• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • ‘अखण्ड-ज्योति’ द्वारा प्रकाशित अमूल्य पुस्तकें।
    • अब चरण किसकी प्रतीक्षा
    • अब चरण किसकी प्रतीक्षा (Kavita)
    • सिद्धि का मूल- साधन है!
    • श्रेष्ठतम कार्य करें।
    • बकवाद मत कीजिए।
    • स्वावलम्बी बनना आवश्यक है।
    • उत्तम सन्तान कैसे प्राप्त हो?
    • ज्ञान शक्ति बढ़ाने के उपाय
    • जीवन का यह सूनापन
    • नए ढंग से जीवन व्यतीत कीजिए।
    • कुम्भ पर्व की दुर्घटना
    • होली की पौराणिक पृष्ठभूमि
    • विवेक वचनावली
    • विवेक वचनावली (Kavita)
    • गायत्री प्रेमियों को आवश्यक सूचनाएं
    • साधना
    • साधना (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • ‘अखण्ड-ज्योति’ द्वारा प्रकाशित अमूल्य पुस्तकें।
    • अब चरण किसकी प्रतीक्षा
    • अब चरण किसकी प्रतीक्षा (Kavita)
    • सिद्धि का मूल- साधन है!
    • श्रेष्ठतम कार्य करें।
    • बकवाद मत कीजिए।
    • स्वावलम्बी बनना आवश्यक है।
    • उत्तम सन्तान कैसे प्राप्त हो?
    • ज्ञान शक्ति बढ़ाने के उपाय
    • जीवन का यह सूनापन
    • नए ढंग से जीवन व्यतीत कीजिए।
    • कुम्भ पर्व की दुर्घटना
    • होली की पौराणिक पृष्ठभूमि
    • विवेक वचनावली
    • विवेक वचनावली (Kavita)
    • गायत्री प्रेमियों को आवश्यक सूचनाएं
    • साधना
    • साधना (Kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1954 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
SCAN TEXT


गायत्री प्रेमियों को आवश्यक सूचनाएं

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 15 17 Last
(1) ‘अभिज्ञान’ आयोजन

कुम्भ पर्व पर सवालक्ष व्यक्तियों को गायत्री विद्या का ज्ञान दान देने के लिए जो ‘अभिज्ञान’ आयोजन किया गया था, उसकी गतिविधि सन्तोषजनक रीति से चल रही है। निष्ठावान गायत्री प्रेमी उसमें उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। पर अभी इस संकल्प का आधे से भी कम भाग पूर्ण हो सका है। जितना हो चुका है उससे अधिक करने को बाकी पड़ा है। इसलिए जब तक यह संख्या पूर्ण न हो जावे ‘अभिज्ञान’ आयोजन का संकल्प जारी रहेगा उसकी पूर्ति के लिए प्रयत्न जारी रखने होंगे।

जिस प्रकार 24 हजार जप का छोटा अनुष्ठान होता है इसी प्रकार 24 व्यक्तियों को गायत्री ज्ञान दान देने का भी एक ‘अनुज्ञान’ है। इसका पुण्य भी अनुष्ठान से कम नहीं है। जिन सज्जनों ने अभी तक थोड़े-थोड़े सैट मंगाये हैं वे शेष और मंगाकर 24 पूरे कर लें। और उन्हें अपने क्षेत्र में दूर-दूर तक सत्पात्रों के पास पहुँचाने का प्रयत्न करें। बेचना या वितरण करना अपनी सुविधा पर निर्भर है। यह सैट उधार भी मंगाये जा सकते हैं और सुविधानुसार मूल्य भेजा जा सकता है। जिन्हें कुछ अधिक उत्साह एवं अवसर हों वे 108 सैट मंगाकर एक दानमाला अथवा सवालक्ष अनुष्ठान की भाँति 125 सैटों का प्रसार करें। कुछ प्रभावशाली व्यक्ति 240 या 1000 व्यक्तियों को इस महाज्ञान का दान दे सकते हैं। न्यूनाधिक मात्रा में हर गायत्री प्रेमी को इस ज्ञान प्रचार अभिज्ञान संकल्प में अपना योग देना चाहिए। पाँच-पाँच पैसे मूल्य का अत्यन्त सस्ता एवं सुन्दर आठ पुस्तकों का प्रचार साहित्य केवल इसी उद्देश्य के लिए प्रस्तुत किया गया है।

जो लोग गायत्री माता के महत्व से परिचित हैं, उन्हें इस बात से भी परिचित होना चाहिए कि इस विधान की जानकारी देश के कोने-कोने में पहुँचाने से ही भारतीय आत्मबल का विकास होगा। केवल अपने जप से संतुष्ट होकर बैठा रहना पर्याप्त न होगा, माता के संदेश एवं महत्व को घर-घर में पहुँचाना भी हमारी साधना का एक प्रधान भाग है। जप अनुष्ठान की अपेक्षा यह ‘अनुज्ञान’ साधना भी किसी प्रकार माता को कम प्रसन्न करने वाली नहीं है।

(2) धन्यवाद प्रकाशन स्थगित : कुँभ पर्व पर प्रयाग में हुई हृदय विदारक दुर्घटना से समस्त गायत्री परिवार अत्यन्त दुखी हुआ है। कितने ही व्यक्तियों ने व्रत रखे हैं और उन दिवंगत आत्माओं की शाँति के लिए हवन, अनुष्ठान, श्राद्धतर्पण आदि साधन किये हैं। निःसंदेह इतने तीर्थ यात्रियों की इस प्रकार करुणाजनक अकाल मृत्यु होना सभी के हृदय को आघात लगाने वाली बात है।

गत मास जिन लोगों ने उत्साहपूर्वक गायत्री ज्ञान प्रसाद में भाग लिया है और अधिक संख्या में सैट मंगाकर अपने क्षेत्रों में वितरण किये हैं उनके चित्र, नाम परिचय आदि इस अंक में छपने की योजना थी, प्रयाग में भी जो दल प्रचार करने गया था उसका भी फोटो छपना था पर इन सभी सज्जनों ने पत्र या तार भेजकर उस शोकपूर्ण घटना के अवसर पर यह चित्र, परिचय आदि का प्रकाशन न करने का ही आग्रह किया है। हम भी उनकी इस भावना से सहमत हैं तदनुसार गायत्री प्रचार ‘अभिज्ञान’ में अधिक उत्साह से भाग लेने वालों के फोटो परिचय आदि अभी नहीं छापे जा रहे हैं। इस यज्ञ के पूर्ण होने पर एक ‘अभिज्ञान यज्ञ का सचित्र इतिहास’ ही प्रकाशित होगा जिसमें इस महान कार्य में भाग लेने वाले महानुभावों के अनुकरणीय कार्यों का विवरण रहेगा।

(3) गायत्री महायज्ञ का निमंत्रण : ऐसा निश्चय किया गया है कि प्रति वर्ष चैत्र शुक्ला त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा को गायत्री तपोभूमि में एक महायज्ञ हुआ करे। जिसमें जप, पाठ, यज्ञ, आदि का शास्त्रोक्त विशद आयोजन रहा करे। जिसमें एक शास्त्रोक्त सर्वांग पूर्ण यज्ञ एवं पुरश्चरण के साथ-साथ गायत्री परिवार के सदस्य आपस में मिल-जुल भी लिया करें और आवश्यक विषयों पर वह परामर्श एवं आत्म स्पर्श भी होता रहे जो पत्र द्वारा संभव नहीं है।

