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Books - अतीन्द्रिय क्षमताओं की पृष्ठभूमि

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भविष्य वाणियों से सार्थक दिशा बोध

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‘‘पूंजीवाद तथा साम्यवाद एक कमरे में कैसे रह सकते हैं?’’ इटली में वह शक्ति कहां जो वह विश्व युद्ध में भाग ले? मुसोलिनी का उदय एक अपराजेय शक्ति के रूप में हुआ है। उसका पतन असम्भव है? विश्व-संस्था का निर्माण एक असंगत कल्पना है जिसकी स्थापना कभी भी सम्भव नहीं? एक पत्रकार ने दृढ़ शब्दों में इटली के सुप्रसिद्ध भविष्यवक्ता फादर पियो का प्रतिवाद किया। पियो का कथन था—

‘‘द्वितीय विश्व युद्ध की अनेक विचित्रताओं में अमेरिका और रूस दोनों का एक साथ मित्र सेना के रूप में युद्ध में भाग लेना भी सम्मिलित है। इस युद्ध में इटली को भी भाग लेना पड़ेगा और भाग ही नहीं युद्ध समाप्ति की पहल भी वही करेगा। तब तक मुसोलिनी का पतन हो चुका होगा और एक बार इटली को भयंकर मुद्रा स्फीति, महंगाई तथा देश-व्यापी संकटों का सामना करना पड़ेगा। इस विश्व युद्ध का आखिरी चरण इतना भयंकर होगा कि दुनिया के सभी शीर्ष राजनीतिज्ञ यह सोचने को विवश होंगे कि युद्ध, समस्याओं का अन्तिम हल नहीं है। वार्ताओं से भी समस्यायें सुलझाई जा सकती हैं इस भावना से प्रेरित एक विश्व संस्था का निर्माण होगा किन्तु उसमें राजनैतिक अखाड़ेबाजी के अतिरिक्त होगा और कुछ भी नहीं—’’

ऊपर जिस पत्रकार ने फादर पियो से इन भविष्य वाणियों की सम्भावनाओं पर आशंका व्यक्त की थी तब तक अधिक ख्याति प्राप्त न होने के कारण बहुत अधिक लोगों को तो विवाद का अवसर नहीं मिला किन्तु जब उसी पत्रकार द्वारा सर्वप्रथम प्रकाशित फादर पियो की भविष्य वाणियां एक-एक कर सच होती गईं तो एकाएक उनके नाम की इटली में धूम मच गई। इटली के एक गिरजा घर में पादरी श्री पियो अत्यन्त विनम्र स्वभाव, मधुर-वाणी, ऊंचा शरीर, स्वस्थ और गौर वर्ण और विनोद प्रिय स्वभाव के हैं। परमात्मा पर उनकी अनन्य आस्था है। अपनी निश्चिंतता का आधार भी वह इसी आस्था को मानते हैं उनका कहना है कि जब परमात्मा को अपनी हर सन्तान के हित की चिन्ता आप है तो मनुष्य व्यर्थ की कल्पनाओं में क्यों डूब मरे?

उन दिनों अमेरिका में प्रेसीडेण्ट निक्सन चुनाव लड़ रहे थे। इटली में भी उनके पक्ष विपक्ष की बातें चलती रहती थी। एक दिन यह प्रसंग फादर पियो के समक्ष भी उठा तो उन्होंने कहा—‘‘शक नहीं निक्सन अब तक के सब अमेरिकी शासनाध्यक्षों की अपेक्षा अधिक बहुमत से विजयी होंगे, किन्तु जिस तरह उफान आग को बुझा देता है और स्वयं भी तली में चला जाता है उसी प्रकार निक्सन महोदय उतने ही बदनाम राष्ट्रपति होंगे और उन्हें बीच में ही गद्दी छोड़ने तथा जन-सत्ता के अधिकारों के हनन का अपयश भोगना पड़ेगा।

उस समय कोई यह कल्पना भी नहीं कर सकता था कि इतने शक्तिशाली प्रेसीडेण्ट निक्सन को वाटर गेट कांड ले डूबेगा और उस कारण उन्हें महाभियोग तक का सामना करना पड़ेगा; पर इतिहास ने यह सब कुछ कर दिखाया।

फादर ‘पियो की तरह ही’ उत्तर पूर्वी कनाडा के हायलैंड प्रदेश की निवासिनी माल्वा डी भी अपनी यही भविष्य वाणियों के लिए विख्यात रही है। उन्हें अनायास ही वह शक्ति प्राप्त हो गई जिससे वह लोगों के फोटो या हाथ की लिखावट देखकर उसके सुदूर भविष्य को जान लेती है। इन भविष्य वाणियों के द्वारा न केवल उन्होंने अनेक लोगों को उनके खोये बच्चों से मिलाया, आजीविका के रास्ते बताये अपितु सैकड़ों लोगों की आकस्मिक दुर्घटनाओं से भी रक्षा की। ऐसे व्यक्तियों में स्वयं उनके पति भी थे जो उनसे परामर्श लिये बिना कभी भी कोई काम नहीं करते थे।

उनकी भविष्य वाणियों में कैनेडी की राष्ट्रपति चुनाव में विजय तथा उनकी मृत्यु की पूर्व घोषणा का अत्याधिक महत्व रहा। उन्होंने सन् 1961 में यह भविष्य वाणी कर दी थी कि 22 नवम्बर 1963 को राष्ट्रपति कैनेडी की हत्या कर दी जाएगी। घोषणा को लिख कर उन्होंने एक लिफाफे में बन्द करा कर उसे सरकारी प्रामाणिकता में रजिस्ट्री कराई। पीछे जब उनकी हत्या के दिन उसे खोजा गया तो लोग आश्चर्य चकित रह गये कि वह वही तिथि थी जो माल्वा डी के पूर्व रजिस्टर कराये लिफाफे में थी।

इस चर्चा का एक रोचक अध्याय यह था कि उसी दिन उन्होंने वह भी घोषणा कर दी कि 3 अगस्त 1964 को चर्चिल की मृत्यु हो जायेगी तथा 8 जून 1965 को कनाडा में एक ऐसी जबर्दस्त विमान दुर्घटना होगी जिसमें एक भी व्यक्ति जीवित नहीं बचेगा ‘‘पूर्व कथन से प्रभावित होने के कारण इस बार तो उनकी घोषणाओं को विधिवत् टेलीविजन में भी दिखाया गया। जिस दिन उनका यह कार्यक्रम प्रसारित हो रहा था उस दिन एक भी टी.वी. सेट बन्द नहीं था। लोग भारी संख्या में पहले से ही टी.वी. सेट घेर कर खड़े हो गये थे। यह दोनों भविष्य वाणियां अखबारों में भी प्रकाशित हुईं और जब निश्चित तिथियों सहित वे पूर्व सच निकलीं तो लोगों ने दांतों तले उंगली दवा ली। लोगों में एक अपूर्व जिज्ञासा विकसित होती जा रही है आखिर मनुष्य शरीर और उसकी बुद्धि में ऐसे कौन से तत्व विद्यमान हैं जो बहुत अधिक समय बाद में होने वाली घटनाओं का भी बोध करा देते हैं। अब तक मनुष्य शरीर और उसकी रचना को मात्र भौतिक दृष्टि से देखा जाता था, पर समय की इन सिमटती हुई दूरियों ने मनुष्य को अब इतना ध्यानस्थ कर दिया कि उसे मनुष्य जीवन के प्रति सुनिश्चित दृष्टिकोण प्राप्त किये बिना चैन न मिलेगा।

इन भविष्य वाणियों से जहां उच्च सत्ता का उपस्थिति, मानवता के उज्ज्वल भविष्य, इस देश की अकल्पित प्रगति और इसके आध्यात्मिक पुनरुत्थान की आशा बंधती है, वही हमारे चिन्तन में स्वस्थ अध्यात्मवादी दृष्टिकोण का भी समावेश होता है जो व्यक्ति समाज और संसार सभी के लिए उज्ज्वल संभावनाओं का अध्याय है। संसार को शान्ति और प्रगति इसी दृष्टिकोण पर आधारित है यह सुनिश्चित मानना चाहिए।

इन भविष्य वक्ताओं की ही कोटि की एक और पश्चिमी महिला पराज्ञान की शक्ति से सम्पन्न होने के कारण ख्याति अर्जित कर चुकी है। उक्त महिला का नाम था फ्लोरेन्स।
फ्लोरेन्स की अतीन्द्रिय सामर्थ्य पीटर हारकौस की तरह विस्मयकारी थी। वह हाथ से किसी वस्तु को छूकर उस वस्तु से सम्बन्धित शक्ति के बारे में बहुत कुछ बता सकती थी। न्यूजर्सी नगर की रहने वाली फ्लोरेन्स से उसके साथी नबेल ने एक बार कहा कि ‘‘आप सन्त के बारे में बताती ही रहती हैं। मेरे बारे में भी कुछ बताइए।’’नेबेल प्रसारण-सेवा का कर्मचारी था। उसने माइक फ्लोरेन्स की ओर बढ़ाया तो फ्लोरेन्स ने उसे दाहिने हाथ में थाम लिया। 15, 20 सैकिण्ड तक वह शांत रही। फिर बोली—‘‘आप शीघ्र ही किसी दूसरे राज्य के प्रसारण करेंगे।’’ नेबेल हंस पड़ा। उसने कहा कि ‘‘आपसे मैं यह अच्छा मजाक कर बैठा। अब अगर हमारे इस कार्यक्रम को हमारी कम्पनी के किसी संचालक ने सुना होगा, तो दूसरे राज्य में जब जाऊंगा तब, यहां से अवश्य मेरा कार्यकाल समाप्त समझिए।’’

कुछ मिनटों बाद कन्ट्रोलरूम में फोन घनघना उठा। वह नेबेल के लिये ही फोन था। कम्पनी के जनरल मैनेजर ने उसे बताया कि ‘‘शीघ्र ही न्यूयार्क से एक कार्यक्रम शुरू किया जायेगा। वहां तुम्हें ही भेजने का निर्णय लिया गया है। किन्तु यह घोषणा कल होगी। अभी इसे गुप्त ही रखना है। फ्लोरेन्स ने जो कुछ बताया है वह तो सच, पर उसे यह बात ज्ञात कैसे हुई? यही आश्चर्य का विषय है।’’ नेबेल फ्लोरेन्स से यह भी नहीं कह पा रहा था कि आपकी भविष्यवाणी सच हैं।

फ्लोरेन्स ने अपनी पराशक्ति के बल पर खोये हुए व्यक्तियों, वस्तुओं और हत्या के मामलों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सम्बद्ध व्यक्तियों तथा पुलिस को आवश्यक जानकारी देकर मदद की। न्यूयार्क की टेलीफोन कम्पनी के कुछ दस्तावेज गुम गये। ढूंढ़ने पर मिल ही नहीं रहे थे। अन्त में कम्पनी ने फ्लोरेन्स से प्रार्थना की कि वह उन कागजातों के बारे में बताएं। फ्लोरेन्स कम्पनी दफ्तर गई, वहां फाइलों की केबिनेट को दुआ और बतलाया कि कागज कहीं गये नहीं इसी दफ्तर में हैं। एक क्लर्क भूल से उन्हें अठारहवीं मंजिल पर स्थित स्टाक—रूम में रखी हरे रंग वाली अलमारी में छोड़ आया है। ढूंढ़ने पर वे दस्तावेज वहां सुरक्षित मिल गये।

जुलाई 1964 में ही अमरीका में वाल्टीमोर शहर की एक ग्यारह वर्षीया बच्ची घर से सहसा गायब हो गई। जिसका कुछ पता पुलिस नहीं लगा पा रही थी। वहां के अखबार ‘न्यूज अमेरिकन’ ने अपने संवाददाता को फ्लोरेन्स के पास भेजा। फ्लोरेन्स ने बताया कि उस बालिका के पड़ौस के घर के तहखाने में कुछ दिखाई दे रहा है, उसे देखा जाय।

इसके दो दिन बाद पुलिस अधिकारी जब लड़की की डायरी लेकर फ्लोरेन्स के पास पहुंचे तो उसे हाथ में लेने के बाद फ्लोरेन्स ने निश्चित रूप से यह घोषणा कर दी कि इस बालिका की हत्या की जा चुकी है और लाश पड़ौस के घर में तहखाने में दफन है। खोज करने पर लड़की का शव वहीं मिला।

एक बार एक लड़की की हत्या के प्रकरण में पुलिस जब कोई सुराग न पा सकी, तो शव के पास पड़ा एक सिक्का लेकर फ्लोरेन्स के पास पुलिस अधिकारी पहुंचा। उस सिक्के को हाथ में लेकर फ्लोरेन्स ने बताया कि यह आखिरी बार जिस व्यक्ति के हाथ में था—वह साढ़े पांच फुट लम्बा है, 160 पौण्ड वजन वाला है तथा जिस इमारत में यह शव प्राप्त हुआ है, उसके पास वाले मदिरालय में आता जाता रहता है। पुलिस ने इस आधार पर खोज की और शीघ्र ही अपराधी को पकड़ लिया। रूमाल, पुस्तक, डायरी, पेन, अंगूठी आदि कोई भी वस्तु छूकर वह सम्बद्ध व्यक्ति के बारे में बता सकती थी। पर फ्लोरेन्स ने अनुभव किया कि ऐसे प्रत्येक परा-दर्शन के बाद, जिसमें यह प्रयत्नपूर्वक अपनी शक्ति खर्च करती है, उसे अपनी अतीन्द्रिय शक्ति में कुछ ह्रास-सा अनुभव में आता है।

शीघ्र ही उसने अपने को सीमित कर लिया। अपनी शक्ति का प्रदर्शन तो फ्लोरेन्स ने पूरी तरह बन्द कर ही दिया, यह लोगों को जानकारियां अब नहीं देती। अत्यावश्यक एवं विषम परिस्थितियों में ही वह लोगों को जानकारी देती। उसने ध्यान-उपासना एवं स्वाध्याय में अधिक समय लगाना प्रारम्भ कर दिया। न्यूजर्सी के अपने मकान को उसने साधना केन्द्र ही बना डाला। कुछ वर्षों बाद उसने क्रम प्रारम्भ किया। उसकी पुस्तकें बाजार में तेजी से बिकने लगीं। इसमें से ‘‘गोल्डन लाइट आफ ए न्यू एरा’’ तथा ‘‘फाल आफ द सेन्सेशनल कल्चर’’ अधिक प्रसिद्ध हुईं। मनोचिकित्सक एवं सम्मोहन कला विशारद डा. मोरे वर्सटीन से उसकी मैत्री विकसित हुई। वह समाज सेवा के कार्यों में अधिकाधिक रुचि लेने लगी।

भविष्यवाणियों के इतिहास पर दृष्टिपात करते हुए यह तथ्य स्पष्ट हो चला है कि किन्हीं व्यक्तियों में पूर्वाभास की क्षमता आश्चर्यजनक रूप से पायी जाती है। उनकी भविष्यवाणियां असंदिग्ध रूप से समय पर सत्य सिद्ध होती है। इसका कारण क्या है और इस शक्ति को प्राप्त कर सकना हर किसी के लिए संभव है भी या नहीं? है तो किस प्रकार संभव है? इन प्रश्नों का उत्तर आज उपलब्ध नहीं है फिर भी इस तथ्य से इन्कार नहीं किया जा सकता कि संसार में असंदिग्ध भविष्यवाणियां कर सकने वाले लोग भी हुए हैं।

भविष्यवक्ताओं की परम्परा

सेनेवा कोलम्बस से 1500 वर्ष पूर्व जन्मा था, किन्तु उसने तभी यह भविष्यवाणी कर दी थी कि एक दिन पृथ्वी में कभी ऐसे आयुधों का आविष्कार होगा, जिसके बारे में कल्पना करना भी कठिन है। प्रसिद्ध चित्रकार लियोनार्दो द विची ने आज से 400 वर्ष पूर्व ही यह बता दिया था—आगे लोग आकाश में उड़ा करेंगे। इनसे भी महत्वपूर्ण भविष्यवाणी जानेथन स्विफ्ट की है। जानेथन ने ‘गुलिवर की भ्रमण कथा’ में एक लापुटा नामक द्वीप का चित्रण किया है। उसी में बताया है कि मंगल ग्रह के चारों ओर दो चन्द्रमा चक्कर लगाया करते हैं, उनमें से एक चन्द्रमा दूसरे से दुगुनी तेज गति से चक्कर लगाता है। उस समय उस बात को गप्प कहा जाता था, किन्तु 1877 में अमेरिका की नावल आब्जरबेटरी ने एक शक्तिशाली दूरबीन के द्वारा यह पता लगाया कि यथार्थ ही मंगल ग्रह में दो चन्द्रमा हैं, उनमें एक की गति दूसरे से दुगुनी है। स्विफ्ट ने बिना किसी यन्त्र के यह कैसे जान लिया इसका उत्तर मांगा जाय तो विज्ञान के पास सिवाय चुप्पी के और कोई उत्तर न होगा।

भविष्य वक्ता कब से होते रहे हैं और सर्वप्रथम अनागत भविष्य का पूर्वाभास किसे हुआ था? इसका भी कोई उत्तर नहीं दिया जा सकता पर वह पुराने समय से भविष्यदर्शी हुए हैं। प्राचीन भारतीय इतिहास में तो भविष्य दृष्टा ऋषियों का सुविस्तृत विवरण उपलब्ध है। पश्चिमी देशों में भी इस प्रकार के ढेरों उदाहरण हैं। स्पेन की सर्वश्रेष्ठ समझी जाने वाली इमारत ‘‘इस्कोनियल’’ वहां के कुख्यात राजा फिलिप द्वितीय ने बनवाई थी। इसे उसने अपनी पत्नी मेरी ट्यूडार की स्मृति में बनवाया था। इस भवन के एक कक्ष से यह व्यवस्था भी की गयी थी कि स्पेन के राजाओं की मृत्यु के बाद उनके शव उसी में गाढ़े जाया करें और उनके स्मारक बना दिये जाया करें।

फिलिप की एक भविष्य वक्ता ने कहा था, स्पेन का राजवंश 24 पीढ़ियों तक चलेगा। उसे इस पर पूरा विश्वास था। इसलिये उसने चौबीस कब्रें ही पूर्व नियोजित ढंग से बनाकर रखी थीं। सन् 1929 में स्पेन की रानी मैरिया क्रिस्टिना की मृत्यु हुई। उसका मृत शरीर 23 वें गड्ढे में गाड़ा गया। आश्चर्य यह कि वह शताब्दियों पूर्व घोषित भविष्यवाणी अक्षरशः सत्य हुई इसके बाद अलफोनो राजगद्दी पर बैठा। उसे दो वर्ष बाद ही गद्दी छोड़नी पड़ी और साथ ही राज तन्त्र का भी अन्त हो गया। इसके बाद स्पेन में गणतंत्र स्थापित हुआ और अलफोनो स्पेन का चौबीसवां—अन्तिम राजा सिद्ध हुआ।

महायुद्ध छिड़ने से पहले की बात है लन्दन के स्पेन दूतावास में एक भोज दिया जिसमें ब्रिटेन का तत्कालीन विदेश मन्त्री लार्ड हैली फैक्स सम्मिलित थे। आमन्त्रित अतिथियों में भविष्य वक्ता डी. व्होल भी थे संयोग से विदेश मन्त्री महोदय की बगल में ही बैठे थे। उन्होंने चुपके से भावी महायुद्ध और उसके सम्बन्ध में हिटलर की पूर्व योजनाओं की जानकारी बताने का अनुरोध किया। उसके उत्तर में व्होल ने कई ऐसी बातें बताई जो अप्रत्याशित थीं। हैली फैक्स ने वायदा किया कि यदि उनकी भविष्यवाणी सत्य निकली तो उन्हें सम्मानित सरकारी पद दिया जायगा। भविष्यवाणी सच निकली। तदनुसार फौज में कैप्टन का पद दिया गया।

हिटलर के सलाहकारों में पांच दिव्यदर्शी भी थे उनका नेतृत्व विलियम क्राफ्ट करते थे। उनकी सलाह को हिटलर बहुत महत्व देता था। इस मंडली के एक सदस्य किसी समय व्होल भी रह चुके थे। वे जानते थे हिटलर के ज्योतिषी उसे क्या सलाह दें रहे होंगे। उस जानकारी को वह इंग्लैंड के अधिकारियों को बता देता। इन जानकारियों से ब्रिटेन बहुत लाभान्वित हुआ और उसने अपनी रणनीति में काफी हेर फेर किये। फौज के महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व कुछ फौजी अफसरों को सौंपे जाने थे। उनमें से किसी का भविष्य उज्ज्वल है इस प्रश्न के उत्तर में उन्होंने एक आदमी से जनरल मान्ट गोभरी की ओर इशारा किया। उन्हें ही वह पद दिया गया और अन्ततः उन्होंने आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त करके दिखाई। जापान के जहाजी बेड़े को बुरी तरह नष्ट करने की जो सफल योजना बनाई गई थी उसमें से भी व्होल से गम्भीर परामर्श किया गया था। महायुद्ध समाप्त होने तक ही उन्होंने ब्रिटिश सरकार को भविष्य वाणियों का लाभ दिया। पीछे उन्होंने वह कार्य पूरी तरह छोड़ दिया और अपने पुराने धार्मिक लेखन कार्य में लग गये।

संसार के राजनेताओं में से ऐसे कितने ही मूर्धन्य सत्ताधीश रहे हैं जिन्होंने परखे हुए अतीन्द्रिय शक्ति सम्पन्न लोगों से महत्वपूर्ण घटना-क्रम का निर्धारण करने के लिये परामर्श लेते रहना आवश्यक समय और उसकी उचित व्यवस्था बनाई।

अमेरिकी राष्ट्रपति जान्सन और सेक्रेटरी मैकेनहारा, वियतनाम बुद्ध की चालें निर्धारित करने में एक देवज्ञ से अवसर परामर्श करते रहते थे। हिटलर और चर्चिल के बारे में जो रहस्य अब प्रकट हुए हैं उनसे यह तथ्य भी सामने है आया उन्होंने विश्वस्त भविष्य-वक्ताओं के परामर्शों को सदा असाधारण महत्व दिया। चर्चिल ने लुई व्हाल को यह जासूसी सौंपी थी कि वे यह पता लगा दिया करें कि सिहलर के ज्योतिषी ने उसे क्या-क्या परामर्श दिये हैं। कहते हैं कि गलत भविष्य कथन करने के अपराध में एक भविष्य-वक्ता को हिटलर ने मौत के घाट उतरवा दिया था।

राष्ट्रपति केनैडी की हत्या की पूर्व सूचना भविष्य वक्ता पीटर वीडन प्रकाशित करा चुके थे। एक ज्योतिषी ने अन्य आधार पर प्रेसीडेन्ट केनेडी के ठीक उसी समय मरने की बात प्रकाशित कराई थी जिस समय कि वे वस्तुतः मर गये। उसका विचित्र तर्क यह था कि नियति का विधान हर बीस वर्ष बाद एक अमेरिका प्रेसीडेन्ट को उदरस्थ कर जाता है। चाहे वह स्वाभाविक मौत से मरे या हत्या से। सन् 1861 में लिंकन, 1881 में गारुील्ड, 1901 में मैकिन्ले, 1921 में हार्डिंग, 1941 में रूजवेल्ट मरे थे। इसी श्रृंखला में 1961 में केनेडी प्रेसीडेन्ट बने हैं उन पर भी वैसा ही संकट हो सकता है। कहना न होगा कि यह आशंकापूर्ण रूप से सही हुई। लगता है सन् 81 में जो व्यक्ति अमेरिका में प्रेसीडेन्ट पद के लिए खड़ा होगा उसे इस भयावह तथ्य को भी ध्यान में रखना पड़ेगा। प्रेसीडेन्ट केनेडी की हत्या की पूर्व सूचना प्रकाशित करने वालों में श्रीमती जीन डिक्सन और श्रीमती शर्ल स्पेन्सर नामक दो महिला देवज्ञ भी हैं।

दैनिक हिन्दुस्तान में श्री परिपूर्णानन्द वर्मा का एक लेख छपा जिसमें उन्होंने एक अंग्रेज वृद्धा की पूर्वाभास शक्ति का अद्भुत वर्णन किया है। यह महिला श्रीमती सरोजनी नायडू के घनिष्ठ परिचय में थी। एक दिन श्रीमती नायडू के घर मुहम्मद अली जिन्ना और उनका नव विवाहिता पारसी पत्नी आये। अंग्रेज वृद्धा आदि से अन्य तक उन्हें आंखें फाड़ कर देखती रही। जब वे चले गये तो श्रीमती नायडू ने उस अशिष्टता के लिए बुरा भला कहा कि किसी मेहमान की ओर इस तरह घूर कर देखते रहना असभ्यता है।

अंग्रेज महिला ने कहा मुझे इनमें कुछ आश्चर्य दीखा। यह परम सुन्दरी महिला तीन वर्ष में आत्म हत्या कर लेगी और मि. जिन्ना, बादशाह बनेंगे। यह मैंने इन लोगों का भविष्य देखा है। इसी तथ्य को मैं उनके चेहरे पर पढ़ रही थी।

उपस्थित सभी लोग हंसे और उन दोनों बातों को असम्भव बताया। उस परम सुन्दरी पारसी महिला पर बिन्ना वेतरद्द आसक्त थे। उसे सब प्रकार के सुख हैं फिर वह आत्म हत्या क्यों करेगी? उसी प्रकार उन दिनों किसी की कल्पना तक न थी कि पाकिस्तान की मांग और पकड़ेगी और वह किसी दिन एक वास्तविकता बनेगी तथा जिन्ना उसके अध्यक्ष बनेंगे। दोनों ही बातें बुद्धि संगत न थी इसलिए उस महिला की बात निरर्थक माना गया।

पर कुछ दिन बाद दोनों ही बातें सच हो गई। उस नव युवती पत्नी को आत्म हत्या करनी पड़ी पाकिस्तान बना और जिन्ना उसके अध्यक्ष—बादशाह हुए।
अलीगढ़ विश्व विद्यालय के कुलपति जैदी को इस भविष्य वाणी की जानकारी थी। पाकिस्तान बनने के पांच छह वर्ष बाद श्री जैदी को लन्दन जाना पड़ा। उन्हें उस अंग्रेज महिला की याद आई। पता उनकी डायरी में नोट था। वे उसके घर गये। उनने उस महिला से भारत तथा पाकिस्तान के भविष्य के बारे में पूछा तो उसने इतना ही कहा—पूर्वी पाकिस्तान टूट कर अलग हो जायगा। समय कितना लगेगा कह नहीं सकती। उन दिनों पाकिस्तान के इस प्रकार विभाजन होने की कोई आशंका नहीं थी इसलिए वह कथन अविश्वस्त जंचा। पर समय ने बताया कि वह बात सच हो गई और उस अंग्रेज महिला की पुरानी भविष्य वाणी अक्षरशः सच निकली। इस सन्दर्भ में इण्डोनेशिया की एक घटना भी उल्लेखनीय है। 22 जून 1955 के दिन इण्डोनेशिया में सूर्यग्रहण पड़ रहा था। हिन्दू और बौद्ध दर्शप्त से प्रभावित होने के कारण इण्डोनेशियाई लोगों में भी धर्म, आत्मा, परमात्मा के सम्बन्ध में लोगों की काफी जिज्ञासायें रहती हैं। ऐसे अवसरों पर वहां भी धार्मिक चर्चायें होती हैं। ऐसी ही बात-चीतें कुछ लोगों में चल रही थीं। ‘पाकसुबु’ नामक एक अधेड़ व्यक्ति ने बताया—‘‘यह उसके जीवन के लिये हानिकारक है और ऐसा लगता है, मेरी मृत्यु के दिन अब समीप आ गये हैं।’’

पाकसुबु के स्वास्थ्य में कोई खराबी न थी। उसकी आयु भी कोई अधिक न थी, इसलिये लोगों ने उसकी बात को हंसी में उड़ा दिया।

एक सप्ताह बीतने को आया—पाकसुबु सामान्य दिनों की तरह स्वस्थ और भला-चंगा रहा, किन्तु सातवें दिन उसे हल्का-सा ज्वर चढ़ा और थोड़ी ही देर में उसका प्राणान्त हो गया। एक सप्ताह पूर्व उसे जिस बात का आभास हुआ था, वह इतना सत्य निकला इस पर उसके मित्रों और परिचितों ने बड़ा आश्चर्य किया। ‘लन्दन से हांगकांग तक’ पुस्तक के विद्वान लेखक हुसेन रोफे एक बार अपने घनिष्ठ मित्र श्री जे.बी. से मिलने गये। यह अवसर बहुत दिन बाद आया था, इसलिये हुसेनरोफे अनेक कल्पनायें, अनेक योजनायें लेकर मित्र महोदय के पास गये थे, किन्तु जैसे-जैसे वह घर के समीप पहुंचते गये न जाने क्यों उनके मस्तिष्क के निराशा बढ़ती गई। अपनी इस अनायास स्थिति पर स्वयं रोफे को भी हैरानी थी। धीरे-धीरे उनके मस्तिष्क में न जाने कहां से दबे-दबे विचार उठने लगे कि जे.बी. आत्म हत्या और भी इतना जोरदार कि उन विचारों के आगे कोई और विचार टिक ही न पा रहा था। रोफे के आश्चर्य का उस समय ठिकाना न रहा जब मित्र के घर पहुंचते ही उसने पाया कि वह जहर खरीद लाया है और आत्म हत्या की बिल्कुल तैयारी में ही है। हुसेत रोफे ठीक समय पर न पहुंच गये होते तो उन सज्जन ने अपना प्राभान्त ही कर लिया होता।

इस प्रकार की अतीन्द्रिय दिव्य शक्ति कोई भी व्यक्ति अपने में विकसित करा सकता है। इसके लिए योग साधनाओं का विधान है। किन्हीं व्यक्तियों में यह शक्ति अनायास ही जागृत हो जाती है। इसे परमात्मा की अनुकम्पा या पूर्व जन्मों के सुकृत्यों का सत्यहिव्मय ही कहा जा सकता है। व्यक्ति के भीतर प्रसुहा दिव्य शक्तियों का आधार बताते हुए मैत्रामण्युपनिषद् के पंचम प्रयारक में कहा गया है—

द्विधां वा एष आत्मानं विभर्त्ययं यः प्राणो यश्चासावा दित्योऽथ द्वौ एतावास्तां पञ्चधा नामन्तर्बहिश्चाहोरात्रे तौ व्यावर्तते असौ वा आदित्यों बहिरात्मान्तरामा.........एवाश्रितोऽन्नमत्ति ।।1।।
अर्थात्—‘‘वह परमात्मा दो प्रकार की आत्माओं (स्वरूपों) को धारण करता है, यह जो प्राण हैं और जो सूर्य है, ये दोनों प्रथम हुये वे भीतर और बाहर दिन रात फिरा करते हैं, वह सूर्य बाहर का अंतरात्मा है और प्राण अंतरात्मा है। इसकी गति को देखकर यह अनुमान किया जा सकता है कि यह आत्मा है। वेद कहते हैं कि यह गति रूप ही है, जिस विद्वान के पाप नष्ट हो चुके हैं। वह सब का अध्यक्ष होता है, उसकी निष्ठा परमात्मा में ही होती है। उसका ज्ञान-चक्षु खुल जाता है और अंतरात्मा में ही स्थित रहता है। वह गति द्वारा बाहर भी चला जाता है, आत्मा की गति का अनुमान किया जा सकता है, ऐसा वेद कहते हैं........।’’

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