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कच्ची आस्तिकता से नास्तिक होना अच्छा
पेड़ के सहारे बेल भी ऊपर चढ़ती है
विश्व ब्रह्माण्ड में ओत-प्रोत ब्रह्मसत्ता
गेंहूँ के सदुपयोग- रोग और दुर्बलता विनाशक
मनुष्य का प्रचण्ड चुम्बकत्व और तेजोवलय
हीरा बनें या कोयला यह अपनी मर्जी की बात है
दिव्य अनुभूतियाँ श्रद्धालु को ही प्राप्त होती है
दिव्य लोकों से बरसने वाला शक्ति प्रवाह
समय की सम्पदा प्रमाद के श्मशान में न जलायें
कर्मयोग ज्ञानयोग और भक्तियोग की साधना
स्वर्ग और नरक में से हम जिसे चाहें उसे चुने
देवमानव का सृजन निकट भविष्य में ही होगा
जीवन को प्यार करो वह तुम्हें प्यार करेगा
जड़ और चेतन सूर्य की समानान्तर गतिविधियाँ
घुटन एक प्रकार की आत्महत्या है
स्वप्न आखिर है क्या बला
अपने लिए दण्ड पुरस्कारों का विधान हम स्वयं ही करते हैं
पात्रता प्रमाणित करें और विभ्ाूतियों का वरदान पायें
संगीत के दुरुपयोग की निन्दा-भर्त्सना
विवेक युक्त दूरदर्शी बुद्धिमत्ता ही श्रेयस्कर है
हम हीलियम जितने हल्के बनें
अणु बमों से बड़ा संकट- बढ़ता प्रजनन
न तो हिम्मत हारें न हार स्वीकार करें
ध्यान योग की सफलता शान्त मनःस्थिति पर निर्भर है
जीवन यज्ञ की रीति-नीति
कुण्डलिनी शक्ति जागरण का तात्त्विक आधार
बाहरी सम्पदा आन्तरिक समृद्धि की छाया मात्र है
अपनों से अपनी बात
वह किरण व्यर्थ है
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-
Year 1973 - Version 1
Media: SCAN
Language: HINDI
देवमानव का सृजन निकट भविष्य में ही होगा
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22
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Other Version of this book
Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...
Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...
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पेड़ के सहारे बेल भी ऊपर चढ़ती है
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देवमानव का सृजन निकट भविष्य में ही होगा
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हम हीलियम जितने हल्के बनें
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न तो हिम्मत हारें न हार स्वीकार करें
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बाहरी सम्पदा आन्तरिक समृद्धि की छाया मात्र है
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वह किरण व्यर्थ है