• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • किंकर्तव्य विमूढ़ता जैसी परिस्थितियाँ
    • स्थिति निश्चित ही विस्फोटक
    • बढ़ती आबादी, बढ़ते संकट
    • हर ओर बेचैनी, व्याधियाँ एवं उद्विग्नता
    • वास्तविकता, जिसे कैसे नकारा जाए?
    • सदुपयोग बन पड़े, तो परिवर्तन संभव
    • सदुपयोग बनाम दुरुपयोग
    • सुनियोजन की सही परिणति
    • समाधान इस प्रकार भी संभव था
    • निराशा में आशा की झलक
    • क्रिया बदलेगी, तो प्रतिक्रिया भी बदलेगी
    • तेजी से बदलता परोक्ष जगत का प्रवाह
    • संतुलन नियंता की व्यवस्था का एक क्रम
    • इक्कीसवीं सदी बनाम उज्ज्वल भविष्य
    • व्यापक परिवर्तनों से भरा संधिकाल
    • युग परिवर्तन का यही समय क्यों?
    • अंत:स्फुरणा बनाम भविष्य बोध
    • वैज्ञानिक शोधें भी पूर्वाभास से उपजीं
    • इक्कीसवीं सदी एवं भविष्यवेत्ताओं के अभिमत
    • धर्मग्रंथों में वर्णित भविष्य कथन
    • उज्ज्वल भविष्य की संरचना हेतु संकल्पित प्रयास
    • विचारक्रांति का एक छोटा मॉडल
    • प्रामाणिक तंत्र का विकास
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • किंकर्तव्य विमूढ़ता जैसी परिस्थितियाँ
    • स्थिति निश्चित ही विस्फोटक
    • बढ़ती आबादी, बढ़ते संकट
    • हर ओर बेचैनी, व्याधियाँ एवं उद्विग्नता
    • वास्तविकता, जिसे कैसे नकारा जाए?
    • सदुपयोग बन पड़े, तो परिवर्तन संभव
    • सदुपयोग बनाम दुरुपयोग
    • सुनियोजन की सही परिणति
    • समाधान इस प्रकार भी संभव था
    • निराशा में आशा की झलक
    • क्रिया बदलेगी, तो प्रतिक्रिया भी बदलेगी
    • तेजी से बदलता परोक्ष जगत का प्रवाह
    • संतुलन नियंता की व्यवस्था का एक क्रम
    • इक्कीसवीं सदी बनाम उज्ज्वल भविष्य
    • व्यापक परिवर्तनों से भरा संधिकाल
    • युग परिवर्तन का यही समय क्यों?
    • अंत:स्फुरणा बनाम भविष्य बोध
    • वैज्ञानिक शोधें भी पूर्वाभास से उपजीं
    • इक्कीसवीं सदी एवं भविष्यवेत्ताओं के अभिमत
    • धर्मग्रंथों में वर्णित भविष्य कथन
    • उज्ज्वल भविष्य की संरचना हेतु संकल्पित प्रयास
    • विचारक्रांति का एक छोटा मॉडल
    • प्रामाणिक तंत्र का विकास
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Books - इक्कीसवीं सदी बनाम उज्ज्वल भविष्य-भाग १

Media: TEXT
Language: EN
TEXT SCAN SCAN SCAN TEXT


किंकर्तव्य विमूढ़ता जैसी परिस्थितियाँ

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


2 Last
विज्ञान और बुद्धिवाद बीसवीं सदी की बड़ी उपलब्धियाँ हैं। उनसे सुविधा- साधनों के नये द्वार भी खुले, वस्तुस्थिति समझने में, सहायक स्तर की बुद्धि का विकास भी हुआ, पर साथ ही दुरुपयोग का क्रम चल पड़ने से इन दोनों ही युग चमत्कारों ने लाभ के स्थान पर नई हानियाँ, समस्याएँ और विपत्तियाँ उत्पन्न करनी आरंभ कर दीं। उत्पादनों को खपाने के लिये आर्थिक उपनिवेशवाद का सिलसिला चल पड़ा। युद्ध उकसाए गये, ताकि उनमें अतिरिक्त उत्पादनों को झोंका- खपाया जा सके। कुशल कारीगरी ने स्थान तो पाया, गृह उद्योगों के सहारे जीवनयापन करने वाली जनता की रोटी छिन गई। काम के अभाव में आज बड़ी संख्या में लोग बेकार- बेरोजगार हैं। परिस्थितियाँ गरीबी की रेखा से दिनोंदिन नीचे गिरती जा रही हैं, यों बढ़ तो अमीरों की अमीरी भी रही है।

    कारखाने और द्रुतगामी वाहन निरन्तर विषैला धुँआ उगल कर वायुमण्डल को जहर से भर रहे हैं। उनमें जलने वाले खनिज ईंधन का इतनी तेजी से दोहन हुआ है कि समूचा खनिज भण्डार एक शताब्दी तक भी और काम देता नहीं दीख पड़ता। धातुओं और रसायनों के उत्खनन से भी पृथ्वी उन सम्पदाओं से रिक्त हो रही हैं। उन्हें गँवाने के साथ- साथ धरातल की महत्त्वपूर्ण क्षमता घट रही है और उसका प्रभाव धरती के उत्पादन से गुजारा करने वाले प्राणियों पर पड़ रहा है। जलाशयों में बढ़ते शहरों का, कारखानों का कचरा, उसे अपेय बना रहा है। साँस लेते एवं पानी पीते यह आशंका सामने खड़ी रहती है कि उसके साथ कहीं मंद विषों की भरमार शरीरों में न हो रही हो? उद्योगों- वाहनों द्वारा छोड़ा गया प्रदूषण ‘‘ग्रीन हाउस इफेक्ट के कारण अन्तरिक्ष में अतिरिक्त तापमान बढ़ा रहा है, जिससे हिम प्रदेशों की बर्फ पिघल जाने और समुद्रों में बाढ़ आ जाने का खतरा निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है। ब्रह्माण्डीय किरणों की बौछार से पृथ्वी की रक्षा करने वाला ओजोन कवच, विषाक्तता का दबाव न सह सकने के कारण, फटता जा रहा है। क्रम वही रहा, तो जिन सूर्य किरणों से पृथ्वी पर जीवन का विकास क्रम हुआ है, वे ही छलनी के अभाव में अत्यधिक मात्रा में आ धमकने के कारण विनाश भी उत्पन्न कर सकती हैं।

    अणु- ऊर्जा विकसित करने का जो नया उपक्रम चल पड़ा है, उसने विकिरण फैलाना तो आरम्भ किया ही है, यह समस्या भी उत्पन्न कर दी है कि उनके द्वारा उत्पन्न राख को कहाँ पटका जाएगा? जहाँ भी वह रखी जाएगी, वहाँ संकट खड़े करेगी।




2 Last


Other Version of this book



इक्कीसवीं सदी बनाम उज्ज्वल भविष्य-भाग २
Type: TEXT
Language: EN
...

एकविसावे शतक म्हणजे उज्जवल भविष्य भाग 2
Type: SCAN
Language: EN
...

ईक्कीसवी सदी बनाम उज्ज्वल भविष्य भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

ईक्कीसवी सदी बनाम उज्ज्वल भविष्य भाग-१
Type: SCAN
Language: EN
...

इक्कीसवीं सदी बनाम उज्ज्वल भविष्य-भाग १
Type: TEXT
Language: EN
...


Releted Books



21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

चेतना सहज स्वभाव स्नेह-सहयोग
Type: SCAN
Language: HINDI
...

चेतना सहज स्वभाव स्नेह-सहयोग
Type: SCAN
Language: HINDI
...

चेतना सहज स्वभाव स्नेह-सहयोग
Type: SCAN
Language: HINDI
...

चेतना सहज स्वभाव स्नेह-सहयोग
Type: SCAN
Language: HINDI
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

युग कि मांग प्रतिभा परिष्कार भाग-२
Type: SCAN
Language: EN
...

21st Century The Dawn Of The Era Of Divine Descent On Earth
Type: SCAN
Language: ENGLISH
...

Articles of Books

  • किंकर्तव्य विमूढ़ता जैसी परिस्थितियाँ
  • स्थिति निश्चित ही विस्फोटक
  • बढ़ती आबादी, बढ़ते संकट
  • हर ओर बेचैनी, व्याधियाँ एवं उद्विग्नता
  • वास्तविकता, जिसे कैसे नकारा जाए?
  • सदुपयोग बन पड़े, तो परिवर्तन संभव
  • सदुपयोग बनाम दुरुपयोग
  • सुनियोजन की सही परिणति
  • समाधान इस प्रकार भी संभव था
  • निराशा में आशा की झलक
  • क्रिया बदलेगी, तो प्रतिक्रिया भी बदलेगी
  • तेजी से बदलता परोक्ष जगत का प्रवाह
  • संतुलन नियंता की व्यवस्था का एक क्रम
  • इक्कीसवीं सदी बनाम उज्ज्वल भविष्य
  • व्यापक परिवर्तनों से भरा संधिकाल
  • युग परिवर्तन का यही समय क्यों?
  • अंत:स्फुरणा बनाम भविष्य बोध
  • वैज्ञानिक शोधें भी पूर्वाभास से उपजीं
  • इक्कीसवीं सदी एवं भविष्यवेत्ताओं के अभिमत
  • धर्मग्रंथों में वर्णित भविष्य कथन
  • उज्ज्वल भविष्य की संरचना हेतु संकल्पित प्रयास
  • विचारक्रांति का एक छोटा मॉडल
  • प्रामाणिक तंत्र का विकास
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj