• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • केवलाघो भवति केवलादी
    • केवलाघो भवति केवलादी (kavita)
    • हम पहले अपने को ही क्यों न सुधारें?
    • गायत्री की सहस्र शक्तियाँ
    • प्रेरणाप्रद दोहे
    • आचार्यजी की डायरी के कुछ पृष्ठ
    • आत्मबल तपश्चर्या से ही मिलता है।
    • Quotation
    • नारी की महत्ता को समझा जाय
    • सन् 1962 का भीषण भविष्य
    • पर-आश्रित होना पाप है।
    • अखण्ड ज्योति के पाठकों से
    • प्रयाण गीत
    • प्रयाण गीत (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • केवलाघो भवति केवलादी
    • केवलाघो भवति केवलादी (kavita)
    • हम पहले अपने को ही क्यों न सुधारें?
    • गायत्री की सहस्र शक्तियाँ
    • प्रेरणाप्रद दोहे
    • आचार्यजी की डायरी के कुछ पृष्ठ
    • आत्मबल तपश्चर्या से ही मिलता है।
    • Quotation
    • नारी की महत्ता को समझा जाय
    • सन् 1962 का भीषण भविष्य
    • पर-आश्रित होना पाप है।
    • अखण्ड ज्योति के पाठकों से
    • प्रयाण गीत
    • प्रयाण गीत (kavita)
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1960 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


सन् 1962 का भीषण भविष्य

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 9 11 Last
(श्री मनुभाई पी. शुक्ल)

पश्चिमी देशों के ज्योतिषियों के मतानुसार पृथ्वी पर होने वाली घटनाओं पर सबसे अधिक प्रभाव नौ ग्रहों का पड़ता है। पर प्राचीन भारतीय ज्योतिषियों ने ग्रहों के बजाय नक्षत्रों के प्रभाव को मुख्य माना है। जैसा हम जानते हैं समस्त आकाश अश्विनी से लेकर खेती तक 27 नक्षत्रों, मंडलों में बंटा हुआ है। पृथ्वी का जो भाग जिस नक्षत्र मंडल के प्रभाव में होता है उसे उसी प्रकार का ही फल भोगना होता है।

हिन्दू ज्योति में सर्वतोभद्रचक्र, कर्मचक्र और कर्पूर चक्र जगत व्यापी घटनाओं की भविष्यवाणी करने की दृष्टि से बड़े महत्वपूर्ण हैं। उनमें इन 27 नक्षत्र मण्डलों के बहुसंख्यक रूपों का वर्णन किया गया है जो भावी घटनाओं का ज्ञान प्राप्त करने के लिए अद्वितीय और यथार्थ हैं। पर उनके अनुसार फलादेश कहने में कठिनाई यह है कि वर्तमान संसार नक्षत्रों के प्रभाव क्षेत्र के अनुसार विभाजित नहीं किया गया है वरन् राजनैतिक शक्तियों के प्रभाव के अनुसार उसका विभाजन हो रहा है। नौ ग्रहों में से नेपच्यून, हर्शल, शनि आदि ऐसे हैं जिनको सूर्य की परिक्रमा में बहुत अधिक समय लगता है और इसके फल से उनके और अन्य ग्रह नक्षत्रों में होकर गुजरने में बड़ा अन्तर पड़ जाता है। ये 27 नक्षत्र भी चार भागों में बाँटे गये हैं- ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन और कार्बन।

ऑक्सीजन समूह-भरणी, कृतिका, पुष्य, मघा, पूर्वा, विशाखा और पूर्वा भाद्रपद। ये नक्षत्र दक्षिण दिशा का प्रतिनिधित्व करते हैं और वहाँ के शासक माने जाते हैं।

नाइट्रोजन समूह-अश्विनी, मगशिरा, पुनर्वसु, उत्तरा, हस्त और स्वाति। यह समूह उत्तर दिशा का प्रतिनिधि और शासक है।

कार्बन समूह-रोहिणी, अनुराधा, ज्येष्ठा, उत्तराषाढ़ा, अभीजित, श्रावण और घनिष्ठा। यह पूर्व दिशा का प्रतिनिधि और शासनकर्ता समूह है।

हाइड्रोजन समूह-आद्रा, अश्लेषा, मूल, पूर्वाषाढ़ा शताभिषा, उत्तराभाद्रा और रेवती। यह पश्चिम दिशा का प्रतिनिधि तथा शासनकर्ता समूह है।

सन् 1962 के फरवरी के मास के प्रथम सप्ताह में निरनय सिद्धाँत के अनुसार ग्रहों की स्थिति इस प्रकार रहेगी-

चन्द्रमा धनु और मकर में प्रवेश करेगा।

हर्शल-मघा-वृष के नवाँश में।

प्लूटो-पूर्वा-सिंह के नवाँश में।

नेपच्यून-विशारदा-मेष के नवाँश में।

मंगल-उत्तराषाढ़ा-मीन के नवाँश में।

शनि उत्तराषाढ़ा-मीन के नवाँश में।

सूर्य श्रावण-कर्क के नवाँश में।

शुक्र श्रावण-कर्क के नवाँश में।

केतु घनिष्ठा-सिंह के नवाँश में।

बृहस्पति घनिष्ठा-सिंह के नवाँश में

बुद्ध घनिष्ठा-सिंह के नवाँश में।

राहु अश्लेषा-कुम्भ के नवाँश में।

इससे पाठक स्पष्ट देख सकते हैं कि समस्त ग्रह केवल दो नक्षत्र समूहों में उपस्थित हैं। हर्शल, प्लूटो और नेपच्यून, ऑक्सीजन समूह में होकर गुजर रहे हैं और शेष ग्रह कार्बन समूह में होकर कार्बन (कोयला) एक पार्थिक द्रव्य है जबकि ऑक्सीजन ज्वलनशील पदार्थ है जिसमें बड़ी जल्दी आग लगाई जा सकती है।

अगर पिछली घटनाओं पर दृष्टि डालें तो सन् 1934 (वि. 1930) की 15 जनवरी को बिहार और उड़ीसा में एक महाभयंकर भूकम्प आया था और कच्छ तथा सौराष्ट्र में बड़ी कठोर शीत लहर आई थी। इनसे धन जन की अपार क्षति हुई थी। फसल एकदम चौपट हो गई थी, जमीन की जगह पानी और पानी की जगह जमीन दिखलाई देने लगी थी। उस समय ग्रहों की स्थिति इस प्रकार थी-

हर्शल-आश्विनी-मेष नवाँश

केतु-अश्लेषा-मीन नवाँश

नेपच्यून-पूर्वा फल्गुणी-तुला नवाँश

बृहस्पति चित्रा-कन्या नवाँश

बुध ज्येष्ठा-मीन का नवाँश

सूर्य-चन्द्रमा-उत्तराषाढ़-कुम्भ नवाँश

मंगल-श्रावण-कर्क नवाँश

शनि-श्रावण-कर्क नवाँश

राहु-घनिष्ठा-कन्या नवाँश

शुक्र-घनिष्ठा-तुला नवाँश

अगर हम उपर्युक्त दोनों ग्रह दशाओं की परस्पर तुलना करते हैं तो इनमें बहुत कम अन्तर दिखलाई पड़ता है। सन् 1934 में बृहस्पति ग्रहों के योग से बाहर था और केतु अश्लेषा में था। सन् 1962 में राहु अश्लेषा में 5 और बृहस्पति 7 ग्रहों के योग में आ गया है।

भारत का स्वामी ग्रह बुध उस समय अपने ही नक्षत्र ज्येष्ठा में था, पर सन् 1962 में वह वृश्चिक राशि में रहेगा जिसका स्वामी मंगल है। इस अवसर पर बुध घनिष्ठा (स्वामी मंगल) और कुम्भ (स्वामी शनि) और सिंह नवाँश में होगा। इस प्रकार इन दोनों अवसरों पर बुध की स्थिति में बहुत कुछ समानता है। इससे मैं इस निर्णय पर पहुँचता हूँ कि सन् 62 में भी एक भयंकर भूकम्प और शीत लहर आयेगी।

संसार की कुण्डली में यह योग 10वें घर में है। राहु चौथे घर में और हर्शल तथा प्लूटो 5वें घर में हैं जो अशुभ हैं। नेपच्यून हमको सातवें घर से देख रहा है। यह गृह स्थिति प्रजातंत्र शासनों के लिये शुभ नहीं है। जो पिछड़े हुये देश औपनिवेशिक अथवा निरंकुश शासन प्रणाली के विरोध में खड़े हैं और संघर्ष कर रहे हैं, उनको भी कठिनाई सहन करनी पड़ेगी क्योंकि नेपच्यून षड़यंत्रों और गुप्त कार्यवाहियों का द्योतक है। इसलिए इस अवसर पर पिछड़े हुए देशों में गुप्तचरों की कार्यवाहियाँ बहुत अधिक बढ़ जाएंगी। नवाँश की कुंडली में राहु अश्लेषा में है जो हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री पं. नेहरू का जन्म नक्षत्र है। इस अवसर पर उनकी रक्षा के लिए विशेष व्यवस्था की जानी परमावश्यक है। सन् 1962 में भारत की वैदेशिक नीति को बड़ी ही कठिन परीक्षा में होकर गुजरना पड़ेगा।

जब कि सूर्य ध्रुव-स्थिर नक्षत्रों के विभाग में होकर निकलेगा तो संसार की बहुत सी सरकारों को महत्वपूर्ण कष्ट उठाने पड़ेंगे। इस समूह में रोहिणी और तीनों ‘उत्तरा’ नक्षत्र हैं। इसी समय मंगल, भरणी, मघा और तीनों ‘पूर्वी’ के समूह से निकलेगा। इसके फल से पृथ्वी में युद्ध का वातावरण पैदा हो जायेगा। अगर इस अवसर पर शनि ‘दारुण तीक्ष्म समूह में गुजरेगा तो युद्ध का विस्तार बहुत अधिक हो जायेगा और विश्व-युद्ध आरंभ हो जायेगा। केवल मंगल का क्रूर उस समूह में गुजरना भी किसी राष्ट्र में भयंकर विद्रोह उत्पन्न करने के लिए पर्याप्त होता है।

‘कर्पूर चक्र’ के अनुसार शनि के मकर राशि में होकर गुजरने का कुप्रभाव उत्तर दिशा में पड़ता है। इस दृष्टि से भी नेपाल, बिहार, तिब्बत और हिमालय के भागों को भूकम्प का भय है। ता.- 5 फरवरी 62 को जो सूर्य ग्रहण लगने वाला है यह भी घनिष्ठा नक्षत्र में है। इसका संबंध मकर राशि से है जिसका प्रभाव जल पर पड़ता है। गुजरात, कच्छ, सौराष्ट्र और राजस्थान इस विभाग में आते हैं। चूँकि यह ग्रहण जाड़े की ऋतु में पड़ेगा, इसलिये एक कठोर शीत-लहर की सम्भावना है जिससे खेतों की फसल नष्ट हो जायेगी और भयंकर अकाल पड़ जायेगा। इस ‘गोलयोग‘ से और भी बहुत से योग बनते हैं। जैसे कहा गया है-

दिन नाथेन्दु कवयो यदैकत्र समाश्रिताः।

उत्तरस्याँ दिशिभयं प्रजाकंदति नित्यशः॥

‘जब सूर्य, शुक्र और चन्द्रमा एक साथ किसी एक ही राशि में होकर गुजरते हैं तो भारतवर्ष के उत्तरी भागों में आपत्ति का समय आता है। विशेष रूप से पंजाब, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्राँत में। इस अवसर पर प्रजा बहुत दुःख पाती है।’

बृहस्पति और केतु का योग ऐसा नाशकारी नहीं है जैसा कि बृहस्पति और राहु का। इतना ही नहीं बृहस्पति केतु के अशुभ फल को बहुत कुछ कम भी कर देता है। उत्तराषाढ़ा, श्रवण और घनिष्ठा उत्तरी पश्चिमी दिशा के प्रतिनिधि हैं इसलिए उन भागों में कष्ट के समय का सामना करना पड़ेगा। भारतवर्ष की शासक कन्या राशि है और उससे 5वें घर में यह योग होने वाला है। बारहवें घर का स्वामी 5वें घर में आ गया है। नई देहली की कुण्डली में यह योग 7वें घर में हैं। इसके फल से भारत वर्ष की पंच वर्षीय योजना में बारबार विभिन्न परिवर्तन होंगे। शिक्षा, व्यवसाय और व्यापार में गंभीर उतार-चढ़ाव और परिवर्तन होंगे जो जनता के लिए अहितकर जान पड़ेंगे। इस देश के शासन कार्य में अमरीका का प्रभाव बढ़ेगा। प्रमुख व्यक्तियों का जीवन संकट में रहेगा।

First 9 11 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • केवलाघो भवति केवलादी
  • केवलाघो भवति केवलादी (kavita)
  • हम पहले अपने को ही क्यों न सुधारें?
  • गायत्री की सहस्र शक्तियाँ
  • प्रेरणाप्रद दोहे
  • आचार्यजी की डायरी के कुछ पृष्ठ
  • आत्मबल तपश्चर्या से ही मिलता है।
  • Quotation
  • नारी की महत्ता को समझा जाय
  • सन् 1962 का भीषण भविष्य
  • पर-आश्रित होना पाप है।
  • अखण्ड ज्योति के पाठकों से
  • प्रयाण गीत
  • प्रयाण गीत (kavita)
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj