• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • सच्ची साधना
    • प्रथम मानव जन्मा था देवात्मा हिमालय में
    • Quotation
    • असली संपत्ति सादगी ही (kahani)
    • शैतान से मुकाबला
    • Quotation
    • मानवी चेतना बनाम आज का कंप्यूटर
    • भविष्य उज्ज्वल बनाने की नीति (kahani)
    • ज्ञान और विज्ञान के भाँडागार हमारे वेद
    • साधता का अपरिहार्य अंग (kahani)
    • चेतना के उभार से होते हैं चमत्कार
    • कहने से बचा जाए (kahani)
    • टेलीपैथी करेगी अब रोगों का उपचार
    • Quotation
    • भाव संवेदनाओं का रसायन शास्त्र
    • संकल्प-पुरुषार्थ की परिणति (kahani)
    • अतींद्रिय सामर्थ्य से कोई वंचित नहीं
    • Quotation
    • प्रकृति के दुलारे ये चित्र-विचित्र पक्षी
    • Quotation
    • इसमें क्या आश्चर्य (kahani)
    • कृत्रिम सौंदर्य-प्रसाधन हमें क्रूर-निर्दयी बनाते हैं।
    • Quotation
    • विजयी हुए (kahani)
    • नियति को बदलने का सूक्ष्म विज्ञान
    • Quotation
    • दृढ़ संकल्प से क्या कुछ संभव नहीं
    • गीत गाते हैं ये पत्थर
    • Quotation
    • स्वर्ग में भी कोई सुख नहीं (kahani)
    • जन-जन की भागीदारी ही बचाएगी पर्यावरण को
    • Quotation
    • विज्ञापनों के जरिए उजड़ता स्वास्थ्य-सौंदर्य
    • Quotation
    • हृदय रोगों को हम स्वयं आमंत्रित करते हैं।
    • Quotation
    • कहीं ऐसा न हो कि गंगा विलुप्त ही हो जाए
    • विवेक को स्थापित करेगा (kahani)
    • संतवाणी-आद्य शंकराचार्य
    • आत्मिक प्रगति का ककहरा - परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
    • गुरुपूर्णिमा पर्व पर विशेष सद्गुरु की कृपा के अवतरण का महापर्व
    • धनपति और धन दोनों कलंकित (kahani)
    • शिक्षण यज्ञ-कर्म के रूप में जीवन जीने के मर्म का
    • अपनों से अपनी बात-2 - जलते दीपक संपन्न करेंगे यह महापूर्णाहुति
    • अपनों से अपनी बात-3 - संभागीय महापूर्णाहुति के बाद अब है तीन स्तरों वाला अति महत्वपूर्ण चतुर्थ चरण
    • आत्मदीपक जल रहे हैं।
    • आत्मदीपक जल रहे हैं (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • सच्ची साधना
    • प्रथम मानव जन्मा था देवात्मा हिमालय में
    • Quotation
    • असली संपत्ति सादगी ही (kahani)
    • शैतान से मुकाबला
    • Quotation
    • मानवी चेतना बनाम आज का कंप्यूटर
    • भविष्य उज्ज्वल बनाने की नीति (kahani)
    • ज्ञान और विज्ञान के भाँडागार हमारे वेद
    • साधता का अपरिहार्य अंग (kahani)
    • चेतना के उभार से होते हैं चमत्कार
    • कहने से बचा जाए (kahani)
    • टेलीपैथी करेगी अब रोगों का उपचार
    • Quotation
    • भाव संवेदनाओं का रसायन शास्त्र
    • संकल्प-पुरुषार्थ की परिणति (kahani)
    • अतींद्रिय सामर्थ्य से कोई वंचित नहीं
    • Quotation
    • प्रकृति के दुलारे ये चित्र-विचित्र पक्षी
    • Quotation
    • इसमें क्या आश्चर्य (kahani)
    • कृत्रिम सौंदर्य-प्रसाधन हमें क्रूर-निर्दयी बनाते हैं।
    • Quotation
    • विजयी हुए (kahani)
    • नियति को बदलने का सूक्ष्म विज्ञान
    • Quotation
    • दृढ़ संकल्प से क्या कुछ संभव नहीं
    • गीत गाते हैं ये पत्थर
    • Quotation
    • स्वर्ग में भी कोई सुख नहीं (kahani)
    • जन-जन की भागीदारी ही बचाएगी पर्यावरण को
    • Quotation
    • विज्ञापनों के जरिए उजड़ता स्वास्थ्य-सौंदर्य
    • Quotation
    • हृदय रोगों को हम स्वयं आमंत्रित करते हैं।
    • Quotation
    • कहीं ऐसा न हो कि गंगा विलुप्त ही हो जाए
    • विवेक को स्थापित करेगा (kahani)
    • संतवाणी-आद्य शंकराचार्य
    • आत्मिक प्रगति का ककहरा - परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
    • गुरुपूर्णिमा पर्व पर विशेष सद्गुरु की कृपा के अवतरण का महापर्व
    • धनपति और धन दोनों कलंकित (kahani)
    • शिक्षण यज्ञ-कर्म के रूप में जीवन जीने के मर्म का
    • अपनों से अपनी बात-2 - जलते दीपक संपन्न करेंगे यह महापूर्णाहुति
    • अपनों से अपनी बात-3 - संभागीय महापूर्णाहुति के बाद अब है तीन स्तरों वाला अति महत्वपूर्ण चतुर्थ चरण
    • आत्मदीपक जल रहे हैं।
    • आत्मदीपक जल रहे हैं (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 2000 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
SCAN TEXT


सच्ची साधना

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


2 Last
आज साधु तो बहुत हैं, पर साधना नहीं है। साधन के बिना साधुता कागज के फूलों की तरह है। जिनमें बहुरंगी आकर्षण तो भरपूर है, लेकिन सुगंध का एकदम अभाव है। सब तरफ आज ऐसे ही कागज के फूल दिखाई देते हैं। इसी वजह से धर्म की प्रखरता-तेजस्विता मंद पड़ गई है। साधन के अभाव में धर्म असंभव है।

धर्म की जड़े साधना में हैं। साधना के अभाव में साधु का जीवन या तो मात्र अभिनय हो सकता है या फिर दमन हो सकता है। ये दोनों ही बातें शुभ नहीं है। तप-साधना का मिथ्या अभिनय पाखंड है। जबकि कोरा दमन और भी महाघातक है। उसमें संघर्ष की यातना तो है, पर उपलब्धि कुछ भी नहीं। जिसे दबाया जाता है, मरता नहीं, बल्कि और गहरी परतों में सरक जाता है। साधनाविहीन साधु को एक ओर वासना की पीड़ाएँ सताती है; उनकी ज्वालाओं में उसका जीवन तपता-झुलसता रहता है; तृष्णा की दुष्पूर दौड़ उसे हर पल दुःख देती रहती है; दूसरी ओर उसे दमन और आत्म उत्पीड़न की अग्निशिखाएँ जलाती है। एक ओर कुआं है तो दूसरी ओर खाई। सच्ची साधन के बिना इन दोनों में से किसी एक में गिरना ही पड़ता है।

सच्ची साधना न तो भोग में है और न दमन में। यह तो आत्मजागरण में है। इन दोनों अतियों के द्वंद्व में से उबरने और परमेश्वर में स्वयं को विसर्जित करने में है। साधना वेश-विन्यास की विविधता या कौतुक भरे प्रदर्शन का नाम नहीं है। यह नर से नारायण बनने की अंतर्यात्रा है, जो पशु-भाव का दमन करके नहीं, उसे सर्वथा छोड़कर परमात्मा-भाव में प्रतिष्ठित होने में ही संपन्न होती है।

सच्ची साधना का अर्थ किसी को पकड़ना नहीं है, वरन् सारी पकड़ को एक साथ छोड़ना है। सारी अतियों से, सभी द्वंद्वों से ऊपर उठना-उबरना है। इस सच्ची साधना से जो अपनी चेतना की लौ को द्वंद्वों की आँधियों से मुक्त कर लेते हैं, वे उस कुँजी को पा लेते हैं, जिससे सत्य का द्वार खुलता है और तभी वह साधुता प्रकट होती है, जिसकी अलौकिक सुगंध से अनेकों दूसरी सुप्त और मुरझाई आत्माएँ भी जाग्रत होकर मुस्कराने लगती है।

2 Last


Other Version of this book



Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...

Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • सच्ची साधना
  • प्रथम मानव जन्मा था देवात्मा हिमालय में
  • Quotation
  • असली संपत्ति सादगी ही (kahani)
  • शैतान से मुकाबला
  • Quotation
  • मानवी चेतना बनाम आज का कंप्यूटर
  • भविष्य उज्ज्वल बनाने की नीति (kahani)
  • ज्ञान और विज्ञान के भाँडागार हमारे वेद
  • साधता का अपरिहार्य अंग (kahani)
  • चेतना के उभार से होते हैं चमत्कार
  • कहने से बचा जाए (kahani)
  • टेलीपैथी करेगी अब रोगों का उपचार
  • Quotation
  • भाव संवेदनाओं का रसायन शास्त्र
  • संकल्प-पुरुषार्थ की परिणति (kahani)
  • अतींद्रिय सामर्थ्य से कोई वंचित नहीं
  • Quotation
  • प्रकृति के दुलारे ये चित्र-विचित्र पक्षी
  • Quotation
  • इसमें क्या आश्चर्य (kahani)
  • कृत्रिम सौंदर्य-प्रसाधन हमें क्रूर-निर्दयी बनाते हैं।
  • Quotation
  • विजयी हुए (kahani)
  • नियति को बदलने का सूक्ष्म विज्ञान
  • Quotation
  • दृढ़ संकल्प से क्या कुछ संभव नहीं
  • गीत गाते हैं ये पत्थर
  • Quotation
  • स्वर्ग में भी कोई सुख नहीं (kahani)
  • जन-जन की भागीदारी ही बचाएगी पर्यावरण को
  • Quotation
  • विज्ञापनों के जरिए उजड़ता स्वास्थ्य-सौंदर्य
  • Quotation
  • हृदय रोगों को हम स्वयं आमंत्रित करते हैं।
  • Quotation
  • कहीं ऐसा न हो कि गंगा विलुप्त ही हो जाए
  • विवेक को स्थापित करेगा (kahani)
  • संतवाणी-आद्य शंकराचार्य
  • आत्मिक प्रगति का ककहरा - परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी
  • गुरुपूर्णिमा पर्व पर विशेष सद्गुरु की कृपा के अवतरण का महापर्व
  • धनपति और धन दोनों कलंकित (kahani)
  • शिक्षण यज्ञ-कर्म के रूप में जीवन जीने के मर्म का
  • अपनों से अपनी बात-2 - जलते दीपक संपन्न करेंगे यह महापूर्णाहुति
  • अपनों से अपनी बात-3 - संभागीय महापूर्णाहुति के बाद अब है तीन स्तरों वाला अति महत्वपूर्ण चतुर्थ चरण
  • आत्मदीपक जल रहे हैं।
  • आत्मदीपक जल रहे हैं (kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj