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Magazine - Year 1945 - Version 2

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शक्ति संचय कीजिए।

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जीवन एक प्रकार का संग्राम है। इसमें घड़ी-घड़ी में विपरीत परिस्थितियों से, कठिनाइयों से लड़ना पड़ता है। मनुष्य को अपरिमित विरोधी तत्वों को पार करते हुए अपनी यात्रा जारी रखनी पड़ती है। दृष्टि उठाकर जिधर भी देखिये उधर ही शत्रुओं से जीवन घिरा हुआ प्रतीत होगा। दुर्बल सबलों का आहार है। यह एक ऐसा कडुआ सत्य है जिसे लाचार होकर स्वीकार करना ही पड़ता है। छोटी मछली को बड़ी मछली खाती है। बड़े वृक्ष अपना पेट भरने के लिए आस-पास के असंख्य छोटे-छोटे पौधों की खुराक झपट लेता है और वे बेचारे छोटे पौधे मृत्यु के मुख में चले जाते हैं। छोटे कीड़ों को चिड़ियाँ खा जाती है और उन चिड़ियों को बाज आदि बड़ी चिड़िया मार खाती है। गरीब लोग अमीरों द्वारा, दुर्बल बलवानों द्वारा सताये जाते हैं। इन सब बातों पर विचार करते हुए हमें इस निर्णय पर पहुँचना होता है कि यदि सबलों को शिकार होने से, उनके द्वारा नष्ट किये जाने से, अपने को बचाना है तो अपनी दुर्बलता को हटाकर इतनी शक्ति तो कम से कम अवश्य ही संचय करनी चाहिए कि चाहे कोई यों ही चट न कर जावे।

रोगों के कीटाणु जो इतने छोटे हैं कि आँखों से दिखाई भी नहीं पड़ते, हमारे स्वास्थ्य को नष्ट कर डालने और मार डालने के लिए चुपके-चुपके प्रयत्न करते रहते हैं। हमारे शरीर में उन्हें थोड़ी भी जगह मिल जाय तो बड़ी तीव्र गति से वे हमें बीमार और मृत्यु की ओर खींच ले जाते हैं। जरा सा मच्छर मलेरिया का उपहार लिए हुए पीछे फिरा करता है, मक्खियां हैजा की भेंट लिए तैयार खड़ी हैं। बिल्ली घर में से खाने-पीने की चीजें चट करने के लिए, चूहा कपड़े काट डालने के लिए, बन्दर उठा ले जाने के लिए तैयार बैठा है। बाजार में निकलिये दुकानदार खराब माल देने, कम तोलने, पैसे वसूल करने, की घात लगाये बैठा है, गठकटे, ठग, चोर, उचक्के, अपना-अपना दाव देख रहे हैं, ढोंगी, मुफ्तखोर अपना जाल अलग ही बिछा रहे हैं। चोर, गुण्डे, दुष्ट, अकारण ही जलते, दुश्मनी बाँधते और नुकसान पहुँचाने का प्रयत्न करते हैं। हितू सम्बन्धी भी अपने-अपने स्वार्थ साधन की प्रधानता से ही आप से हित या अनहित बढ़ाते घटाते रहते हैं।

चारों ओर मोर्चेबन्दियाँ बँधी हुई हैं, यदि आप सावधान न रहें, जागरुकता से काम न लें, अपने को बलवान साबित न करें तो निस्सन्देह इतने प्रहार चारों ओर से होने लगेंगे कि उनकी चोटों से अपने को बचाना कठिन हो जायगा। ऐसी दशा में उन्नति करना, आनन्द प्राप्त करना तो दूर, शोषण, अपहरण, चोट और मृत्यु से बचना मुश्किल होगा। अतएव साँसारिक जीवन में प्रवेश करते हुए इस बात को भली प्रकार समझ लेना चाहिए और समझ कर गाँठ बाँध लेनी चाहिये कि केवल जागरुक और बलवान व्यक्ति ही इस दुनिया में आनन्दमय जीवन के अधिकारी हैं। जो निर्बल, अकर्मण्य और लापरवाह स्वभाव के हैं वे किसी न किसी प्रकार दूसरों द्वारा चूसे जायेंगे आनन्द से वंचित कर दिये जायेंगे। जिन्हें अपने स्वाभाविक अधिकारों की रक्षा करते हुए प्रतिष्ठा के साथ जीने की इच्छा है उन्हें अपने दुश्मनों से सजग रहना होगा, उनसे बचने के लिए बल एकत्रित करना होगा।

जब तक आप अपनी योग्यता नहीं प्रकट करते तब तक लोग अकारण ही आपके रास्ते में रोड़े अटकावेंगे, किन्तु जब उन्हें यह मालूम हो जायगा कि आप शक्ति सम्पन्न हैं तो वे जैसे अकारण दुश्मनी ठानते थे वैसे ही अकारण मित्रता भी करेंगे। बीमार के लिए पौष्टिक भोजन विष तुल्य हो जाता है किन्तु स्वस्थ मनुष्य को बल प्रदान करता है। जो सिंह रास्ता चलते सीधे-साधे आदमियों को मारकर खा जाता है वही सिंह सरकस मास्टर के आगे दुम हिलाता है और उसकी आज्ञा का पालन करता हुआ बहुत बड़ी आमदनी कराने का साधन बन जाता है।

अच्छे स्वास्थ वाले को बलवान कहते हैं, परन्तु आज के युग में यह परिभाषा अधूरी है। इस समय शरीर बल, पैसे का बल, बुद्धि का बल, प्रतिष्ठा का बल, साथियों का बल, साहस का बल यह सब मिलकर एक पूर्ण बल बनता है। आज के युग में बलवान वह है जिसके पास उपरोक्त है बलों में से कई बल हों। आप अपने शरीर को बलवान बनाइये परन्तु साथ-साथ अन्य पाँच बलों को भी एकत्रित कीजिए। किसी के साथ बेइंसाफी करने में इन बलों का उपयोग करें। ऐसा हमारा कथन नहीं है परन्तु जब आपको अकारण सताया जा रहा हो तो आत्म रक्षा के लिए यथोचित रीति से इनका प्रयोग भी कीजिए। जिससे पशुओं को दुस्साहस न करने की शिक्षा मिले। बलवान बनना पुण्य है क्योंकि इससे दुष्ट लोगों की कुवृत्तियों पर अंकुश लगता है और दूसरे कई दुर्बलों की रक्षा हो जाती है।

आनन्द पुरुषार्थी को प्राप्त होता है। विजय लक्ष्मी की वरमाला बलवानों के गले में पड़ती है। यह वसुन्धरा वीर भोग्य है, उद्योगी पुरुष सिंहों को ही लक्ष्मी प्राप्त होती है। आनन्द और उल्लास का जीवन भी वीर पुरुष ही प्राप्त करते हैं। निर्बल दुर्बलों को तो इस लोक और परलोक में रोना-झीखना, पिटना ही हाथ रहता है। इसलिए वास्तविक जीवन, आनन्दमय, जीने की इच्छा करने वाले हर एक व्यक्ति को शक्तिशाली, बलवान बनना चाहिए।

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