
ऐ वतन! गम न कर
Listen online
View page note
Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
ऐ वतन! गम न कर
ऐ वतन! गम न कर, चल पड़े कारवाँ।
ओ चमन! धैर्य धर, जग गये बागवाँ॥
दर्द दिल का तेरे जानते हैं सभी।
‘दर्द अपना’ उसे मानते हैं सभी।
तिलमिलाने लगी, दर्द की दास्तां॥
दर्द से हो द्रवित, वीर बालक चले।
अब समझ ले वतन, कष्ट तेरे टले।
हौसले ले चले, पुत्र तेरे जवां॥
अब जवानी उठी, तेज तूफान सी।
रौंदते शत्रु को वीर हनुमान सी।
दुष्टता का बचेगा, न नामोनिशां॥
नारियाँ आँधियों सी उठीं चल पड़ीं।
दुष्प्रथायें मिटाने कमर कस खड़ी।
अब प्रगति के चरण छू रहे आसमां॥
सद्विचारों के पंछी चहकने लगे।
सद्गुणों के सुमन, फिर महकने लगे।
देश होगा अमन,चैन का गुलशितां॥
विश्व को स्नेह- सौगात बाँटेंगे हम।
अब घृणा, द्वेष के गर्त, पाटेंगे हम॥
अब बदल कर रहेगी, जहाँ की फिजां॥
मुक्तकः-
मातृभूमि! है शपथ आपके साथ चलेंगे।
अब सारे दुःख दर्द और व्यवधान टलेंगे॥
जूझेंगे हम सब मिलकर माँ! अन्यायों से।
समता, ममता, स्नेह ,, शान्ति के फूल खिलेंगे॥
ऐ वतन! गम न कर, चल पड़े कारवाँ।
ओ चमन! धैर्य धर, जग गये बागवाँ॥
दर्द दिल का तेरे जानते हैं सभी।
‘दर्द अपना’ उसे मानते हैं सभी।
तिलमिलाने लगी, दर्द की दास्तां॥
दर्द से हो द्रवित, वीर बालक चले।
अब समझ ले वतन, कष्ट तेरे टले।
हौसले ले चले, पुत्र तेरे जवां॥
अब जवानी उठी, तेज तूफान सी।
रौंदते शत्रु को वीर हनुमान सी।
दुष्टता का बचेगा, न नामोनिशां॥
नारियाँ आँधियों सी उठीं चल पड़ीं।
दुष्प्रथायें मिटाने कमर कस खड़ी।
अब प्रगति के चरण छू रहे आसमां॥
सद्विचारों के पंछी चहकने लगे।
सद्गुणों के सुमन, फिर महकने लगे।
देश होगा अमन,चैन का गुलशितां॥
विश्व को स्नेह- सौगात बाँटेंगे हम।
अब घृणा, द्वेष के गर्त, पाटेंगे हम॥
अब बदल कर रहेगी, जहाँ की फिजां॥
मुक्तकः-
मातृभूमि! है शपथ आपके साथ चलेंगे।
अब सारे दुःख दर्द और व्यवधान टलेंगे॥
जूझेंगे हम सब मिलकर माँ! अन्यायों से।
समता, ममता, स्नेह ,, शान्ति के फूल खिलेंगे॥