ी में हमारा कर्तव्य
  • प्रयाण− पीत
  • प्रयाण− पीत (kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj