
क्यों न गुरु को करें
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क्यों न गुरु को करें
आओ गुरु को करें हम नमन।
क्यों न गुरु को करें हम नमन॥
मुक्ति का द्वार है जिनकी पावन शरण-
दृष्टि जिनकी करे पातकों का शमन॥
कौन गुरु से बड़ी शक्ति है विश्व में,
कौन गुरु से बड़ी भक्ति है विश्व में।
विष्णु, शिव और ब्रह्मादि सबसे बड़ी,
कौन- सी और अभिव्यक्ति है विश्व में॥
इन सभी से बड़े गुरु चरण॥
वे ही भवसिन्धु की दिव्य पतवार हैं,
करते भवसिन्धु से वे ही उद्धार हैं।
प्राण का बिन्दु उनको समर्पित किया,
वे ही लहरा उठे प्राण के बिन्दु में॥
बस वही तो हैं करुणा करन॥
सूर्य बनकर हृदय का सघन तम हरें,
चन्द्र बनकर हृदय शान्ति से वे भरें।
टूट जाये मनोबल हमारा जहाँ,
वे वहीं प्यार से हाथ सिर पर धरें॥
और है कौन विपदा हरन॥
मु०-
गुरु को हम सब नमन करें, गुरुवर की शक्ति अपार हैं।
गुरु करुणा के सिन्धु, कृपा का, ही अतुलित भण्डार हैं॥
कुछ भी नहीं असम्भव उसको, जिसने गुरु की शरण गही।
गुरु को किया समर्पण, जिनने उनका बेड़ा पार है॥
आओ गुरु को करें हम नमन।
क्यों न गुरु को करें हम नमन॥
मुक्ति का द्वार है जिनकी पावन शरण-
दृष्टि जिनकी करे पातकों का शमन॥
कौन गुरु से बड़ी शक्ति है विश्व में,
कौन गुरु से बड़ी भक्ति है विश्व में।
विष्णु, शिव और ब्रह्मादि सबसे बड़ी,
कौन- सी और अभिव्यक्ति है विश्व में॥
इन सभी से बड़े गुरु चरण॥
वे ही भवसिन्धु की दिव्य पतवार हैं,
करते भवसिन्धु से वे ही उद्धार हैं।
प्राण का बिन्दु उनको समर्पित किया,
वे ही लहरा उठे प्राण के बिन्दु में॥
बस वही तो हैं करुणा करन॥
सूर्य बनकर हृदय का सघन तम हरें,
चन्द्र बनकर हृदय शान्ति से वे भरें।
टूट जाये मनोबल हमारा जहाँ,
वे वहीं प्यार से हाथ सिर पर धरें॥
और है कौन विपदा हरन॥
मु०-
गुरु को हम सब नमन करें, गुरुवर की शक्ति अपार हैं।
गुरु करुणा के सिन्धु, कृपा का, ही अतुलित भण्डार हैं॥
कुछ भी नहीं असम्भव उसको, जिसने गुरु की शरण गही।
गुरु को किया समर्पण, जिनने उनका बेड़ा पार है॥