• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • खरे बनिए! चापलूसी से दूर रहिए!
    • नाविक से
    • नाविक से
    • नवयुग की आराधना
    • इस अंक के लेख
    • अपने पाँवों पर खड़े होइए।
    • आत्मसम्मान धन है।
    • ईमानदारी का व्यवहार
    • निजी प्रयत्न का फल
    • दुख में ही सच्चा सुख है।
    • हैजे से बचिए।
    • चिन्ताओं से घबराइये मत
    • कुछ प्राप्त करने का रहस्य
    • उन्नति की ओर बढ़िए।
    • आत्मीयता का विस्तार
    • अष्ट सिद्धि नव निद्धि
    • सात्विक सहायताएं
    • निष्काम कर्म योग
    • विनाश का आराधन
    • विनाश का आराधन
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • खरे बनिए! चापलूसी से दूर रहिए!
    • नाविक से
    • नाविक से
    • नवयुग की आराधना
    • इस अंक के लेख
    • अपने पाँवों पर खड़े होइए।
    • आत्मसम्मान धन है।
    • ईमानदारी का व्यवहार
    • निजी प्रयत्न का फल
    • दुख में ही सच्चा सुख है।
    • हैजे से बचिए।
    • चिन्ताओं से घबराइये मत
    • कुछ प्राप्त करने का रहस्य
    • उन्नति की ओर बढ़िए।
    • आत्मीयता का विस्तार
    • अष्ट सिद्धि नव निद्धि
    • सात्विक सहायताएं
    • निष्काम कर्म योग
    • विनाश का आराधन
    • विनाश का आराधन
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1943 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


विनाश का आराधन

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 19 21 Last
(लेखक- श्री दिनकर प्रसाद शुल्क विशारद, गोहद)

अल्हड़ जीवन, भोले मानव, तेरे विकास के कितने क्षण।

(1)

तेरे प्रतिभा-प्रकाश मेरे,

ध्वन्यात्मक उरोल्लास मेरे,

अवनत मुख अन्तर जगत झाँक-

है तेरे उर तम का क्रन्दन!

तेरे विकास के कितने क्षण!!

(2)

ऊषा का मदिराघर-विलास

प्रियतम का पावन-प्रणय पाश,

है करुणा वसना रजनी के-

बिखरे यौवन का चित्राँकण!

तेरे विकास के कितने क्षण!!

(3)

विद्युत का चीर सद्यत सवेश

रह रह नभ का उल्कोन्मेष,

वारिद की तिमिराच्छन्न क्षीण-

रेखाओं का है समीकरण!

तेरे विकास के कितने क्षण!!

(4)

यह प्रकृति नटी का अमिट नाट्य,

यह अभिनय अभिनव तर अकाट्य,

प्रलयान्धकार की रंग भूमि-

का है पैशाचिक दिग्दर्शन!

तेरे विकास के कितने क्षण!!

(5)

यह तेरा वैभव उदधि लुब्ध,

कल्लोल-विक्रीड़ित-स्वर अक्षुब्ध,

है उजड़ी सैकत चाहों का-

आहों से उर्वर उत्पीड़न!

तेरे विकास के कितने क्षण!!

(6)

तेरे हर्षों का रब अपार,

है शत-शत उर का चीत्कार,

तेरे विराम की आशायें-

हैं अगणित अधरों के स्पन्दन!

तेरे, विकास के कितने क्षण!!

(7)

यह प्रस्तर खण्डों का संचय,

मुक्ता, मणि, लुटा लुटा निर्दय,

अभिमानी, रजत-भ्राँति-रंजित,

भू-रज का क्यों यह संरक्षण!

तेरे विकास के कितने क्षण!!

(8)

मानवता वक्षोपरि दानव,

रच उठा आज भीषण ताण्डव,

है ये अपृप्त इच्छायें ही-

तेरे विनाश का आराधन!

तेरे विकास के कितने क्षण!!

*समाप्त*

First 19 21 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • खरे बनिए! चापलूसी से दूर रहिए!
  • नाविक से
  • नाविक से
  • नवयुग की आराधना
  • इस अंक के लेख
  • अपने पाँवों पर खड़े होइए।
  • आत्मसम्मान धन है।
  • ईमानदारी का व्यवहार
  • निजी प्रयत्न का फल
  • दुख में ही सच्चा सुख है।
  • हैजे से बचिए।
  • चिन्ताओं से घबराइये मत
  • कुछ प्राप्त करने का रहस्य
  • उन्नति की ओर बढ़िए।
  • आत्मीयता का विस्तार
  • अष्ट सिद्धि नव निद्धि
  • सात्विक सहायताएं
  • निष्काम कर्म योग
  • विनाश का आराधन
  • विनाश का आराधन
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj