
स्वप्न सच भी हो जाते हैं।
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(श्री देवकीनन्दन बंसल)
‘आन्सर्स’ नामक पत्रिका में एक लेखक ने लिखा कि बहुत से लोगों को स्वप्न में चेतावनियाँ प्राप्त होती हैं। पोल जाति की एक लड़की ने जो इस समय इंग्लैंड में है और जो जर्मनी के आक्रमण के समय देश में घायल हो गई थी, स्वप्न में देखा कि उसके पिता की मृतात्मा आई हुई है और कहती है कि तुम्हारा पिता लड़ाई में मार डाला गया है। लड़की ने स्वप्न में यह भी देखा कि वह अस्पताल जिसमें वह मरीज की हालत में रहती है एक बम द्वारा पूर्ण रूप से विध्वंस हो गया है।
इस स्वप्न को देखने के कारण वह लड़की बहुत घबरा गई इतना ज्यादा कि दूसरे दिन उसे एक मित्र के घर जाने की इजाजत दे दी गई। उसके प्रस्थान करने के थोड़ी ही देर बाद वह अस्पताल एक हवाई हमले में बिल्कुल नष्ट हो गया। उसी दिन उस लड़की को पिता के मरने का समाचार भी प्राप्त हुआ।
प्रथम ब्रिटिश जंगी वायुयान का डिजाइन तैयार करने वाला जे. डब्ल्यू. डन था। उसने एक बार स्वप्न में देखा कि वह एक निराले हवाई जहाज में, जिसका उसने स्वयं आविष्कार किया है, उड़ा जा रहा है। उस समय वह हवाई जहाज बनाने के सम्बन्ध में कुछ भी नहीं जानता था। अनेक वर्षों के बाद उसने उसी प्रकार के वायुयान का आविष्कार किया जैसा कि स्वप्न में देखा था।
गत यूरोपीय महायुद्ध के कुछ ही पूर्व डन ने एक दूसरा अद्भुत स्वप्न देखा। उसने देखा कि एक हवाई जहाज जमीन पर गिर कर नष्ट हो गया। उसे देखने के लिए वह दौड़ पड़ा। टूटे-फूटे वायुयान के दरमियान से एक युवक अफसर निकल कर उसकी तरफ चला। डन उस अफसर से परिचित था, किन्तु मुलाकात होने के पूर्व ही उसकी नींद खुल गई। कुछ ही समय बाद डन को यह समाचार मिला कि उसका परिचित युवक अफसर हवाई दुर्घटना में पड़कर मर गया। यह दुर्घटना लगभग उसी समय हुई थी जब कि डन उक्त स्वप्न देख रहा था।
कुछ वर्ष हुए लार्ड डफरिन ने वर्णन किया कि किस तरह एक स्वप्न ने उनकी जान बचा ली। उन्होंने स्वप्न में देखा था कि वे मर गये हैं और ताबूत मोटर में रखकर कब्रिस्तान की और ले जाया जा रहा है। मोटर के ड्राइवर का चेहरा बिल्कुल अजीब सा लगता था। स्वप्न देखने के कतिपय दिनों के बाद लार्ड डफरिन एक होटल में लिफ्ट में बैठने जा रहे थे। उन्होंने देखा कि लिफ्ट के पास जो नौकर होटल की और से तैनात है वह स्वप्न का ड्राइवर ही है। वे यह देखकर आश्चर्य में पड़ गये और झिझक गए। लिफ्ट ऊपर चली गई, वे उसमें बैठ नहीं सके ऊपर के मंजिल पर पहुँचने के पहले ही लिफ्ट का बन्धन टूट गया और वह नीचे जा पड़ी। उसमें जो व्यक्ति बैठे हुए थे वे सब मर गये।
लन्दन के भूतपूर्व लार्ड मेयर सर एडवर्ड कूपर ने एक बार एक स्वप्न की कथा वर्णित की थी, यह स्वप्न उन्होंने नहीं एक स्त्री ने देखा था जिसका लड़का एक जहाज पर उम्मीदवार की हैसियत से काम करता था। वह जहाज यात्रा पर जाने के लिए प्रस्थान करने वाला था। स्त्री ने स्वप्न में देखा कि वही जहाज अपने सभी कर्मचारियों के साथ समुद्र में डूब गया। यह स्वप्न देखकर वह घबरा उठी और अपने पति पर जोर डाला कि लड़के की नौकरी किसी दूसरे जहाज पर लगवा दो। एक जहाज पर उम्मीदवार रहकर दूसरे जहाज में जाने का निश्चय करना नियम विरुद्ध था और जुर्माना देकर ही कोई ऐसा कर सकता था। स्त्री जुर्माना दे देने के लिए भी तैयार हो गई। फलतः उसका लड़का एक दूसरे जहाज पर जाकर काम करने लगा। वह जहाज जिस पर वह पहले काम करता था, जब यात्रा करने के लिए रवाना हुआ तो फिर कभी लौटकर नहीं आया। वह एक चट्टान से टकराकर चकनाचूर हो गया और उस पर जितने आदमी बैठे थे सब डूब गये।
प्रसिद्ध उपन्यासकार श्री जे. वी. प्रीस्टले की स्त्री ने अपने एक स्वप्न का अनुभव बतलाया है जो कि बड़ा विचित्र है। उसने स्वप्न में देखा कि सड़क की एक दुर्घटना इतनी वास्तविक प्रतीत हुई कि जब वह जगी तो उसे मुश्किल से यह विश्वास होता था कि वह जीवित है। दूसरे दिन प्रातःकाल उसने एक अखबार में पढ़ा कि एक स्त्री जिसका नाम वही था जो स्वप्न देखने वाली स्त्री का विवाह के पूर्व था, काडिफ में मार डाली गई है। काडिफ की दुर्घटना उसी समय घटी थी जबकि औपन्यासिक की स्त्री स्वप्न देख रही थी। वास्तविक दुर्घटना उसी तरह हुई थी जिस तरह की स्वप्न में दिखाई पड़ी थी।
1856 में एक स्वप्न की सहायता से हत्यारे का पता लगाया गया और वह दण्डित किया। मानचेस्टर में रहने वाली एक स्त्री के दो बच्चे खो गये थे। उसने एक दिन स्वप्न में देखा कि उसका पति दोनों बच्चों को लेकर चेस्टर पहुँचा और वहाँ पर दोनों को मारकर उनकी लाशों को शिशु-गृह के पास वाले बाग में गाढ़ दिया।
जब उस स्त्री की नींद टूटी और स्वप्न याद आया तो वह बड़ी व्याकुल हो उठी। पुलिस में जाकर स्वप्न वाली बात कह सुनाई और प्रार्थना की कि जाँच पड़ताल की जाय। पहले तो पुलिस ने उपेक्षा की और हँसी में टाल दिया। किन्तु उस स्त्री के बहुत कहने सुनने पर पुलिस के सिपाही उसके साथ चेस्टर जाने के लिए राजी हो गये। यद्यपि वह स्त्री उसके पूर्व चेस्टर नगर में कभी नहीं गई थी लेकिन वह पुलिस के सिपाहियों को ठीक उसी स्थान पर ले गई जहाँ कि स्वप्न में उसने लाशों को गाढ़ते हुए देखा था। खोदने पर सचमुच लाशें मिलीं और पुलिस ने जाँच पड़ताल करके हत्यारे का भी पता लगा लिया।
कहते है कि स्वप्न देखने से कभी-कभी रोग भी दूर हो गये हैं। उदाहरणार्थ -1919 ई. में लिवरपुल में रहने वाले जेम्स नामक व्यक्ति ने जो पहले फौज में रह चुका था, और जो लड़ाई में घायल हो जाने के कारण बहरा हो गया था, तीन बार यह स्वप्न देखा कि वह सेण्ट बिनीफ्रेड के कुएं के पास खड़ा है। उसने स्वप्न को शुभ लक्षण समझकर उस कुएं के पास जाकर एक सप्ताह के लिए निवास किया। वहाँ वह प्रतिदिन उस कुएं के पवित्र जल में स्नान करता। सात दिन के बाद जब वह अपने घर को लौट आया तो देखा कि उसका बहरापन बिल्कुल दूर हो गया है।
उससे भी अधिक आश्चर्यजनक किस्सा है रेवरेण्ड फ्रीमैंन विल्स का। बचपन में उसका एक घुटना इतना खराब हो गया था कि डॉक्टर ने घोषित कर दिया था कि उनकी एक टाँग हमेशा टेढ़ी ही रहेगी, सीधी नहीं हो सकेगी। किन्तु एक रात में विल्स ने स्वप्न देखा कि एक देवदूत उनके पास आया और जो पैर टेढ़ा था उसे उसने स्पर्श किया। उसके छूते ही खराब पैर भी अच्छे पैर की तरह बिल्कुल सीधा हो गया। प्रातःकाल जब वे जागे तो उन्होंने अपने खराब पैर को सचमुच वैसा ही ठीक पाया जैसा कि स्वप्न में देखा था।
लेडी लन्दन दरी ने कुछ वर्ष पहले यह स्वप्न देखा था कि उसने एक दावत दी है जिसमें 13 व्यक्ति सम्मिलित हुए हैं। सबसे अन्त में जाने वाला तेरहवाँ व्यक्ति हत्यारों के हाथ का शिकार हो गया। उसका स्वप्न सुनकर उसके मित्र मुस्कुराते और सलाह देते कि स्वप्न में देखी हुई बात पर चिंता करना व्यर्थ है। लेकिन जब उन्हें यह ज्ञात हुआ कि सर हेनरी विलसन को कुछ आयरिश व्यक्तियों ने साजिश करके मार डाला है तो उन्हें आश्चर्य हुआ। उक्त दावत में तेरहवें अतिथि वही थे।
1937 ई॰ में जेना विश्वविद्यालय के प्रोफेसर फ्रान्ज मेयर एक मरणासन्न विद्यार्थी के बिस्तरे के पास बुलाए गए। विद्यार्थी ने कहा कि मैंने एक स्वप्न देखा है और उसमें मुझे आगाह किया गया है कि मेरी मौत करीब है। उसने प्रोफेसर से यह भी प्रार्थना की कि मेरी अंत्येष्टि क्रिया हो जाने के बाद मेरे सन्दूक को खोलकर उस पत्र को पढ़ लिजिएगा जो कि उसमें बन्द है।
उसकी मृत्यु थोड़े ही समय के बाद हो गई और उसकी हिदायतों के अनुसार जब उसका और सन्दूक खोला गया तो उसमें उस विद्यार्थी के हाथ का लिखा हुआ एक पत्र मिला। पत्र में न केवल मृत्यु की ठीक-ठीक तारीख लिखी थी बल्कि ठीक-ठीक यह भी बतलाया गया था कि उसकी लाश कहाँ पर दफनाई जायगी। पत्र में लिखा था कि स्वप्न में विद्यार्थी ने अपनी कब्र भी देखी थी।
जान ली की रहस्यपूर्ण कथा भी लिखने के लायक है। वह 1844 ई. के एक हत्या के मामले में अपराधी ठहराया गया था और उसे फाँसी की सजा दी गई थी। जिस दिन फाँसी दी जाने वाली थी उसके पूर्व की रात में उसने स्वप्न देखा कि दूसरे दिन क्या होगा। उसने वार्डरों से स्वप्न की बात बतलाई किन्तु किसी ने विश्वास नहीं किया। फिर भी हुआ वही जो अभियुक्त ने स्वप्न में देखा था। स्वप्न में उसने देखा था वह फाँसी के तख्ते पर खड़ा किया गया है। जंजीर के खींचे जाने का भी शब्द सुनाई पड़ा तो भी किसी कारण फाँसी उसे लगी नहीं। जेल के अफसर उसे तख्ते से हटाकर अलग ले गए। दूसरी बार फिर फाँसी देने के लिए उसे खड़ा किया गया। लेकिन फिर वही नतीजा हुआ। तीसरी बार का प्रयत्न भी जब विफल सिद्ध हुआ तो वह जेल से उसी कमरे में पहुँचा दिया गया जहाँ कि वह रखा गया था। 20 साल तक जेल में रखे जाने के बाद वह मुक्त कर दिया गया।
स्वप्न में प्रकाश मिलने से महारानी हर बंस कुँवर स्मारक संकीर्तन भवन के अहाते से जो कि अभी बन रहा है एक 100 वर्ष पुराना ताम्र-पत्र मिला जिस पर संस्कृत में कुछ खुदा हुआ था।
हरि संकीर्तन सभा के एक पदाधिकारी श्री हरिदास को रात को स्वप्न में किसी ने कहा कि उक्त प्रकार का एक ताम्र-पत्र अहाते में गड़ा हुआ है। इस पर उस जगह की खुदाई की गई और वहाँ से 22 दिसम्बर 1845 की तारीख का उक्त ताम्र-पत्र मिला जिस पर संस्कृत में कुछ लिखा हुआ था।
ताम्र-पत्र की हिदायत के अनुसार देवता की मूर्ति की तलाश में 37 फीट गहराई तक जमीन खोदी गई। इसी बीच वह सन्देश पहुँचा कि महाराजा उक्त ताम्र-पत्र देखना चाहते हैं। तदनुसार श्री कोसल उसे लेकर राजमहल की और रवाना हुए लेकिन बीच में ही किसी ने उन पर आक्रमण कर, ताम्र-पत्र छीन लिया और भाग गया।