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सीखने की अद्भुत लगन
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मेरा परिचय
स्मृति विशेषांक-श्रद्धा सुमन गुरुसत्ता के चरणों में
बुझ नहीं सकता कभी जो, वह ज्वलित अंगार हूँ मैं
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर (Kahani)
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जिज्ञासा व्यक्त की (Kahani)
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करुणा व ममत्व जिनके रोम-रोम में बसा था
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उमंग उत्साह में बदली (Kahani)
निश्छल एवं स्नेह सिक्त अंतःकरण
आकलन शक्ति के बूते (Kahani)
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बाल्यावस्था से प्रस्फुटित साधना के बीजाँकुर
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सर्प आड़े समय पर केंचुए की भाँति (Kahani)
तीन देवता, तीन संरक्षक
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कुछ देर ताकता रहा (Kahani)
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शिक्षण की नींव (Kahani)
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महाप्राण! इन प्राणों ने तुमसे ही अब तक गति पाई
महाप्राण! इन प्राणों ने तुमसे ही अब तक गति पाई (Kavita)
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मुस्कानों से भरा हुआ मधुमास तुम्हें दूँगा।
मुस्कानों से भरा हुआ मधुमास तुम्हें दूँगा (Kavita)
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गुरुसत्ता से साक्षात्कार, आध्यात्मिक परिणय
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आत्माओं का मिलन (Kahani)
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संपादकीय विभाग (Kahani)
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समर्पण की परिणति प्रचण्ड आत्मबल
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सहस्र कुण्डीय यज्ञ (Kahani)
लोक सेवी की सिद्धान्त निष्ठा
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दिव्य गुरुसत्ता के अनुपम अनुदान
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अभी कम दिया (Kahani)
अवतारों की परम्परा एवं दशम अवतार का प्राकट्य
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मितव्ययिता का कठोरतापूर्वक पालन (Kahani)
शान्ति कुँज की संस्कारित भूमि
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कहकर ‘पिता’ मगर हम, किसको बुला सकेंगे
कहकर ‘पिता’ मगर हम, किसको बुला सकेंगे (Kavita)
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कल्कि अवतार का लीला संदोह
एकाग्रता और मितव्ययिता (Kahani)
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सुनकर गदगद हो गया (Kahani)
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मिलेंगे वह अवश्य मिलेंगे (Kahani)
व्यक्ति क्या थे, शक्ति का आगार थे तुम
व्यक्ति क्या थे, शक्ति का आगार थे तुम (Kavita)
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महाप्राण से अब प्राणों की दूरी हमें रुलानी
महाप्राण से अब प्राणों की दूरी हमें रुलानी (Kavita)
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तुम केवल मानव कब थे प्रभु! तुम तो थे अवतारी
तुम केवल मानव कब थे प्रभु! तुम तो थे अवतारी (Kavita)
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भूलेंगे कैसे? तेरे तप ने हमें किया निहाल
भूलेंगे कैसे? तेरे तप ने हमें किया निहाल (Kavita)
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महाकाल का अवतारी स्वरूप
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ईश्वरीय शक्तियाँ उनकी सहायक बनी (Kahani)
परम पूज्य आचार्य श्री, श्रीराम शर्मा जी की कुण्डली
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सरलता और महानता के संगम (Kahani)
ब्रह्मकमल में तेज का जादू बोल रहा है
ब्रह्मकमल में तेज का जादू बोल रहा है (Kavita)
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मैं प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूँगा
मैं प्रकाश की खातिर पूरी रात चलूँगा (Kavita)
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विचारक डॉ. मार्टिना (Kahani)
दिव्य अनुदान बरसाने वाली कड़ी तप साधना
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संसर्ग ने अनेकों ब्राह्मण उपजाए (Kahani)
अवतारी पुरुष के अलौकिक कर्तृत्व
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वह चुप हो गए (Kahani)
माँ गायत्री के वरदपुत्र युग के विश्वामित्र
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मनोबल बढ़ा कर (Kahani)
जन-गण-मन के नव जीवन तुम, जन-जन की जीवित भाषा
जन-गण-मन के नव जीवन तुम, जन-जन की जीवित भाषा (Kavita)
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आप केवल व्यक्ति कब थे, शक्ति की प्रतिमूर्ति ही थे
आप केवल व्यक्ति कब थे, शक्ति की प्रतिमूर्ति ही थे (Kavita)
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आत्म देवता के साधक सावित्री के सिद्ध उपासक
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जीवन की शोधकर्ता (Kahani)
किशोरावस्था के कुछ हृदयस्पर्शी प्रसंग
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सम्पादन का श्रेय भी दिया (Kahani)
1935-36 में पूज्य गुरुदेव द्वारा रचित क्राँतिकारी काव्य जो सैनिक पत्र में सतत् छपता रहा
किसान (Kavita)
मत्त-प्रलाप (Kavita)
कोई शक्ति (Kavita)
युग परिवर्तन (kavita)
जवाहर के प्रति (Kavita)
दधीचि से दानी (Kavita)
सत्याग्रही के नाते एक जुझारू योद्धा-श्रीराम ‘मत्त’
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शक्तिपीठों के उद्घाटन (Kahani)
लेखनी द्वारा लोक शिक्षण का सूत्रपात
बच्चों के प्रति (Kahani)
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“पाती” जो सबके पास नियमित पहुँचती थी
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इसी ने उन सभी को (Kahani)
खिलौने बाँटने के लिए भी चली थी लेखनी
प्रत्यक्ष देख लिया (Kahani)
सिद्धान्त और साधना को शब्द मिलें
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तत्व ज्ञान का गूढ़ विवेचन (Kahani)
चौबीस महापुरश्चरणों की पूर्णाहुति एवं तपोभूमि की स्थापना
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लतीफ मियाँ के पते पर (Kahani)
विशाल संगठन की सुनियोजित शुरुआत
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भाव के परिणाम का कहीं अधिक महत्व (Kahani)
एक बीजारोपण जिसकी परिणति वटवृक्ष के रूप में हुई
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समारोह की समाप्ति (Kahani)
आर्ष साहित्य का पुनरुद्धार
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परम्परा आजीवन चली (Kahani)
प्रतिबंध रहित गायत्री एवं मुक्त यज्ञ
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अमूल्य आत्मीयता का मूल्य (Kahani)
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चमत्कार का तात्पर्य (Kahani)
युग निर्माण का सत्संकल्प मिशन का घोषणापत्र
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बालकृष्ण गंगाधर तिलक (Kahani)
कलम ऐसी जिसे चूमने का मन करता है
कलम ऐसी जिसे चूमने का मन करता है
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विसर्जन करने वाले साधक (Kahani)
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पुण्यतोया गंगा उनकी प्रेरणा स्रोत बनी
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विषय पर नकल (Kahani)
सुनसान का सहचर हमार चारों ओर-विद्यमान है
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नारी जाग्रति के प्रणेता, युगऋषि पूज्य गुरुदेव
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वेद भगवान को प्रणाम (Kahani)
प्राण प्रत्यावर्तन से गायत्री तीर्थ तक
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सहस्र कुण्डीय महायज्ञ (Kahani)
एक देव-परिवार की टकसाल की स्थापना
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भावनाओं का ख्याल (Kahani)
युगचेतना के निर्झर-शक्ति केंद्र प्रज्ञा संस्थान
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मानव का नहीं हो सकता (Kahani)
प्रज्ञा आलोक का दिग्दिगन्त में विस्तार
बड़ी विनम्रता से गुरुदेव स्वीकार करते (Kahani)
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विश्व माली का बगीचा (Kavita)
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अन्तर्वेदना एवं कर्त्तव्यबोध रख सूक्ष्म रूप गुरुवर! “आनंद” बन गये हो
गुरुवर! “आनंद” बन गये हो (Kavita)
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इस युग का अभूतपूर्व समुद्र मन्थन
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लाखों व्यक्तियों के जीवन बदले (Kahani)
उज्ज्वल भविष्य के प्रवक्ता महाकाल के अंशधर
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उभरता उत्साह इसका प्रत्यक्ष साक्षी (Kahani)
उनने जीवन भर ही की, युग पीड़ा की अनुभूति
उनने जीवन भर ही की, युग पीड़ा की अनुभूति (Kavita)
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गुरुदेव की अन्तर्व्यथा एवं सूक्ष्मीकरण में प्रवेश
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तीन हजार पुस्तकों के लेखक (Kahani)
VigyapanSuchana
महासत्ता का महाप्रयाण- एक युग का पटाक्षेप
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VigyapanSuchana
हमारे आत्मस्वरूप (Kahani)
VigyapanSuchana
देवात्मा हिमालय, स्मृति उपवन एवं संकल्प समारोह
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व्यक्ति को देवमानव (Kahani)
युग पुरुष को आश्वासन
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Year 1990 - Version 2
Media: TEXT
Language: HINDI
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ब्रह्मकमल में तेज का जादू बोल रहा है
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