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Books - नया समय, नया काम और नई जिम्मेदारियाँ

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नया समय, नया काम और नई जिम्मेदारियाँ

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देवियों भाइयों, नया समय, नया काम और नई जिम्मेदारियाँ। नया कदम । युग संधि का समय जो २००० तक चलने वाला है यह सामान्य समय नहीं है असामान्य समय है। इसमें दुनिया की कायापलट हो जायेगी। जमीन आसमान पर चली जायेगी आसमान जमीन पर आ जायेगा नहीं यह बात तो नहीं होगी लेकिन यह बात जरूर है कि फिर इस समय की परिस्थितियाँ जिसमें आज आप हैं यह परिस्थितियाँ अगले दिनों रहेंगी नहीं। इनमें काफी बहुत हेरफेर होने वाला है। क्या हेरफेर होने वाला है। दो काम साथ-साथ चलने वाले हैं। एक पक्ष इधर चलने वाला है एक पक्ष उधर चलने वाला है। एक पक्ष क्या है एक पक्ष विनाश का पक्ष है विनाश का पक्ष चारों ओर चलेगा आप देख लेना आप तो जिंदा रहेंगे जिंदा तो हमको भी रहना है। स्थूल शरीर से नहीं रहेंगे तो सूक्ष्म शरीर से हम बराबर लड़ाई के मोर्चे पर जैसे रुग्ण रहता है रुग्ण कट जाता है और रुग्ण कटने के बाद में तलवार उठाकर के अपने बैरियों का घमासान कर देता है। इस तरीके से जो युगसंधि का समय है हम बराबर काम करते रहेंगे और साथ-साथ रहेंगे। इसमें क्या होगा?

इस समय में बड़ी मुसीबतें आयेंगी। और मुसीबतों में से आप भी टिक नहीं सकेंगे सारी दुनिया पर मुसीबतें आएगी हमारे क्या है हमारा तो बैल है घर है खेत है आप का घर है हल है मकान है सब बात है ठीक है पर आप चारों दिशा में जब आँधियाँ आती हैं तूफान आते हैं मौत आती है तब कोई भी आदमी सुरक्षित नहीं रह सकता। अगले दिन बहुत भयंकर आने वाले हैं क्या होने वाला है। इसमें नेचर प्रकृति हमसे नाराज हो गयी है। और नाराज होने की वजह से कोई न कोई कोई न कोई काम ऐसा खड़ा कर देती है जिससे हमारे खाने पीने तक पर मुसीबत आ जाती है। अभी आप ने देखा होगा। बाढ़ आयी इस तरह की बाढ़ यू०पी० में आई थी इससे पहले कभी आयी थी नहीं कभी नहीं आयी थी यह इतिहास में पहली बार आयी थी। तूफान जो अबकी बार बंगाल की खाड़ी से चला तमिल तेलगू तक चला गया और हजारों आदमी को तबाह कर डाला ऐसा पहले कभी हुआ था नहीं पहले कभी नहीं हुआ था। वहाँ मैक्सिको में एक भूकम्प आया उस भूकम्प ने कितनी जमीन को फाड़ डाला और शहर के शहर को गायब कर दिया और लाखों आदमियों को स्वाहा कर दिया कभी आपने देखा था क्या नहीं आपने कभी नहीं देखा। नेचर बहुत नाराज हो गयी है। ठंडक के दिनों में गर्मी और गर्मी के दिनों में ठंडक बरसात के दिनों क्या किसके दिनों में क्या और बीमारियाँ फैलती हैं तो ऐसी फैलती हैं कि डाक्टर लोग कहते हैं कि हमने तो इनका नाम भी नहीं सुना कभी देखा भी नहीं हमको तो हमारी किसी किताब में पढ़ाया ही नहीं गया क्या दवाई दें इसकी कुछ मालूम ही नहीं पड़ता। एक एक गाँव में से एक एक दिन में २३-२३ उम्र के बच्चे चले जाते हैं और डाक्टर कहते हैं कि साहब हम क्या सुई लगाये क्या दवाएँ लगाये कुछ पता तो है नहीं। यह हमारी किताब में हमने कभी पढ़ा नहीं है सब। ऐसी बीमारियों पर बीमारियाँ चली आ रही हैं। नेचर के नाराज होने से कभी वर्षा अंधाधुन्ध हो जाती है कभी सूखा ज्यादा हो जाता है।

नेचर के सिवा लोगों का जो क्रम है उसे आप देख रहे हैं न। चोरियों का इतिहास आपको पढ़ने को मिल रहा है न। डकैतियों का इतिहास आपको पढ़ने को मिल रहा है न खून खराबियाँ इस तरह से हो गयी हैं कि कोई आदमी किसी को मजाक करता था दिल्लगी करता था गुदगुदा देता था इस तरीके से बन्दूकों के कट्टे गाँव-गाँव में बिकने लगे हैं लेकर के चोर और उठाईगीर चाहे जहाँ घूमते हैं और चाहे जिसे मार देते हैं। इससे पहले कभी हुआ है। लड़ाइयों में होता था लड़ाइयों में बंदूकें चलती थीं। गोलियाँ चलती थी मारकाट होती थी पर गाँव-गाँव में बिना किसी वजह के कोई टट्टी को जा रहा है और उसको मार दिया कभी सुना आपने ऐसे बलात्कार कभी सुने आपने जिसको सामूहिक बलात्कार कहते हैं। नहीं कभी नहीं सुना है। बहुओं को किस तरीके से जलाया जाता है ऐसा इतिहास कभी पढ़ा है आपने। बहुओं को यह तो सुना है कि मारपीट की गई घर से निकालकर उसके मायके भेज दिया गया दो चार महीने लड़ाई झगड़ा रहा फिर बुलाकर के ले आया। मट्टी का तेल डाला और जला दिया एक एक प्रान्त में ढेरों का ढेरों पहले कभी देखा था आपने कभी नहीं देखा था। वातावरण हमारा वायुमंडल हमारा कैसा हो गया है इसके बारे में मैं क्या हूँ आप अंग्रेजी के अखबार पड़ते हों तो आप देख लीजिये। कालेजों में स्कूलों में जो लड़कियाँ जाती हैं छोटी-छोटी उमर की होती हैं गर्भवती हो जाती हैं कभी ऐसा हुआ था नहीं इससे पहले कभी नहीं हुआ था यह ऐसा समय है और भी इसमें बहुत सारी समस्यायें हैं यह तो मैं सामान्य बात बता रहा हूँ। सामान्य बात इसलिये बता रहा हूँ कि आप यह रोज अखबारों में पढ़ सकते हैं। भोपाल की गैस मामला आप किसी से भी सुन सकते हैं इसके सिवाय कुछ और बातें हैं हाँ और बातें हैं जो आपमें से शायद ज्यादातर लोगों को मालूम न हो। एक बात क्या है एक बात यह है कि हवा में जहर घुलता हुआ चला जा रहा है आज आप जो साँस ले रह हैं दिखाई तो नहीं पड़ती लेकिन इसके साथ-साथ जहर घुला पड़ा है। जहर साँस के साथ में जाता है आपके पेट में चला जाता है सीने में चला जाता है गुर्दों में चला जाता है आँखों में चला जाता है जहर तो आखिर जहर होता है।

मंदा जहर होगा तो धीरे काम करेगा तेज जहर होगा तो जल्दी काम करेगा। पानी के बारे मे कभी आपने सुना है गंगा का पानी ले जाते थे और उसको शीशी में भरकर रख देते थे कभी सड़न नहीं होती थी लेकिन रोज सुनने में आता है कि गंगा का पानी कोई मत पीजिये गंगा जी का पानी कोई मत पीजिये गंगा जी में कोई मत नहाइये। गंगा जी में कोई मत नहाइये। यह क्यों ? कारखानों का जो रासायनिक दवाएँ छिड़की जाती है कीड़ों को मारने के लिए उनका सबका पानी बहकर के बरसात के साथ-साथ फैक्टरियों का पानी सब गंगा जी में चला जाता है। चले जाने का परिणाम क्या होता है आपको पीने को वही मिलता है। हम तो कुएँ का पीते हैं अरे भाई साहब कुँए का नहीं पीते आप नदी का पीते हैं नदी मान लो सूख जाये और नदी में दो वर्ष पानी न बरसे तो फिर आप निकाल लेना कुएँ में से कैसे निकालते हैं। कुएँ में से नदियों का पानी आता है वही छोटे छोटे सूराखों में से होकर के कुओं में आ जाता है आप कुएँ का पीते होगे नल का पीते होंगे इससे क्या हुआ लेकिन पानी का जो मूल स्वरूप है जिसमें जहर घुलता हुआ चला जाता है। हवा है जिसमें जहर घुलता चला जाता है। इसको जरा आप देखिये विकिरण को तो शायद आप समझते भी न होंगे। एटेमिक हथियार जो बनाये जा रहे हैं उन एटेमिक हथियारों का जो एक तरह कंपन निकलता है गैस निकलती है वह सारी हवा में फैल जाती है विकिरण कहते हैं उसे। आपके बच्चे कैसे होंगे। गूँगे पैदा होगे, बहरे पैदा होंगे, लँगड़े पैदा होंगे, बेवकूफ पैदा होंगे, पागल पैदा होंगे। यह जो है विकिरण लोगों को इस तरीके से तबाह किये डाल रहा है। यह किसकी बात है नेचर की बात है हवा की बात है और जमीन में से हम सामान जितना था उसके अंदर गर्मी भरी पड़ी थी उसको हम निकाल रहे हैं। तेल को हम निकाल रहें हैं, मिट्टी का तेल निकाल रहे हैं, डीज़ल हम निकाल रहे हैं, पेट्रोल हम निकाल रहे हैं इसमें से लोहा हम निकाल रहे हैं कोयला हम निकाल रहे हैं यह जब हम निकाल लेंगे तो उसके अंदर रह क्या जायेगा डोल रह जायेगा। खोखलापन रह जायेगा और जमीन जब खोखली हो जायेगी भीतर की गरमी जब कम हो जायेगी तो पैदावार कम होगी की नहीं ? पैदावार कम होगी पैदावार घटेगी। जो भूकंप आते हैं विस्फोट होते हैं चलेंगे कि बंद हो जायेंगे।

अरे बाबा ये चलेंगे बंद नहीं हो जायेंगे। इसके अलावा भी है। बच्चों की तादाद कंट्रोल में नहीं आ रही है लोगों की समझ में नहीं आ रहा है। कि ऐसे खराब वक्त में अनाज की कमी पड़ेगी लकड़ी जलावन की कमी पड़ेगी। जलावन कम होता जाता है पेड़ कटते जाते हैं जंगल साफ होते जाते हैं खेत बनते जाते हैं फिर आप जलाएँगे क्या। जलाएँगे किस चीज को क्या चीज जलाएँगे। गोबर जलाएँगे तो फिर खाद कहाँ से लायेंगे खाद लायेंगे तो फिर गोबर जलाने को कहाँ से लायेंगे। लकड़ियाँ पहले जलावन के लिए जंगल से काटकर ले आते थे अब कहा है जंगल। कहा है जलावन कहाँ है लकड़ी इस तरह की सैकड़ों समस्यायें सामने आने वाली हैं। कुछ और डरावनी बात कहूँ आपके सामने। डरावनी बातें कहूँ तो मैं यह कह सकता हूँ लड़ाइयाँ होगी तो लड़ाइयाँ चाहे बंदूक से चले चाहे उसकी चले। पिछले बार सेकेण्ड बार जो हुआ था उसमें जितने आदमी लड़ाई में मारे गये थे उससे कहीं ज्यादा आदमी इन्फ्लुएञ्जा में मारे गये थे इसके बाद इन्फ्लुएञ्जा फैला था इतने जोरों से फैला था कि उसमें इतने आदमी मर गये जितने लड़ाई में नहीं मरे थे। बच्चे रह गये थे विधवा औरतें रह गई थीं इसके बाद विधवा औरतों का और छोटे-छोटे बच्चों का जो खाने पीने का इंतजाम न हुआ कमाने वाले सब मर गये तो फिर क्या पीछे हुआ यह पहला किस्सा है आपने दूसरी लड़ाई की घटनाओं को देखा नहीं है सुना नहीं है। उस जमाने के अख़बार पढ़े नहीं हैं हमने पढ़े हैं पहले बार का भी पढ़ा है और पहला वार जब हुआ था तब हम स्कूल में पढ़ते थे। सेकेण्ड बार हमारे सामने हुआ है सेकेण्ड बार का जो तहलका दुनिया में मचा था मुसीबतें आयी थी वह अलग तरह की आयी थीं। आप अपने आपका बचाव नहीं कर सकते घर में रहेंगे नहीं घर में रहकर के बचाव नहीं कर सकते जमीन में पैदावार कम होगी खाने वाले ज्यादा हो जायेंगे। स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या ज्यादा हो जायेगी स्कूल कम होंगे। साक्षरता की समस्या हल होगी नहीं साक्षरता की समस्या कम नहीं हो सकती निरक्षर और बढ़ेंगे आगे।        

निरक्षर जब बढ़ते जायेंगे बीमार जब बढ़ते जायेंगे कमजोर जब बढ़ते जायेंगे जहर से भरे आदमी जब बढ़ते जायेंगे तो दुनिया किस तरीके से रहेगी क्या क्या दिक्कतें आयेगी कितनी मँहगाई है आजकल क्या भाव गेहूँ बिकता है थोड़ा बताना। क्या भाव शक्कर मिलती है जरा बताना। क्या भाव कपड़ा मिलता है जरा बताना। यह मँहगाईयाँ घटेगी नहीं मुझे कोई उम्मीद नहीं है घटने की। ऐसी हर एक मुसीबत आने वाली हैं महायुद्ध अगर होगा तो ऐसा होगा अबकी बार का युद्ध अगर हुआ जिसके होने की संभावना है तैयारी कर ली है जिन्होंने खरबों रुपया लगा लगाकर हथियार रक्खें हैं कोई तमाशा दिखाने के लिये थोड़े रक्खे हैं यह खिलौने थोड़े रक्खे हैं यह बजाने के लिए थोड़े है एटम हथियार जो बनाकर के रक्खें हैं यह कभी चलने लगे तो मनुष्यों का तो सफाया होगा ही जमीन का भी सफाया होना संभव है।

बहुत पुराने जमाने की बात है लाखों वर्ष हो गये बृहस्पति और मंगल के बीच में गृह था वहाँ भी विकसित सभ्यता थी जब आदमी की अकल बिगड़ जाती है तो वह बनाने की अपेक्षा बिगाड़ने का काम शुरू कर देता है। उसने बिगाड़ने का काम शुरू किया संभव है उसने इसी तरह के एटेमिक हथियार चलाये हों इसी तरह का स्टार वार किया हो जिस तरह अब होता है ग्रह जो था वह टुकड़े टुकड़े हो गया छिन्न भिन्न हो गया । छिन्न भिन्न हो करके उसके टुकड़े किसी ग्रह में जा पहुँचा किसी के छल्ले बन गये कुछ का कुछ हो गया सब घर का उसका बारा बाट हो गया टुकड़े जो कुछ दिखाई पड़ते है कुछ नेपच्यून पर दिखाई पड़ते हैं कुछ प्लूटो पर दिखाई पड़ते हैं कुछ चंद्रमाओं के रूप में दिखाई पड़ते हैं कही कोई धूमकेतु के रूप में दिखाई पड़ते हैं यह जो था ग्रह एक नष्ट हो गया उसका परिणाम है अगर यह परमाणु युद्ध हुए तो तो फिर तबाह हो जायेगी जमीन रहेगी जमीन भी नहीं रह सकती। जमीन रहेगी तो उसमें से पानी खतम हो जायेगा। मंगल में पहले पानी था लेकिन मंगल ग्रह में वो जो गया था यहाँ से टूटा हुआ यान वह इतना गरम था इतना गरम था कि उसने सारा पानी सुखाकर खतम कर दिया था। पानी भी हो सकता है खतम अनाज की पैदावार भी खतम हो सकती है अगला दिन बुरा आयेगा।

अगले दिन के बारे में भविष्य वक्ताओं ने बहुत सी बातें लिखी हैं। भविष्य वक्ताओं में से किनने-किनने बातें लिखी हैं। चौदहवीं सदी की बात सुनी है मुसलमान धर्म में लिखा हुआ है कि चौदहवीं सदी आयेगी और सारी दुनिया तहस नहस होगी। बाइबिल में ईसाइयों के यहाँ लिखा हुआ है कि सेवन टाइम आयेगा और सेवन टाइम में दुनिया तहस नहस हो जायेगी। हिन्दुओं के भविष्य पुराण में लिखा है कि भविष्य में जो समय आयेगा वह दुनिया में प्रलय खड़ी हो जायेगी वह कौन सा समय है वह तीनों के हिसाब से यही समय है जिसको हम युगसंधि का समय कहते हैं। जिसके बाबत हम आपसे जिकर कर रहे हैं यह जो समय आयेगा उस समय में क्या करना पड़ेगा इसकी सुरक्षा की तैयारी हमको करनी चाहिये। सुरक्षा की किस तरीके से हम तैयारी करें एक एक डंडा ले लो और लाठी ले लो और दरवाजे पर खड़े हो जाओ। जो कोई आयेगा हम डंडे से मारेंगे। नहीं इतनी बड़ी बातें डंडे लेने से दूर नहीं हो सकती।

तो फिर एक और तरीका है भागीरथ ने और आपने दधीचि का नाम सुना होगा भागीरथ का नाम सुना होगा एक बार धरती पर से पानी खतम हो गया था और खेतों में कहीं पानी नहीं था सूखा फैल रहा था कहीं पानी का नामो-निशान पता नहीं चलता था सारी प्रजा मर रही थी पानी के प्यासे भागीरथ ने तप शुरू किया कुआँ खोदा नहीं कुआँ नहीं खोदा स्वर्ग से गंगा जी को लेकर जमीन पर आ गये और जमीन पर पानी जमीन पी गई और जमीन पी जाने के बाद में कुओं में पानी आ गया नहरों मे पानी आ गया सब जगह जमीन खोदी कुओं में पानी आ गया गंगा का पानी तमाम जगह हो गया यह किसकी बात कह रहे मैं भागीरथ की बात कह रहा हूँ। भागीरथ ने उस पानी का मुकाबला किया था। और एक और वृत्तासुर राक्षस हुआ था वह किसी के कंट्रोल में नहीं आता था इतनी ताकत उसके पास थी कि सबको धमकाता था जाओ भाग जाओ तुम कौन होते हो जो कुछ भी करेंगे हम करेंगे हमारी चलेगी और तुम्हारी किसी की नहीं चलेगी। हम ऐसे ऐसे पानी के जहाज बनायेंगे और ऐसे जहाज बनायेंगे हम एटेमिक बम बनायेंगे और हम मिसाइलें बनायेंगे दुनिया से कहा भाग जाओ हमसे किसी ने कहा ऐसा था वह वृत्रासुर अभी आपको कहीं कहीं दिखाई पड़ रहे हैं। वृत्रासुर की शकल तो नहीं है नाम तो वृत्रासुर नहीं है नाम तो कोई और हैं इनके पर है यह वृत्रासुर तो वृत्रासुरों को ठिकाने लगाने के लिए किसकी शक्ति की जरूरत है वृत्रासुर की शक्ति को ठिकाने लगाने के लिए महर्षि दधीचि ने अपनी हड्डियों का दान किया था तप किया था और तप करके हड्डियों को इस लायक बनाया था कि हड्डियों का इन्द्र वज्र बनाया जा सके और वह हड्डियों का जो इन्द्र वज्र था वह जब चला था तब वह वृत्रासुर मारा गया था किसी और तरीके से नहीं मारा गया था।

तो हम वृत्रासुर से घिरे हुये हैं हम प्रकृति के प्रकोप से घिरे हुए हैं। हम जहर से घिरे हुये हैं हम वस्तुओं के अभाव से घिरे हुए हैं। हम मँहगाईयाँ से घिरे हुये हैं और हम लोगों के खिलवाड़ से घिरे हुए हैं। लोगों का खेलना किसे कहते हैं पहले फागुन के महीने में खेलते थे कोई किसी के चेहरे पर लाल रंग लगा देता था कोई हरा रंग लगा देता था कोई किसी को गुदगुदा देता था अब इस समय का गुदगुदाना क्या हो गया है अब यह कट्टे ढाई ढाई सौ रुपये में मिल रहे हैं और उसको लेकर के हर आदमी धोती के बगल में लगाये फिरता है और जिसको देखा बराबर से गया और खट चला दिया रोज लोगों की लाशें दुनिया में मारी मारी फिरती हैं। कोई सामने हो तो उससे मुकाबला करें किसी से वैर विरोध हो तो मुकाबला करें किराये के हत्यारे आपको चाहे जहाँ मिल जायेंगे। किसी की हत्या करानी हो तो आप ५०० रुपया निकालिये ५०० रुपया निकाल देंगे उसी की हत्या हो जायेगी। उसी को मार डालेंगे रस्सा चलते मार डालेंगे। चाकू पेट में भोंक देंगे। पिस्तौल चला देंगे रास्ता चलते चाहे जो कुछ भी करा देंगे ऐसा खरब वक्त है।

ऐसे खराब वक्त में आपको चिन्ता किसकी है हमको चिन्ता दो आदमियों की है एक तो हमारे बच्चे हैं जिनकी संख्या बहुत बड़ी हो गयी है। २४ लाख संख्या हो गई है। चौबीस लाख संख्या किसकी हो गयी है गायत्री परिवार के हमारे बच्चे जिनको हम अपने बच्चे कहते हैं जिनको माताजी बच्चे कहती है जिनके बारे में बड़ी बड़ी उम्मीदें हैं हमको। क्या उम्मीद है हमारा बच्चा बड़ा हो जायेगा इसकी बहू आवेगी फिर हमारे नाती पोते हो जायेंगे हमारे बच्चा कमाएगा फिर नौकरी करेगा व्यापार करेगा और फिर कोई लड़ने झगड़ने वाला आ जाये तो लाठी लेकर लड़ने को तैयार हो जायेगा। हमारा बच्चा हो जायेगा। बच्चे से बड़ी बड़ी उम्मीदें होती हैं। आप अभी बच्चे हैं और आपसे हमें बड़ी उम्मीदें हैं। हम बच्चे कहाँ है हम तो जवान हैं नहीं बच्चे है आप। आप बिलकुल बच्चे हैं जवान कहाँ हैं अपनी रक्षा आप कर नहीं सकते। किसी और की रक्षा कर नहीं सकते। समाज की रक्षा कर नहीं सकते देश की रक्षा कर नहीं सकते पेट भर नहीं सकते। फिर आप बच्चे नहीं तो क्या हैं। सिद्धान्त आपके पास नहीं हैं आदर्श आपके पास नहीं हैं मनुष्यों के पास जो मानवीय गरिमा होती थी वह आपके पास नहीं है बच्चे नहीं तो कौन हैं। हमें अपने बच्चों का ख्याल है। हमको बाहर का भी ख्याल है और बच्चों का भी ख्याल है।

दो हिस्सों में हमने अपनी शक्ति को बाँट दिया है। एक शक्ति हमने बाँट दी है जो कि सारे संसार के लिए रखी है। और एक शक्ति हमने अपने कुटुम्ब के लिए रखी है मान लीजिये १०० रुपया महीने हम कमाते हैं तो ५० रुपया हमने अपने बाल बच्चों का पालन करने के लिए बाल बच्चों के ब्याह शादी के लिए, बाल बच्चों की बीमारी के लिए, बाल बच्चों के दुःख मुसीबत के लिए हमने रखे हैं और पचास रुपये हमने संसार भर में जो दुःख और कष्ट आने वाले हैं दुनिया भर में जो तबाही होने वाली है उसके लिए सुरक्षित रखा है।

हमारे दो हिस्से हो गये हैं अब। दो वर्ष में आपसे मिलना जुलना नहीं हुआ है इस बीच में जो और करना है वह और करेंगे बाकी पाँच हिस्से करने होंगे अभी पाँच हिस्से करेंगे पर अभी हमारे दो हिस्से हो गये हैं। सूक्ष्म शरीर का और स्थूल शरीर का दो हिस्से हो गये हैं हमारे स्थूल शरीर यहाँ रहता है हमारा जहाँ हम बैठे रहते हैं एकान्त में क्या करते रहते हैं अब क्या बतायें आपको क्या करते रहते हैं भगवान को गालियाँ देते रहते हैं चुपचाप हम कोठरी में बैठे रहते हैं अकेले बैठे रहते हैं बातचीत करते हैं नहीं लोगों से बातचीत भी नहीं करते बसंती पंचमी में एक बार मन आ गया कि लोगों से मिल लें तो मिल लिये तो फिर हमको अपने बच्चों की रखवाली भी करनी है रखवाली के साथ-साथ सलाह भी देंगे। अगर आपकी सिर्फ रखवाली करते रहे तो भी तो काम नहीं चलेगा। आपको सलाह भी देनी है हमको और आपकी रखवाली भी करनी है दो काम करने है और न केवल रखवाली करनी है ऊँचा उठाना भी है। महापुरुष बनने के ऐसे ही मौके होते हैं।

गाँधी जी का जब स्वराज्य आन्दोलन खड़ा हुआ था तब उसमें जो आदमी जेल चले गये थे वह मिनिस्टर हो गये अमुक हो गये है वो तमुक हो गये हैं उनको पाँच पाँच सौ रुपया पेंशन मिल रही है स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हो गये हैं फोटो छप रहे है और क्या हो रहा है साहब ताम्रपत्र मिल रहे हैं सब कुछ हो रहे हैं उस जमाने में चले गये। गुरुजी इस समय हम चले जाये जेल को तो आप हमको मिनिस्टर बनवा देंगे नहीं बेटा इस समय नहीं बन सकते। वह समय था उस समय में जो तुम चले जाते तो तुम मिनिस्टर तो नहीं पर कुछ और जरूर बन जाते और जाकर कुछ नहीं मिलता तो ५०० रुपये की पेंशन तो मिल जाते टीवी पर तुम्हारा फोटो आ जाता अखबार में तुम्हारा फोटो छप जाता तुमने समय चुका दिया तो हम क्या कर सकते हैं ठीक इसी तरह का यह ऐसा समय है जिसमें हमारे बच्चों को भी बड़ा काम करना है और संसार को भी बड़ा काम करना है।

संसार में भी लड़ाई लड़नी है कैसे लड़ाई लड़ेंगे। कभी आप रामलीला में गये हैं रामलीला देखी आपने उसमें एक हनुमान् होता है हनुमान् देखा है चेहरा पीला पीला लगाये फिरता है पूछ उसकी होती है और हाथ में गदा लिये फिरता है और रामलीला में इस कोने से लेकर उस कोने तक दंगल मचाता है कुहराम मचाता है कदा लिये फिरता है देखा है ना आपने अभी सारी दुनिया भी हमारे निगाह में है। वो भी हमारी है ५०० करोड़ इंसान भी हमारे हैं २४ लाख इंसान भी हमारे है यह कुटुम्बी हैं हमारे और ५०० करोड़ बाकी जो मनुष्य जाति रह जाती है वह कौन है आपकी वह कुटुम्बी नहीं है हमारी वह संबंधी हमारा रिश्तेदार है हमारा पड़ोसी है वह सारी मनुष्य जाती हमारी एक है। आत्मवत् सर्वभूतेषु हमें हमारी जीवात्मा के समान हमको सब दूर मालूम पड़ते हैं। वसुधैव कुटुम्बकम् यह दुनिया हमको कुटुम्ब के समान दिखाई पड़ती है। तो पचास फीसदी शक्ति हमने उसके लिए रखी है आपका हम काम करेंगे और सारी दुनिया का काम करेंगे। दुनियाँ की कौन कौन सी समस्यायें हैं बड़ी समस्या है जिसमें से गरीबी की समस्या पहली समस्या है। बेकारी की समस्या दूसरी समस्या है। बीमारी की समस्या तीसरी समस्या है। चारों ओर अपराध बढ़ रहे हैं अपराध बढ़ रहे हैं एक दूसरे को खाये जा रहा है एक दूसरे का लहू पिये जा रहा है। मनुष्य भेड़िये के तरीके से जैसे भेड़ियों में कभी लड़ाई होती है तो भेड़िया एक दूसरे के ऊपर सवार हो जाता है मार डालता है उसको चीर डालता है फाड़ डालता है दोनों लड़ाई तब बंद करते हैं जब दोनों का विनाश हो जाता है। इस तरीके से भेड़ियों की संख्या कम है नहीं भेड़ियों की संख्या कम नहीं है आप देखिये न रोज का अखबार पढ़िए कितने मारे गये पंजाब में कहा मारे गये कितने बच्चे मारे गये मनुष्य भी तो कम नहीं है नेचर है तो है यह भी है। आपको यह भी करना है हाँ हमको यह भी करना है सारे संसार के लिये भी करना है क्यों साहब यह कितने वर्ष का समय है मुसीबतों का मुसीबतों का यह पंद्रह वर्ष का समय और रहा है। यह सन् ८६ चल रहा है सन् २००० में इस तरह का हो जायेगा जिसमें मुसीबतों से तबाही से छुटकारा मिल जायेगा। और नया उठाव शुरू हो जायेगा।
उठाव शुरू हो जायेगा? हाँ उठाव भी शुरू हो जायेगा। उठाव कैसे शुरू हो जायेगा पौध हमारे यहाँ बनाते है गायत्री तपोभूमि में पौध का एक छोटा हिस्सा अलग है इससे जो लोग आते हैं गुरुजी हमको बहेड़ा, आँवला का पौध दिला दो हम वैसे ही दे दे देते हैं उनको तुलसी दे देते हैं तो यहाँ से पौध तैयार होती है फूलों की पौध तैयार होती है दो महीने बाद खतम हो जाते हैं तो जब तक फूल खिलना बंद होते हैं तब तक दूसरी पौध तैयार हो जाती है उसको लगा देते हैं। इस तरीके से पौध बनाने का काम भी इसी समय करना।  

लड़ना भी हमको है। किससे लड़ना है कितना सारे है दो एक है क्या पूरी लंका है पूरी लंका में किससे लड़ोगे एक का नाम कुम्भकरण एक का नाम मेघनाद, एक का नाम मारीच, एक का नाम अमुक एक का नाम तमुक सैकड़ों समस्यायें हैं , हजारों लाखों समस्यायें हैं व्यक्ति की नहीं कहता मैं समस्याओं की कहता हूँ इन समस्याओं को हमको जद्दोजहद करनी पड़ेगी हमको लड़ना पड़ेगा हमारे पास एक बड़ा हथियार है जो भागीरथ के पास था और जो महर्षि दधीचि के पास था। ऐसा बड़ा हथियार है इसीलिये हम कहते हैं कि इतने लोग से भी लड़ने में हम समर्थ हैं उनको ठीक करने में भी समर्थ हैं और तुम्हारी रखवाली करने में भी समर्थ हैं क्यों साहब रखवाली बस करोगे बस नहीं बेटे एक और रह गया। बढ़ाना है बढ़ाना भी है तुमको रखवाली तक सीमित नहीं है जिम्मेदारी हमारी तुम्हारे ऊपर मुसीबत न आवे, तुम बीमार न पड़ो तुम्हारे घर में कोई पैसे की तंगी न आवे कोई चोर उठाईगीरा तंग न करे किसी बैरी विरोधी से लड़ाई न पड़े यह जिम्मेदारी है आपकी नहीं यह जिम्मेदारी नहीं है हमारी जिम्मेदारी यह भी है कि हमारे बच्चे जैसे बड़े होते हैं लोमश ऋषि का बच्चा ऋंगी ऋषि था लोमश ऋषि तप कर रहे थे बैठे तो राजा परीक्षित चले आये मरे हुये साँप को उठाकर डाल दिया गले में उसका बच्चा घूमता हुआ आया उसको बड़ा गुस्सा आया उन्होंने कहा हमारे बाप के साथ में बेहूदगी अच्छा ठहर जा अभी हम बता देते हैं ऋंगी ऋषि ने साँप का जो गले में पड़ा हुआ था उठाया और कहा साँप उसने कहा हाँ तू जिंदा हो जा जिंदा हो गया कि जिसने हमारे पिता का अपमान किया है उसके पास तू चला जा और सातवें दिन तू उसको काटकर के खतम कर देना। सात दिन तक बहुत रखवाली की गयी सेना रखवा दी गयी पर वह चला गया और राजा परीक्षित को काट लिया यह किसका बच्चा था यह लोमश ऋषि का बच्चा था। लोमश ऋषि के बच्चे ने एक ओर काम किया राजा दशरथ जी फिर रहे थे हमारे घर में कोई संतान नहीं होती है पहला विवाह किया दूसरा किया तीसरा किया चौथा विवाह किया बुड्ढे हो गये सफेद बाल हो गये अरे अब हमारी क्या संतान होने वाली है फिर लोगों ने कहा कि एक ऐसा असामान्य तपस्वी है उसको तुम लिवाकर ले आओ तो तुम्हारा जरूर बच्चा हो जायेगा। आप तो गुरु वशिष्ठ है वशिष्ठ है पर तपस्वी नहीं हैं। तपस्वी अलग होते हैं विद्वान् अलग होते हैं। हम तपस्वी है विद्वान् है विद्वान् भी रहे होंगे विद्वान् तो हमारी मूँछें हैं विद्वान् तो हमारी टोपी है विद्वान् नहीं हैं हम हम तपस्वी हैं जबसे हमने जनम धारण किया है तब से लेकर के और इस समय तक हमारी पूरी की पूरी जिंदगी तपस्वी का जीवन व्यतीत करने में व्यतीत हुई है इसीलिये तपस्वी के पास जो शक्ति होनी चाहिये वह हमारे पास है। तुम्हारी सुरक्षा भी करेंगे और ऋंगी ऋषि के शाप से जो तबाही हो गयी थी परीक्षित जैसों की गलत काम करने वालों को मिट्टी में मिला दिया था वह काम किया था और वह काम किया था कि राजा दशरथ जैसे महापुरुष जो इस बात के इच्छुक थे कि हमारे संतान होनी चाहिये ऐसी संतान होनी चाहिये जो कि भगवान् कहलाये।

भगवान् कहलाने वाले ऋंगी ऋषि गये थे और ऋंगी ऋषि ने यज्ञ कराया था नहीं कोई और यज्ञ करा लेगा बहुत से पंडित हैं अरे बहुत पंडित है तुम्हारे यहाँ पंडित है श्लोक बोल लेते हैं श्लोक बोल लेते हैं तो पंडित हैं श्लोक बोलने वाले को पंडित कहते हैं। श्लोक बोलने वाले को पंडित नहीं कहते तपस्वी को पंडित कहते हैं। तपस्वी को पंडित कहते हैं तो तपस्वी ऋंगी ऋषि बुलाये गये थे और ऋगी ऋषि ने हवन कराया था चाहे कोई करा लेगा नहीं चाहे कोई नहीं करा सकता हवन हमारे गाँव में पंडित जी है वह नाराज हो रहे थे हम करेंगे आपका हवन और हम पुरोहित हैं पुरोहित है तेरा सिर तू हवन नहीं करा सकता वहाँ बैठ तू जजमानों से पैसे ले जा दक्षिणा ले जा और वहाँ बैठ ते यज्ञ नहीं करा सकता। तपस्वियों का काम है तपस्वियों के यज्ञ का कोई परिणाम निकल सकता है। तपस्वियों के यज्ञों के बड़े बड़े परिणाम निकले हैं। तो हमको ये क्या करना है हमको यह भी करना है आपको हमको बढ़ाना भी है आप यदि दशरथ है तो आपकी गोदी में हमको राम भी बैठाने हैं हमको लक्ष्मण बैठाने है, हमको भरत बैठाने है, हमको शत्रुघ्न बैठाने हैं और छोटे होकर के आपको संपन्न बनाना है। बहुत छोटे छोटे आदमी हुये हैं एक फोर्ट थे एक रॉकफेलर थे जिन्होंने करोड़ों रुपया खर्च कर डाला भामाशाह थे हमारे उन्होंने करोड़ों रुपया खर्च कर डाला आपके पास है अरे गुरुजी हमारा तो गुजारा ही नहीं होता हाँ बेटे तुम्हारा गुजारा नहीं होता पर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चों का गुजारा होना चाहिये उनका समर्थ गुरु रामदास का एक बच्चा था क्या नाम था उसका शिवाजी वह क्या हो गया था बड़ा हो गया था कितना बड़ा हो गया था कितना बड़ा इतना बड़ा कि उसको छत्रपति कहते थे उसका किला भी था वह राजा भी था उसकी सेना भी थी पर था वह जानवर चराने वाला लेकिन छत्रपति हो गया था। आप वो होगे तो भी हम आपको छत्रपति बनाने के ख्वाब देखते हैं। आपके ख्वाब पूरे होगे हमारा ख्याल है कि हमारे ख्वाबों में अब तक सारी जिंदगी में जितने ख्वाब देखे हैं सब पूरे हुये हैं कोई अधूरा भी नहीं हुआ आप २४ लाख बच्चों के बारे में हमारे ख्याल है कि यह सब सुरक्षित रहेंगे इनकी सुरक्षा में कोई बाधा नहीं पड़ने पावे एक दूसरी हमारी यह इच्छा है कि हमारा कोई ऐसा बच्चा न हो कि यह गुरुजी का शिष्य है गुरुजी का बच्चा है यह गुरुजी के साथ रहता है देखो इसकी कैसी मिट्टी पलीत हो रही है देखो बेचारा कैसा गरीबी सूरत में आ गाया है। नहीं हम समुन्नत बनाना चाहते हैं। हमारे संपर्क में जो भी आया है समुन्नत हुआ है। पारस को जिसने छुआ है वह लोहा रहा होगा तो लोहा रहा होगा लेकिन समुन्नत हुआ है आपको समुन्नत बनायेंगे। अगले दिनों में राजा बनाओगे हमें नहीं बेटा राजा नहीं बनायेंगे राजा से बड़ा महाराजा बनायेंगे महाराजाओं का बड़ा महाराजा बनायेंगे। महाराजा जिनके चरण धोकर के सुदामा के चरण धोकर के श्रीकृष्ण भगवान् ने पिये थे।

और न केवल चरण धोकर पिये थे बल्कि सारे राजमहल में सब रानियों को बुलाया था और पूरे राजमहल पर छिड़का था कि यह ब्राह्मण का जल है इसको सब जगह छिड़क दो। तुमको हम सुदामा बनायेंगे और कौन बनाओगे विश्वामित्र बनायेंगे और कौन बनाओगे शिवाजी बनाये और कौन बनाओगे प्रताप बनायेंगे और कौन बनाओगे ऐसे बनायेंगे कि जिनको यह न कहा जायेगा कि इन्होंने केवल खाया है पिया है और हगा है। नहीं खाया पिया और हगा ऐसे तो सैकड़ों चोर उठाईगीर हैं जो कि यह सब काम करते हैं नंबर दो का काम करते हैं ब्लैक का काम करते हैं किसी के पास लाख रुपया जमा हो पुलिस ले गयी किसी के घर में छापा मारा पकड़ लिया ऐसा बनाओगे नहीं बेटा ऐसा नहीं बनायेंगे भूखे तो तुम नहीं रहोगे, नंगे तो तुम नहीं रहेंगे, उघारे तो तुम नहीं रहोगे बेइज्जत तुम्हें समाज में नहीं होने देंगे खाने कपड़े का अभाव तो किसी को नहीं रहने देंगे पर जो विशेषता है वह तुम्हारा हम किला बनवाये या कोठी बनवाये नहीं किला कोठी नहीं बनवायेंगे तुम्हारी तुमको इस तरह से बनायेंगे जिससे कि इतिहास धन्य हो जाये।

तुमको राजा हरिश्चंद्र बनायेंगे तुमको कौन कौन बनाओगे। तुमको बहुत अच्छे अच्छे बनायेंगे। तुम्हारी ओर भी हमारा ध्यान है एक काम अगले दिनों जो हमको करना है वह यह करना है। एक काम ओर बताया न कि यह दुनिया बड़ी तहस नहस हो रही है आप इसका क्या करोगे इसको हम एक धुरी पर इकट्ठी करेंगे। अगले दिनों यह राज्य उस पर चढ़ाई करेगा वह राज्य उस पर चढ़ाई करेगा सारे राज्यों का चक्रवर्ती राज्य एक राज्य बनायेंगे सारी पृथ्वी पर एक राज्य होगा। एक धर्म होगा यह इस धरम वाला है यह उस धरम वाले को मारेगा तू हमारे धरम में आ जा हम तुझे इतना पैसा देंगे तू हमारे धर्म का नहीं है तुझे हम मार डालेंगे खबर दार बेकार बात बकेगा। एक धर्म सारी दुनिया का होगा। और एक राष्ट्र सारी दुनिया का होगा। और एक मैनेजमेण्ट एक व्यवस्था दुनिया में होगी। कैसी व्यवस्था होगी? ऐसी व्यवस्था होगी कि कोई आदमी छोटा बड़ा नहीं होगा। गुरुजी जो छोटा बच्चा होगा वह बड़े के बराबर हो जायेगा नहीं बेटा छोटा बच्चा बड़े के बराबर तो नहीं होगा लेकिन समानता के अधिकार प्रत्येक को मिलेंगे, विषमता लोगों के बीच में रहेगी नहीं और सब आदमी एक तरह से रहेंगे। एक होकर के रहेंगे, भाई भाई होकर के रहेंगे, कुटुम्बी होकर रहेंगे हमने अपने जीवन में परिवार बनाये है आगे भी हम पूरे विश्व को परिवार बनाने के लिए तैयारी करने जा रहे हैं। हमारा यह कार्यक्रम में आप उसमें शामिल रहना। आप उसमें शामिल न रहेंगे तो किसमें शामिल रहेंगे आप परिश्रम में शामिल रहेंगे हमारे साथ में तो आप फायदे में भी शामिल रहेंगे। शेयर जो कंपनियाँ है कई कंपनियों के बहुत बड़े बड़े शेयर हो गये हैं। वेस्ट एण्ड वाच कंपनी का सौ रुपये का शेयर था वह अब दो हजार रुपये का हो गया है।

हमारी कंपनी में आप शामिल रहना हमारे पाँव हाथ बनकर रहना गुरुजी हमने तो सुना है कि आप बुड्ढे हो गये हैं और आप तपस्या करके हिमालय चले जायेंगे मर जायेंगे। खबरदार बेकार बात करेगा तो। हम मरेंगे मरेगा चूहा मरेगा मेढक। मरेगा कुत्ता। हम मरेंगे कोई हमारा शरीर कभी बदला जा सकता है। सन् २००० तक हम बिलकुल मोर्चे पर खड़े रहेंगे। ऐसे मोर्चे पर खड़े रहेंगे, शरीर कभी कभी कहता है चलना है एक दिन में बीस मील और यह कहता है नहीं साहब बीस मील के लिए सवारी लाओ तब हम चलेंगे नहीं तो बीस मील हम पैदल नहीं चल सकते। तो इस तरह से शरीर को हम कर भी सकते हैं कि वह सूक्ष्म शरीर के रूप में वह बीस मील क्या बीस हजार मील भी चल ले और यह हाथ से कितना वजन उठा सकते हैं आप बेटा बीस किलो उठा लेंगे चालीस किलो उठा लेंगे ज्यादा तो नहीं उठेगा। और आप सौ किलो वजन रख दें तो तो सौ किलो चलेगा नहीं हमसे यह हमारा शरीर नहीं है शरीर सीमित होता है। शरीर में दिक्कत होती है हमारा सूक्ष्म शरीर असीमित है। सूक्ष्म शरीर की सीमा इतनी बड़ी है वो बड़े से बड़े काम कर सकता है इतने बड़े काम कर सकता है यह जो मिट्टी वाला शरीर काम करता है आपको तो इस मिट्टी वाले शरीर से मोह है दो वर्ष हमने इसमें लगाये कि हम किसी ने नहीं बोलेंगे अरे मर गये गुरुजी और चले गये और गुरुजी के बिना हमारा कैसे काम होगा।

बेटा हम तुम्हारे वहाँ पहुँचेंगे घर तुम्हारे घर पर देख-भाल करेंगे। हमारी स्थिति ऐसी है कि तुम्हारे साथ-साथ रह सकते हैं तुम्हारे घर रह सकते हैं बीमार हो जाता है अस्पताल की नर्सें फिरती है उसके पीछे पीछे डाक्टर फिरते हैं उसके पीछे पीछे दूसरे जन फिरते है पीछे पीछे मरीज तो बेचारा ऐसा होता है उठा भी नहीं जाता करवट भी नहीं बदला जाता अरे तो हम सिविल सर्जन है हम तुम्हारे घर पहुँचेंगे तुम्हारे साथ साथ पहुँचेंगे तुम्हारे पीछे पहुँचेंगे तुम्हारे साथ रहेंगे तुम्हारी विषमकाल जो आ रहा है इससे बड़ा विषमकाल कभी नहीं आया। इस विषमकाल में तुम्हारे ऊपर छाता बनकर रहेंगे और खाली छाता बनकर रहोगे नहीं खाली छाता बनकर नहीं रहेंगे तुम्हारा भविष्य उज्ज्वल बनाने के लिये तुम्हारी पीढ़ियाँ उज्ज्वल बनाने के लिए तुम्हारे खानदान को उज्ज्वल बनाने के लिये उसके लिए भी जो कुछ भी हमने बनेगा वह हम सब करेंगे। यह हमारी पचास फीसदी शक्ति है। और पचास फीसदी शक्ति पचास फीसदी शक्ति में हम दुनिया को शानदार बनायेंगे। लड़ोगे पहले तो हम लड़ेंगे। नींव खोदनी पड़ती है और नींव खोदने के बाद में फिर उसमें ऊपर से महल चुना जाता है। नींव खोदने में बड़ा संघर्ष होने वाला है। अब इस समय जो लोग है उनसे हम कहें जैसे अभी आपके सामने कह रहे हैं इस तरह से कहें तो कोई मानेगा नहीं कोई नहीं मानेगा। तो फिर क्या करना पड़ेगा जो जिस भाषा में समझता है उसको उस भाषा में समझाना पड़ेगा। जो अंग्रेजी समझता है उससे अंग्रेजी बोलनी पड़ेगी और जो मराठी जानता है उससे मराठी बोलनी पड़ेगी। जो सिवाय शक्ति के अलावा और कोई बात नहीं समझते, धमकी के अलावा कुछ नहीं समझते, जो ताकत के अलावा कुछ नहीं समझते, उनको हम ताकत से भी समझाएँगे। शक्ति से भी समझाएँगे जो वैसे ही समझ सकेगा भलमनसाहत से उसको भलमनसाहत सभी समझा देंगे। यह सारे विश्व में कितना बड़ा काम पड़ा है दुनिया का एकीकरण करना है। सारे विश्व में फैले हुये राज्यों का एकीकरण करना है। सारी फैली हुई जमीन किसी ने कितनी दबा रखी है किसी ने कितनी दबा रखी है सबको समानता का हिस्सा होगा सब आदमी मिल बाँटकर खायेंगे और हँसते हँसाते रहेंगे।

हँसते हँसाते जिंदगियाँ लोगों की बनाने के लिए एक और एक समानता का अवसर हर एक के हिस्से में आ जाये हर एक को मिल सके ऐसा बनाने के लिए दुनिया में मैनेजमेण्ट एक ही रहेगा। घर में एक मैनेजमेण्ट होता है और जो कमाई होती है उसमें सबका हिस्सा होता है। जो छोटा बच्चा हुआ है वह भी उसका मालिक हो जाता है। छोटे बच्चे को दूध का इंतजाम उसी दिन करना पड़ता है छोटे बच्चे की दवाई का इंतजाम उसी दिन करना पड़ता है। स्त्रियाँ कमाती नहीं है दूसरे कमाते नहीं हैं बच्चे स्कूल जाते हैं कमाते नहीं है। कमाते नहीं हैं तो क्या है उस कुटुम्ब के हिस्से हैं इसलिये कुटुम्ब के जो कमाने वाले हैं वह उनको खिलायेंगे। ऐसी बड़ी शानदार दुनिया का ख्वाब हमारे दिमाग में है। तोड़ने का जमाना है तोड़ने की भी बड़ी हिम्मत है हममें। हमारे अंदर एक ऐसा बैठा है ऐसा बैठा है जहाँ जहाँ भ्रष्टाचार दीख रहा है जहाँ जहाँ अनीति दीख रही है जहाँ जहाँ अत्याचार दीख रहा है जहाँ अवांछनीयता दीख रही है जहाँ खौफनाक दीख रहे हैं जहाँ जहाँ खतरे दीख रहे हैं और दीख रहे हैं उन सबसे लड़ने के लिए हमारे भीतर का एक सूरमा कौन है सूरमा अच्छा यह भी कह लीजिये आप हमको। शूरमा कहे तो कह लीजिये हमारा कलेजा सूरमा की क्या बात है। सूरमा के कितने लम्बे हाथ हैं आपके हाथ तो हमारे कोई लम्बे नहीं हैं हाथ तो हमारे जरा जरा से ही हैं पाँव कितने कितने हैं पावं तो लम्बे नहीं है पर खोलकर कभी देखने का हो आइंस्टीन जब मरे थे उनके मरने के बाद में दिमाग खोलकर देखा गया था कि इनके दिमाग में क्या विलक्षणता है जो इनके बराबर का कोई वैज्ञानिक नहीं है हमारे भीतर यह चीज खोलकर देखना उसका नाम है कलेजा। कलेजे में बड़ी हिम्मत है हमारे भीतर बड़ी हिम्मत है हमारे भीतर। बस आपकी लड़ने की हिम्मत है नहीं हनुमान् जो थे वह लड़ाई का मौका रहा जब तक तब तक लड़ाई के मौके पर रहे और लड़ाई के बाद में भगवान् राम अयोध्या आ गये थे तो उन्होंने पहले रामराज्य की स्थापना की थी स्वराज्य बनाया था बनाना भी हमको है तोड़ना भी हमको है। तोड़ना भी हमको है तोड़ने में भी शक्ति लगाएँगे बनाने में भी शक्ति लगाएँगे।

यह सारे संसार की बाबत हम कह रहे हैं। और आपके बारे में । आपकी रखवाली भी करेंगे और ऊँचा भी उठायेंगे। बच्चा छोटा होता है और यह कहता है कि पिताजी मेला देखने जाऊँगा मेला दिखाने ले जाओ है वह जरा सा पहले गोदी में उठाते हैं गोदी में उठाने के बाद वह यूँ कहता है कि साहब गोदी में आपने उठा लिया मेला तो दिखाई नहीं पड़ता लोगों के सिर दिखाई पड़ते हैं वह उठाकर के कंधे पर बिठा लेता है। आपको कंधे पर बिठायेंगे।

कोई पिता यह नहीं चाहता कि हमारा बच्चा हमसे कमजोर हो जाये छोटा हो जाये और दुबला रह जाये और क्या हुआ है अरे बच्चा हुआ है कहाँ है बच्चा दिखाना जरा अरे यह तो बकरे का बच्चा है। बकरे को शरम कि हाथी के पेट में से मैं पेंदा हुआ हाथी को शरम कि हमारे पेट से हाथी होना चाहिये था तो यह बकरा हो गया है। तो आपको बकरा ही रहने देंगे नहीं आपको बकरे की हैसियत में नहीं रहने देंगे। आपको दुखी हम नहीं रहने देंगे। आपको कठिनाइयों में घिरा हुआ नहीं रहने देंगे। आपको हम ऊँचा उठायेंगे। सभी दृष्टि से ऊँचा उठायेंगे।

पैसे की दृष्टि से पैसा तो बेटा अगले दिनों ऐसा आ जायेगा कि सोने की सलाखें कोई घर में जमा करेगा नहीं अभी भी छापे मारे जा रहे हैं उस जमाने में भी कोई ऐसा छापा मारेगा कि जमीन में गड़ा हुआ निकाल ले जायेगा और सब निकाल ले जायेगा। उस जमाने में तो बेकार जो चीज रहेगी ही नहीं उसको हम क्या देंगे। मालदार नहीं बनाओगे नहीं मालदार नहीं बनायेंगे। आपको भावनाशील बनायेंगे, आपको विचारशील बनायेंगे, आपको महामानव बनायेंगे, आपको ऋषि बनायेंगे, आपको देवता बनायेंगे, आपको बनाने की बहुत इच्छा है। और न केवल आपके बारे में बल्कि सारे संसार को बहुत शानदार बनाएँगे ऊँचा उठा हुआ बनायेंगे। समुन्नत बनायेंगे सुखी बनायेंगे और इस तरह से बनायेंगे जिस तरह से धरती पर स्वर्ग उतरता हुआ दीखे और इंसानों को ऐसा बनायेंगे जो शकल की दृष्टि से इंसान हों लेकिन वह इंसान न हों देवता उनके भीतर से निकल रहा हो। देवता उनके भीतर से फैल रहा हो। देवता उनके भीतर से काम कर रहा हो अगली हमारी यह योजना है। तो इस समय से लेकर अगले समय की योजना के बारे में संक्षेप में थोड़ी सी जानकारी दी कल आपको दूसरी बतायेंगे कि आगे हमको क्या करना है।

समाप्त

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