
(महात्मा गाँधी)
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
आशावाद आस्तिकता है। सिर्फ नास्तिक ही निराशावादी हो सकता है। आशावादी ईश्वर का डर मानता है, विजय पूर्वक अपना अन्तर्वाद सुनाता है, उसके अनुसार बरतता है और मानता है कि “ईश्वर जो करता है, अच्छे के लिये करता है।”
निराशावादी कहता है कि ‘मैं करता हूँ’। अगर सफलता न मिले तो अपने को बचाकर दूसरे सब लोगों के मत्थे दोष मढ़ता है। भ्रमवश कहता है कि ‘किसे पता, ईश्वर है या नहीं’ और खुद अपने को भला और दुनिया को बुरा मानकर कहता है कि मेरी किसी ने कद्र नहीं की’ एवं अन्त को आत्मघात कर लेता है और यदि न करे तो भी मुर्दे की तरह जीवन बिताता है।
आशावादी प्रेम में मगन रहता है। किसी को अपना दुश्मन नहीं मानता। इससे वह निडर हो कर जंगलों में और गाँवों में सैर करता है। भयानक जानवरों तथा ऐसे जानवरों जैसे मनुष्यों से भी वह नहीं डरता; क्योंकि उसी आत्मा को न साँप काट सकता है और न पापी का खंजर ही छेद सकता है। शरीर की तो वह चिन्ता ही नहीं करता; क्योंकि वह तो काया को काँच की बोतल समझता है। वह जानता है कि एक न एक दिन तो यह छूटने ही वाली है, इस लिये वह उसकी रक्षा के निर्मित संसार को पीड़ित नहीं करता। वह न किसी को दिक ही करता है, न किसी की जान पर ही हाथ उठाता है। वह तो अपने हृदय में वीणा का मधुर गान निरन्तर सुनता और आनन्द-सागर में डूबा रहता है।
निराशावादी स्वयं रागद्वेष से भरपूर होता है। इसलिये वह हर एक को अपना दुश्मन मानता है और हर एक से डरता है। अन्तर्नाद तो उसके होता ही नहीं। वह तो मधु-मक्खियों की तरह इधर-उधर भिनभिनाता हुआ बाहरी भोगों को भोगकर रोज थकता है और रोज नया भोग खोजता है और इस तरह प्रेमरहित तथा अमित होकर इस दुनिया से कूच कर देता है और उसके नाम की याद तक किसी को नहीं आती।
हिन्दुस्तान के दुःखों, आर्थिक और नैतिक दोनों का मैंने इतना अनुभव किया है कि उनकी लपटों से अगर मैं जलकर भस्म नहीं हो गया हूँ, तो उसका कारण केवल यही है कि मैं जनता की दिलाई आशा के बल पर ही जी रहा हूँ। मैं तो इसी आशा और केवल आशा के ही भरोसे घूमता फिरता हूँ कि कभी तो हम आत्म शुद्ध होंगे। कभी हमारे करोड़ों भाई-बहनों की हड्डियों में कुछ मान दिखाई देगा।