• News
  • Blogs
  • Gurukulam
English हिंदी
×

My Notes


  • TOC
    • शाश्वत सौंदर्य की प्राप्ति
    • संकटों से डरें नहीं, लड़ें
    • आत्म-शक्ति संचय के चार आधार
    • जगत का सनातन नियम (kahani)
    • जीवन अमर है वह मौत से हारा नहीं
    • खलीफा के महल के सामने लाया गया (kahani)
    • साहस गया तो जीवन रस सूखा
    • देववाद की रहस्यमयी अभिव्यंजनाएँ
    • अपना गला आप घोट लेने का उपक्रम
    • सूक्ष्मता की शक्ति और उसके चमत्कार
    • हमारी भावात्मक अभिव्यक्तियाँ सहज एवं मुक्त हों
    • स्वास्थ्य के लिए हानिकारक चीनी
    • ज्ञान के साथ कर्म भी जुड़ा हो (kahani)
    • अदूरदर्शिता की महाव्याधि से पीछा छुड़ायें।
    • Quotation
    • असामान्य स्वप्न और योग निद्रा
    • स्वच्छताप्रेमी महात्मा गाँधी (kahani)
    • ऊँचा उठने की आकाँक्षा और उसकी पूर्ति।
    • परकाया प्रवेश एक विद्या-एक ज्ञान
    • प्राण ऊर्जा हमारी सर्वोपरि सम्पदा
    • मानसिक तनाव-चिन्तन का दुर्गुण
    • Quotation
    • ‘ब्रह्म वर्चस’ की साधना प्रखर प्रक्रिया
    • अपनों से अपनी बात - साधना जयन्ती की पूर्णाहुति के साथ-साथ नये चरण, नये प्रयास
    • नये भोर का आगमन
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login
  • TOC
    • शाश्वत सौंदर्य की प्राप्ति
    • संकटों से डरें नहीं, लड़ें
    • आत्म-शक्ति संचय के चार आधार
    • जगत का सनातन नियम (kahani)
    • जीवन अमर है वह मौत से हारा नहीं
    • खलीफा के महल के सामने लाया गया (kahani)
    • साहस गया तो जीवन रस सूखा
    • देववाद की रहस्यमयी अभिव्यंजनाएँ
    • अपना गला आप घोट लेने का उपक्रम
    • सूक्ष्मता की शक्ति और उसके चमत्कार
    • हमारी भावात्मक अभिव्यक्तियाँ सहज एवं मुक्त हों
    • स्वास्थ्य के लिए हानिकारक चीनी
    • ज्ञान के साथ कर्म भी जुड़ा हो (kahani)
    • अदूरदर्शिता की महाव्याधि से पीछा छुड़ायें।
    • Quotation
    • असामान्य स्वप्न और योग निद्रा
    • स्वच्छताप्रेमी महात्मा गाँधी (kahani)
    • ऊँचा उठने की आकाँक्षा और उसकी पूर्ति।
    • परकाया प्रवेश एक विद्या-एक ज्ञान
    • प्राण ऊर्जा हमारी सर्वोपरि सम्पदा
    • मानसिक तनाव-चिन्तन का दुर्गुण
    • Quotation
    • ‘ब्रह्म वर्चस’ की साधना प्रखर प्रक्रिया
    • अपनों से अपनी बात - साधना जयन्ती की पूर्णाहुति के साथ-साथ नये चरण, नये प्रयास
    • नये भोर का आगमन
  • My Note
  • Books
    • SPIRITUALITY
    • Meditation
    • EMOTIONS
    • AMRITVANI
    • PERSONAL TRANSFORMATION
    • SOCIAL IMPROVEMENT
    • SELF HELP
    • INDIAN CULTURE
    • SCIENCE AND SPIRITUALITY
    • GAYATRI
    • LIFE MANAGEMENT
    • PERSONALITY REFINEMENT
    • UPASANA SADHANA
    • CONSTRUCTING ERA
    • STRESS MANAGEMENT
    • HEALTH AND FITNESS
    • FAMILY RELATIONSHIPS
    • TEEN AND STUDENTS
    • ART OF LIVING
    • INDIAN CULTURE PHILOSOPHY
    • THOUGHT REVOLUTION
    • TRANSFORMING ERA
    • PEACE AND HAPPINESS
    • INNER POTENTIALS
    • STUDENT LIFE
    • SCIENTIFIC SPIRITUALITY
    • HUMAN DIGNITY
    • WILL POWER MIND POWER
    • SCIENCE AND RELIGION
    • WOMEN EMPOWERMENT
  • Akhandjyoti
  • Login




Magazine - Year 1977 - Version 2

Media: TEXT
Language: HINDI
TEXT SCAN


स्वास्थ्य के लिए हानिकारक चीनी

Listen online

View page note

Please go to your device settings and ensure that the Text-to-Speech engine is configured properly. Download the language data for Hindi or any other languages you prefer for the best experience.
×

Add Note


First 11 13 Last
भारत में पर्व, उत्सव या प्रसन्नता के प्रत्येक अवसर पर मीठे भोज्य पदार्थ का आयोजन किया जाता है। मीठे पकवानों के बिना हमारी प्रसन्नता अधूरी रहती है और ऐसा लगता है मानों हमने त्यौहार का अधूरा आनन्द लिया। मिठास की स्वाभाविक चाह चीनी से बनी विविध मिठाइयों टॉफी, बिस्किट, शर्बत, कुल्फी और चाय आदि से पूरी होती है। आये दिन होटल और हलवाई की दुकान पर जाकर अनेक प्रकार की मिठाइयाँ खाते रहते हैं, पर हमने कभी यह विचार तक नहीं किया कि स्वास्थ्य निर्माण में इनका क्या योगदान है?

जर्मन रसायन शास्त्री बैडिल ने चीनी के प्रयोग कुत्तों पर किये। उन्होंने सात प्रतिशत चीनी मिले जल के इन्जेक्शन कुत्तों को दिये तो उन्होंने देखा कि शरीर की श्लेष्मिक कलाओं में जलन पड़ने लगती है, उनका रंग लाल हो जाता है। चीनी की मात्रा की वृद्धि करने पर उनकी लालिमा और बढ़ जाती है। इस प्रयोग के समय बेचैनी के कारण कुत्ते की छटपटाहट इतनी बढ़ गई कि चिकित्सक को अपना प्रयोग रोकना पड़ा।

इसी तरह का एक प्रयोग डा॰ ओगटा ने भी कुत्तों पर किया उन्होंने माँस के साथ एक तोला चीनी मिला कर खिलाई। इसका परिणाम यह निकला कि कुछ दिनों में एक चौथाई पाचन शक्ति घट गई।

एचिसन टाबर्टसन नामक चिकित्सक ने वायु व नेत्र रोग से पीड़ित रोगियों को 100 ग्राम चीनी का शर्बत ढाई सो ग्राम पानी में बनाकर दिया तो थोड़ी ही देर में रोगियों की हालत बिगड़ने लगी। अधिकतर लोगों को उल्टियाँ हुई। पेट के दर्द और छाती में जलन पड़ने लगी, दाँत खट्टे हो गये। इन्हीं रोगियों को जब फल की शर्करा पिलाई गई तो कोई कष्ट नहीं हुआ। डाक्टर टावटंसन ने यह भी देखा कि नाश्ते में चीनी का अधिक उपयोग करने से आमाशय की श्लेष्मिक कलाओं से श्लेष्मा इतना अधिक निकलता है कि पाचन तन्त्र को ही कमजोर बना देता है।

टमेरिका में मिशीगन विश्व-विद्यालय के दाँत विशेषज्ञ का कहना है कि चीनी का सबसे अधिक कुप्रभाव दाँतों का पड़ता है। उन्होंने देखा कि जिन बालकों के आहार में मिठाइयों को स्थान दिया गया था उनके दाँत शीघ्र ही खराब होने लगे और जब मीठी चीजें निकाल दी गई तो उनके दाँत पुनः स्वस्थ हो गये। संसार के विभिन्न देशों में चीनी की अधिक खपत करने वाला देश अमेरिका ही है इसीलिए दाँतों के रोगियों संख्या भी सबसे अधिक है। एक जाँच से पता चला कि वहाँ 4 लाख बच्चे हृदय रोग से, 10 लाख कान के रोग से 40 लाख पोषक तत्त्वों के अभाव से, 60 लाख टान्सिल बहने से 1 करोड़ दंत रोगों से और डेढ़ करोड़ अन्य रोगों से पीड़ित है। रोगी बच्चों की इतनी बड़ी संख्या का मुख्य कारण चीनी से बनी मिठाइयों का उपयोग करना है।

चिकित्सकों ने जब यह देखा कि चीनी के अत्यधिक प्रयोग से लोगों के दाँत समय से पूर्व ही गिर जाते हैं और नाना प्रकार के रोग होते हैं तो उसकी रोकथाम पर विचार विमर्श हेतु देहली में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें डेन्टल काउंसिल ऑफ इण्डिया के अध्यक्ष कर्नल एन॰एन॰ बेरी ने बताया कि यदि दाँत की बीमारियों की रोक-थाम के लिए प्रयास ने किये गये तो सौ वर्ष वाद यह स्थिति आ जायेगी कि प्रत्येक व्यक्ति 20 वर्ष की उम्र में ही बिना दाँतों का हो जाया करेगा।

आज से 14 वर्ष पूर्व नार्थ कैरोलिया (अमेरिका) चिकित्सक सैन्डसर ने सन्धियों की सूजन का रोग जिन बच्चों को था उनका इलाज करने से पूर्व मिठाई बिलकुल बन्द करा दी। कुछ दिनों बाद उन्होंने देखा कि मीठा खाने वाले बच्चों की अपेक्षा इनका स्वास्थ्य शीघ्र अच्छा गया।

जब चीनी का प्रयोग अधिक मात्रा में किया गया है तो उसका विशेष अंश दाँतों के एकत्रित होने लगता है जिससे पेट में वायु बनने लगती है। मधुमेह, आँव, मंदाग्नि, अजीर्ण, आँतों में जलन, जीभ पर दाने तथा हृदय रोग जैसे अनेक बीमारियाँ इसी शकर की देन है। चीनी के उपयोग से सम्पूर्ण शरीर ही विषाक्त हो जाता है। शरीर की अस्थियाँ दुर्बल, माँस-पेशियाँ अशक्त तथा शरीर में लौह एवं अनेक जीवन तत्त्वों की कमी हो जाती है।

अनेक रोगों को जन्म देने के कारण चिकित्सक चीनी को स्वास्थ्य का शत्रु मानने लगे है। चीनी के तैयार करने का ढंग ही इतना दोष-पूर्ण है कि अन्तिम में सिवाय मिठास के और कुछ शेष ही नहीं रहता। फिर भी इस मीठे विष को लोगों को चाव से खाता देख आश्चर्य होता है। शरीर शास्त्रियों ने शर्करा को कार्बोहाइड्रेट की तरह उपयोगी माना है। भोजन में प्रयुक्त होने वाली शर्करा को हम चार रूपी में देख सकते है-

अन्न के पाचन से बनी।

फलों की मिठास से प्राप्त।

दूध से मिलने वाली।

गन्ने की बनी।

इन चार प्रकार की मिठास से अधिकतर लोग गन्ने से बनी शकर से ही अधिक परिचित है, पर शरीर इसका उपयोग सामान्य रूप से अन्य शर्कराओं की तरह नहीं कर पाता। इसीलिए गाँधी जी ने सफेद चीनी को मनुष्य के लिए अप्राकृतिक खाद्य-पदार्थ माना है। गुड या खाँडसारी शकर में जो तत् पाये जाते हैं वह चीनी में नहीं मिलते। चीनी के बदले में मिठास की पूर्ति हेतु गुड, शहद, छुहारे,खजूर, मुनक्का और किशमिश आदि का प्रयोग किया जा सकता है। यह खाने से भी स्वादिष्ट लगते हैं और साथ ही कैल्शियम, प्रोटीन और लौह जैसे तत्त्वों की भी प्राप्ति हो जाती है।

गुड़ में जो क्षार है वह शकर में कहाँ मिलते हैं। फलों की प्राकृतिक मिठास की जितनी प्रशंसा की जाये उतनी ही कम है क्योंकि यह माँस-पेशियों तथा रक्त को बढ़ाने और हड्डियों को मजबूत करने का काम करती है। मौसमी फल सस्ते और सुविधा से प्राप्त भी हो जाते हैं।

स्वस्थ जीवन की प्राप्ति तथा रोगों से मुक्त होने के लिए यह आवश्यक है कि खाद्य-पदार्थों शकर की मात्रा जहाँ तक सम्भव हो घटाई जाये।

First 11 13 Last


Other Version of this book



Version 2
Type: TEXT
Language: HINDI
...

Version 1
Type: SCAN
Language: HINDI
...


Releted Books


Articles of Books

  • शाश्वत सौंदर्य की प्राप्ति
  • संकटों से डरें नहीं, लड़ें
  • आत्म-शक्ति संचय के चार आधार
  • जगत का सनातन नियम (kahani)
  • जीवन अमर है वह मौत से हारा नहीं
  • खलीफा के महल के सामने लाया गया (kahani)
  • साहस गया तो जीवन रस सूखा
  • देववाद की रहस्यमयी अभिव्यंजनाएँ
  • अपना गला आप घोट लेने का उपक्रम
  • सूक्ष्मता की शक्ति और उसके चमत्कार
  • हमारी भावात्मक अभिव्यक्तियाँ सहज एवं मुक्त हों
  • स्वास्थ्य के लिए हानिकारक चीनी
  • ज्ञान के साथ कर्म भी जुड़ा हो (kahani)
  • अदूरदर्शिता की महाव्याधि से पीछा छुड़ायें।
  • Quotation
  • असामान्य स्वप्न और योग निद्रा
  • स्वच्छताप्रेमी महात्मा गाँधी (kahani)
  • ऊँचा उठने की आकाँक्षा और उसकी पूर्ति।
  • परकाया प्रवेश एक विद्या-एक ज्ञान
  • प्राण ऊर्जा हमारी सर्वोपरि सम्पदा
  • मानसिक तनाव-चिन्तन का दुर्गुण
  • Quotation
  • ‘ब्रह्म वर्चस’ की साधना प्रखर प्रक्रिया
  • अपनों से अपनी बात - साधना जयन्ती की पूर्णाहुति के साथ-साथ नये चरण, नये प्रयास
  • नये भोर का आगमन
Your browser does not support the video tag.
About Shantikunj

Shantikunj has emerged over the years as a unique center and fountain-head of a global movement of Yug Nirman Yojna (Movement for the Reconstruction of the Era) for moral-spiritual regeneration in the light of hoary Indian heritage.

Navigation Links
  • Home
  • Literature
  • News and Activities
  • Quotes and Thoughts
  • Videos and more
  • Audio
  • Join Us
  • Contact
Write to us

Click below and write to us your commenct and input.

Go

Copyright © SRI VEDMATA GAYATRI TRUST (TMD). All rights reserved. | Design by IT Cell Shantikunj