
आत्मचिन्तन के बिन्दु
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१. पू. गुरुसत्ता से हमने दीक्षा क्यों ली? (जिस दिन आदर्शमय जीवन जीने की, कर्तव्यों की ओर अग्रसर होने की शपथ खाई जाती है, उस शपथ का नाम दीक्षा संस्कार है।)
२. क्या हम उन दीक्षा के नियमों का पालन कर रहे हैं?
३. हमारे जीवन का लक्ष्य क्या है?
४. क्या हम अपने आपको पू0 गुरुसत्ता के इच्छानुरूप एक साँचा- मॉडल बना पाये?
५. क्या हमारी वेशभूषा, आहार व अन्य उपयोगी साधन औसत भारतीय स्तर का है?
६. क्या हम अपनी अब तक की आत्मप्रगति से सन्तुष्ट हैं?
७. क्या हमारा चिन्तन, चरित्र और व्यवहार ऐसा बन गया है, जिसे देखकर लोग आकर्षित होते हैं और आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा ग्रहण करते हैं?
८. क्या हम अपने व्यक्तिगत, पारिवारिक एवं सामाजिक उत्तरदायित्वों का भली प्रकार पालन कर रहे हैं?
९. क्या हम अपने २४ घण्टे के समय का पूरा सदुपयोग कर रहे हैं? दिनचर्या का निर्धारण करें।
जैसे- क. प्रातः उठने का समय।
ख. दैनन्दिन क्रियाकलापों का समय।
ग. विद्यालय जाने का समय। घ. परिवार के लिए समय।
च. मनोरञ्जन काल। छ. शयन काल।
१०. क्या हम नियमित उपासना एवं सेवाकार्य हेतु पर्याप्त समय देते हैं? (आप जितना समय संसार के लिए देते हैं उतना, ही भगवान् के लिए दीजिए।
उतना न बन पड़े, तो कम से कम आधा तो होना ही चाहिए।)
२. क्या हम उन दीक्षा के नियमों का पालन कर रहे हैं?
३. हमारे जीवन का लक्ष्य क्या है?
४. क्या हम अपने आपको पू0 गुरुसत्ता के इच्छानुरूप एक साँचा- मॉडल बना पाये?
५. क्या हमारी वेशभूषा, आहार व अन्य उपयोगी साधन औसत भारतीय स्तर का है?
६. क्या हम अपनी अब तक की आत्मप्रगति से सन्तुष्ट हैं?
७. क्या हमारा चिन्तन, चरित्र और व्यवहार ऐसा बन गया है, जिसे देखकर लोग आकर्षित होते हैं और आदर्श जीवन जीने की प्रेरणा ग्रहण करते हैं?
८. क्या हम अपने व्यक्तिगत, पारिवारिक एवं सामाजिक उत्तरदायित्वों का भली प्रकार पालन कर रहे हैं?
९. क्या हम अपने २४ घण्टे के समय का पूरा सदुपयोग कर रहे हैं? दिनचर्या का निर्धारण करें।
जैसे- क. प्रातः उठने का समय।
ख. दैनन्दिन क्रियाकलापों का समय।
ग. विद्यालय जाने का समय। घ. परिवार के लिए समय।
च. मनोरञ्जन काल। छ. शयन काल।
१०. क्या हम नियमित उपासना एवं सेवाकार्य हेतु पर्याप्त समय देते हैं? (आप जितना समय संसार के लिए देते हैं उतना, ही भगवान् के लिए दीजिए।
उतना न बन पड़े, तो कम से कम आधा तो होना ही चाहिए।)