• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • इन्द्रियों पर काबू रखो।
    • चिनगारी
    • चिनगारी
    • कृतज्ञता प्रकाशन
    • VigyapanSuchana
    • आओ, युद्ध सामग्री बनावें!
    • ईश्वर प्राप्ति का उपाय
    • मस्तिष्क की सुरक्षा
    • Quotation
    • रामकृष्ण परमहंस के उपदेश
    • (महात्मा गाँधी)
    • सतयुगी बादशाह
    • निष्कलंक भगवान् की जय।
    • बुरी आदतें
    • Quotation
    • सत्संग का महत्व
    • ‘सत्’ के अनादि त्रिभद
    • विश्व शान्ति का राज-मार्ग
    • महात्मा बुद्ध की डायरी
    • टेढ़ापन निकाल दो।
    • कर्तव्य की जिम्मेदारी
    • ‘सत्य’ सम्प्रदाय का धर्म-शास्त्र
    • खतरे का घंटा बज रहा है!
    • Quotation
    • सूर्य चिकित्सा का जादू
    • प्रेम का अर्थ
    • सूर्य-चिकित्सा की पाठशाला
    • वेदों में सूर्य चिकित्सा
    • बलवान बनने के लिए
    • तुम्हीं सर्वोच्च हो!
    • सत् पथ पर कदम बढ़ाओ!
    • एक गुप्त निमंत्रण
    • युद्ध समाप्ति के सम्बन्ध में एक विचित्र अनुमान
    • VigyapanSuchana
    • मैं अपने ही पर दीवाना!
    • मैं अपने ही पर दीवाना
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • इन्द्रियों पर काबू रखो।
    • चिनगारी
    • चिनगारी
    • कृतज्ञता प्रकाशन
    • VigyapanSuchana
    • आओ, युद्ध सामग्री बनावें!
    • ईश्वर प्राप्ति का उपाय
    • मस्तिष्क की सुरक्षा
    • Quotation
    • रामकृष्ण परमहंस के उपदेश
    • (महात्मा गाँधी)
    • सतयुगी बादशाह
    • निष्कलंक भगवान् की जय।
    • बुरी आदतें
    • Quotation
    • सत्संग का महत्व
    • ‘सत्’ के अनादि त्रिभद
    • विश्व शान्ति का राज-मार्ग
    • महात्मा बुद्ध की डायरी
    • टेढ़ापन निकाल दो।
    • कर्तव्य की जिम्मेदारी
    • ‘सत्य’ सम्प्रदाय का धर्म-शास्त्र
    • खतरे का घंटा बज रहा है!
    • Quotation
    • सूर्य चिकित्सा का जादू
    • प्रेम का अर्थ
    • सूर्य-चिकित्सा की पाठशाला
    • वेदों में सूर्य चिकित्सा
    • बलवान बनने के लिए
    • तुम्हीं सर्वोच्च हो!
    • सत् पथ पर कदम बढ़ाओ!
    • एक गुप्त निमंत्रण
    • युद्ध समाप्ति के सम्बन्ध में एक विचित्र अनुमान
    • VigyapanSuchana
    • मैं अपने ही पर दीवाना!
    • मैं अपने ही पर दीवाना
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1942 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


एक गुप्त निमंत्रण

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 31 33 Last
गत मास मार्च के अंक में पृष्ठ 30 पर ‘वह काम जो आज ही करना है’ शीर्षक एक लेख के अंतर्गत जागृत आत्माओं को संगठित होने की एक योजना प्रस्तुत हो गई थी। इस योजना को विचारवान व्यक्तियों ने बड़ी गम्भीरता से देखा है और करीब पौने छः सौ व्यक्तियों ने इस सम्बन्ध में प्रत्यक्ष मिल कर तथा पत्र-व्यवहार द्वारा परामर्श किया है। समय की अत्यन्त गंभीरता और पेचोदारी को देखते हुए विशेष सावधानी के साथ विचार-विनिमय हुआ है।

अखंड ज्योति परिवार के अलौकिक दिव्य पुरुषों, महात्माओं, वीतरागी सन्तों, तपस्वियों, ऋषियों और भूसुरों ने कृपापूर्वक अपनी यंत्रणायें भेजी हैं।

उन्होंने हमें बताया है कि सतयुग सभायें या और कोई संगठन पृथक-पृथक रूप से करने का यह समय नहीं है। यह समय आगे आवेगा। अभी तो केवल इतना करना चाहिये कि जागृत आत्माएं, आध्यात्मिक साधक, धर्म-प्रेमी सज्जन एक सूत्र में बँध जावें, और निकटवर्ती विषम परिस्थितियों में सब लोग एक दूसरे की सहायता करें।

“सत् धर्म अन्तरंग गोष्ठी” का संगठन एक परिवार की तरह है। जिसका सञ्चालन अखण्ड ज्योति की संरक्षता में उसके सम्पादक द्वारा होगा। जो धर्म प्रेमी सज्जन इसमें प्रविष्ट होना चाहते हों वे ‘सत्य धर्म’ में दीक्षित होने का संकल्प-पत्र लिखें, दीक्षित होने के दिन उपवास रखना चाहिए, मौनपूर्वक आत्म चिन्तन करना चाहिये और स्याही में गंगाजल डाल कर पवित्रता, एकाग्रता और विचारपूर्वक निम्न संकल्प लिखना चाहिये।

“मैं अपने को भगवान सत्यनारायण की शरण में सौंपता हूँ, अपनी अन्तरात्मा को निष्पाप-निष्कलंक बनाने के लिये कदम बढ़ाता हूँ। अपने मन, वचन, और कर्म को सत्य, प्रेम तथा न्याय से ओत-प्रोत करने के लिये अग्रसर होता हूँ। अपने पवित्र, अविनाशी और निर्लेप आत्मा स्वीकार करता हूँ, अपनी नीति को त्याग और सेवामय बनाता हूँ और जीवन को जीने-योग्य बनाने का संकल्प करता हूँ।”

उपरोक्त संकल्प के नीचे अपने (1) पूरे हस्ताक्षर, (2) प्रवेश की तिथि, (3) पूरा पता, (4) वर्ण, (5) जन्म-तिथि साफ अक्षरों में लिखने चाहियें। यह प्रतिज्ञा-पत्र छपे हुए नहीं होने चाहिये, वरन् हाथ से ही एक-एक अक्षर लिखना चाहिए, क्योंकि इससे संकल्प में वास्तविकता और गम्भीरता आती है।

दीक्षा के दिन जो लोग निराहार रह सकें वे केवल जल पीकर रहें, जो ऐसा न कर सकें वे फलाहार पर रहें। अशक्त नमक त्याग कर एक समय अन्न का भोजन करें। उस दिन उपवास में बचा हुआ अन्न दान के रूप में सार्वदेशिक सत्य प्रचार के लिये संकल्प-पत्र के साथ मथुरा भेजना चाहिये।

मथुरा पहुँचने पर इन संकल्पों में से जो तत्काल स्वीकार करने योग्य होंगे वे स्वीकार कर लिये जायेंगे और जिनमें निर्बल संकल्प होगा उसे कुछ समय के लिये रोक लिया जायेगा। स्वीकृत संकल्पों के स्वीकृति पत्र भेज दिये जाएंगे और उनसे आशा की जाएगी कि वे इनका पालन करें। यह आदेश विशुद्ध आध्यात्मिक होंगे और उनमें किन्हीं विशेष साधनाओं का उल्लेख होगा। जो सब प्रकार सरल और किसी भी प्रकार की हानि से रहित होंगी।

सत्य धर्म में दीक्षित होकर गोष्ठी में प्रवेश करना जागृत आध्यात्मिक व्यक्तियों के लिए आवश्यक है। ताकि वे वर्तमान काल की कठोर घड़ियों से सुरक्षित रहने के लिये उच्च आत्माओं की कृपा एवं सहायता के भागी बन सकें। अन्तरंग गोष्ठी के सदस्यों को किन्हीं विशेष नियम, उपनियमों में इस समय वंचित नहीं किया जायगा। इस समय एक विशेष साधना दीक्षितों को बताई जाएगी, जिसकी शक्ति से विपत्तियों से बचा जा सके। इस सम्मिलित अनुष्ठान का फल एक सूत्र में बँधे हुए सभी सदस्य समान रूप से पा सकेंगे। यह सहायता कितनी बहुमूल्य होगी, इसको आगामी समय भली प्रकार सिद्ध कर देगा। उसकी विशेष चर्चा करके अनधिकारी लोगों का ध्यान भर आकर्षित करने का हमारा विचार नहीं है। इसलिए धर्म-प्रिय, सात्विक वृत्ति की आत्माओं को ही संकेत रूप में यह गुप्त निमन्त्रण दिया जा रहा है।

First 31 33 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • इन्द्रियों पर काबू रखो।
  • चिनगारी
  • चिनगारी
  • कृतज्ञता प्रकाशन
  • VigyapanSuchana
  • आओ, युद्ध सामग्री बनावें!
  • ईश्वर प्राप्ति का उपाय
  • मस्तिष्क की सुरक्षा
  • Quotation
  • रामकृष्ण परमहंस के उपदेश
  • (महात्मा गाँधी)
  • सतयुगी बादशाह
  • निष्कलंक भगवान् की जय।
  • बुरी आदतें
  • Quotation
  • सत्संग का महत्व
  • ‘सत्’ के अनादि त्रिभद
  • विश्व शान्ति का राज-मार्ग
  • महात्मा बुद्ध की डायरी
  • टेढ़ापन निकाल दो।
  • कर्तव्य की जिम्मेदारी
  • ‘सत्य’ सम्प्रदाय का धर्म-शास्त्र
  • खतरे का घंटा बज रहा है!
  • Quotation
  • सूर्य चिकित्सा का जादू
  • प्रेम का अर्थ
  • सूर्य-चिकित्सा की पाठशाला
  • वेदों में सूर्य चिकित्सा
  • बलवान बनने के लिए
  • तुम्हीं सर्वोच्च हो!
  • सत् पथ पर कदम बढ़ाओ!
  • एक गुप्त निमंत्रण
  • युद्ध समाप्ति के सम्बन्ध में एक विचित्र अनुमान
  • VigyapanSuchana
  • मैं अपने ही पर दीवाना!
  • मैं अपने ही पर दीवाना
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj