गायत्री परिवार
गायत्री परिवार एक जागरूक, सृजनशील और संस्कारित समाज की स्थापना हेतु प्रतिबद्ध संस्था है, जो युग निर्माण योजना के अंतर्गत सामाजिक, नैतिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक क्रांति के माध्यम से मानव जीवन को उत्कृष्टता की ओर अग्रसर कर रही है। यह परिवार पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी द्वारा प्रवर्तित उस महान आंदोलन का रूप है, जो ‘विचार क्रांति अभियान’ के माध्यम से जन-जन को आत्मोन्नति एवं समाजोन्नति के दिव्य संदेश से जोड़ता है।
प्रेरणा स्रोत : युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
इस युग परिवर्तन के अभियान के प्रवर्तक, युगदृष्टा पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी एक तपोनिष्ठ संत, महान लेखक, समाज सुधारक, आध्यात्मिक वैज्ञानिक एवं युग निर्माता थे। आपने वैदिक ऋषियों की परंपरा को पुनर्जीवित कर आधुनिक समाज के अनुरूप एक नये युग धर्म का स्वरूप प्रदान किया। "हम बदलेंगे, युग बदलेगा" जैसे उद्घोष के साथ आपने न केवल आत्मनिर्माण का संदेश दिया, बल्कि राष्ट्र और विश्व के नवनिर्माण का भी स्पष्ट मार्ग दिखाया।
गायत्री परिवार का दर्शन
गायत्री परिवार का मूल दर्शन "वसुधैव कुटुम्बकम्" — सम्पूर्ण पृथ्वी को एक परिवार मानने की भावना — में निहित है। यह वैदिक मूल्यों, संस्कृति और जीवनदर्शन पर आधारित एक आधुनिक आंदोलन है, जो जाति, वर्ग, रंग, भाषा, लिंग या मजहब से ऊपर उठकर संपूर्ण मानवता को एकता के सूत्र में पिरोता है।
लक्ष्य एवं उद्देश्य
गायत्री परिवार के लक्ष्य एवं उद्देश्य केवल सिद्धांत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इन्हें जीवन में क्रियान्वित करना ही इसकी विशेषता है। इसके प्रमुख लक्ष्य निम्नलिखित हैं:
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मानव में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग का अवतरण
आत्मिक जागरण के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति के भीतर छिपे दिव्य गुणों को जाग्रत करना और धरती को ऐसा वातावरण देना, जहाँ प्रेम, करुणा, सेवा और सद्भाव का साम्राज्य हो। -
व्यक्तित्व निर्माण, परिवार निर्माण एवं समाज निर्माण
व्यक्तित्व का संवर्धन ही सशक्त समाज की नींव है। इसीलिए गायत्री परिवार ‘एक साधक – एक रचनात्मक कार्य’ के सिद्धांत के साथ व्यक्ति को संस्कारयुक्त जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है। -
स्वस्थ शरीर, पवित्र मन और सुसंस्कृत समाज
साधना, संयम और सेवा को जीवन का आधार बनाते हुए संपूर्ण मानवजाति में शारीरिक, मानसिक और सामाजिक संतुलन स्थापित करना। -
वसुधैव कुटुम्बकम् एवं आत्मवत् सर्वभूतेषु
गायत्री परिवार का मूलमंत्र है कि सभी प्राणी आत्मवत् हैं – अपने जैसे। यह भावना जब मानव मन में बस जाती है, तो जातिवाद, भेदभाव और हिंसा स्वतः समाप्त हो जाते हैं। -
एक राष्ट्र – एक भाषा (प्रेम) – एक धर्म (मानवता) – एक शासन (आत्म-नियंत्रण)
संपूर्ण मानवता को एक सूत्र में पिरोने के लिए प्रेम, मानवता और आत्मनियंत्रण को मूल जीवन-मूल्य के रूप में स्वीकार करना। -
समान अवसर एवं आत्मविकास का अधिकार
प्रत्येक व्यक्ति को, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि से आता हो, आत्मविकास एवं सामाजिक उत्थान के लिए समान अवसर प्राप्त हों – यही सच्चा लोकतंत्र और सच्ची मानवता है।
गायत्री परिवार कोई सामान्य संगठन नहीं, बल्कि एक जीवंत आंदोलन है – ऐसा आंदोलन जो युग चेतना को जाग्रत करने के लिए समर्पित है। इसका उद्देश्य केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक, नैतिक एवं वैज्ञानिक पुनर्निर्माण का एक समग्र प्रयास है। यह परिवार एक ऐसे आदर्श समाज की कल्पना करता है जहाँ प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक हो, आत्मविकास की ओर अग्रसर हो और समाज को श्रेष्ठता की ओर ले जाने में भागीदार बने।
गायत्री परिवार, वास्तव में, भावी स्वर्णिम युग की आधारशिला है – जहाँ न केवल विज्ञान और तकनीक उन्नत होंगे, बल्कि मानवीय मूल्यों, सद्गुणों और दिव्यता की भी स्थापना होगी।