इस वर्ष यह आयोजन चैत्र शुक्ला त्रयोदशी, चतुर्दशी पूर्णिमा संवत् 2011 वि. तदनुसार तारीख 16-17-18 अप्रैल सन 1954, शुक्रवार, शनिवार, रविवार को होगा। इसमें सीमित संख्या में ही गायत्री उपासक भाग लेंगे। अधिक भीड़ एकत्रित होने से साधनात्मक कार्य ठीक प्रकार नहीं हो पाते इसलिए इसमें भी अधिक संख्या में लोग सम्मिलित न किये जावेंगे। जिन्हें मथुरा आना हो वे अपना परिचय लिखकर स्वीकृति प्राप्त कर लें। आगन्तुकों को ता. 15 की रात तक आ जाना चाहिए ताकि ता. 16 को प्रातः काल यज्ञ में भाग ले सकें।

यज्ञ में सम्मिलित होने वालों का पीले दुपट्टे, सफेद कुर्ता, धोती, पैरों में चर्म रहित जूते यही पहनावा रहेगा। स्त्रियाँ पीली धोती और पीली चादर रखें। तीनों दिन यज्ञावशिन्न हविष्यान्न ही सब को भोजन मिलेगा। भूमि शयन आदि तपश्चर्याएं उन तीन दिनों सभी के लिए आवश्यक होगी।

(4) नवरात्रि साधना : नवरात्रि के 9 दिन गायत्री उपासना के लिए सर्वश्रेष्ठ समय है। खेती में जिस प्रकार बीज बोने का एक विशेष समय होता है। ऋतु काल गर्भावान के लिए उपयुक्त होता है, उसी प्रकार गायत्री की विशेष साधना के लिए नवरात्रि का पर्व बहुत ही शुभ है। दिन और रात्रि की मिलन बेला को संध्या कहते हैं और सन्ध्याकाल में ‘सन्ध्या’ करना विशेष फलप्रद होता है उसी प्रकार शीत और ग्रीष्म ऋतुओं की मिलन बेला में आश्विन तथा चैत्र की नवरात्रि आती है। इन दिनों में किया हुआ साधन अन्य समयों की अपेक्षा अधिक उत्तम होता है।

इस चैत्र की नवरात्रि ता. 4 अप्रैल रविवार को आरंभ होगी। पंचमी और षष्ठी एक ही दिन हो जाने पर इस वर्ष नवदुर्गा एक दिन घटी है। पर गायत्री उपासना के लिए पूरी नौ रातें ही आवश्यक होती हैं। उनमें घट-बढ़ का ध्यान नहीं रखा जाता। इसलिए इन दिनों 24 हजार का अनुष्ठान करने वालों के लिए पूर्णाहुति ता. 12 सोमवार को ही होगी। प्रातः काल अपना साधन पूर्ण करके हवन करते हुए साधन समाप्त किया जायेगा।

24 हजार गायत्री जप का लघु अनुष्ठान 9 दिन में पूर्ण करने के लिए प्रतिदिन 25 मालाएं जपनी होती हैं। जो 2-3 घंटे में आसानी से जपी जा सकती हैं। इतना समय केवल 9 दिन तक निकालना कार्य व्यस्त लोगों के लिए भी कुछ कठिन नहीं है। जो लोग प्रातःकाल इतना समय नहीं निकाल सकते वे अधिक जप प्रातः और शेष सायंकाल को कर सकते हैं।

प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर पूर्व की ओर मुख करके आसन पर बैठना चाहिए। घी का दीपक या धूपबत्ती में अग्नि और पात्र में जल स्थापित रहे। संध्या गायत्री पूजन तथा गुरु पूजन के बाद जप आरंभ कर देना चाहिए। अनुष्ठान में गुरु का चित्र रखकर अथवा नारियल को गुरु का प्रतीक मान कर उसका पूजन करना चाहिए। जप के अन्त में जल को सूर्य के सम्मुख अर्घ्य चढ़ा देना चाहिए।

इन दिनों जिससे जितनी तपश्चर्या बन सके उतनी ही उत्तम है। 1. ब्रह्मचर्य 2. उपवास यह दो तप प्रधान हैं। जो लोग फलाहार पर नहीं रह सकते वे बिना नमक का फलाहार एक समय लेकर काम चलावों यह भी अर्ध उपवास है। इन प्रधान दो व्रतों के अतिरिक्त नवरात्रि में अन्य तितीक्षाएं भी उत्तम हैं।

1. भूमि शयन 2. चमड़े के जूतों का त्याग 3. पशुओं की सवारी का त्याग 4. शृंगार सामग्रियों का त्याग 5. अपना भोजन, जल, वस्त्र धोना, हजामत आदि शारीरिक कार्य स्वयं करना 6. प्रतिदिन कुछ समय मौन आदि संयम नियमों को पालने का यथासंभव प्रयत्न करना चाहिए।

जप के साथ हवन की भी आवश्यकता है। 24 हजार के अनुष्ठान में कम से कम 240 आहुतियों का हवन अवश्य करना चाहिये। प्रतिदिन 24 आहुतियाँ और अन्तिम दिन 48 करने से वह पूरा हो जाता है। नित्य न हो सके तो 240 आहुतियों का हवन अन्तिम दिन भी हो सकता है।

जो साधक अपनी नवरात्रि तपश्चर्या की पूर्व सूचना हमें दे देंगे उनके साधन का संरक्षण उनकी त्रुटियों का परिमार्जन, आवश्यक पथ-प्रदर्शन तथा अनुष्ठान का परिपोषण यहाँ पर होता रहेगा। जो साधक अपना हवन न कर सके वह भी हमें सूचित कर दें तो उनके निमित्त शास्त्रोक्त विधि से हवन यहाँ कर दिया जायेगा।

अनुष्ठान की पूर्णता पर ब्राह्मण भोजन, तथा कुछ दान पुण्य करने का नियम है। जिनकी आर्थिक स्थिति बहुत दुर्बल हो वे कम से कम 24 आटा छटाँक आटा 24 तोले गुड़ मिलाकर गौओं को खिला दें। दान पुण्य का एक सर्वोत्तम तरीका यह है कि ॥= मूल्य वाली 8 छोटी पुस्तकों के कुछ सैट मंगाकर अपने आस-पास के सत्पात्रों में वितरण कर दिए जावें।

गायत्री चालीसा अनुष्ठान : नवरात्रि में गायत्री चालीसा के 108 पाठों का अनुष्ठान होता है। 9 दिन में नित्य 12 पाठ करने से 108 पूरे हो जाते हैं। स्त्रियाँ बच्चे, रोगी, वृद्ध एवं अव्यवस्थित दिनचर्या वाले कार्य व्यस्त सभी इस अनुष्ठान को आसानी से कर सकते हैं। इसमें किसी विशेष नियम प्रतिबंध की आवश्यकता नहीं है। अन्त में 40 गायत्री चालीस प्रसाद स्वरूप सत्पात्रों को वितरण कर देने चाहिए।

First 15 17 Last


Other Version of this book



Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...

Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • ‘अखण्ड-ज्योति’ द्वारा प्रकाशित अमूल्य पुस्तकें।
  • अब चरण किसकी प्रतीक्षा
  • अब चरण किसकी प्रतीक्षा (Kavita)
  • सिद्धि का मूल- साधन है!
  • श्रेष्ठतम कार्य करें।
  • बकवाद मत कीजिए।
  • स्वावलम्बी बनना आवश्यक है।
  • उत्तम सन्तान कैसे प्राप्त हो?
  • ज्ञान शक्ति बढ़ाने के उपाय
  • जीवन का यह सूनापन
  • नए ढंग से जीवन व्यतीत कीजिए।
  • कुम्भ पर्व की दुर्घटना
  • होली की पौराणिक पृष्ठभूमि
  • विवेक वचनावली
  • विवेक वचनावली (Kavita)
  • गायत्री प्रेमियों को आवश्यक सूचनाएं
  • साधना
  • साधना (Kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj